बदमाश की शादी | Badmash Ki Shadi | Hindi Kahaniya | Moral Stories | Bed Time Story | Hindi Stories | Hindi Fairy Tales

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” बदमाश की शादी ” यह एक Moral Story है। अगर आपको Hindi Stories, Bedtime Story या Hindi Kahaniya पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
बदमाश की शादी | Badmash Ki Shadi | Hindi Kahaniya | Moral Stories | Bed Time Story | Hindi Stories | Hindi Fairy Tales

Badmash Ki Shadi| Hindi Kahaniya| Moral Stories | Bed Time Story | Hindi Stories | Hindi Fairy Tales

 बदमाश की शादी 

धौलपुर नाम के एक गांव में एक बहुत बड़ा गुंडा रहता था। उसका नाम था कल्लू। कल्लू कई तरह के बड़े बड़े जुर्म कर चुका था। 
उसके चार चेले थे जो उसके हर गुनाह में उसका साथ देते थे। पर अब कल्लू चोरी और किडनैपिंग करके थक चुका था। 
कल्लू,” अरे बिल्लू ! सुन… तुझे तो पता है अब तेरे बॉस की उम्र भी हो गयी है और अब इस धंधे में कुछ ज्यादा नहीं। 
मैं सोच रहा था कि क्यों ना कोई रापचिक सी लड़की देखकर शादी कर ली जाए ? क्या बोलता है ? “
बिल्लू,” वाह सेठ ! आप भी अच्छा मजाक कर लेते हैं। भला आप से शादी कौन करेगी ? 
सारा गांव जानता है बॉस कि आप कितने बड़े गुंडे हैं ? अब गांव में तो कोई भी लड़की आपसे शादी नहीं करने वाली। “
टिल्लू,” हाँ बॉस, ये सही कह रहा था। “
कल्लू उन्हें गुस्से से देखता है। 
बिल्लू,” अब अगर आपको शादी करने का इतना ही मन है बॉस तो मेरे पास एक आइडिया है। क्यों ना हम शहर चले ? 
वहाँ पर ये कोई भी नहीं जान पाएगा कि हम सब गुंडे हैं और कोई भी लड़की हमसे शादी करने को तैयार हो जाएगी। अरे मेरा मतलब आपसे बॉस… आपसे। “
टिल्लू,” हां, और क्या पता बॉस की शादी के बाद हमे भी कोई लड़की मिल जाये ? “
ये सुनकर कल्लू उसे आंख दिखाता है। फिर बिल्लू से कहता है। 
कल्लू,” बात तो तुमने बिलकुल ठीक की और हम शहर जाकर ऐसा ड्रामा करेंगे कि सबको लगेगा कि हम बहुत अच्छे खानदान से हैं। क्या समझे ? 
लेकिन शहर जाने से पहले हमें एक बड़ा हाथ मारना होगा ताकि हम शहर में आराम से अपना गुज़ारा कर सकें। “
ये प्लैन बनाकर कल्लू अपने चेलों के साथ शहर के सबसे धनी सेठ को लूटने की तैयारी बनाने लगा। कल्लू बहुत बड़ा गुंडा था और हमेशा अपना स्टेटस मेनटेन रखता था। 
वो किसी को भी लूटने से पहले गांव में खबर फैला देता था कि वो किसे और कब लूटने वाला है ? 
ऐसा करके वह लोगों को दिखाता था कि वो किसी से नहीं डरता और किसी में दम हो तो उसे रोक ले।
कल्लू,” जाकर गांव में ये खबर फैला दो कि मैं अब कोरा सेठ को लूटने वाला हूँ और ये इस गांव में मेरी आखिरी लूट होगी। “
इस खबर ने पूरे गांव में अफरा तफरी मचा दी। कल्लू शाम को अपने चेलों के साथ कोरा सेठ के घर पहुंचा और वहाँ का माहौल देखकर दंग रह गया। 
सेठ,” आओ आओ कल्लू भाई, तुमने तो आने में बहुत देर कर दी। मैं कब से तुम्हारी राह देख रहा था ? “
कल्लू,” अरे ओ सेट ओ ! पागल हो गया क्या ? भला कोई गुंडे मवालियों के भी राह देखता है क्या ? अबे…। “
बिल्लू,” हाँ और क्या… तू लुटने के लिए हमारी राह क्यों देख रहा था रे ? “
कल्लू,” ओए ! तू चुप कर, जब मैं बात कर रहा हूँ तो बीच में बकर बकर क्यों कर रहा है ? जानता नहीं क्या, मैं तेरा सीनियर हूँ ? चुपचाप कोने में खड़ा रह। “
सेठ,” अरे खड़े क्यों हैं कल्लू भाई ? आइये बैठिये। कुछ ठंडा मंगवाऊं ? “
कल्लू,” अरे ओए… तेरा दो सच में दिमाग खराब हो गया, लगता है ? “
सेठ,” अरे ! नहीं नहीं कल्लू भाई, ये तो खुशी के बारे में बावला हुआ जा रहा हूँ, हाँ। “
कल्लू,” ऐ ! किस बात की खुशी रे ? हम तुझे लूटने आ रहें हैं। “
सेठ,” अरे ! यही तो खुशी की बात है, कल्लू भाई। मैं साल भर इतनी मेहनत से पैसे कमाता हूँ और साल खत्म होते ही तुम आते हो और मुझसे सब कुछ लूटकर ले जाते हों। 
मगर क्योंकि यह तुम्हारी आखिरी लूटपाट है, मैं तुम्हें खुशी खुशी सब कुछ देने को तैयार हूँ, हाँ। मैं तो इस बात से बहुत खुश हूँ कि अब मुझे दुबारा तुम्हारी शकल नहीं देखनी पड़ेगी। “
कल्लू,” अजीब पागल आदमी है, लुटने पर खुश होरेला है। खैर ला… अपना सारा माल इधर कर। “
फिर कल्लू कोरा सेठ को लूटकर वापस अपने घर चला जाता है। अगले ही दिन कल्लू अपने चारों चेलों को लेकर शहर चला जाता है। 
गांव वाले भी कल्लू के जाने की खबर सुनकर काफी खुश थे। कल्लू अगले दिन ट्रेन से चारों चेलों के साथ शहर पहुंचता है। 
बिल्लू,” अरे वाह बॉस ! ये जगह तो एकदम फैनटैस्टिक है, हाँ। यहाँ तो मज़ा ही मज़ा आएगा। चलिए हम पहले चलकर कोई रहने की जगह ढूंढ़ते हैं, बॉस। “
कल्लू,” भई उसकी कोई जरूरत नहीं है, तुम लोगों को शायद पता नहीं है पर मेरा एक बचपन का खास दोस्त यहाँ रहता है। वो बस हमें लेने को आता ही होगा। “
तभी कल्लू के बचपन का दोस्त पिंकू उसे लेने स्टेशन पहुंचा। वो सब पिंकू के घर जाते हैं। पिंकू को वो सब कुछ बताता है कि वह लोग सब गलत काम कुछ समय के लिए छोड़कर यहाँ आये हैं। और कल्लू अपने लिए लड़की ढूंढ रहा है। “

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पिंकू,” इसके लिए हमें थोड़ी सी मेहनत करनी होगी। “
कल्लू,” हाँ हाँ पिंकू, मैं कुछ भी करने को तैयार हूँ। बस तुम मेरे लिए लड़की ढूंढ दो। “
पिंकू,” हाँ तो कल्लू, तुम मेरी बात ध्यान से सुनो। “
कल्लू और उसके चारों चेले ध्यान से पिंकू की बात सुनते हैं। 
पिंकू,” देखो, मेरी नजर में एक बहुत अच्छी लड़की है। 
मेरे घर के सामने यह घर है और वहाँ एक लड़की रहती है। उसका नाम कविता है। वो अकेले रहती है और वो एक टीचर है। 
पर दिक्कत यही है की वो थोड़ा मॉडर्न टाइप की है और तुम ठहरे गुंडे। मेरे ख्याल से तुम्हें थोड़ी सी अंग्रेजी सीख लेनी चाहिए और खुद को पूरी तरह से चेंज कर लेना चाहिए। 
अपने कपड़े से लेकर अपने बालों तक। और तुम्हें उससे ये छुपाना होगा कि तुम गुंडे हो। समझे..? “
कल्लू,” बाकी तो सब ठीक है पिंकू, पर भला अपुन को उससे ये काहे को छुपाना होगा कि मैं एक गुंडु हूं ? क्या ये गलत नहीं होगा क्या ? “
पिंकू,” अरे यार कल्लू ! अगर तुम उसे जाकर ये कहोगे कि तुम गुंडे हो और गांव से आये हो तब तो शायद वो तुमसे कभी शादी ही नहीं करेगी। 
समझ नहीं रहे हो तुम, एक बार तुम दोनों की शादी हो जाये बस फिर उसे बता देना कि ये सब झूठ था। है कि नहीं ? “
कल्लू को ये सब गलत तो लगता है पर उसके चेलों और पिंकू के बार बार कहने पर वो मान जाता है। अगले दिन कल्लू के चेले उसे लेकर एक बार्बर के यहाँ जाते है और उसको नए कपड़े खरीद कर देते हैं। 
शाम को जब कल्लू घर आता है और पिंकू उसे देखता है। कल्लू अपने बाल मॉडर्न स्टाइल में कटा चुका था और उसने शर्ट पैंट पहन रखी थी। “
पिंकू,” अरे वाह कल्लू ! ये तो कमाल ही हो गया। जैसा मैंने कहा था तुमने ठीक वैसा ही किया। अब लग रहा है ना तू गांव का गोरा… अरे ! मेरा मतलब है कि शहर के गोरे, हाँ। “
अगले ही दिन पिंकू एक इंग्लिश ट्यूशन टीचर को घर बुला लेता है और उसे कल्लू को कुछ इंग्लिश के दो चार बातें सिखाने को जल्द से जल्द बोलता है। 
टीचर,” चलो कल्लू बताओ, हाउ आर यू ? “
कल्लू,” मी… नो… वेन… यू… ओके। “
ये सुनकर वहाँ बैठे पिंकू और कल्लू के बाकी चेले ज़ोर ज़ोर से हंसने लगते हैं।
बिल्लू,” वाह उस्ताद वाह ! क्या अंग्रेजी बोली है आपने ? वाह ! इसको सुनकर तो अंग्रेज भी शर्मा जाएंगे, हाँ। “
टिल्लू,” अरे उस्ताद ! ज़रा हमें भी सीखा दो अपने जैसी थोड़ी सी अंग्रेजी। “
कल्लू को बहुत गुस्सा आता है और वो हवा में फायरिंग कर देता है। ट्यूशन टीचर तो गोली की आवाज सुनते ही बेहोश हो जाता है। 
पिंकू,” अरे कल्लू ये क्या किया ? अब तुम्हे कौन अंग्रेजी सिखाएगा ? टीचर तो बेहोश हो गया। “
कल्लू,” हो गया तो हो जाए बेहोश, अभी मरा तो नहीं है ना ? ये सब मेरा मजाक उड़ा रहे हैं, कल्लू का मजाक। हां भई, किसको अंग्रेजी सीखनी है बे, अभी सिखाता हूँ ? “
सारे चेलों की सिट्टी पिट्टी गुम हो गई और वो वहाँ से भाग खड़े हुए। इसके बाद अगले दिन बहुत मिन्नतें करने के बाद वो इंग्लिश टीचर वापस आया और कल्लू को थोड़ी बहुत अंग्रेजी सिखाकर चला गया। 
अगले दिन कल्लू अपने चेलों और पिंकू के साथ उस लड़की के घर जाता है, नया सूट पहनकर जो उसके चेलों ने उसे दिलाया था। 
कल्लू ने अपने बाल भी जेल से सेट कर रखे थे। 
कविता,” अरे ! आइये आइये, मैं आप सभी का इंतज़ार कर रही थी। “
कल्लू,” आई ला… लड़की तो एकदम रापचिक है, पिंकू। अब तो लगता है दूल्हा बन ही जाएंगा, हाँ। “
पिंकू,” ठीक है ठीक है, चलो अंदर चलो। सब लोग बैठ जाओ। “
कल्लू और इसके चेले सोफे पर बैठ जाते हैं। सभी चेले टेबल पर रखी मिठाइयों को देखते ही उनकी तरफ हाथ लपका देते हैं और तभी कल्लू उनके हाथ पर गुस्से से मारता है। 
बिल्लू,” अरे बॉस ! हमें तो खाने दीजिए। “
कल्लू,” कम से कम थोड़ी देर सब्र कर बे। कम से कम बात तो पक्की होने दे। बाद में खा लेना जो भी खाना है। “
तभी बिल्लू की नजर वहाँ रखे फोटो प्रेम पर पड़ती है जिसे देखकर उसकी चीख निकल जाती है। 
कविता के साथ साथ सभी चेले उसकी तरफ हैरानी से देखते हैं। वो चुप हो जाता है और फिर बॉस के कानों में कुछ कहता है। 
बिल्लू,” अरे बॉस ! ज़रा सामने लगे फोटो फ्रेम को तो देखो। “
उस फोटो फ्रेम को देखकर कल्लू की तो मानो पैरों तले जमीन ही खिसक जाती है और वो उछलकर खड़ा हो जाता है। 
कविता,” अरे ! आपको क्या हुआ ? आप ऐसे क्यों खड़े हो गए ? “
कल्लू,” नो थिंग… मेरा मतलब कुछ भी तो नहीं। हमें लगता है हमें अब जाना चाहिए। “
कविता,” ऐसे कैसे ? अभी तो आप लोग आये ही है। कुछ लीजिये ना, पापा आते होंगे। “
कल्लू,” अभी जाने दो, दुबारा आएँगे। माना करो, अभी जाने दो। “
पिंकू,” अरे ! क्या दोस्त..? अभी तो लड़की के पापा को कॉल किया हूँ, बस वो किसी भी वक्त आरेला होगा। “
कल्लू,” अबे ! ये क्या किया रे तू ? अब यहाँ से भागने में ही भलाई है। “
बिल्लू,” बॉस, खिड़की के रास्ते चले क्या ? “
कल्लू,” अबे डेढ़ फुटिये ! तू तो निकल जायेगा, मेरे इस पेट का तो सोच। “
टिल्लू,” मैं तो कहता हूँ बॉस, जल्दी से सब फुट लो इससे पहले कि लड़की का बाप हमें फोड़ डाले। क्या..? “
कविता,” अरे ! आप सब लोग घबरा क्यों रहे हो ? ऐसा क्या हो गया ? लो बाबा भी आ गए। “
तभी दरवाजे पर कोरा सेठ आकर खड़ा होता है। उसे देखते ही सब लोग किसी ना किसी तरह अपने मुँह को ढक लेते हैं। 
सेठ,” अरे बेटी ! ये सब लोग अपना मुँह क्यों छुपाए खड़े हैं ? “
पिंकू,” कुछ नहीं सेठजी, बस ज़रा शर्मा रहे हैं। पहली बार लड़की के बाप से जो मिल रहा है ना। “
सेठ,” और कुछ खाया तक नहीं अभी। “
कल्लू,” अरे सेठ ! हमें यहाँ से जाने दो। मुझे कोई शादी नहीं करनी है। “
सेठ,” हैं… ये आवाज़ तो जानी पहचानी सी लग रही है। कल्लू तू… और मेरी कविता का रिश्ता मांगने आया है। “

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कल्लू,” अरे ! नहीं नहीं सेठ, वो… वो अबे चलो बे। “
कल्लू,” अबे कालिया… गोपी अब सब कल्टी मार लो नहीं तो बहुत पिटोगे, चलो। “
सेठ,” अरे ! पकड़ो इन्हें, पकड़ो पकड़ो। गुंडे चोर कही के ? “
सब लोग भागकर सड़क किनारे पहुँच जाते हैं। 
कल्लू,” अरे बाप रे बाप ! आज तो बाल बाल बचे। पिंकू तू बिना सोचे समझे कहीं भी बात कर लेता है, मरवाएगा कभी हमें ? “
पिंकू,” अरे ! यार है तू मेरा, टेंशन नहीं लेने का। अभी मेरे पास एक और रिश्ता है तेरे लिए। “
कल्लू,” एक और रिश्ता… नहीं नहीं। “
ये सुनकर सब लोग मिलकर पिंकू की धुलाई करना शुरू कर देते हैं।
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