बुलबुल | Bulbul | Horror Story | Bhutiya Kahani | Dayan Ki Kahani | Haunted Stories in Hindi

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – बुलबुल। यह एक Dayan Ki Kahani है। तो अगर आपको भी Darawani Kahaniya, Bhutiya Kahani या Horror Story पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।

बुलबुल | Bulbul | Horror Story | Bhutiya Kahani | Dayan Ki Kahani | Haunted Stories in Hindi

Bulbul | Horror Story | Bhutiya Kahani | Dayan Ki Kahani | Haunted Stories in Hindi

बुलबुल

मेरा नाम दीक्षा है और आज मैं आपको अपनी आपबीती सुनाने जा रही हूँ, जिसकी वजह से मेरी बहन की जिंदगी बर्बाद हो गयी। 
मुझे आज भी अच्छे से याद है। हम दोनों बहनें ग्यारहवीं कक्षा में घर के पास ही गवर्नमेंट स्कूल में पढ़ते थीं। उसका नाम बुलबुल था। 
वैसे बुलबुल मेरी सगी बहन नहीं थी, वो मेरे मामा की बेटी थी। उसके पापा अचानक से ही एक्सीडेंट में चल बसे और फिर बुलबुल की माँ ने भी कुछ साल बाद दूसरी शादी करने का सोच लिया। 
लड़का अच्छा मिल गया था। बस शर्त थी कि वो बुलबुल को कभी नहीं अपनाएगा। बात इतनी बढ़ी की बहस में बदल गयी और बहस से अनबन में रिश्ता मानो टूट ही गया था। 
पर फिर माँ पापा ने बुलबुल को अपने पास ही रख लिया। सच कहूँ तो कभी ऐसा लगा ही नहीं कि बुलबुल मेरी सगी बहन नहीं है। 
हम दोनों बहनों की आपस में जमती थी। साथ पढ़ना, खेलना, मस्ती करना ऐसे ही हँसी खुशी दिन गुजर रहे थे। फिर एक दिन रोज की तरह ही शाम के 4 बजे हमारी स्कूल की छुट्टी हुई। तभी बुलबुल ने कहा।
बुलबुल,” दीदी, मैं जरा बाथरूम होकर आती हूँ। “
करीब पंद्रह मिनट हुए लेकिन वो वापस ही नहीं लौटी। पर जैसे जैसे वक्त बढ़ता जा रहा था, मेरी चिंता भी आसमान छूने लगी थी। 
जब मुझसे रहा नहीं गया तो मैं खुद ही बाथरूम के अन्दर चली गई। मैंने बाथरूम के अन्दर कदम रखा ही था कि देखा बाथरूम के फर्श पर पानी नहीं बल्कि खून गिर रहा था जिससे सारा फर्श खूनम खून हो चुका था। 
डरे सहमे बुलबुल को आवाज लगाते हुए आगे बढ़ती जा रही थी। 
दीक्षा,” बुलबुल कहाँ है तू ? बोल… बोल मेरे सामने ही तो गयी थी, अचानक से कहां जा सकती है ? 
बाथरूम के सारे दरबाजे खुले हुए थे, अंदर कोई नहीं था। तभी मुझे माथे पर कुछ गीला गीला महसूस हुआ। 
मैं जब उसे छुआ तो वो किसी का खून था, जो ऊपर से मेरे ऊपर गिरा था। इस चक्कर में जब मैंने ऊपर नजरें दौड़ाई तो मेरे पैरों तले जमीन खिसक गई। 
मेरे सिर के ठीक ऊपर बुलबुल उल्टा लटकी हुई थी, जो अपनी आँखों में खून लिए मुझे ही देख रही थी।
उसके सिर पर चोट का गहरा निशान था, जिससे टपकता हुआ खून पहले मेरे सिर पर गिरा था और अब मेरे चेहरे पर। अचानक मुझे लगा कि बुलबुल एकदम से मेरे ऊपर ही आ गिरी, इस डर से मेरी चीख निकल गई। 
मैं डर के मारे बाथरूम से बाहर जाने को हुई थी कि मैंने देखा बुलबुल ठीक मेरी आँखों के सामने दरवाजे पर ही खड़ी थी। 
बुलबुल,” दीदी, आप डर क्यूँ रही हो ? मैं आपकी बुलबुल। चलो घर चलते हैं, शाम हो गई। माँ पक्का गुस्सा करेगी। “
बुलबुल की बातें सुन मुझे एक पल को ऐसा महसूस हुआ जैसे उसके कंधे पर कोई बूढ़ी औरत बैठी हुई थी, जिसकी एक आंख फूटी हुई है और उसका सिर कटा हुआ था, जिसमें से कीड़े निकल रहे थे। 
मैंने नजर भर बुलबुल के ऊपर बैठी बूढ़ी औरत को देखा फिर अगले ही पल बुलबुल की आँखों से और माथे से खून गिर रहा था। 
उसके पैर उलटे हो चुके थे। वह उलटे पैरों से ही मेरी तरफ चली आ रही थी कि तभी पीओन और कुछ टीचर्स वहाँ दौड़े आये। सबके आते ही बुलबुल ठीक हो गई। 
पीओन,” क्या हुआ दीक्षा ? तुम चीखी क्यों ? “
पीओन ने आते ही मुझसे पूछा। बुलबुल भी दरवाजे के पीछे खड़ी मुझे देख ही रही थी और मैं उसे। पीओन ने जब मेरे डरे हुए चेहरे को देख मेरी नज़रों का पीछा किया तो उसकी निगाहें बुलबुल पर जा रुकी। 
जब पीओन की नजर बुलबुल के माथे पर गयी, वो चौंक गया। 
पीओन,” ये क्या हंगामा कर रहे तुम दोनो स्कूल में ? लड़ाई झगड़ा करने आते हो ? रुको अभी, तुम्हारे पापा को फ़ोन कर के तुम्हारी कम्प्लेन करता हूँ। “
पीओन मुझे खरी खोटी सुनाता हुआ बुलबुल को संभालते हुए बाहर ले गया। किसी को भी मेरी बात का यकीन नहीं हुआ। 
सबकी नजरों में मैं कसूरवार थी। सबको लग रहा था कि हम दोनों के बीच किसी बात का झगड़ा हुआ है और गुस्से में मैंने बुलबुल का माथा लहुलुहान कर दिया था। 
बुलबुल अपना इलाज कराकर बाहर आई तो उसके हाव भाव पहले जैसे हो गए थे। उसने आते ही मुझे गले से लगा लिया और रोते हुए कहने लगी।

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बुलबुल ,” दीक्षा दीदी, मेरे साथ ये किसने किया ? किसकी वजह से मेरे सिर पर इतनी गहरी चोट लगी है ? दीदी, कुछ तो बताओ। “
बुलबुल मेरे गले लगकर दर्द के मारे रोये जा रही थी, पर मैंने उसकी किसी भी बात का कोई जवाब नहीं दिया। हम दोनों बहनें जब घर पहुँची तो पापा गुस्से से हमारे ही आने का वेट कर रहे थे। 
पापा,” मुझे सब कुछ सच सच जानना है, क्या हुआ था तुम दोनो के बीच ? मुझे स्कूल से फ़ोन आया था। तुमने गुस्से में बुलबुल का सिर फोड़ दिया पर क्यूँ ? “
पापा मुझे खरी खोटी सुनाए जा रहे थे। मैंने पापा की किसी बात का जबाब नहीं दिया और खड़ी रोती रही। 
पापा के इतना डांटने पर भी जब मैंने जवाब नहीं दिया तो खुद ही झुंझलाते हुए वो अपने कमरे में चले गए और जाते जाते पापा सबको यह कह गए कि कोई भी मुझे आज खाना नहीं देगा। 
हुआ भी बिल्कुल ऐसा ही। लेकिन फिर बुलबुल चोरी छुपे मेरे लिए खाना लेकर आई। 
बुलबुल,” दीदी, आपने दोपहर से कुछ नहीं खाया है, प्लीज कुछ खा लीजिये। “
ये कहते हुए बुलबुल रोटी का एक निवाला तोड़ मुझे खिलाने जा ही रही थी कि तभी मैंने एकदम से बुलबुल का हाथ पकड़ उससे सीधा पूछा।
दीक्षा ,” बुलबुल, क्या तुम्हें सच में कुछ भी याद नहीं है ? “
बुलबुल ,” किस बारे में दीदी ? “
दीक्षा ,” छुट्टी के बाद जब तुम बाथरूम में गयी थी तब क्या हुआ था, तुम्हें कुछ याद भी है ? “
मेरे इस सवाल पर बुलबुल ने कुछ सोचते हुए कहा।
दीक्षा,” बस मुझे धुंधला धुंधला सा कुछ याद है। दीदी, मैं जैसे ही अन्दर गई तो बाथरूम के वाशबेसन से पानी नहीं बल्कि खून गिर रहा था जिससे सारा फर्श खूनम खून हो चुका था।
मैं डरी सहमी आवाज लगाते हुए आगे बढ़ती जा रही थी। पर बाथरूम के सारे दरवाजे खुले हुए थे। 
तभी मुझे मेरे माथे पर कुछ गीला सा महसूस हुआ। मैंने जब छुआ तो वो किसी का खून था। 
लेकिन जैसे ही मैंने ऊपर नजर दौड़ायी, मैं डर के मारे हालत खराब हो गई। “
मुझे पता चल चुका था कि बुलबुल आगे क्या बताने वाली थी। इसलिए मैंने खुद ही उसकी बात को पूरा करते हुए कहा। 
दीक्षा,” और फिर जब तुमने ऊपर देखा तो एक औरत उल्टी लटकी हुई तुम्हें ही देख रही थी, जिसकी एक आंख फूटी हुई होगी और उसका सिर आधा कटा हुआ होगा जिससे कीड़े निकल रहे होंगे। “
मैंने बुलबुल को सब कुछ बताया जिसका जिक्र बुलबुल ने किसी से नहीं किया था। मेरी बातें सुन बुलबुल के पसीने छूटने लगे। उसने चौंकते हुए मुझसे कहा। 
बुलबुल,” दीदी, आपको कैसे पता कि मेरे साथ यह सब कुछ हुआ ? “
दीक्षा,” क्यूँकि मेरे साथ भी ठीक ऐसा ही कुछ हुआ था।
बस फर्क इतना है कि मेरे पूरे शरीर पर कहीं चोट नहीं लगी। फिर तुम्हारे सिर पर इतना गहरा घाव कैसे ? “
इस पर बुलबुल ने अपने सिर की चोट को महसूस करते हुए कहा। 
बुलबुल,” वो डर के मारे जब मैं दरवाजे की ओर दौड़ी तो मेरा पैर फिसल गया और मैं एक झटके से नीचे गिर बेहोश हो गई। उसके बाद का मुझे कुछ याद नहीं। “
बुलबुल की बातें सुनने के बाद कई सवालों से मेरा सर फटा जा रहा था। 
आखिर ऐसा क्या था उस बाथरूम में और वहां खून का गिरना, उल्टी लटकी हुई बूड़ी औरत… मैं सबके बारे में ही सोच रही थी कि तभी मैंने देखा कि बुलबुल गहरी नींद में सो चुकी है। 
शायद दवाइयों ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया था। बुलबुल को चैन से सोता हुआ देख मैंने भी कमरे की लाइट तुरंत बंद कर दी। 
जैसे ही मैं अपने बिस्तर पर लेटी, मेरी सांसें रुक सी गई। वह बूढी औरत बुलबुल के बिस्तर के ऊपर हवा में उल्टी लटकी हुई एक टक देखे जा रही थी। 
तभी वो नीचे उतरी और बुलबुल के सर पर लगी चोट से उसका खून पीने लगी। बुलबुल नींद में दर्द से छटपटा रही थी। 
बुलबुल,” दीक्षा दीदी, मुझे दर्द हो रहा है मदद करो। मेरा सिर दर्द के मारे फटा जा रहा है। “
पर मैं डर के मारे एक पत्थर बन गयी थी। मैं बुलबुल की कोई मदद न कर सकी। उसका दर्द पूरे कमरे में गूंज रहा था जिसे बर्दाश्त कर पाना मेरे लिए नामुमकिन था। 
इसलिए मैं तकिया के नीचे अपना सिर अपने हाथों से दबाने लगी कि किसी तरह से मैं उस आवाज को ना सुन सकूं। कुछ समय बाद मेरी ये कोशिशें कामयाब हो गयी थी। 
बुलबुल की चीखें अब शांत हो चुकी थी। मैंने भी एक तकिया की ओट से जब बुलबुल को देखा, वो चैन की नींद सो रही थी। 

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लेकिन अगले दिन मैंने जब बुलबुल को देखा तो मेरा खून जमने को हो गया। उसका शरीर सफ़ेद पड़ चुका था। 
उसकी आँखों के नीचे गहरे काले धब्बे दिखाई देने लगे थे। उसके शरीर का मांस हड्डी छोड़ने लगा था और उसकी चमड़ी कर्ली सी हो गई थी। अब बुलबुल बहुत चुप रहने लगी थी। 
स्कूल में भी उसका बर्ताव कुछ अलग सा हो गया था। टीचर कुछ भी कहे, वो पढाई नहीं करती। 
एक बार क्लास में मैंने उसे अकेले बैठा देखा तो सोचा उससे बात करूँ। जैसे ही मैं उसके थोड़ा करीब पहुंची, बुलकुल खिड़की के बाहर देखकर हंसे जा रही है और अपने होटों से बड़बड़ा रही है। 
अब मेरी धड़कनें बढ़ चुकी थी। मैंने डरते डरते उसके पीछे जाकर खिड़की की ओर नज़र घुमाई तो मुझे वो बूढी औरत का साया दिखा जो रात में बुलबुल के सिर के घाव से उसका खून चूस रही थी। 
तभी बुलबुल मेरी ओर बढ़ी, उसके चेहरे पर बेहद गुस्सा था। उसकी आँखें पूरी तरह से लाल हो चुकी थीं। 
इससे पहले मैं पीछे हट पाती, गुलगुल ने मुझे गर्दन से पकड़ क्लास स्टूडेंट के कोने में फेंक दिया। मैं धड़ाम से बेंच पर जा गिरी। 
आवाज इतनी तेज हुई कि आस पास के मौजूद सारे टीचर्स और पीओन और स्टूडेंटस मुझे संभालने मेरे पास आ गया। मुझे बहुत चोट आई थी और मेरा ध्यान अभी भी बुलबुल पर ही था। 
इतना सब होने के बाद भी मुझे उसकी ही फिक्र सता रही थी। पीओन भी गुस्से में बुलबुल को पकड़ के उसके पास जा ही रहा था कि बुलबुल ने एक झटके से उसका सिर उसके धड़ से अलग कर दिया। 
बेचारे की आखरी सास उसके जिस्म के किसी हिस्से में फस के ही रह गई। एक पल में ही सारे टीचर्स और स्टूडेंट्स डर के मारे चीखने लगे। 
सबको अब अपनी जान प्यारी लगने लगी। टीचर्स ही मुझे सहारे से बाहर ले गये थे। अब पूरे स्कूल में चीखें गूंजने लगी थी। 
इतना तेज का हल्ला मचा कि प्रिंसिपल भी खुद अपने केबिन से निकलकर सबके बीच आ गया था। 
प्रिंसिपल,” इतना शोर किस बात का ? क्या हो हा है यहाँ पर ?कोई जानवर घुसा है क्या ? “
प्रिंसिपल सबसे पूछता हुआ आगे चला जा रहा था। पर किसी ने भी प्रिंसिपल की एक नहीं सुनी और सब अपनी जान बचाने के लिए भाग रहे थे।
पर प्रिंसिपल वापस उसी तरफ जा रहा था जहाँ से बुलबुल आ रही थी। प्रिंसिपल ने भी जब बुलबुल को पीओन के खून से लतपत देखा तो वो एक पल को तो वो डर गया।
पर अगले ही पल वो गुस्से में तमतमाता हुआ बुलबुल की ओर तेजी से बढ़ने लगा। 
प्रिंसिपल,” ये क्या हुलिया बना रखा है तुमने ? ये कहाँ से लाल रंग पोतकर बच्चों को डरा रही हो ? रुको, अभी तुम्हें रेस्टिगेट करता हूँ। “
प्रिंसिपल यह कहता हुआ बुलबुल के करीब जा ही रहा था कि अचानक उसकी नज़र बुलबुल के पैरों पर पड़ी, जो उलटे थे। बुलबुल के पैरों को देख डर के मारे प्रिंसिपल का गला सूख गया था। 
अब तक बहुत देर हो चुकी थी। बुलबुल और प्रिंसिपल एक दूसरे के सामने खड़े थे। प्रिंसिपल डर के मारे कांप रहा था कि अचानक बुलबुल हवा में उड़कर प्रिंसिपल को घूरने लगी। 
प्रिंसिपल जान गया था कि उसके सामने बुलबुल नहीं बल्कि उसकी मौत है और शायद उसे बुलबुल में किसी और का अक्स दिखाई दे रहा था। 
जितना मुझे याद है, प्रिंसिपल ने लड़खड़ाते हुए शब्दों में बस इतना कहा था।
प्रिंसिपल,” तू… तू वही है ? पर मैंने तो तुझे मारकर बाथरूम में दफना दिया था। पर तू वापस कैसे आ सकती है ? “
औरत,” मास्टर, तुझे क्या लगा मेरा बचपन, मेरी जिंदगी बर्बाद करके तू आजाद घूमता रहेगा ? अरे ! तूने जो मेरे साथ दुष्कर्म किया है उसका उसका बदला तो मैं तुझसे लेकर रहूंगी। “
इतना कहकर बुलबुल ने अपने दोनों हाथों के बीच में प्रिंसिपल का सर रखकर उसे पीस डाला जिससे प्रिंसिपल की मौके पर ही मौत हो गयी और प्रिंसिपल के मरते ही बुलबुल बेहोश होकर नीचे गिर पड़ी। 
पर उस हादसे के बाद से बुलबुल ने किसी भी शख्स से बात नहीं की। हाँ, पर वो आज भी कभी आसमान में तो कभी खिड़की के बाहर देखकर मुस्कराती रहती है। 
मैंने भी उसकी नजरों का पीछा किया पर अब मुझे किसी बूढ़ी औरत का अक्स नहीं दिखाई देता। पर एक बात बताऊं..?

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मुझे आज भी यह बात चैन से सोने नहीं देती कि आखिर क्यूँ बुलबुल के माथे पर लगी चोट अचानक ऐसे ठीक हो गई थी ? शायद वो बूढी औरत आज भी बुलबुल के माथे से खून पीने आती हो ?
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