हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – “ हगीज वाली गरीब बहू ” यह एक Saas Bahu Ki Kahani है। अगर आपको Hindi Kahani, Moral Story in Hindi या Bedtime Stories पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
Huggies Wali Bahu | Saas Bahu | Moral Stories | Saas Bahu Ki Kahani | Bed Time Story | Hindi Stories
हगीज वाली गरीब बहू
शर्मीली,” उफ्फ कितनी जोरों की सुसु आयी है ? अगर ज़रा भी देर हुई तो यही निकल जाएगी।
घर पहुंचने में तो अभी टाइम लगेगा। ऐसा करती हूँ, यही पार्क में बने इस पेड़ के पीछे ही बैठ जाती हूँ।
गर्मी दोपहर का टाइम है, सभी अपने अपने घरों में अभी सो रहे होंगे। “
शर्मीली जल्दी से पेड़ के पीछे जाकर सुसु करने बैठ जाती है और कहती है।
शर्मीली,” सचमुच… हल्का होने में जो सुख है वो दुनिया के सभी सुखों से परे है। “
इतना कहते ही शर्मीली की आंख खुल जाती हैं और वो देखती है कि उसका बिस्तर गीला हो चुका है।
असल में वो एक सपना देख रही थी। वो उठती है तो देखती है कि बिस्तर पर ही उसकी सुसु निकल गयी हैं।
शर्मीली,” हे राम ! इसीलिए बिस्तर पर सूसू करने में इतना मज़ा आ रहा था। लेकिन अब क्या करूँ ?
अगर कहीं वो उठ गए तो मेरे बारे में क्या सोचेंगे ? ऐसा करती हूँ चुपचाप सो जाती हूँ। गर्मी बहुत है, सुबह होने तक सूख जाएगा। “
ये सोचकर शर्मीली वहीं पर सो गई। सुबह रौनक की जब आंख खुलती है तब तक बिस्तर सूख गया था। लेकिन सुसु की बदबू अभी भी आ रही थी।
रौनक,” ये सुसु जैसी गंदी बदबू हमारे रूम से कैसे आ रही है ? “
शर्मीली,” नहीं मालूम जी, हो सकता है कि ये इस गबरू का काम हो। “
गबरू रौनक का पालतू कुत्ता है। रौनक उसे बहुत प्यार करता था तो वहीं शर्मीली को वो फूटी आंख नहीं भाता था।
वो अपना हर गुनाह गबरू के माथे मड़ देती थी और आज भी उसने बिल्कुल वैसा ही किया। रौनक ने गबरू को गुस्से में बहुत डांटा।
रौनक,” गबरू, आज कल बड़ा ही शैतान हो गया तू। पहले तो कभी तू ऐसा नहीं करता था।
अरे ! जब तुझे घूमाने के लिए बाहर ले जाता हूँ तो अपना ये सब काम वही निपटा लिया कर ना। “
रौनक गबरू को डांटकर नहाने चला जाता है। लेकिन गबरू बेचारे को ये समझ नहीं आता कि आखिर उसे ये किस बात की सजा मिल रही थी ?
उधर शर्मीली खुद से कहती हैं।
शर्मीली,” बचपन से ही मुझे ये बिमारी है, नींद में सूसू पॉटी कर देती हूँ। ना जाने कब मेरी ये गंदी आदत सुधरेगी ? “
शर्मिली बचपन से ही ऐसा करती आई है। वो जब 6 साल की थी तब से ही वो नींद में ही सुसु पॉटी करती आई है।
फ्लैश बैक…
शर्मीली (बचपन में),” ओहो ! कितनी ज़ोर की सुसु आ रही है ? आधीरात हो रही है, कौन बाहर जाये ?
नींद भी बहुत जोरों की आ रही है। अब कौन इस प्यारी सी नींद को छोड़कर सुसु करने उठे ?
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एक काम करती हूँ, इस स्तर पर ही सूसू कर देती हूँ। वैसे भी अभी मैं छोटी हूँ ना तो माँ भी मुझे कुछ नहीं कहेगी। “
ऐसा सोचकर शर्मीली वहीं पर सूसू कर देती है और इसी तरह ये उसकी आदत बन गई। उसकी माँ अक्सर उसे इस आदत के लिए डांटती थी।
मां,” बेटा, बिस्तर पर ये सब करना अच्छी बात नहीं है। अभी तो तू छोटी है, मैं तुझे पहना दूंगी। लेकिन जब तू बड़ी हो जाएगी तब क्या करेगी ? “
शर्मीली,” माँ, तब भी मैं डायपर ही पहन लूँगी। “
लगभग 7 साल की उम्र तक शर्मीली ने डायपर पहना। उसके बाद भले ही उसकी माँ ने उसे डायपर पहनाना बंद कर दिया लेकिन उसके बिस्तर पर सूसू पॉटी करने की आदत बड़े होने तक नहीं गयी।
यहाँ तक कि शादी के बाद भी वो सुसु और पॉटी अपने बिस्तर पर ही कर देती है। दरअसल वो आदत से मजबूर है।
शर्मीली,” अभी तो दो महीने ही हुए है शादी को, मुझे जल्दी कुछ करना होगा नहीं तो मेरे पति को मेरी इस आदत के बारे में पता चल जाएगा। “
एक दिन शर्मीली दिन में खाना खाकर सो गई और उसे बहुत तेज़ पॉटी आयी।
उसे फिर से सपने में लगा की वो टॉयलेट में है और वो फिर से बिस्तर पर ही पॉटी कर देती है। तभी उसकी नींद खुलती है।
शर्मीली,” ओहो ! जिस बात का डर था फिर से वही हुआ। “
तभी उसकी सास शांति कमरे में आती है।
शांति,” बहु, ये कैसी गन्दी बदबू आ रही है ? ये बिस्तर पर क्या लगा हुआ है ? हे भगवान ! बिस्तर पर पॉटी… छि। “
शर्मीली,” माँ जी, वो गबरू यहाँ आया था ना। ये पक्का उसका ही काम होगा। “
शांति,” बिल्कुल सही कहा तूने। मैं तो रौनक को समझाते समझाते थक गयी थी कि उसको घर मत ला लेकिन उसने मेरी एक न सुनी। अब भुगतो। “
शर्मीली,” आप परेशान मत होइए मां जी, मैं इसे साफ कर दूंगी। “
शर्मीली ने फिर से सारा इलज़ाम गबरू के सिर पर डाल दिया।
फिर गबरू जैसे ही उसके कमरे में आया, वो डंडा लेकर उसको मारने लगी।
बेचारा गबरू दुम उठाकर वहाँ से भाग खड़ा हुआ। लेकिन वो समझ ही नहीं पाया कि आखिर उसके साथ ऐसा क्यों हो रहा है ?
उधर शर्मीली ने चादर धोकर सूखने डाल दी और नई चादर अपने बेड पर बिछा दी।
लेकिन उसे अभी भी इस समस्या का हल नहीं मिल रहा था। तभी उसे अपने बचपन की वो बात याद आती है।
फ्लैशबैक…
शर्मीली (बचपन में),” माँ, मैं बड़े होकर भी डायपर ही पहनूंगी। “
शर्मीली,” अरे ! ये आइडिया मुझे पहले क्यों नहीं आया ? अभी बाजार जाकर अपने लिए डायपर खरीदकर लाती हूँ। आज रात तो मैं पक्का डायपर पहनकर सोऊंगी “
शर्मीली बाजार से डायपर खरीदकर ले आई और रात को उसे पहनकर निश्चिंत होकर सो गई। अगले दिन सुबह जब रौनक ऑफिस जाने के लिए तैयार होने लगा तो उसने अपने कपड़े लेने के लिए अलमारी खोली।
तभी वहाँ पर रखा डाइपर का पैक उसने देख लिया। वो शर्मीली से पूछता है।
रौनक,” डाइपर..? अरे शर्मीली, ये ऐडल्ट डाइपर किसका है ? “
शर्मीली,” जी, ये आपके गबरू के लिए है। आजकल घर में हर जगह गंदगी फैलाए रखता है। जहां मर्ज़ी सुसु पॉटी कर देता है। “
वो अपने पति से ये सब बातें कर ही रही होती है कि तभी उसकी सास शांति वहाँ पर आ जाती है।
शांति,” हाँ, बिल्कुल सही कह रही है बहू। अरे ! कल तो इसने तुम्हारे बिस्तर पर ही पॉटी कर दी थी। “
रौनक,” गबरू, क्या ये सब सच है ? “
शर्मीली,” आप इससे क्या पूछ रहे हो, जी ? ये कौन सा आपसे कुछ बोलकर आपको सारी बात बताएगा ? “
रौनक,” भले ही ये कुछ बोल ना पाए पर झूठ भी तो नहीं बोलेगा, इंसान थोड़ी ना है ये। “
शर्मीली हर रोज़ डायपर पहनकर सोती और अगले दिन सुबह जाकर उसे घर के पीछे नाली में फेंक देती।
लेकिन एक रोज़ जब वो डायपर फेंकने गई तो एकदम से आंधी चलने लगी और वो डायपर उड़ते हुए एक पड़ोसन के ऊपर जा गिरा।
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डायपर में पॉटी लगी हुई थी। पॉटी वाला डाइपर देख तो उस पड़ोसन का दिमाग ही खराब हो गया। उस पड़ोसन का नाम ओमवती था।
उसकी शर्मीली की सास से बिल्कुल भी नहीं बनती थी और वो डायपर देख चिल्लाते हुए कहती हैं।
ओमवती,” इस शांति को तो मैं बताती हूँ। गंदा डायपर मेरे ऊपर फेंकती है, शर्म नहीं आती ? “
ओमवती शांति से लड़ने के लिए उसके घर पहुँच जाती है।
ओमवती,” शांति, अरे ओ शांति ! “
शांति,” क्या हुआ ओमवती ? क्यों चिल्ला रही है ? “
ओमवती,” तुझे क्या लगा कि तू मेरे ऊपर पॉटी से भरा डायपर फेंकेंगी और मैं देखती रहूंगी ? “
शांति,” अरे ! हम तेरे ऊपर डायपर क्यों फेकेंगे ? ये जरूर हमारे गबरू कुत्ते का काम है। “
शर्मीली,” हाँ हाँ, ये पक्का कुत्ते का काम है। “
ओमवती,” मुझे बेवकूफ समझ रखा है क्या तुम दोनों ने ? भला कोई कुत्ता किसी के ऊपर डायपर फेंक सकता है ?
मैं अभी पुलिस स्टेशन में तुम लोगों के खिलाफ़ रिपोर्ट लिखवाकर आती हूं। “
इतना कहकर ओमवती वहाँ से सीधा पुलिस स्टेशन चली जाती है। कुछ देर बाद पुलिस उनके घर पहुँच जाती है।
रौनक भी ऑफिस से घर पहुँच जाता है। पुलिस ने रौनक को खूब उल्टी सीधी बातें सुनाई।
उधर शर्मीली ने अपना सारा दोष गबरू के ऊपर डाल दिया। ये सब सुनकर रौनक गुस्से में आ जाता है।
रौनक,” गबरू, मैं तो तुझे बहुत सीधा समझता था लेकिन ऐसी हरकतें करके तूने मोहल्ले में मेरी नाक कटवाकर रख दी।
मैंने तो तुझे बहुत प्यार किया लेकिन तुने ये सिला दिया मेरे प्यार का। अब मैं तुझे इस घर में एक पल भी और रहने नहीं दूंगा। चल निकल मेरे घर से। “
रौनक ने गबरू को अपने घर से निकाल दिया और बेचारा गबरू रोते हुए चुपचाप वहाँ से चला गया। हालांकि वो ज्यादा दूर नहीं गया।
शर्मीली,” अरे ! रुको रुको, इन्हें क्यों फेंक रहे हो ? इन्हें रहने दो। मेरा मतलब है… किसी के काम आ जाएंगे। “
रौनक,” नहीं, आज इस डायपर की वजह से मेरे घर पर पुलिस आई है। मैं इसे अपने घर पर और नहीं रख सकता। “
रौनक ने वो सारे डायपर उठाकर फेंक दिए। उस रात शर्मीली टेंशन के मारे बिल्कुल भी नहीं सो पाईं और वो रात भर जागती रही।
ऐसे ही 2-3 दिन तक तो शर्मीली सोई नहीं। लेकिन फिर एक रात उसकी आंख लग गई और आंख लगते ही जिस बात का डर था, वही हुआ।
उसने बिस्तर पर सुसु और पॉटी एक साथ कर दी। अगले दिन जब रौनक उठा। उसके बाद उसने जो देखा, वह देखकर हैरान रह गया।
रौनक,” ये क्या..? अब तो गबरू भी या नहीं है तो फिर ये सब किसने किया ? “
शर्मीली अब और झूठ ना बोल सकी और रोते हुए उसने सारा सच रौनक के सामने बोल दिया।
शर्मीली,” मुझे माफ़ कर दीजिए जी, मुझसे गलती हो गयी। मुझे बचपन से ही ये रोग है। “
रौनक,” इसका मतलब ये सब तुम कर रही थी और डायपर भी इसीलिए खरीदा था ? और सारा का सारा इलज़ाम मेरे खबरों पर डाल देती थी। “
शर्मीली,” मुझसे गलती हो गयी थी, मुझे माफ़ कर दीजिये। “
रौनक,” अभी तो मैं अपने गबरू को ढूंढने जा रहा हूँ। तुमसे तो मैं आकर निपटता हूँ। “
रौनक पागलों की तरह गबरू को सड़क पर चलते हुए ढूंढ रहा था कि तभी पीछे से एक तेज रफ्तार में कार आयी।
वो रौनक को टक्कर मारने ही वाली थी कि तभी गबरू ने रौनक को ज़ोर से धक्का दे दिया।
रौनक दूर जा गिरा। रौनक को बचाते हुए गबरू को हल्की चोटें आ गई।
रौनक,” गबरू, मेरा गबरू… तुझे तो चोट आई है। मैं अभी तुझे हॉस्पिटल ले चलता हूँ। “
रौनक गबरू की मरहम पट्टी करवाकर उसे घर ले आता है।
रौनक,” देखो शर्मीली, आज तुम्हारे झूट की वजह से मेरे गबरू को चोट आ गई। आज मेरी जान बचाकर उसने अपनी जान की बाजी लगा दी। “
शर्मीली,” मुझसे गलती हो गयी, जी। अगर मैं अपनी बिमारी आप से नहीं छुपाती तो आज ये सब नहीं होता। “
रौनक,” कोई बात नहीं शर्मीली, हम तुम्हें डॉक्टर के पास ले जाएंगे और तुम्हारा अच्छे से इलाज करवाएंगे। “
शांति,” हाँ बहु, तुमने अपनी गलती स्वीकार कर ली, ये बड़ी बात है। “
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रौनक और शांति शर्मीली को अच्छे से डॉक्टर के पास ले जाकर उसका इलाज करवातें है। कुछ ही महीनों में शर्मीली को इस बिमारी से छुटकारा मिल जाता है।
अब वो बहुत खुश थी। अब वो गबरू को भी बहुत प्यार करती थी। इसके बाद वो खुशी खुशी अपने परिवार के साथ रहने लगी।
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