बिना प्यार की शादी – (भाग – 2) : Love Story in Hindi | Best Love Story in Hindi

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Love Story in Hindi | Best Love Story in Hindi | Best New Love Story in Hindi
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Love Story in Hindi | Best Love Story in Hindi | Best New Love Story in Hindi

दोस्तों कहानी की इस नई Series में आप सभी का हार्दिक स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – बिना प्यार की शादी। यह एक Hindi Love Story है। अगर आपको प्रेम कहानियां पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।

 बिना प्यार की शादी – 2 

अब तक आपने पढ़ा :- अवनी अपने कॉलेज के लिए निकल गई है और मोहित अपने ऑफिस गया हुआ था।

अब आगे…
मोहित अपने डेड के साथ ऑफिस आया। सब उन्हें गुड मॉर्निंग विश करते हैं। तभी मोहित का पीए शर्मा आता है और मोहित को उसके आज के शेड्यूल के बारे में बताता है। 
मोहित अपनी मीटिंग के लिए चला जाता है। मिस्टर विजय ओबरॉय आपसे मिलने मिस्टर मनोहर सेहगल आने वाले हैं। मिस्टर ओबेरॉय और मिस्टर सेहगल बहुत अच्छे दोस्त हैं। वे स्कूल में साथ ही पड़े थे। मिस्टर सेहगल, यानी अवनी के पापा की कंपनी काफी लॉस में चल रही थी। 
आज वह 15 साल बाद अपने दोस्त विजय से मिलने आ रहे हैं। वही ओबेरॉय इंडस्ट्री का देश में कोई मुकाबला ही नहीं था। विजय ओबेरॉय केबिन में बैठे हुए थे। 
वहां की सेक्रेटरी आकर बताती है कि मिस्टर सेहगल आए हुए हैं। वो उन्हें अंदर भेजने के लिए कहते हैं। अंदर आते ही विजय उनके गले मिलते हैं और बैठने के लिए कहते हैं। दोनों बात करने लग जाते हैं। 
मनोहर घर से सोच कर आया होता है कि को विजय से अवनी के लिए मोहित का हाथ मांगेंगे ताकि उनके बिजनेस में जो नुकसान हो रहा है वह दोनों फैमिली के रिश्ते से ठीक हो सके। विजय मनोहर के लिए चाय बनवाता है। 
यार मनोहर बड़े दिनों बाद मिलना हुआ… कैसा चल रहा है सब,,, और अवनी कैसी है ? अब तो बड़ी हो गई होगी, 6 साल की थी जब देखा था। मनोहर सारी बात बताता है कि कैसे सुमित्रा की मौत हुई और बाद में उन्होंने अवनी के लिए दूसरी शादी की ताकि उसे मां का प्यार मिल सके। लेकिन सच में ऐसा नहीं था। 

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उन्होंने तो दूसरी शादी की थी क्योंकि वह मीरा से प्यार करते थे। जिसकी वजह से सुमित्रा खुदकुशी कर ली। और अवनी भी अपने पापा से नफरत करती है। 
मनोहर भी अवनी से कोई प्यार नहीं करते थे। वह तो सिर्फ अपने बिजनेस को ठीक करने के लिए अवनी की शादी मोहित से करवाना चाहते थे। 
विजय कहते हैं – यह तो बहुत बुरा हुआ। अब अवनी कैसी है – मनोहर कहते हैं। अब तो ठीक है। मैं अवनी के लिए ही आपसे मिलने आया हूं। मतलब ?? विजय जी आश्चर्य से पूछते हैं।
मनोहर कहते हैं कि मैं चाहता हूं कि मेरी अवनी की शादी तुम्हारे बेटे मोहित से की जाए। विजय यह सुनकर खुश हो जाता है क्योंकि उन्हें भी अवनी काफी पसंद थी।
वह छोटी सी अवनी को याद करते हैं। विजय उसे अपनी बेटी के जैसे ही मानते हैं। अरे मनोहर तूने तो मेरे दिल की बात कह डाली। फिर विजय और मनोहर शाम को पूरी फैमिली से मनोहर के घर पर मिलने का फैसला करते हैं।
शाम का वक्त :-
विजय और मोहित ऑफिस से घर आते हैं। सुप्रिया सोफे पर बैठी मैग्नीज पढ़ रही है। मोहित आकर अपनी मॉम के पास बैठ जाता है।
विजय भी आकर बैठते हैं। विजय नौकर से कहते हैं कि वह दादी और दिव्या को बुलाने के लिए कहे। सुप्रिया पूछती है – क्या हुआ ?? 
विजय कहते हैं – रुको, सबको आज आने दो। सभी को एक साथ बताऊंगा। दादी ने आकर पूछा – अरे ! बेटा क्या हुआ ? तुमने हमें क्यों बुलाया है ? 
विजय कहते हैं – आप मेरे दोस्त, मनोहर को तो जानते ही होंगे। हां ! मैं जानती हूं। लेकिन उनका क्या ?? आज हमें उनके घर जाना है। मनोहर की बेटी अवनी और मोहित की शादी के रिश्ते के लिए… यह सुनकर सब खुश हो जाते हैं। लेकिन मोहित का चेहरा उतर जाता है। 
वह कहता है – लेकिन डैड ! मुझे शादी नहीं करनी है। विजय गुस्से में कहते हैं – लेकिन क्यों ? मोहित तुम हर बार मना कर देते हो। इस बारे में मैं अब कुछ नहीं सुनूंगा। तुम्हें अवनी से मिलने चलना ही होगा।

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लेकिन डैड ?? विजय उसे बीच में ही काटते हुए कहते हैं – मुझे और कुछ नहीं सुनना है। सब रेडी हो जाओ। 5:00 बजे हमें निकलना है। इतना कहकर वो भी अपने रूम में चले जाते हैं। सुप्रिया भी उनके पीछे जाती है। मोहित गुस्से में अपने रूम में जाता है।
सेहगल हाउस :-
अवनी अब तक कॉलेज से आ चुकी थी। वह अपने रूम में थी। मनोहर ऑफिस से आते हैं। मीरा उनसे उनका बैग लेती है और उनका कोर्ट निकालने में मदद करती है। मनोहर सोफे पर बैठते हैं,,, मीरा भी उनके पास बैठती है। वह पूछती है कि आज कैसा चला… काम।
मनोहर मीरा को सब बताते हैं और कहते हैं कि विजय ओबरॉय और उनकी फैमिली अवनी को देखने आने वाली है। यह सुन मीरा कहती है – आखिर आप उस बदतमीज लड़की की शादी इतने अमीर खानदान में क्यों कर रहे हैं। हमारी अपनी बेटी भी तो है… उसकी शादी करवा लेना।
मनोहर कहते हैं – मोहित अवनी से 5 साल बड़ा है और नेहा से वह 8 साल बड़ा है। हम नेहा की शादी उससे नहीं कर सकते। वैसे भी मैं यह सब बिजनेस के लिए कर रहा हूं। 
मैं मेरी नेहा की जिंदगी बिजनेस के लिए थोड़े ही बर्बाद कर सकता हूं। अवनी सीढ़ियों पर खड़ी यह सब सुन रही थी,,, उसकी आंखें नम हो जाती हैं और वह अपने रूम में चली जाती है। 
मनोहर की बात सुनकर मीरा खुश हो जाती है। मनोहर कहते हैं कि अवनी को बता देना और कहना 5:00 बजे तक रेडी हो जाए। इतना कहकर मनोहर चले जाते हैं। मीरा अवनी के रूम में जाती है। अवनी चेयर पर बैठी कुछ लिख रही होती है।
मीरा – अवनी आज तुझे देखने के लिए लड़के वाले आ रहे हैं… तैयार हो जाना। 
अवनी – हम्म ! बस इतना जवाब देती है। 
मीरा कहती है – और सुन कुछ ढंग का पहन कर आना। ये अपनी शॉट्स पहनकर मत सजना,,, समझी ; इतना कहकर वो चली जाती है। अवनी की आंखों में पानी आ जाता है। वह मन में ही कहती है – मां ! आप क्यों मुझे छोड़ कर चली गई। मुझे आपकी बहुत याद आ रही है। 
वह सोचती है आज वह इस रिश्ते के लिए हां कर देगी। क्योंकि उसे इस घर से निकलना था। वह अब यहां नहीं रहना चाहती है। उसे इस घर में घुटन सी हो रही थी। वह अपने पापा की रोटी और अपनी सौतेली मां के ताने से तंग आ गई थी। इतना सोचकर रेडी होने लगती है।
5:00 बजे सहगल हाउस :-
मिस्टर विजय और उनका परिवार आ चुका है। सब बैठकर बातें कर रहे थे। मनोहर मीरा से कहते हैं कि अवनी को बुलाओ। मीरा अवनी को लेकर आती है। अवनी बहुत ही खूबसूरत लग रही थी। 
गोरा रंग और लंबे बाल थे जो थोड़े ब्राउन कलर के थे। उसने एक मॉडर्न स्टाइल कुर्ती और उसके नीचे जींस पहनी थी। बाल खुले हुए थे… सब उसे देखते ही रह गए। एक पल के लिए मोहित भी उसकी सुंदरता में खो गया। 

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कामिनी उसे कंधा मारते हुए कहती है भाई कहां खो गए ? मोहित अपनी नजर दूसरी तरफ कर लेता है। अवनी आकर बैठती है। सुप्रिया उसके माथे पर हाथ फेरकर उससे बात करती है। अवनी को आज पहली बार एक मां के प्यार का एहसास हुआ। वह भी उन्हें बड़े प्यार से जवाब देती है। 
विजय जी कहते हैं – अवनी बेटी कैसी हो आप ? 
अवनी – अंकल मैं ठीक हूं आप कैसे हैं ?
विजय जी – बेटा हम भी ठीक हैं। आप क्या करती हैं ?
अवनी – जी मैं अपना कॉलेज कंप्लीट कर रही हूं… लास्ट ईयर में हूं। 
 दादी भी अवनी से बात करती है। विजय कहते हैं – भाई हमें तो इस रिश्ते से कोई आपत्ति नहीं है। आप एक बार अवनी से पूछ लीजिए।
मनोहर कहते हैं – अब अवनी को भला क्या आपत्ति हो सकती है ? हमें भी यह रिश्ता मंजूर है। दोनों परिवार एक दूसरे के गले मिलते हैं। मनोहर कहते हैं – मीरा मिठाई मंगवाएं और सबका मुंह मीठा करवाइएं। सब बहुत खुश थे। 
विजय जी कहते हैं – तो फिर जल्द से जल्द हम अवनी को अपने घर की बहू बनाना चाहेंगे। पंडित जी को बुलाइए और आज ही शादी की तारीख तय कीजिए।
 मनोहर कहते हैं – जी बिल्कुल !!
मनोहर पंडित जी को बुलाते हैं। पंडित जी मोहित और अपनी की कुंडली देखकर बताते हैं कि 2- दिन बाद शादी का बहुत ही अच्छा मुहूर्त है। ऐसा मुहूर्त 3 साल में एक बार ही आता है जोकि काफी शुभ है। 
इसके बाद 6 महीने के बाद ही कोई मुहूर्त आएगा। वो सब कहते हैं फिर तो 2 दिन बाद ही शादी कर लेते हैं और अभी रोका कर लेते हैं। 
सुमित्रा भी उसकी हां में हां मिलाते हुए कहती है – जी बिल्कुल ! आप ठीक कह रहे हैं।

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मोहित और अवनी को एक साथ सोफे पर बैठा दिया जाता है। दोनों की नजर नीचे थी। पंडित जी विधि शुरू करते हैं। सुप्रिया अवनी को एक पिंक रंग का बहुत ही प्यारा दुपट्टा उड़ा आती है।
मीरा अवनी को रिंग देती है और सुप्रिया मोहित को। पंडित जी दोनों को एक-दूसरे को रिंग पहनाने के लिए कहते हैं। दोनों पहली बार एक दूसरे को देखते हैं। 
मोहित को अवनी की आंखों में कुछ अलग सा दर्द दिखता है। वह अवनी को रिंग पहनाता है। अवनी भी मोहित को रिंग पहनाती है। सब फूल डालते हैं। सब लोग बहुत खुश हैं। मोहित की फैमिली खुश थी क्योंकि उनके घर में इतनी खूबसूरत और प्यारी अवनी आ रही थी। 
और अवनी का परिवार इसलिए खुश था क्योंकि अब अवनी उनके घर से हमेशा के लिए जाने वाली थी और उनका बिजनेस भी अब ठीक होने वाला था।
अगर आप भी जाना चाहते हैं की कहानी में आगे क्या हुआ तो इस कहानी का अगला भाग जरूर पढ़ें…

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