टीचर से शादी | Teacher Se Shadi | Moral Story | Teacher Student Story | Hindi Kahani

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – “ टीचर से शादी ” यह एक Moral Story है। अगर आपको Hindi Kahani, Moral Story in Hindi या Bedtime Stories पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।


रिंकी हर साल क्लास में फर्स्ट आती है। रिंकी अमीर घर की लड़की थी और गोरी थी। वो दसवीं क्लास में पढ़ती थी।

उसके पास हर एक सब्जेक्ट के लिए अलग-अलग ट्यूशन टीचर था, और उसे इस बात का घमंड था।

रिंकी, “मुझसे कोई पंगा नहीं ले सकता है। मैं पढ़ाई-लिखाई में सबसे अच्छी हूँ।”

उसी क्लास में पिंकी नाम की एक और लड़की थी। वो गरीब घर से थी और काली थी।

इस वजह से उसे क्लास के बच्चे ताने मारते रहते थे। लेकिन पिंकी को पढ़ाई-लिखाई में दिलचस्पी थी।

वो हर रोज़ फर्स्ट बेंच पर ही बैठना चाहती थी, लेकिन रिंकी को ये बात पसंद नहीं थी।

रिंकी, “ये देखो, आ गई काली कलौटी। अब ये इसी बेंच पर आकर बैठेगी।”

रिंकी ने बेंच पर अपना बैग रख दिया। पिंकी उसके पास आई और बोली।

पिंकी, “रिंकी, मुझे इस बेंच पर बैठना है।”

रिंकी, “कैसे बैठेगी? यहाँ जगह नहीं है।”

पिंकी, “तूने अपना बैग रख दिया है यहाँ। बैग हटा, ये बैग रखने की जगह थोड़े ही है।”

रिंकी, “तुझ जैसी काली कलौटी को तो स्कूल में एडमिशन ही नहीं मिलनी चाहिए, गरीब भिखारी कही की। फर्स्ट बेंच पर बैठने की औकात है?”

दोनों के बीच में झगड़ा चलने लगा। ये रोज़ का था। इसीलिए बाकी के स्टूडेंट्स ने ध्यान ही नहीं दिया। तभी क्लास में विवेक सर की एंट्री हुई।

विवेक सर, “शांत हो जाओ बच्चो और अपनी-अपनी जगह पर बैठ जाओ।”

विवेक सर को सब लोग पहली बार देख रहे थे, इसीलिए सभी चौंक गए और अपनी-अपनी जगह पर बैठ गए।

रिंकी ने बैग हटा लिया और पिंकी झट से उसके पास फर्स्ट बेंच पर बैठ गई।

विवेक सर, “गुड मॉर्निंग बच्चो, मेरा नाम विवेक है। आप सब मुझे विवेक सर कहकर पुकार सकते हो।

मैं इस स्कूल में नया हूँ। आज ही मेरा पहला दिन है।”

विवेक सर यंग थे। उन्हें देखकर रिंकी और पिंकी दोनों का दिल पिघल गया।

पिंकी, “वाउ, सर कितने हैंडसम हैं?”

रिंकी, “ऐ पिंकी! सर की तरफ आंख उठाकर भी मत देखना। सर मुझे पसंद आए हैं।”

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पिंकी, “तो क्या हुआ? सर मुझे भी पसंद आए हैं।”

रिंकी,” तुझे जैसी काली बदसूरत गरीब लड़की को सर भाउ भी नहीं देंगे।”

पिंकी, “दुनिया में सब लोग रंग और पैसा देखकर इंसान को नहीं परखते हैं।”

विवेक सर, “क्या बात है? झगड़ा क्यों कर रही हो तुम दोनों?”

रिंकी,” कुछ नहीं, सर।”

पिंकी,” हां हां सर कुछ नहीं सर, हम तो बस ऐसे ही…।”

विवेक सर, “ठीक है।”

विवेक सर ने मैथ्स पढ़ाया और क्लास के बाद वो चले गए। स्कूल खत्म होने के बाद रिंकी अपनी गाड़ी से घर चली गई और पिंकी पैदल घर की ओर जाने लगी।

पिंकी, “लगता है विवेक सर से मुझे प्यार हो गया। पति हो तो विवेक सर जैसा।”

उधर रिंकी भी पढ़ाई में मन नहीं लगा पा रही थी। उसकी माँ ने उसके हाथ में दूध का ग्लास दिया, लेकिन वो ग्लास गिरकर टूट गया।

रिंकी की माँ, “बेबी, ये क्या किया तुमने? बेटा, ध्यान कहाँ है तुम्हारा?”

रिंकी, “वो स्कूल में है, माँ।”

माँ, “स्कूल में..? लेकिन अभी तो तुम घर पर हो ना बच्चा?”

रिंकी, “हाँ माँ, लेकिन विवेक सर तो यहाँ नहीं हैं ना। मुझे विवेक सर से शादी करनी है।”

अगले दिन स्कूल में पहला क्लास रीना मैडम का था। रीना मैडम की उम्र विवेक सर जितनी ही थी।

मैडम पढ़ा तो रही थी, लेकिन रिंकी और पिंकी का मन पढ़ाई में नहीं था।

रीना मैडम, “बच्चो, कल नये टीचर ने क्लास लिया है ना? कैसी लगी उनकी क्लास?”

रिंकी, “बहुत अच्छी, मैडम। विवेक सर तो बहुत अच्छे हैं।”

पिंकी, “हाँ मैडम, वो बहुत अच्छे हैं।”

रीना मैडम, “हां हां, सच में… वो अच्छे हैं, उन्हें ज्यादा परेशान मत करना।”

रीना मैडम की क्लास के बाद पिंकी और रिंकी में बहस शुरू हो गई।

रिंकी, “सुन पिंकी, विवेक सर सिर्फ मेरे हैं, सिर्फ मेरे।”

पिंकी, “क्यों? तू गोरी है इसलिए?”

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रिंकी, “हाँ, और अमीर भी।”

पिंकी, “ठीक है, तो फिर सच्चाई का पता कर ही लेते हैं। हम दोनों विवेक सर को मन की बात बताएंगे।”

रिंकी, “ठीक है, आज ही बताएंगे।”

विवेक सर क्लास में आए और क्लास खत्म होने के बाद क्लास के बाहर पिंकी और रिंकी ने उन्हें रोक लिया और सब कुछ बता दिया। दोनों की बात सुनकर विवेक सर हँसने लगे।

विवेक सर, “हा हा हा… तुम दोनों अभी बच्ची हो, पढ़ाई-लिखाई में ध्यान लगाओ।”

पिंकी, “नहीं सर, आप बताओ हमें। आपको हममें से ज्यादा पसंद हूँ या रिंकी? रिंकी मुझे ताना मारती रहती है।”

रिंकी, “मैं क्यों ना मारूं ताना? बदसूरत है तू, काली है, गरीब है।”

विवेक सर को सब कुछ समझ में आ गया।

उन्होंने कहा, “देखो, मुझे पसंद करते हो ना? तो मेरी बात माननी पड़ेगी।”

रिंकी और पिंकी, “हाँ हाँ सर, जरूर मानेंगे।”

विवेक सर, “तो फिर तुम दोनों दोस्त बन जाओ, गले मिलो एक दूसरे से।”

रिंकी, “नहीं सर, मैं इस काली बदसूरत भिखारिन से गले नहीं मिल सकती।”

पिंकी, “हाँ, मैं भी किसी घमंडी चुड़ैल से गले नहीं मिल सकती।”

दोनों फिर से झगड़ने लगीं। विवेक सर ने दोनों को शांत करवाया और कहा।

विवेक सर, “अरे! चुप हो जाओ तुम दोनों। ठीक है… मुझसे जवाब चाहिए ना? मैं सोच के कल बताता हूँ।”

रात को पिंकी और रिंकी को नींद नहीं आई। दोनों आँखें खोलकर विवेक सर से शादी के सपने देखने लगीं।

अगले दिन स्कूल आते ही विवेक सर ने दोनों को बुलाया और कहा।

विवेक सर, “रिंकी, तुम मैथ्स में वीक हो ना?”

रिंकी, “हाँ सर, मैथ्स के लिए मेरे पापा ने दो टीचर रखे हैं, लेकिन कुछ हो ही नहीं रहा है। बाकी सब सब्जेक्ट्स में मुझे अच्छे मार्क्स आते हैं।”

विवेक सर, “बहुत अच्छी बात है, लेकिन मैथ्स में अच्छे मार्क्स नहीं आएँगे तो दसवीं कक्षा में टॉप कैसे करोगी?”

विवेक सर, “और पिंकी, तुम इंग्लिश में वीक हो ना?”

पिंकी, “हाँ सर, हमारे गांव में कोई भी इंग्लिश नहीं बोल पाता है। ट्यूशन लगाने का पैसा नहीं है। लेकिन मैं मैथ्स में बहुत अच्छी हूँ।”

विवेक सर, “समझ गया। सुनो, आज से तुम दोनों एक दूसरे को पढ़ाओगी। पिंकी, तुम रिंकी को मैथ्स पढ़ाओगी और रिंकी, तुम पिंकी को इंग्लिश पढ़ाओगी।”

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रिंकी, “लेकिन उससे क्या होगा सर?”

विवेक सर, “जो अच्छे से पढ़ा पाएगी, मैं उसी का प्यार स्वीकार करूँगा, और उसका विचार साल के अंत में होगा।

रिजल्ट से ही पता चल जाएगा कि किसने कितनी अच्छी तरह से दूसरे को ट्रेनिंग दी है।”

पिंकी, “ठीक है सर, मैं रिंकी को मैथ्स पढ़ाने में जान लगा दूंगी।”

रिंकी, “मैं भी पिंकी को पढ़ाने में जान लगा दूंगी, सर।”

विवेक सर से शादी करने का सपना दोनों के सर चढ़ गया था। क्लास के बाद दोनों स्कूल में पढ़ने और पढ़ाने के लिए एक-दूसरे के साथ बैठ गए। लेकिन छुट्टी के बाद स्कूल का गेट तो बंद हो जाता है।

रिंकी, “एक काम करते हैं, तू मेरे साथ मेरे घर चल। वहाँ पढ़ाई कर लेंगे।”

पिंकी, “ठीक है, लेकिन तू कल मेरे साथ मेरे घर जाएगी।”

रिंकी, “ठीक है, पक्का।”

एक दिन पिंकी के घर और एक दिन रिंकी के घर में दोनों पढ़ाई करने लगीं। रिंकी पिंकी को इंग्लिश पढ़ाने लगी और पिंकी रिंकी को मैथ्स पढ़ाने लगी।

विवेक सर के कहने पर दोनों मन लगाकर पढ़ने भी लगीं और ऐसे ही दोनों में दोस्ती हो गई।

फाइनल एग्ज़ाम के बाद दोनों रिजल्ट के लिए इंतजार करने लगीं और रिजल्ट वाले दिन सुबह-सुबह स्कूल पहुँच गईं।

पिंकी, “हे भगवान! बस रिंकी को मैथ्स में ज्यादा मार्क्स आ जाएं।”

रिंकी, “हे भगवान! बस पिंकी को इंग्लिश में ज्यादा मार्क्स आ जाएं।”

जिंदगी में पहली बार दोनों एक-दूसरे के लिए प्रार्थना करने लगीं और दोनों को इंग्लिश और मैथ्स में फुल मार्क्स मिले।

दोनों खुश होकर एक-दूसरे का हाथ पकड़कर विवेक सर के पास गईं।

रिंकी और पिंकी, “सर, हम दोनों को फुल मार्क्स मिले। हम दोनों बहुत खुश हैं।”

रिंकी, “हाँ सर, अब तो बता दीजिए कि आपको हम में से कौन ज्यादा पसंद है?”

विवेक सर, “मुझे तो तुम दोनों पसंद हो… लेकिन एक स्टूडेंट के हिसाब से। मुझे तो बस तुम दोनों में दोस्ती करवानी थी।

पढ़ाई-लिखाई से भी ज्यादा इंसान में इंसानियत और प्यार भी जरूरी है। और आज तुम दोनों वो सीख गई हो।

इसीलिए मैं तुम्हें अपनी शादी में बुलाना चाहता हूँ। ये लो कार्ड।”

रिंकी और पिंकी, “आपकी शादी…लेकिन किससे?”

तभी रीना मैडम सामने आईं।

रीना मैडम, “मुझसे। हम दोनों शादी कर रहे हैं। तुम दोनों को दोस्त बनाने का ये आइडिया मैंने ही विवेक को दिया था।”

पिंकी और रिंकी को दोस्ती की अहमियत समझ में आई। आज वो दोनों दुखी नहीं थीं बल्कि बहुत खुश थीं।

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एक साथ सज-धज कर वो दोनों विवेक सर और रीना मैडम की शादी में गईं और उसके बाद क्लास में हमेशा एक साथ फर्स्ट बेंच पर बैठने लगीं। शादी के सपनों ने उन्हें असली प्यार और दोस्ती सीखा दी।


दोस्तो, ये Moral Story आपको कैसी लगी, Comment में हमें जरूर बताइएगा। कहानी को पूरा पढ़ने के लिए शुक्रिया !


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