प्रेग्नेंट सास | Pregnant Saas | Saas Bahu | Saas Bahu Story | Family Stories | Saas Bahu Ki Kahaniyan

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” प्रेग्नेंट सास ” यह एक Saas Bahu Story है। अगर आपको Family Stories, Moral Stories या Rishto Ki Kahaniyan पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।


बहुत पुराने समय की बात है। रुद्रपुर नाम का एक बहुत ही खूबसूरत गांव हुआ करता था।

उस गांव में रानी नाम की एक शादीशुदा महिला अपने पति रजनीश के साथ रहती थी, लेकिन हैरान कर देने वाली बात ये थी कि रानी की सास गर्भवती थी

और उसे गर्भवती हुए लगभग आठ महीने बीत चुके थे। गांव वाले उसे इसी बात का ताना मारा करते थे।

एक रोज़ जब रानी अपनी सास के साथ अस्पताल से चेकअप करा के वापस आ रही थी,

तब एक बूढ़ी औरत, “ये देखो, इस बुढ़िया को शर्म भी नहीं आती। जब इसकी बहू बांझ निकली और ये बच्चा पैदा न कर सकी,

तब इसकी सास ने खुद माँ बनने का फैसला कर लिया और खुद ही माँ बन गई।”

दूसरी औरत, “सही कह रही हो, चाची। इस बुढ़िया को तो बिल्कुल शर्म नहीं आती।

इसका पति तो न जाने कब मर चुका है? फिर भी इस उम्र में पता नहीं किसने इसे गर्भवती बना दिया?”

रानी की सास, “तुम लोग अपने काम से काम रखो। किसी दूसरे के ऊपर लांछन लगाने से पहले एक बार सोच लेना चाहिए कि आखिर उसकी क्या मजबूरी रही होगी?”

पहली औरत, “मजबूरी कोई भी रही हो, लेकिन इस बुढ़ापे में माँ बनना आपको शोभा नहीं देता। जब आपका पति भी जिंदा नहीं है।

हमारे गांव वालों पर क्या फर्क पड़ेगा इसका? आज ही प्रधान जी से बोलकर इस औरत को गांव से बेदखल करवा देते हैं हम लोग।”

रानी, “सासु माँ, घर चलो। इन लोगों के मुँह लगने से कोई फ़ायदा नहीं।”

रानी अपनी सास को लेकर घर आ गई। रात को जब रानी का पति रजनीश काम से घर लौटा,

तब उसने अपनी माँ का हालचाल पूछा, “क्या बोला डॉक्टर साहिबा ने? हमारा होने वाला बच्चा स्वस्थ तो है ना?”

रानी, “चिंता वाली कोई बात नहीं है। अगले महीने ही डिलीवरी हो सकती है। ऐसा डॉक्टर साहिबा ने बोला है।”

रजनीश, “मुझे समझ में नहीं आता, माँ। कि मैं आपका किस मुँह से शुक्रिया अदा करूँ? आप मेरी वजह से इन गांव वालों के ताने सुनती हैं।”

रजनीश की माँ, “अरे! तू गांव वालों की छोड़ बेटा, हमें अपनी ज़िन्दगी देखनी है, गांव वालों की नहीं।

अब इन गांव वालों को समझाया भी क्या जा सकता है? ये लोग पढ़े लिखे तो हैं नहीं।”

अगले दिन रजनीश के घर सुबह-सुबह प्रधान जी का एक आदमी आया।

रजनीश, “अरे मुनीम जी! क्या बात है? आज सुबह-सुबह हमारे घर कैसे आना हुआ आपका?”

मुनीम, “आप लोग जल्दी से पंचायत भवन चलिए। प्रधान जी ने आप सबको बुलाया है।”

रजनीश, “लेकिन बात क्या है, मुनीम जी?”

मुनीम, “वो सब मुझे नहीं पता। प्रधान जी ने बोला है कि रजनीश के परिवार को बुला लो, तो मैं बुलवाने चला आया।”

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इतना बोलकर मुनीम जी वहाँ से चले गए। थोड़ी देर बाद रजनीश अपनी पत्नी रानी और

अपनी माँ को लेकर पंचायत भवन पहुँच गए। वहाँ पर उन्होंने देखा कि पूरा गांव इकट्ठा था।

प्रधान जी, “रजनीश, इन गांव वालों का कहना है कि तुम लोग इस गांव में रहने के लायक नहीं हो।

तुम्हारी माँ गर्भवती है और अपना फूला हुआ पेट लेकर इधर-उधर घूमा करती है।

आपके पिता भी जिंदा नहीं हैं, तो इन सब का असर गांव के नौजवानों पर पड़ता है। इस बारे में तुम्हारा क्या कहना है?”

रजनीश, “प्रधान जी, बात यहाँ तक पहुँच जाएगी, इसकी तो मुझे कभी उम्मीद ही नहीं थी। लेकिन लगता है आज सारी सच्चाई आपको बतानी ही पड़ेगी।”

अब कहानी कुछ सालों पीछे से शुरू होती है।

रजनीश की शादी रानी के साथ हुई। उसकी सास ने रानी का स्वागत बहुत ही धूमधाम के साथ किया।

रानी की सास, “बहू, तेरे ससुर जी के गुजर जाने के बाद मैं इस घर में अकेली हो गई थी, इसलिए मैंने रजनीश की शादी कर दी।

लेकिन तू भी काम में बीज़ी रहती है, इसीलिए जल्दी से मुझे पोता दे दे ताकि मैं उसके साथ खेलती रहूँ।”

रानी, “ये सब तो भगवान के हाथ में है न, मां जी?”

इतना कहकर रानी शर्माते हुए अपने कमरे में चली गई। ऐसे ही दिन बीतते गए, लेकिन रानी माँ नहीं बन पा रही थी।

रजनीश की माँ, “रजनीश बेटा, शादी के 3 साल बीत चुके हैं, लेकिन तुम लोग मुझे अभी तक पोता नहीं दे पाए।

जाओ जाकर डॉक्टर को दिखाओ, कहीं बहू में कोई कमी तो नहीं?”

रजनीश, “माँ, ऐसा जरूरी तो नहीं कि कमी केवल रानी में ही हो, कमी मेरे अंदर भी तो हो सकती है ना?”

रजनीश की माँ, “हाँ, तो तू खुद की भी जांच करा लेना। पर मुझे किसी भी कीमत पर पोता चाहिए इस साल, उसके लिए चाहे जो भी करना पड़े।”

रजनीश, “ठीक है माँ, मैं आज शाम को ही डॉक्टर के पास रानी को लेकर चला जाता हूँ।”

शाम को रजनीश अपनी पत्नी रानी को लेकर डॉक्टर के पास चला गया। डॉक्टर ने रजनीश और रानी दोनों की जांच की।

उसके बाद उन्होंने कहा, “देखिये, आप दोनों को परेशान होने की कोई जरूरत नहीं है। आप दोनों में ही कोई कमी नहीं है।

आप दोनों जल्द ही माँ-बाप बन जाओगे। हाँ, कुछ नॉर्मल दवाइयां दे देता हूँ जिससे थोड़ी हेल्प मिल जाएगी।”

डॉक्टर ने उन दोनों को दवाइयां दे दी और दोनों घर आ गए। घर आने के बाद रजनीश ने ये खुशखबरी अपनी माँ को सुनाई।

रजनीश, “माँ, चिंता करने की कोई बात नहीं है। डॉक्टर ने बोला है कि हम दोनों के अंदर कोई कमी नहीं है। हम दोनों माँ-बाप बन सकते हैं।”

रजनीश की माँ, “ठीक है बेटा, मैं इंतजार के अलावा और कर ही क्या सकती हूँ?”

ऐसे ही दिन बीतते गए और कुछ दिनों बाद रानी को अचानक उल्टियां होने लगीं। उस दिन रजनीश काम पर गया हुआ था।

रानी की सास, “अरे बहू! तुझे तो बहुत जोरों की उल्टियां हो रही हैं। क्या हुआ, तेरी तबियत खराब है क्या? चल जल्दी चल, डॉक्टर के पास चलते हैं।”

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रानी, “अरे! नहीं माँ, मुझे बहुत कमजोरी लग रही है। मैं डॉक्टर के पास नहीं जा पाऊंगी।”

रानी की सास, “कमजोरी लग रही है और उल्टियां भी आ रही हैं। इसका मतलब तो साफ है कि इस घर में अब खुशखबरी आने ही वाली है।”

उसकी सास ने फ़ोन करके तुरंत डॉक्टर को बुला लिया। डॉक्टर ने उसकी जांच की तो उसकी सास की खुशी का ठिकाना न रहा।

डॉक्टर, “मुबारक हो, आप बहुत जल्द दादी बनने वाली हैं। रानी बिटिया गर्भवती है, इसका अच्छे से ख्याल रखना और ज्यादा भारी सामान न उठाने देना।”

रानी की सास, “बहुत बहुत धन्यवाद डॉक्टर साहब! आज से मैं बहू को बिस्तर से उठने ही नहीं दूंगी।”

डॉक्टर, “अरे अरे! ऐसा भी मत कर देना। थोड़ा बहुत तो शारीरिक मेहनत करनी ही चाहिए,

वरना ऐसे तो बॉडी अकड़ जाएगी और बच्चे को भी इससे दिक्कत होगी।”

रानी की सास, “डॉक्टर साहब, मैं तो मजाक कर रही थी।”

इसके बाद डॉक्टर साहब चले गए। शाम को जब रजनीश आए, तो उसकी सास ने बहुत ही खुशी-खुशी अपने बेटे को यह खबर सुनाई।

रजनीश ने खुशी-खुशी अपनी पत्नी रानी को गोद में उठा लिया। अचानक रजनीश का पैर फिसला और रानी फर्श पर गिर गई और उसकी खोपड़ी फूट गई।

रजनीश की मां, “ये क्या किया, रजनीश बेटा? बहू तो बेहोश हो गई और इसके सिर से तो खून भी निकल रहा है। जल्दी से डॉक्टर को बुलाकर ला।”

रजनीश, “नहीं मां, इसे डॉक्टर के पास ही ले चलना होगा। इसके सिर से बहुत खून निकल रहा है।

सब कुछ मेरी ही गलती है। एक्साइटमेंट में ये सब कुछ हुआ है।”

रजनीश तुरंत अपनी मां और अपनी पत्नी को लेकर अस्पताल पहुंच गया। अस्पताल में डॉक्टर ने रानी के सिर पर पट्टी बांधी, लेकिन तब तक बहुत सारा खून निकल चुका था।

डॉक्टर, “मिस्टर रजनीश, आपकी पत्नी तो ठीक है, लेकिन सिर पर चोट लगने की वजह से ये कोमा में जा चुकी है।

हम अपनी तरफ से कोशिश कर रहे हैं, लेकिन इसकी कोई उम्मीद नहीं है कि कब होश में आएंगी?”

रजनीश, “डॉक्टर साहब, अभी अभी तो आपने रानी के गर्भवती होने की खुशी दी थी। अब हमारे बच्चे का क्या होगा?”

डॉक्टर, “इसके तो बस दो ही रास्ते हैं। या तो हमें गर्भपात करना होगा या इस बच्चे को किसी दूसरे के गर्भ में पालना होगा।”

रजनीश, “क्या ऐसा हो सकता है, डॉक्टर साहब?”

डॉक्टर, “बिल्कुल हो सकता है, मिस्टर रजनीश। आज मेडिकल साइंस बहुत आगे निकल चुका है। कुछ भी संभव है आज तो,

लेकिन आपको कोई ऐसी महिला ढूंढनी पड़ेगी जो आपके बच्चे को जन्म दे सके और नौ महीने तक अपने गर्भ में रख सके।”

अब कहानी एक बार फिर से वर्तमान में आ गई।

रजनीश, “प्रधान जी, मैंने अपने रिश्तेदारी में बहुत सारे लोगों से बात की, पर कोई भी हमारे बच्चे को अपने गर्भ में नौ महीने रखने के लिए तैयार नहीं हुआ।

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तब मजबूरी में मेरी मां ने ही इसमें अपना साथ दिया। मेरी मां रानी और मेरे बच्चे को अपने गर्भ में रखने के लिए तैयार हो गई। ठीक चार महीने बाद ऊपर वाले की दया से रानी भी कोमा से वापस आ गई।

प्रधान जी, “तुम्हारी कहानी तो बिल्कुल रुला देने वाली है, बेटा। लेकिन इसे हम कैसे सच मान लें?”

रजनीश, “मैं अभी यहाँ पर डॉक्टर साहब को बुलाता हूँ, जो सारी सच्चाई पूरे गांव वालों के सामने पेश कर देंगे।

रजनीश ने उसी वक्त डॉक्टर साहब को फोन किया और सारी बात बताई। डॉक्टर साहब तुरंत पंचायत भवन में आ गए

और उन्होंने सारी कहानी एक बार फिर से पूरे गांव वालों को और प्रधान जी को बयान कर दी।

इसके बाद सभी गांव वालों ने रानी की सास से माफी मांगी।

औरत, “हमने आपका कितना मजाक उड़ाया? कितना उल्टा-सीधा कहा? यहाँ तक कि गांव से भी निकाल देने की बात कर डाली,

लेकिन अब तो आप एक मां के रूप में प्रेरणा बन गई हैं हमारे लिए। हमें नहीं पता था कि मेडिकल में ऐसा कुछ भी हो सकता है, इसीलिए ये गलतफहमी हो गई।”

प्रधान जी, “माँ जी, मैं भी इन गांव वालों की तरफ से और अपनी तरफ से आपसे माफी मांगता हूँ।

किसी भी मां के ऊपर इल्जाम लगाने से पहले उसकी सच्चाई को जान लेना चाहिए, उसके बाद ही इलज़ाम लगाने चाहिए।”

तो इस तरह से ठीक एक महीने बाद उसकी सास ने रानी और रजनीश के बेटे को जन्म दिया। बेटे के जन्म वाले दिन ही पूरे गांव ने जश्न मनाया।

प्रधान जी, “गांव वालों, मेरी बात ध्यान से सुनो। रजनीश की मां इस गांव के लिए और पूरे देश-दुनिया के लिए एक बहुत बड़ी प्रेरणा हैं,

जिसने बहुत सारी गालियाँ और बहुत सारा मजाक खुद पर झेला, लेकिन अपनी बहू के बच्चे को अपने गर्भ में पैदा किया। ऐसी सास आजकल देखने को नहीं मिलती हैं।”

औरत, “आपने बिलकुल सही कहा, प्रधान जी। आज के बाद इस गांव की हम सभी सास अपनी बहू से ढेर सारा प्यार करेंगे ताकि हम सब भी रानी की सास की तरह थोड़ा बहुत तो बन सकें।”

इसके बाद रानी और रजनीश अपने बच्चे के साथ खुशी-खुशी रहने लगे।


दोस्तो ये Saas Bahu Story आपको कैसी लगी, नीचे Comment में हमें जरूर बताइएगा। कहानी को पूरा पढ़ने के लिए शुक्रिया!


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