दूजा प्यार : (भाग -1) – Hindi Love Story | Best Love Story | True Love Story

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हेलो दोस्तों ! कहानी की इस नई Series में हम लेकर आए हैं आपके लिए एक और नई कहानी। आज की कहानी का नाम है – ” दूजा प्यार “। यह इस कहानी का (भाग -1) है। यह एक True  Love Story है। कहानी को पूरा जरूर पढ़ें। तो चलिए शुरू करते हैं…
दूजा प्यार : (भाग -1) - Hindi Love Story | Best Love Story | True Love Story

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Hindi Love Story | Best Love Story | True Love Story

 दूजा प्यार : (भाग -1) 

एक छोटा सा शिव मंदिर जहां भोलेनाथ की एक प्यारी सी मूर्ति, आगे दुल्हन के जोड़े में अपने दोनों हाथों को जोड़कर खड़ी एक लड़की भगवान का शुक्रियादा कर रही होती है। 
वह लड़की – थैंक्यू भगवान जी ! आज मेरी शादी है और मेरी शादी उसी से हो रही है जो मेरा पहला प्यार है। जिसे मैं खुद से भी ज्यादा प्यार करती हूं। 
तभी पीछे से एक आवाज आती है – अरे बेटा ! जल्दी आओ मुहूर्त निकला जा रहा है। वह लड़की पीछे मुड़ते हुए कहती हैं – आई पंडित जी ! इतना कहकर वह लड़की पंडित जी के सामने चली जाती है।
वह लड़की इधर-उधर देखते हुए पंडित जी से कहती है – पंडित जी ! पवन कहां है ? इस पर पंडित जी कहते हैं – उन्हें अभी एक फोन आया है। शायद वह उधर गए हैं बात करने को। 
बेटा, आप उन्हें भी जल्दी बुला लीजिए नहीं तो मुहूर्त निकल जाएगा। वह लड़की अपना सर हां मैं हिलाते हुए कहती है – पंडित जी ! अभी बुलाकर लाती हूं।
पवन (फोन पर) – तुम मुझे बार-बार फोन क्यों कर रहे हो ? तुम्हें एक बार कहा ना मैंने कि भले उससे शादी मेरी हो रही है पर उसके साथ सुहागरात तुम ही मनाओगे। 
वैसे भी मुझे उस में कोई इंटरेस्ट नहीं है। तुम बस उसकी कीमत तैयार रखो, जितना मैंने कही थी। बाकी जो तुम चाहते हो वह तुम्हें मिल जाएगा, उसकी चिंता मत करो।

पवन की बातें सुनकर वह लड़की हैरान रह जाती है। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह अब क्या करें ? लेकिन अब इतना तो तय था कि वह अब यह शादी नहीं कर सकती। 

इसलिए वह अपने पांव पीछे मोड़ लेती है और अपनी आंखों में आंसू लिए भागते हुए मंदिर के बाहर रोड पर आ जाती है। उसका ना तो दिल काम कर रहा था और ना ही दिमाग। 

इधर पवन पंडित जी के पास आकर कहता है – रीत कहां है ? पंडित जी पवन को देखते हुए शांत भाव से कहते हैं – यजमान ! वह आपको ही बुलाने गई थी।

पंडित जी की बात सुनकर पवन अपने मन ही मन में सोचता है, रीत मुझे बुलाने आई थी। कहीं इसने मेरी बातें तो नहीं सुन ली। यह सोचते हुए पवन रीत को मंदिर में सब जगह ढूंढने लगता है। 
जब उसे रीत वहां कहीं नहीं मिलती, यह देख पवन का शक यकीन में बदल जाता है कि रीत ने उसकी बातें सुन ली है। यह सोचकर पवन धीरे से अपने आप में कहता है – अगर वह यहां से भाग भी गई होगी तो अभी ज्यादा दूर नहीं गई होगी। 
मैं उसे आसानी से पकड़ सकता हूं। इतना कहकर पवन भी मंदिर से बाहर आकर रीत को ढूंढने लगता है।

इधर रीत रोड के किनारे बने फुटपाथ में बेतहाशा भागी जा रही थी। तभी उसकी नजर उसके पीछे आते हुए पवन पर पड़ती है जो कि बाइक पर बैठकर रीत को ही ढूंढ रहा था। 
इससे पहले कि पवन रीत को देख पाता, रीत बिना सोचे समझे सामने खड़ी एक बस में चढ़ जाती है और बस जाने लगती है। 
बस का कंडक्टर उसे ऊपर से नीचे तक घूरते हुए कहता है – मैडम जी ! आपको कहां जाना है ? बस कंडक्टर की बात सुनकर रीत कुछ नहीं बोलती।

Hindi Love Story | Best Love Story | True Love Story

बस में बैठे सभी लोगों की नजर बस रीत को ही देखे जा रही थी। पर रीत को इसका कोई होश नहीं था। वह बस की एक सीट पर जाकर बैठ जाती है। बस का कंडक्टर रीत के पास आकर फिर से कहता है – मैडम जी ! यह बस तो चंडीगढ़ जाएगी। 
क्या आपको भी चंडीगढ़ ही जाना है ? रीत फिर से चुपचाप रहती है। यह देखकर कंडक्टर फिर उसके बाद रीत से कुछ नहीं पूछता।

कुछ देर बाद रात हो गई। वैसे तो हर रात काली होती है लेकिन यह रात रीत की जिंदगी की सबसे काली रात थी। पर वो कहते हैं ना कि रात चाहे कितनी भी काली हो, वह हमेशा के लिए नहीं ठहरती। उसके बीतने के बाद एक नई सुबह जरूर आती है। और वही सुबह प्रीत का इंतजार कर रही है।

अगली सुबह…

रीत चंडीगढ़ बस अड्डे पर बस से नीचे उतरती है। वह बस कंडक्टर के पास जाकर उसे एक अंगूठी देते हुए कहती है – भैया ! मेरे पास पैसे नहीं है। पर आप यह अंगूठी रख लीजिए। जिसके लिए खरीदी थी, वह इसके लायक नहीं था। तो आप ही रख लीजिए।

बस कंडक्टर रीत को देखते हुए शांत भाव से कहता है – मैडम जी ! आप किराये की चिंता मत करो। आपको देखकर लगता है कि आप बहुत बड़ी मुसीबत में हो। इसलिए मैं यह अंगूठी नहीं ले सकता। 
इस अंगूठी को आप अपने पास ही रखो। क्या पता कि आपके कुछ काम आ जाए और जिसके लिए आपने यह अंगूठी खरीदी हो, क्या पता यह अंगूठी उसके लिए बनी ही ना हो।

उस कंडक्टर की बात सुनकर रीत वहां से चली जाती है। उसे कुछ पता नहीं था कि वह अब कहां जाएगी, क्या करेगी पर फिर भी वह चली जा रही थी।

शांति कुंज पार्क चंडीगढ़…

एक लड़की पार्क में खड़ी बार-बार अपने हाथ में पहनी घड़ी को देख रही थी। उसे देखकर लग रहा था कि शायद वह किसी का वेट कर रही हो। तभी एक लड़का एक बॉक्स को पीछे से उसके आगे करता है। 
वह लड़की पीछे मुड़ती है। वह लड़का उस लड़की को देख कर मुस्कुराते हुए बड़े प्यार से कहता है – सॉरी ! सॉरी ! सॉरी ! मैं थोड़ा लेट हो गया पर देखो मैं तुम्हारे लिए क्या लेकर आया हूं। तुम्हारा फेवरेट बर्गर और देखो मैं तुम्हारे लिए यह भी लेकर आया हूं। 
इतना कहते ही वह लड़का अपनी जेब से एक रुमाल निकालता है। रुमाल को देखते ही वह लड़की कहती है – यह रुमाल… इसका मैं क्या करूंगी ?

लड़का प्यार से कहता है – यह मेरे प्यार की निशानी है। देखो इसको… यह कहकर वह लड़का अपने हाथ में पकड़े बॉक्स को सामने बने एक बेंच पर रख देता है और उस रुमाल को पूरा खोलता है जिसमें एक कोने में लाल रंग के धागे से एक छोटा सा दिल बना होता है और उसके अंदर R (अल्फाबेट) लिखा हुआ होता है। 
यह देखकर वह लड़की गुस्से में चिढ़ते हुए रुमाल को देखते हुए कहती है – तुम्हारी बस यही औकात है। वह लड़के से रुमाल को छीनकर जमीन पर फेंक देती है। 
यह देखकर वह लड़का हैरानी से कहता है – क्या हुआ..?? तुम ऐसा क्यों बोल रही हो ?
इस पर वह लड़की गुस्से से कहती है – अबे साले… मैंने तुम्हें यहां यह सब नौटंकी करने नहीं बुलाया है, समझे…। मुझे तुमसे ब्रेकअप करना है। मैं तुम्हारे साथ अब रिलेशन में और नहीं रह सकती। 
उस लड़की की बात सुनकर अभिसार हैरान रह जाता है। वह हकलाते हुए कहता है – अरे ! अरे ! रागिनी… तुम्हें पता है ना कि मुझे ऐसे मजाक बिल्कुल भी पसंद नहीं है। 
इससे पहले कि अभिसार अपनी बात पूरी करता रागिनी बीच में ही बोल पड़ी – मैं मजाक नहीं कर रही हूं, समझे..!!

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रागिनी की बातें सुनकर अभिसार की आंखें नम हो जाती हैं। वह 1 लंबी सांस लेकर रागिनी के हाथ को पकड़ते हुए कहता है – पर तुम तो मुझे प्यार करती थी ना। अगर मुझसे कोई गलती हुई हो तो मुझे बताओ। पर प्लीज..!! ब्रेकअप मत करो। 

अभिसार की बात सुनकर रागिनी चिढ़ते हुए कहती है – तुम्हारी सबसे बड़ी गलती यह है कि तुम्हारे पास कुछ नहीं है और तुम जैसे फीचर के साथ रहकर मैं अपनी जिंदगी बर्बाद नहीं करना चाहती।

इससे पहले कि अभिसार कुछ कहता… तभी पार्क के गेट पर एक लंबी सी चमचमाती हुई कार आ खड़ी होती है; जिसे देखकर रागिनी के चेहरे पर एक मुस्कान आ जाती है। 

वह एक नजर अभिसार को देखती है और फिर उसके हाथ से अपने हाथ को छुड़वा कर, उस कार की तरफ चली जाती है। कार के पास पहुंचते ही उस कार से एक लड़का बाहर निकलता है, जो ऊपर से नीचे तक ब्रांडेड चीजें पहने हुए था। 
उसे देख रागिनी उसके गले लगती है और फिर वह दोनों कार में बैठकर वहां से चले जाते हैं।

यह देखकर अभिसार अंदर ही अंदर टूट जाता है। वह मन ही मन में बस यही सोच रहा था कि रागिनी ने उसे सिर्फ इसलिए छोड़ा क्योंकि वह गरीब है। 

तभी अभिसार की नजर उसके लाए हुए रुमाल पर पढ़ती है जो रागिनी ने नीचे फेंक दिया था। रुमाल को देखते ही वह घुटनों के बल जमीन पर बैठकर उस रुमाल को अपने हाथों में लेता है और रोने लगता है। 
कुछ देर बाद वह उठकर सामने बने बेंच पर बैठ जाता है। उसकी आंखों से आंसू लगातार बहे जा रहे थे।

रीत रोड पर चलते-चलते बहुत थक चुकी थी। लेकिन इस समय उसे इस सब का कहां होश था। वह तो बस अपने मन ही मन यह सोच रही थी कि आखिर वह इतने घटिया इंसान से कैसे प्यार कर बैठी ? 

क्यों उसने उस घटिया इंसान पर आंख बंद करके भरोसा किया ? क्यों वह इसके इरादे पहले नहीं समझ पाई ? यह सब सोचकर रोड पर चल ही रही थी कि उसे सामने एक बोर्ड दिखाई देता है, जिसमें लिखा था – शांति कुंज पार्क…
उसे पढ़ते ही रीत के कदम उस पार्क की ओर चल पड़ते हैं। रीत पार्क में अंदर जाकर उसी बेंच के एक कोने में बैठ जाती है जिसके दूसरे कोने में अभिसार बैठा हुआ है।

रीत अपने सिर को नीचे कर अपने चेहरे को अपने हाथों से ढक कर रोने लगती है। अभिसार जो कि अभी तक अपने ही दुख से दुखी था, जब वह देखता है कि उसके पास एक लड़की है जो की दुल्हन के जोड़े में बैठी है। 

वह रो रही है तो अभिसार अपने मन में सोचता है कि शायद यह लड़की मुझसे भी ज्यादा बड़ी प्रॉब्लम में है। और वह अपनी तकलीफ को भूलकर रीत के सामने जाता है और अपने हाथ पकड़े रुमाल को रीत को देते हुए कहता है – लो यह आंसू पोंछ लो। 
रीत अपने चेहरे से अपने हाथ हटाती है तो उसे सामने सिर्फ एक हाथ दिखाई देता है जिसमें एक रूमाल होता है। उसका सर नीचे झुके होने के कारण अभिसार भी रीत के चेहरे को नहीं देख पाता है 
और ना ही रीत अभिसार के चेहरे को देख पाती है, या फिर कहें कि जिस तकलीफ से इस समय वह दोनों गुजर रहे थे; उन्हें एक दूसरे के चेहरे देखने की सुध नहीं थी। वह दोनों तो बस अपने ही दुखों में डूबे हुए थे।

रीत अभिसार के हाथ से रुमाल लेती है और अपने आंसू साफ करने लगती है। अभिसार फिर से बेंच के दूसरे कोने में जाकर बैठ जाता है। रीत ने कल से कुछ खाया पिया नहीं था, जिसके कारण उसके पेट में गड़गड़ की आवाज आती है। 

यह आवाज सुनकर अभिसार सामने रखे बर्गर के बॉक्स को रीत की ओर करते हुए कहता है – यह लो, इसमें बर्गर है। तुम्हें भूख लग रही होगी।
अभिसार की बात सुनकर रीत का मन तो कर रहा था, वह बर्गर खा ले। लेकिन उसे थोड़ा अजीब लग रहा था इसलिए वह बर्गर का बॉक्स नहीं उठाती। तभी रीत को अचानक छींक आ जाती है। यह देखकर अभिसार कहता है – रुकिए, मैं आपके लिए पानी लेकर आता हूं। इतना कहकर अभिसार पानी लेने के लिए चला जाता है।

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जैसे ही अभिसार पानी लेकर वापस उसी बेंच के सामने आता है तो वह देखता है कि वह लड़की जो दुल्हन के जोड़े में वहां बैठी हुई थी, वहां से जा चुकी होती है। यह देख कर अभिसार अपने आप में ही कहता है –  शायद चली गई।
तभी अभिसार की नजर उस जगह जाती है जहां पर रीत बैठी हुई थी। वह देखता है कि वहां एक कागज के टुकड़े के ऊपर एक अंगूठी रखी हुई है और उस कागज में कुछ लिखा हुआ है। यह देख कर अभिसार कागज को उठाकर पड़ने लगता है। 
कागज में लिखा है – थैंक यू ! मुझे सच में ही बहुत तेज भूख लगी थी। अभी मेरे पास पैसे नहीं है। इसलिए आप यह अंगूठी रख लीजिए। अभिसार उस अंगूठी को पकड़कर देखता है उस अंगूठी के ऊपर A (अल्फाबेट) लिखा हुआ होता है।
अभिसार पार्क में चारों ओर देखता है पर उसे रीत कहीं नहीं मिलती। फिर वह पार्क से बाहर आकर भी रीत को ढूंढने लगता है लेकिन फिर भी उसे रीत कहीं दिखाई नहीं देती।
अभिसार अपने आप से कहता है – कहां चली गई यह लड़की ?
जब अभिसार को रीत वहां कहीं नहीं मिलती तो वह उस कागज को और उस अंगूठी को अपनी जेब में रख लेता है।
इस कहानी का यह अध्याय यहीं समाप्त होता है अगर आप जानना चाहते हैं इस कहानी में आगे क्या हुआ तो इस कहानी का अगला भाग जरूर पढ़ें।

 दूजा प्यार : (भाग -2) 

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