बुद्धिमान बूढ़ा | Hindi Kahaniya | Moral Stories in Hindi | Achhi Kahaniya | Bed Time Story | Gaon Ki Kahani

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” बुद्धिमान बूढ़ा ” यह एक Gaon Ki Kahani है। अगर आपको Hindi Kahaniya, Moral Story in Hindi या Achhi Achhi Kahaniya पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
बुद्धिमान बूढ़ा | Hindi Kahaniya | Moral Stories in Hindi | Achhi Kahaniya | Bed Time Story | Gaon Ki Kahani

Intelligent Old Man | Hindi Kahaniya| Moral Stories in Hindi | Bed Time Story | Gaon Ki Kahani

 बुद्धिमान बूढ़ा 

विजयपुर नाम का एक गांव था जहां नत्थू नाम के एक व्यक्ति को गांव के सभी बच्चे और बड़े ‘सलाहकार काका’ कहा करते थे; क्योंकि नत्थू काका आए दिन कोई न कोई सलाह देते रहते थे।
एक दिन गांव के बच्चे नत्थू काका के पास आते हैं और कहते हैं,” काका आज की सलाह क्या है ? “
नत्थू काका सलाह देते हुए कहते हैं,” पास के मेले में एक बड़ा गांव लगा है। तुम सब को वहां जाना चाहिए। मेरा यकीन मानो मजा ही आ जाएगा। “
सभी बच्चे मिलकर जोरों से हंसने लगते हैं। फिर नत्थू काका अपने माथे को खुजाने लगते हैं और सोच में पड़ जाते हैं कि उन्होंने ऐसा क्या कह दिया जिससे बच्चे हंस रहे हैं ? 
गांव के बच्चे तभी कहते हैं,” काका का मतलब है कि पास के गांव में एक बहुत बड़ा मेला लगा है और अगर हम सब वहां जाएंगे तो हमें बहुत मजा आएगा। ” 
फिर बच्चों के साथ-साथ नत्थू काका भी जोर जोर से हंसने लगते हैं। उन बच्चों में से एक कहता है,” हां चलो दोस्तो हम सब मेले में चलते हैं। बहुत मजा आएगा और कुछ पैसे भी साथ ले लेंगे। “
सभी बच्चे पास के गांव में मेला देखने चले जाते हैं। उसके बाद गांव का सरपंच सलाह के मामले में नत्थू काका के पास आता है और कहता है,” नत्थू काका, जरा हमें भी सलाह दे दीजिए। दरअसल उस पीपल के पेड़ के होने से गांव के लोग यहां आने से डर रहे हैं। “
नत्थू काका सलाह देते हुए कहते हैं,” क्यों न लोगों के पेड़ से डर काट दिया जाए ताकि डर के मन से भूत निकल जाए। ” 
यह सुनकर गांव का सरपंच अपना सिर खुजाने लगता है और कहता है,” क्या मतलब नत्थू काका ? “
नत्थू काका कहते हैं,” ए… वे… व मेरा मतलब गांव से इस पीपल के पेड़ को ही काट दो ताकि लोगों के मन से भूत का डर निकल जाए। “
सरपंच कहता है,” पर लोग तो इस पीपल के पेड़ से बहुत डरते हैं। तो इस पेड़ को काटेगा कौन ? “
नत्थू काका अपने बगल में रखें पानी के गिलास को उठाते हैं और एक घूंट पानी पीते हुए कहते हैं,” मैं इस पेड़ को काट लूंगा। “
यह सुनकर गांव का सरपंच कहता है,” इस उम्र में आप पेड़ काटेंगे। आप कहीं मजाक तो नहीं कर रहे। “
नत्थू काका कहते हैं,”तुम्हें पता नहीं है लेकिन मुझ में अभी भी बहुत ताकत है बच्चू…। “
गांव का सरपंच कहता है,” तो फिर चलिए नत्थू काका। ” 
नत्थू काका सरपंच के पीछे पीछे एक बड़ी सी आरी लेकर चल देते हैं। नत्थू काका पेड़ काटना शुरू कर देते हैं। पेड़ काटते काटते दोपहर का वक्त हो जाता है और वह थककर पेड़ को आधा कटा हुआ छोड़कर ही वहां से घर की तरफ जाने लगते हैं। 

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रास्ते में उनका पड़ोसी मुंशी उन से टकराता है,” क्यों भाई नत्थू, आज कौन सी सलाह दे रहा है ? ” 
थोड़ी देर सोचने के बाद नत्थू काका ने कहा,” भाई गहनों और पैसों में जहर है। “
यह सुनकर मुंशी कहता है,” भाई अच्छा रहेगा कि तुम ऐसी फालतू की सलाह देना बंद कर दो। “
नत्थू काका हैरान हो जाते हैं कि आखिर उन्होंने ऐसा क्या कह दिया ? इसके बाद मुंशी वहां से चला जाता है।
नत्थू काका इस बात को गांव के लोगों को बताना शुरू करते हैं लेकिन सभी गांव वाले उनका मजाक उड़ाने लगते हैं।
गांव में एक जगह पेड़ के नीचे बैठा दो-चार लोगों का एक समूह नत्थू काका के बारे में बात कर रहा है,” आजकल नत्थू काका पागल से हो गए हैं। आए दिन कोई न कोई अजीब सी सलाह देते रहते हैं। “
इधर नत्थू काका अपने घर पहुंचते हैं। नत्थू काका की पत्नी कहती है,” अच्छा, आ गए अपनी फालतू की सलाह बांट कर। आज कौन सी सलाह देकर आए हो ? सारे दिन यही फालतू के काम करते रहते हो। कितनी बार कहा है कि दो पैसों का जुगाड़ कर लो ? लेकिन नहीं… वह तो तुमसे होने से रहा। “
नत्थू काका,” इंसान हारा थका घर वापस आया है लेकिन तुम खाना पूछने की बजाए उसे डांट रही हो। “
नत्थू काका की पत्नी,” तो और क्या खिलाऊं ? सारे पैसे तो तुमने जुए की लत में उड़ा दिए। “
नत्थू काका,” अगर ऐसा ही है तो तुम कुछ क्यों नहीं कर लेती ?
नत्थू काका की पत्नी,” अब बस यही रह गया है। घर का काम भी करूं और बाहर का भी। सच कह रही हूं अगर तुम अपनी इन बुरी आदतों से बाज नहीं आए तो मैं सब कुछ छोड़कर अपने मायके चली जाऊंगी। “
नत्थू काका,” हां हां चली जाओ। तुम्हारे मायके में कौन सा कुबेर का खजाना है ? “
नत्थू काका और उनकी पत्नी, निर्मला में हमेशा छोटी-छोटी बातों पर भी कहा सुनी हो जाती थी। निर्मला कभी भी नत्थू काका को निठल्ले होने का ताना देती रहती थी।
नत्थू काका की भी इस रोज रोज की लड़ाई से तंग आ चुके थे। बहुत दुखी होने के बाद और बहुत सोचने के बाद नत्थू काका को एक युक्ति सूझी। 
नत्थू काका,” यह दोपहर का वक्त है। सभी औरतें अपने-अपने घर में सो रही होंगी और आदमी काम के सिलसिले में घर से बाहर होंगे। यह अच्छा मौका है। मुझे सभी के घरों से कीमती जेवरात और पैसे चुरा लेने चाहिए। “
अगले दिन दोपहर के वक्त नत्थू काका सभी के घरों से जेवरात और गहने – पैसे सब कुछ ले आते हैं और उस आधे कटे पीपल के पेड़ के नीचे गहरा गड्ढा करके दबा देते हैं।
नत्थू काका,” यहां तो किसी को शक होने से रहा। कल सुबह सुबह यहां से मैं इन्हें ले जाऊंगा। सबको तो लगता है कि यहां कोई भूत है तो यहां कोई आने भी नहीं वाला। “

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पता नहीं नत्थू काका के मन में क्या चल रहा था ? उन्होंने वहां उन सभी चीजों को छुपा दिया और वहां से घर के लिए चले गए।
अब रात का वक़्त था। रात के लगभग 11:00 बज रहे थे और नत्थू काका गांव भर में पहरा लगा रहे थे। जब निर्मला की नजर उन पर पड़ती है तो वह सवाल करते हुए कहती हैं,” क्यों ? अब सलाहकार के साथ-साथ पहरेदार भी बन गए हो क्या ? नत्थू काका कहते हैं,” मुझे नींद नहीं आ रही। ” 
निर्मला कहती है,” मुझसे अपेक्षा मत रखना कि मैं भी तुम्हारे साथ चौकीदारनी बनूंगी। मैं जा रही हूं सोने के लिए। “
नत्थू काका आगे भी इसी तरह टहलते रहे और पीपल के पेड़ की ओर देखते रहे। नत्थू काका को टहलते टहलते रात के 2:00 बज गए और उन्हें नींद आने लगी। इसके बाद वह अपने घर के बाहर ही खाट लगा कर सो गए।
अगली सुबह गांव के लोगों की जब नींद खुली तो सभी का सर भारी भारी सा लग रहा था। तब उन्होंने गौर किया कि उनके घर में पैसे और जेवरात सब कुछ चोरी हो गया है। पूरे गांव में चोरी का शोर मच चुका था। 
यह सुनकर निर्मला आती है और नत्थू काका को नींद से उठाती है,” सुनो, सुनो मेरे गहने, जेवरात और पैसे नहीं मिल रहे हैं। आसपास के घरों में भी चोरी हो गई है। “
सभी गांव वाले घबरा जाते हैं। मुंशी सभी लोगों के सामने कहता है,” हो न हो यह सब इस नत्थू का ही काम है; क्योंकि कल दोपहर में इससे मिला था तो यह कह रहा था की गहने और पैसा सब कुछ जहर है। “
सभी लोग इकट्ठा होकर नत्थू काका के पास आते हैं और उन पर इल्जाम लगाने लगते हैं। नत्थू काका अपने बचाव में कहते हैं,” देखो मैंने कोई भी चोरी नहीं की है। ” 
यह सब सुनकर निर्मला कहती है,” अच्छा तो अब तुम चोरी भी करने लगे। “
नत्थू काका कहते हैं,” देखो अब तुम तो मुझ पर विश्वास करो। “
गांव का एक व्यक्ति कहता है,” हां जरूर इन्होंने ही चोरी की होगी। तभी तो गांव के बच्चों को बहला-फुसलाकर पास के गांव में भेज दिया था। “
उसी समय गांव के बच्चे भी वापस लौट आते हैं और नत्थू काका से कहते हैं,” नत्थू काका… आपने हमें बेवकूफ बनाया। पास के गांव में तो कोई मेला नहीं लगा है। हमें खेलते खेलते शाम हो गई थी इसलिए हम कल रात बंटी के घर पर ही रुक गए थे। “
गांव का एक व्यक्ति कहता है,” देखा, इन्होंने हमें बेवकूफ बनाया ताकि ये इस गांव में चोरी कर सके। “
निर्मला कहती है,” अच्छा तो तुम कल रात इसीलिए सोए नहीं। “
मुंशी कहता है,” तो अच्छा कल रात तुम ने चोरी की है। ” 
नत्थू काका कहते हैं,” अरे ! मैंने कोई चोरी नहीं की है। मेरा विश्वास करो। “
गांव के लोग कहते हैं,” चलो इनके घर में तलाशी लेते हैं। सभी गांव वाले नत्थू काका के घर में तलाशी लेने लगते हैं और उनके घर का सामान अस्त-व्यस्त कर देते हैं। 
तभी बच्चों की नजर पीपल के पेड़ की ओर पड़ती है जो कि आधा कटा और जमीन पर पड़ा हुआ था जिसके नीचे दो आदमी दबे हुए थे। तभी वे बच्चे कहते हैं,” यह दो आदमी..?? “
गांव के लोग मिलकर दोनों को होश में लाते हैं और दूसरी ओर सरपंच भी पुलिस को वहां ले जाता है। उन दोनों लड़कों के नाम कप्तान और संपत थे।
कप्तान और संपत कहते हैं,” पुलिस..? पुलिस यहां कैसे आई ? “
गांव का एक व्यक्ति,” हां पुलिस; क्योंकि कल रात गांव के सरपंच को वापस लौटते हुए देर हो गई इसलिए वह मेरे घर पर ही रुक गए थे। हम दोनों ने इन दोनों को देख लिया था। पर इन्होंने हमें एक फूल सुंगाया और हम बेहोश हो गए। “

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नत्थू काका कहते हैं,” मैंने कल ही अखबार पढ़ा था कि यह दोनों विजयपुर के आसपास ही घूम रहे हैं। इसलिए मैंने पूरे गांव के गहने पीपल के नीचे गहरे गड्ढे में सुरक्षित रखे हुए हैं। मैंने आपसे कहा था कि गहने और पैसों में जहर है। “
कप्तान और संपत अपनी गलती को छुपाने के लिए कहते हैं,” हम दोनों बहुत आलसी हैं और कोई काम भी नहीं करना चाहते। इसीलिए चोरी करते हैं। हम यहां बच्चों को अगवा करने और गहने और पैसे लूटने के लिए आये थे। 
लेकिन कल जब हम यहां आए तो ना तो हमें बच्चे हाथ लगे और ना ही पैसे। तभी इन दोनों ने हमको देख लिया तो हमने इन्हें बेहोशी की हालत में लाने के लिए फूल सुंगा दिया। इस एक दवाई को फूल पर छिड़कने से इंसान बेहोश हो जाता है। “
कप्तान कहता है,” लेकिन जब हम निराश होकर वापस लौटने लगे तो यह पीपल का पेड़ हम दोनों के ऊपर आ गिरा और हम उसके नीचे दब गए। “
पुलिसकर्मी कहता है,” अच्छा बच्चे, बहुत दिनों से तुम दोनों ने नाक में दम कर रखा है। आज हमारे नत्थू काका की मदद से तुम हाथ लगे हो। बच्चू… चलो थाने आज तुम्हारी जमकर खुशामद की जाएगी। “
कप्तान कहता है,” अरे दरोगा साहब ! कुछ भी करना लेकिन पिछवाड़े पर डंडा मत मारना। पिछली बार बैठने में काफी तकलीफ हुई थी। “
पुलिसकर्मी गुस्से से साथ चलने को कहता है और दोनों को गाड़ी में बैठाकर जेल ले जाता है।
गांव के सभी लोग नत्थू काका की इस हरकत से काफी खुश हुए और माफी मांगने लगे,” नत्थू काका हमें माफ कर दीजिए। आपने तो इन बच्चों की ही नहीं बल्कि हमारे गहनों और पैसों की भी कड़ी इफाजत की है। शायद हम होते तो इस समस्या का समाधान ही नहीं कर पाते। “
नत्थू काका,” यह तुम्हारे ही नहीं बल्कि इस गांव के भी बच्चे हैं। ऐसे कैसे कोई हमारी नजर पर गांव रख सकता है और वह भी नत्थू के होते हुए ? “
तभी सभी बच्चे मिलकर कहते हैं,” देखा हम सब इन्हें ऐसे ही सलाहकार काका नहीं कहते। ” और सभी हंसने लगते हैं।
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