रहस्यमय घर | Rahashyamay Ghar | Hindi Kahaniya | Moral Story In Hindi | Hindi Kahani | Bed Time Story | Hindi Stories

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” रहस्यमय घर ” यह एक Rahasyamay Kahani है। अगर आपको Hindi Kahaniya, Moral Story in Hindi या Achhi Achhi Kahaniya पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
रहस्यमय घर | Rahashyamay Ghar | Hindi Kahaniya | Moral Story In Hindi | Hindi Kahani | Bed Time Story | Hindi Stories

Rahashyamay Ghar | Hindi Kahaniya | Moral Story In Hindi | Hindi Kahani | Bed Time Story | Hindi Stories


 रहस्यमय घर 

एक बड़े शहर में गुड्डू और बबलू दोनों भाई एक साथ रहते थे। दोनों भाइयों ने कॉलेज भी पूरा कर लिया। उनके परिवार में अब कोई नहीं था। वो अपने चाचा के यहाँ रहते थे। 
गुड्डू,” अब हमारा कॉलेज भी पूरा हो गया। मुझे लगता है भाई कि अब हमें कोई बिज़नेस कर लेना चाहिए। “
बबलू,” हमें उसके लिए बहुत पैसे चाहिए होंगे जो हमारे पास नहीं है। “
गुड्डू,” हम चाचा से पैसे ले लेते हैं। “
बबलू,” उन्होंने हमें पढ़ाया लिखा है। हम उनसे पैसे कैसे ले सकते हैं ? अब हमें कमाकर उन्हें देना चाहिए। क्योंकि चाचा ने ही माँ बाप के जाने के बाद हमे पाला है। “
गुड्डू ,” भाई, मुझे लगता है कि हमें अपनी पुश्तैनी हवेली बेच देनी चाहिए और फिर उसके बाद हम अपना और चाचा दोनों का जीवन बदल सकते हैं। “
बबलू,” हाँ, बात तो ठीक है। फिर कल सुबह अपने गांव राघवपुर के लिए निकलते हैं। वैसे भी वो हवेली खंडहर है।
उसे रखने का कोई फायदा नहीं है। “
बबलू और गुड्डू सुबह की योजना बनाकर सो गए। अगली सुबह दोनों भाई उठकर राघवपुर के लिए बस में बैठकर निकल गए और कुछ घंटों बाद अपने गांव पहुँच गए। 
गुड्डू,” अब यहाँ कैसे पता चलेगा कि हमारा घर कौन सा है ? “
बबलू,” चाचा ने बताया तो था कि जो सबसे बड़ा घर होगा वही हमारा घर होगा। “
गुड्डू ,” हाँ और सबसे पुराना भी होगा। “
बबलू,” कोई नहीं चलकर ढूंढ़ते हैं। “
दोनों भाई अपनी पुश्तैनी हवेली ढूंढ रहे थे कि तभी उन्हें एक आदमी, राजू मिला। 
बबलू,” अरे भाई ! ये राघवपुर गांव ही है ना ? “
राजू,” नहीं, ये जनकपुर है। “
बबलू,” लेकिन बस वाले ने तो यही उतारा था। “
राजू,” जब बस वाले ने यहीं उतारा था तो यही होगा। “
बबलू,” अजीब पागल है। जो पूछ रहा हूँ उसका सीधा सीधा उत्तर नहीं दे रहा है। “
राजू,” तुझे मैं पागल लगता हूँ क्या बे ? “
बबलू,” ठीक है भैया, हमारी गलती है। अब हमें ये बता दीजिए कि यहाँ सबसे पुरानी हवेली के लिए रास्ता कहाँ से जाता है ? “
राजू,” मेरी उम्र बहुत ज्यादा हो गई है लेकिन मैंने कभी इस रास्ते को कहीं भी जाते हुए नहीं देखा है। शायद जाना तुमको ही पड़ेगा। “
बबलू,” ठीक है भाई, तुम हमें माफ़ कर दो। हम खुद चले जाएंगे, ठीक है ? “
राजू,” मेरी मर्ज़ी मैं तुम्हें माफ़ करूँ या नहीं ? “
बबलू,” अजीब आदमी है यार। “
गुड्डू,” चलो भाई चलते हैं। इसके सच में ही स्क्रू ढीले हैं। “
राजू अकेले ही खड़े होकर हंसने लगा। गुड्डू और बबलू दोनों पुरानी पुश्तैनी हवेली को ढूंढने के लिए आगे बढ़ गए। 
दोनों राघवपुर की गलियों में इधर से उधर देख रहे थे तभी उन्हें एक बड़ी सी हवेली दिखाई दी जो अब खंडहर बनने लगी थी। 
गुड्डू,” ये हमारी हवेली जिसको हम ढूंढ़ते ढूंढ़ते पागल हो गए थे। “
बबलू,” हाँ, चलो अब इसके अंदर चलते हैं और इसको एक दो दिन में ही बेच देंगे। “
गुड्डू,” हाँ, हमें इसे जल्द से जल्द बेचना होगा। “
दोनों भाई अंदर गए। तभी अंदर से एक बूढ़ा व्यक्ति भीखू निकल कर आया।
भीखू,” कौन है ? इस खंडहर में आज कौन आया है ? “
बबलू,” काका, आप कौन हैं ? हम इस घर के मालिक हैं। लेकिन आप कौन हैं ? “
भीखू,” इस घर के मकान मालिक ? अरे ! कम से कम मुझसे झूठ मत बोलिये। तुम्हें क्या चाहिए, मुझे ऐसे ही बता दीजिए ? “
बबलू,” काका, आप भी कमाल करते हो। जब आपको बता दिया कि हम ही इस घर के मालिक है फिर भी आप बेवजह हमारा समय खराब कर रहे हैं ? “
गुड्डू,” और काका, जवाब आपको देना चाहिए क्योंकि आप हमारे घर में रह रहे हो। हम इस हवेली के वारिस हैं। गुड्डू और बबलू। “
भीखू,” ठीक है बच्चो, अगर तुम इस हवेली के वारिस होने का दावा करते हो तो ठीक है, मैं मान लेता हूँ। लेकिन मैं इस घर।
की रखवाली करता आ रहा हूँ। “
बबलू ,” ठीक है काका, आप हमारे परिवार के बारे में कुछ जानते हो क्या ? ” 

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भीखू,” मैंने इस घर के मालिकों की सेवा की है। लेकिन मैं तुमको तभी कुछ बता पाऊंगा जब तुम परीक्षा में सफल हो जाओगे। “
बबलू,” कैसी परीक्षा ? “
भीखू,” इस घर के मालिक ने एक पुश्तैनी कुल्हाड़ी इस हवेली में गाढ दी थी। तुम्हें उस कुल्हाड़ी को उखाड़ना होगा। “
बबलू,” लेकिन हम उस कुल्हाड़ी को क्यों उखाडेंगे ? “
भीखू,” क्योंकि अगर तुम उस कुल्हाड़ी को उखाड़ पाए तो ये साबित हो जाएगा कि तुम इस घर के असली वारिस हो। कुछ समझी..? “
बबलू,” नहीं, आप कैसी बातें कर रहे हैं ? कुल्हाड़ी उखाड़ना भी इतना बड़ा काम होता है क्या कि उसी से हमारे बारे में पता चलेगा। “
भीखू,” हाँ अगर तुमने उसको उखाड़ दिया तो मैं मान जाऊंगा कि ये घर तुम्हारा ही है। क्योंकि इतने वर्षों से यहाँ अनेक दावेदार आ चूके हैं लेकिन उस कुल्हाड़ी को कोई भी नहीं उखाड़ पाया है। “
बबलू,” ये कैसी परीक्षा है ? ये मेरे लिए अजीब है। “
भीखू,” मैं तुम्हें तुम्हारे माँ बाप के बारे में भी बताऊँगा। “
बबलू,” हमारे माँ पापा का देहांत हो चुका है। इसके अलावा कुछ और भी रहस्य है ? अगर ऐसा है तो ठीक है, हम दोनों परीक्षा देंगे। लेकिन उस कुल्हाड़ी को उखाड़ने के बाद क्या होगा ? “
भीखू,” ये सब तो तुम्हें कुल्हाड़ी उखाड़ने के बाद ही समझ आएगा। क्योंकि ये एक जादुई कुल्हाड़ी हैं तो कुछ तो खास होगा। “
बबलू,” ठीक है, कुल्हाड़ी कहां है ? “
भीखू ,” बेटा, देख लेना अगर तुम सच में इस हवेली के वारिस हो तभी इस कुल्हाड़ी को उखाड़ने की कोशिश करना वरना जान से भी हाथ धो सकते हो। “
बबलू,” हम सही हैं। इसलिए हमें कोई डर नहीं है। इसलिए आप जल्दी से उस कुल्हाड़ी के पास ले चलो। “
भीखू उन्हें हवेली के अंदर ले गया। वहाँ एक पेड़ था।
भीखू,” ये पेड़ की जड़ में जो कुल्हाड़ी है, तुम्हें उसे उखाड़ना है। ठीक है ? वैसे आज तक कोई पहली परीक्षा को ही पास नहीं कर पाया है। अगर तुमने इसे उखाड़ दिया तो मैं तुम्हें आखरी परीक्षा दूंगा। “
बबलू,” इतनी सी कुल्हाड़ी के लिए हमें डरा रहे थे। इसको उखाड़ना मेरे बाएं हाथ का काम है। “
भीखू,” हाँ ठीक है, आप इसको उखाड़ लो। अगर तुम सच में इस हवेली के वारिस निकलोगे तो मेरी भी जिम्मेदारी खत्म हो जाएगी। “
बबलू,” हाँ ठीक है, मैं इसे अभी उखाड़ता हूँ और आपको जल्दी ही जिम्मेदारी से मुक्त कर दूंगा। “
बबलू ने कुल्हाड़ी को पकड़ा। लेकिन उसे वो हिला भी नहीं पाया।
भीखू,” क्यों… तुम भी झूठे हो ? तुम भी माया के लालची निकले और मेरा दिल फिर से तोड़ दिया। मुझे वर्षों का इंतजार है। “
बबलू,” आप हमारा विश्वास कीजिये। ये घर हमारा ही है। “
भीखू,” तुम असफल हो चुके हो। “
गुड्डू ,” रुकिए, अभी मैंने कोशिश नहीं की। “
भीखू,” ठीक है, तुम भी कोशिश करलो और आज अब कोशिश करके थक जाओ तो यहाँ से चुपचाप चले जाना वरना मैं तुम्हारा भी वही हाल करूँगा जो मैंने बाकी सब का किया है। “
गुड्डू,” उसकी जरूरत नहीं पड़ेगी। “
गुड्डू ने भी कोशिश की लेकिन कुल्हाड़ी इस बार भी नहीं हिली।
भीखू निराशा देकर पीछे मुड़कर वापस अपनी टूटी खाट पर जाने लगा। गुड्डू और बबलू ने एक साथ कुल्हाड़ी को पकड़ा तो इस बार चमत्कार हो गया। 
क्योंकि इस बार बिना किसी मेहनत के कुल्हाड़ी हाथ में आ गई। अचानक से एक बहुत तेज़ आवाज़ आयी। भीखू ने आश्चर्य से पीछे मुड़कर देखा।
भीखू,” तुम वापस आ गए। आज मैं बहुत खुश हूँ क्योंकि आज इस घर में भी फूल खिल गए। मैंने इसे इतने वर्षों से बंजर ही देखा है। मेरी आंखें तरस गयी थी। “
बबलू,” वो सब तो ठीक है। अब आपको विश्वास हो गया ? “
गुड्डू ,” लेकिन अब इस कुल्हाड़ी का क्या करना है ? “
भीखू,” इस कुल्हाड़ी से तुम्हारे माँ पापा की मुक्ति होगी। “
बबलू,” हमारे माँ पापा तो इस दुनिया में नहीं है। “
भीखू,” अभी तुम दूसरी परीक्षा भूल रहे हो। अब तुम्हें इस पेड़ की जड़ को काटना होगा। “
बबलू,” बाबा, ये पेड़ काटकर हमारे ऊपर गिर जाएगा। आप क्यों हमारा पागल बना रहे हो ? इससे यह साबित हो गया है कि ये हवेली हमारी है। अब आप यहाँ से जाइए। “
भीखू,” मेरे यहाँ से बाहर निकलते ही तुम जीवित नहीं रह पाओगे। “
गुड्डू,” हाँ हाँ बहुत हो गया, अब हमें डराने की कोशिश मत कीजिये। “
भीखू,” तुम्हें अपने माँ पापा का सच जानना है कि नहीं ? पहले तुम्हें पेड़ की जड़ काटनी होगी। “
गुड्डू ने कुल्हाड़ी हाथ में लेकर पेड़ की जड़ काटनी शुरू कर दी। लेकिन पेड़ की जड़ पत्थर के समान थी। वो कट ही नहीं पा रही थी। 
गुड्डू को पसीने आ गए। फिर बबलू ने कोशिश की। वो भी थककर दूर बैठ गया। लेकिन गुड्डू ने हिम्मत नहीं हारी और फिर से कोशिश की। 
लेकिन इस बार उसकी मेहनत रंग लाई। पेड़ की जड़ कट गई और फिर उसमें से एक पीला प्रकाश निकला। देखते ही देखते पूरा घर पीले प्रकाश से भर गया। 
जिसके बाद पूरी हवेली नई हो गई और दोनों के माँ पापा भी बाहर निकल आये। वो भी आजाद हो गए। दोनों भाइयों को विश्वास नहीं हो रहा था कि वो अपने माँ पापा से मिल रहे हैं। 
पापा,” मैं जानता था कि हमारे बच्चे हमें आजाद कराने आएँगे। “
मां,” आज वर्षों बाद मैं अपने बच्चों को देख पा रही हूँ। आज मैं बहुत खुश हूँ। हमने बहुत इंतजार किया है। ईश्वर ने आज हमारी सुन ली। “
बबलू ,” माँ पापा, ये सब कैसे हुआ ? बताईये ना..? “
पापा,” आज से वर्षों पहले हम और तुम्हारे चाचा चाची गांव में रहते थे। दोनों भाई रामसिंह और अमरसिंह घर के आंगन में बैठे थे। भीखू भी वहीं पर खड़ा था।
अमरसिंह,” भैया, मुझे घर में हिस्सा चाहिए। “
रामसिंह,” अरे छोटे ! तू ऐसी बातें कर रहा है ? तू जो चाहेगा, मैं दे दूंगा। लेकिन ऐसा क्या हुआ कि तू बंटवारे पर उतर आया ? “
अमरसिंह,” मुझे आपकी नीयत समझ आ गयी है। मेरी कोई औलाद नहीं है। इसलिए आप अपने दोनों बेटों के लिए मेरी जायदाद भी हड़पना चाहते हैं। “
रामसिंह,” छोटे, तुझे कोई भ्रम हुआ है। तू अपने बड़े भाई पर ऐसा इल्ज़ाम लगा रहा है। तुझे शर्म नहीं आती ? “
अमरसिंह,” अगर ऐसा नहीं है तो आप मुझे अपने दोनों बच्चे और सारी ज्यादाद दो। “
रामसिंह,” तुम सारी जायदाद रख लो। लेकिन मेरे बच्चों की तरफ आंख उठाकर भी मत देखना। नहीं तो देख लूँगा तुम्हें। “
गुड्डू,” फिर क्या हुआ, पिताजी ? “
पापा,” फिर अगले दिन तुम्हारे चाचा ने हम दोनों को मारकर इस पेड़ के नीचे गाड़ दिया और खुद तुम दोनों को लेकर शहर भाग गया। 
लेकिन वह भूल गया था कि हमारी आत्मा के होते हुए वो जायदाद नहीं ले सकता। इसलिए वो ले नहीं पाया।
भीखू ने बहुत मदद की है। क्योंकि भीखू जब शहर से सामान लेकर वापस आया तो उसने आवाज लगाई।

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भीखू,” मालक साहब- 2, मालकिन, आप सभी कहां है ? आज मुझे बच्चे भी नहीं दिख रहे। “
तभी रामसिंह की आत्मा ने आवाज लगाई और भीकू को सारी बात बताई। भीखू बहुत रोया।
भीखू,” मालिक साहब, अब मैं यहाँ रहकर क्या करूँगा ? मैं भी जा रहा हूँ। “
रामसिंह,” अब यहाँ तुम्हारी ही जरूरत है और तुम्हे रहना होगा। क्योंकि अमरसिंह जायदाद लेने आएगा और उसे हम जायदाद नहीं लेने देंगें। 
इसलिए वो किसी और को भेजेगा जिनको हम मार देंगे। लेकिन उसमें हमारे बच्चे भी हो सकते हैं। इसलिए इस कुल्हाड़ी को सबसे उखड़वाना। 
हमारे बच्चे ही इसे उखाड़ कर पेड़ की जड़ काट पाएंगे। हमारी मुक्ति हमारे बच्चों के हाथों होगी। जब तक बच्चे आकर ऐसा नहीं करेंगे तब तक हमारी आत्मा भटकती रहेंगी। तब से हम यहाँ हैं। “
बबलू,” हम चाचा को सजा जरूर दिलवाएंगे। “
सभी की आँखों में आंसू थे। गुड्डू और बबलू के माता पिता की आत्मा को शांति मिल गई। उनके चाचा को सजा हो गई और दोनों बच्चे भीखू के साथ गांव में रहने लगे।
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