बुद्धिमान सेठ | BUDDHIMAN SETH | Hindi Kahani | Gaon Ki Kahani | Achhi Achhi Kahani | Hindi Stories

व्हाट्सएप ग्रुप ज्वॉइन करें!

Join Now

टेलीग्राम ग्रुप ज्वॉइन करें!

Join Now

हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” बुद्धिमान सेठ ” यह एक Hindi Story है। अगर आपको Hindi Stories, Hindi Kahani या Achhi Achhi Kahaniyan पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।


एक भिखारी था, भीखू, जिसकी उम्र हो चली थी। वह अकेला था, उसका कोई परिवार या संबंधी नहीं था।

बुढ़ापे की चिंता में, वह रोज़ शाम को भीख के पैसे बचाकर एक पोटली में बांधकर उसे अपनी कोठरी में ज़मीन के अंदर एक गड्ढे में रख देता था।

एक दिन मंदिर से साधुओं की एक टोली जा रही थी।

भीखू, “बाबा, भगवान के नाम पर कुछ देते जाओ।”

पहला साधु , “अरे नादान! हम तो साधु हैं। हमसे मांगने पर तुझे क्या मिलेगा?”

दूसरा साधु, “अरे! बड़ी गर्मी है, प्यास लगी है। यहाँ पानी कहाँ मिलेगा?”

भीखू, “बाबा, इस एरिया में दो दिन से पानी नहीं आ रहा है। मुन्सिपल्टी ने पानी बंद कर रखा है। लो, आपको ऐतराज़ ना हो तो ये ले लो।”

दूसरा साधु, “यहाँ पानी नहीं आ रहा। अगर तुम्हारा पानी मैंने पी लिया तो सोच लो, फिर तुम प्यासे रह जाओगे।”

भीखू, “कोई बात नहीं बाबा। पानी पिलाना धर्म का काम है, आप पानी पी लो।”

पानी पीने के बाद,

पहला साधु, “भगवान तुम्हारा भला करे। बेटा, एक और चीज़ चाहिए, दोगे?”

भीखू, “हाँ हाँ, बाबा बोलो।”

पहला साधु, “एक 10 रुपया दे दो।”

सुनकर भीखू उसे एकटक देखने लगा।

पहला साधु, “क्या हुआ? नहीं दे सकते? चलो कोई बात नहीं।”

भीखू, “ये लो बाबा।”

एक साधु ने ₹10 का नोट लेकर दूसरे साधु के हाथ में रखा, दूसरे ने तीसरे, तीसरे ने चौथे और चौथे ने पाँचवें के हाथ में वो नोट रखा और फिर उसे भीखू को वापस देकर चले गए।

भीखू, “रुपए वापस दे दिए? भाई कुछ समझ नहीं आया।”

रात को भीखू उबासी लेते हुए सारे पैसे ज़मीन के अंदर गड्ढे में रखकर सो गया। सुबह जब भीखू ने अपनी लाठी लेकर पोटली में हाथ डाला तो उसमें से कुछ सिक्के निकले।

भीखू, “अरे! इन्हें रखना कैसे भूल गया?”

उसने गड्ढे में देखा।

भीखू, “हैं… रात-रात में इतना रुपया कैसे हो गया? नहीं नहीं, शायद कल रात को मैंने नींद में ध्यान से नहीं देखा होगा।

बुद्धिमान सेठ | BUDDHIMAN SETH | Hindi Kahani | Gaon Ki Kahani | Achhi Achhi Kahani | Hindi Stories

अब तो काफी रुपए हो गए हैं। इन्हें यहाँ रखना ठीक नहीं। अगर चोरी हो गए तो? नहीं नहीं, मैं इन्हें सेठ जी के पास रखवा दूँगा। हाँ, यही ठीक रहेगा।”

भीखू, “राम-राम, सेठ जी।”

सेठ, “तू क्यों आया यहाँ?”

सेठ, “मुंशी जी, इससे पैसे लेकर भगाओ जल्दी से।”

भीखू, “सेठ जी।”

सेठ, “अरे! सुबह-सुबह मनहूसियत फैलाकर दिमाग ख़राब मत कर।”

मुंशी, “ये लो और जाओ यहाँ से। वरना सेठ जी का दिमाग हिल गया ना तो मेरा पूरा दिन ख़राब हो जाएगा।”

भीखू, “सेठ जी, मैं तो ये…”

सेठ, “ये क्या है?”

भीखू, “ये मेरी खून-पसीने की कमाई है। मैंने भीख मांग-मांगकर एक-एक रुपया बुढ़ापे के लिए जमा किया है।”

सेठ, “अबे! ये तेरी कमाई है या किसी की चोरी की है?”

भीखू, “ना ना, ऐसा मत कहिए। चोरी करूँगा तो भगवान माफ़ नहीं करेगा।”

सेठ, “ठीक है, ये पोटली क्यों लाया यहाँ?”

भीखू, “सेठ जी, मेरी कोठरी तो खुली पड़ी रहती है। किसी को भी पता चल गया तो चोरी कर लेगा।

आप इसे मेरी अमानत समझ कर अपने पास रख लो, मुझे ज़रूरत होगी तो मैं आपसे ले लूँगा।”

सेठ, “रुपए गिनकर बही खाते में इसके नाम से लिख लो।”

मुंशी,” 100… 200… 500… 1000… सेठ जी, पूरे 1000 हैं।”

सेठ, “सुन भीखू, इतना रुपया पड़े-पड़े रखा रह जाएगा। तू कह तो इन्हें ब्याज़ पर चढ़ा दूँ? अच्छी रकम मिलेगी।”

भीखू, “पर सेठ जी…”

सेठ, “अरे, तू फ़िक्र ना कर। मैं सब देख लूँगा। तेरी रकम छह महीने में दुगनी हो जाएगी।”

भीखू, “ठीक है, सेठ जी। मुझे आप पर पूरा भरोसा है। सब आप पर छोड़ता हूँ।”

सेठ, “हाँ हाँ, तू चिंता न कर।”

भीखू, “राम-राम।”

कुछ दिन बाद,

भीखू, “सेठ जी, ये रुपये अपने पास रख लो।”

सेठ ने मुंशी को इशारा किया।

मुंशी, “100… 200… 500… 1000… सेठ जी, पूरे 1000 हैं।”

बुद्धिमान सेठ | BUDDHIMAN SETH | Hindi Kahani | Gaon Ki Kahani | Achhi Achhi Kahani | Hindi Stories

सेठ, “क्या रे! तू तो बड़ा लालची है। ब्याज़ के लालच में इतनी जल्दी ₹1000 फिर ले आया। कितना माल है तेरे पास?”

भीखू, “इतने ही हैं, सेठ जी।”

सेठ, “चल ठीक है, इसे भी ब्याज़ पर चढ़ा देंगे।”

कुछ दिन बाद भीखू फिर रुपये लेकर आया।

मुंशी, “100… 200… 500… 1000… सेठ जी, पूरे 1000 हैं।”

इसी तरह भीखू थोड़े-थोड़े दिनों में सेठ के पास रुपये रखकर जाने लगा।

मुंशी, “सेठ जी, आज भी पूरे ₹1000 देकर गया है।”

सेठ, “ये इतना रुपया इस भिखारी के पास आ कहाँ से रहा है?”

मुंशी, “पता नहीं।”

सेठ, “इतना रुपया तो इतनी जल्दी मैं भी नहीं बना पाता। कोई तो राज़ है, मुंशी। पता लगा, इसकी कोई लॉटरी-वॉटरी लगी है या कोई ख़ज़ाना हाथ लगा है?”

मुंशी, “मैं क्या जानूँ, सेठ जी?”

सेठ, “कुछ भी हो, इसका भेद पता लगा, नहीं तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा।”

मुंशी ने सिर लटका लिया। अगले दिन मुंशी सुबह से भीखू का पीछा करने लगा। भीखू अपनी लाठी और पोटली लेकर मंदिर के बाहर बैठ गया और मुंशी एक पेड़ के पीछे खड़ा होकर देखने लगा।

मुंशी, “सेठ को भी कोई और नहीं मिला, बिना बात के मुझे इस भिखारी के पीछे लगा दिया।”

पेड़ के पास बहुत मच्छर थे।

मुंशी, “अरे बाबा! इतने मोटे-मोटे मच्छर हैं, इनको देखूँ या उस भिखारी को?”

एक मच्छर ने मुंशी को काट लिया।

मुंशी, “आई, काट लिया। मेरा खून पीता है। रुक तुझे बताता हूँ।”

मच्छर को मारने के चक्कर में वो पेड़ के बाहर आकर गिर गया।

मुंशी, “हाय हाय! मर गया रे।”

एक आदमी ने उसे उठाया और भीखू भी वहाँ आ गया।

भीखू, “अरे मुंशी जी! आप यहाँ क्या कर रहे हो?”

मुंशी, “क्यों बे! मैं मंदिर नहीं आ सकता क्या?”

भीखू, “क्यों नहीं? आ सकते, ज़रूर आ सकते हो। वो तो मैंने आपको पहले कभी यहाँ देखा नहीं ना, इसीलिए पूछ लिया। वैसे मुंशी जी, आप गिर कैसे गए?”

मुंशी, “बस, गिर गया। अरे! हर बात तुझे बताना ज़रूरी है? बड़ा आया कोतवाल बनने।”

कहकर वो वहाँ से चला गया और छिपकर भीखू पर नज़र रखने लगा। रात को भीखू ने अपनी कोठरी में पैसे गिने।

भीखू, “ये 10… 20… पूरा ₹25 हो गया।”

बुद्धिमान सेठ | BUDDHIMAN SETH | Hindi Kahani | Gaon Ki Kahani | Achhi Achhi Kahani | Hindi Stories

और उसने रुपये ज़मीन के अंदर गड्ढे में रख दिए। मुंशी खिड़की के पीछे छिपकर ये सब देख रहा था।

मुंशी, “अच्छा तो ये रुपये यहाँ छिपाता है, पर इसके पास इतने रुपये आते कहाँ से हैं? मुझे इससे क्या?”

मुंशी ने पूरी बात सेठ को बताई।

सेठ, “ज़रूर ज़मीन के अंदर उस भिखारी को कोई ख़ज़ाना मिला है। किसी को पता नहीं चले इसलिए यहाँ थोड़ा-थोड़ा रुपये लेकर आता है।”

मुंशी, “सेठ जी, वाह-वाह! क्या दिमाग लगाया आपने? मेरे दिमाग में तो ये बात नहीं आई।”

सेठ, “दिमाग हर किसी के पास नहीं होता, वरना सब सेठ होते। अब चल मेरे साथ।”

मुंशी, “कहाँ, सेठ जी?”

सेठ, “कहा ना! बस चुपचाप चल।”

दोनों लाठी लिए भीखू की कोठरी में पहुँचे।

मुंशी, “आई, सेठ जी! कितनी बदबू है यहाँ।”

सेठ, “भिखारी के घर में बदबू नहीं तो खुशबू आएगी?”

मुंशी, “सेठ जी, आप मुझे यहाँ क्यों लाए हो? मेरा तो दम घुट रहा है।”

कहकर वो वहाँ से जाने लगा। सेठ ने उसका हाथ पकड़ लिया।

सेठ, “अबे! जा कहाँ रहा है? जो काम करने आए हैं, पहले वो तो कर ले।”

कहकर उसने मुंशी के हाथ से रुमाल लेकर अपनी नाक पर रख लिया।

सेठ, “मैं यहाँ खड़ा रहकर ध्यान रखता हूँ, तू गड्ढे में जाकर देख कितना रुपया है?”

मुंशी, “सेठ जी, मैं… मैं…”

सेठ, “हाँ, तू… तू… चल अब जल्दी कर।”

मुंशी ने गड्ढे में रखी पोटली निकाल कर रुपये गिने।

मुंशी, “सेठ जी, इसमें तो सब मिलाकर बस ₹60 हैं।”

सेठ, “क्या बकवास कर रहा है? ध्यान से देख।”

मुंशी ने ध्यान से देखा।

मुंशी, “सेठ जी, सच्ची! बस ₹60 हैं।”

सेठ जल्दी से उसके पास आया, उसने पोटली फैला दी।

सेठ, “अरे! इसमें तो सच में बस इतने ही हैं। मुंशी, चल गड्ढा खोद।”

मुंशी ने पोटली वाले गड्ढे को और खोदना शुरू किया।

मुंशी, “सेठ जी, इतना गहरा तो खोद दिया।”

सेठ के इशारे पर मुंशी ने गड्ढे में हाथ डाला।

बुद्धिमान सेठ | BUDDHIMAN SETH | Hindi Kahani | Gaon Ki Kahani | Achhi Achhi Kahani | Hindi Stories

सेठ, “क्या हुआ?”

मुंशी, “सेठ जी, कुछ तो है। बहुत बड़ा है, एकदम मुलायम… मुलायम… पर हाथ में नहीं आ रही है।”

सेठ ने मुंशी को पीछे करके खुद गड्ढे में हाथ डाला।

सेठ, “तगड़ा माल है, तगड़ा!”

उसने जैसे ही हाथ निकाला उसमें बड़ा सा साँप था।

सेठ, “साँप! साँप! साँप!”

सेठ ने घबराकर साँप को फेंक दिया। गड्ढे में से बहुत सारे साँप निकल कर कोठरी में फ़ैल गए। मुंशी घबराकर बेहोश होने लगा।

सेठ, “अबे, भाग! नहीं तो साँप डस लेगा।”

मुंशी, “हाँ हाँ, भागो! भागो! भागो!”

दोनों जिधर भी भागते, साँप आ जाते। पूरी कोठरी साँपों से भर गई। सेठ साँपों के ऊपर से जाने लगा तो गिर पड़ा, उसके सिर से खून बहने लगा और साँप उस पर चढ़ गए।

सेठ, “हे भगवान! बचा ले। अब कभी लालच नहीं करूँगा। इस बार बचा ले भगवान, बचा ले।”

अचानक सभी साँप हटने लगे।

मुंशी, “सेठ जी, चलो जल्दी भागो यहाँ से।”

दोनों वहाँ से भागने लगे। चौखट पर सेठ ने पीछे मुड़कर कोठरी के अंदर देखा। साँपों को उसकी तरफ आते हुए देखकर सेठ और मुंशी दोनों वहाँ से भाग गए।

शाम को भीखू जब वापस आ रहा था तो मोनू दिखा।

भीखू, “मोनू… अरे ओ मोनू! कहाँ भागा जा रहा है? ज़रा रुक तो।”

मोनू रुक गया।

भीखू, “तेरा बाबा कहाँ रहता है? आजकल कितने दिन हो गए, दिखाई नहीं देता।”

मोनू, “बाबा… बाबा तो बीमार हैं। दो दिन से अस्पताल में हैं।”

भीखू, “क्या हुआ उनको?”

मोनू, “डॉक्टर कुछ नहीं बता रहा है। बोला कि जो दवाइयाँ देनी हैं वो अस्पताल में नहीं हैं। तुम ले आओ तो तुम्हारे बाबा ठीक हो जाएंगे।

बहुत महँगी दवाइयाँ हैं। मैं माधव के पास रुपये उधार मांगने गया था, पर उसके पास भी नहीं हैं।”

भीखू, “तू उदास मत हो, बेटा। रुपया मिल जाएगा।”

मोनू, “कहाँ काका? सुबह से चार लोगों से मांग चुका हूँ, पर किसी के पास इतना रुपया नहीं है और बाबा की तबियत बिगड़ती जा रही है।”

भीखू, “कितने में दवाई आएगी?”

मोनू, “₹1100, काका। पूरे 1100। मेरे पास तो ₹20 हैं।”

भीखू, “तो बेटा, हो गया रुपयों का इंतज़ाम।”

बुद्धिमान सेठ | BUDDHIMAN SETH | Hindi Kahani | Gaon Ki Kahani | Achhi Achhi Kahani | Hindi Stories

मोनू, “वो कैसे काका?”

भीखू, “ये ले, इसमें पूरे ₹20 हैं। ₹60 और हैं मेरे पास और तेरे पास भी।”

मोनू, “काका, तो सब मिलाकर खाली 100 ही तो हुआ, बाकी का 1000 कहाँ से आएगा?”

भीखू, “तू फ़िक्र क्यों करता है? तू जा, मैं थोड़ी देर में रुपये का इंतज़ाम करके आता हूँ।”

भीखू अपनी कोठरी की हालत देखकर,

भीखू, “हे राम! आज तो सच्ची कोई चोर आ गया।”

उसने गड्ढे के पास जाकर पोटली उठाई तो वो खाली पड़ी थी। उसने आसपास गिरे हुए रुपयों को उठाकर गिना।

भीखू, “ये तो पूरे 60 हैं। हे राम, तेरा शुक्र है। चोर आया पर रुपया लेकर नहीं गया।”

भीखू ने गड्ढे में हाथ डाला।

भीखू, “इतना गहरा गड्ढा खोदा और एक भी रुपया नहीं ले गया। ये कैसा आदमी था?”

भीखू सेठ के पास गया।

भीखू, “राम-राम, सेठ जी।”

सेठ के सिर पर पट्टी बंधी हुई थी, उसे देखकर सेठ और मुंशी दोनों डर गए।

सेठ, “तू… तू क्यों आया है?”

भीखू, “देखिये ना, सेठ जी! आज पता नहीं कौन चोर कोठरी में घुस गया था।”

मुंशी ने सेठ को देखा।

भीखू, “शुक्र है की मैं अपने रुपये आपके यहाँ रखवा गया था, वरना आज सब चोरी हो जाता। वो तो कोठरी में ज्यादा रुपया नहीं था तो कोई नुकसान नहीं हुआ।”

सेठ और मुंशी दोनों एक-दूसरे को देखने लगे।

भीखू, “मेरा दोस्त अस्पताल में है, उसकी दवाई के लिए रुपया चाहिए। आप मेरा ₹1000 दे दो, मुझे कोई ब्याज़-व्याज़ नहीं लेना। बहुत ज़रूरी है, सेठ जी।”

सेठ, “हाँ हाँ, क्यों नहीं? वो तेरा ही तो रुपया है। ऐसा कर, तू अपना सारा रुपया ले जा।”

भीखू ने हामी में सिर हिलाया।

सेठ, “मुंशी, जल्दी से इसका हिसाब कर।”

मुंशी, “तेरा कुल रुपया ₹6000 हुआ और ₹500 ब्याज़। ₹100 मेरी तरफ से रख लियो तो कुल रुपया ₹6600 हो गया है।”

भीखू, “हैं… पर मैंने तो ₹1000 ही दिया था। इतने सारे कैसे हो गए?”

सेठ, “अरे! भूल गया क्या? पिछले छह महीने से हर महीने ₹1000 देकर जा रहा है। ऐसे कोई भूलता है क्या?”

भीखू, “मैं सच्ची कह रहा हूँ, सेठ जी, मैं तो खाली एक बारी ₹1000 देकर गया था।”

सेठ, “अरे भाई! आज इतनी मुश्किल से जान बची है तो फिर क्यों आफत खड़ी कर रहा है? मुंशी, इसको हर महीने का हिसाब दिखा।”

बुद्धिमान सेठ | BUDDHIMAN SETH | Hindi Kahani | Gaon Ki Kahani | Achhi Achhi Kahani | Hindi Stories

मुंशी, “ये देख, भीखू! ये अप्रैल का, ये मई का, ये जून, जुलाई, अगस्त और ये सितम्बर का। सब पर तेरा ही अंगूठा लगा है।”

भीखू, “हाँ, अंगूठा तो मेरा ही लगा है।”

सेठ, “अरे, लगे ना, तेरा ही है।”

सेठ, “मुंशी, जल्दी कर, इसका सारा रुपया दे दे।”

भीखू, “सेठ जी, मुझे अभी बस ₹1000 दे दो।”

सेठ, “नहीं नहीं, नहीं। तू अपना सारा रुपया ले जा।”

भीखू, “सेठ जी, मैं इतना रुपया कहाँ रखूँगा? चोर ने मेरी कोठरी का रास्ता देख लिया है। अगर चोरी हो गए तो? नहीं, नहीं, नहीं, आप अपने पास रख लो।”

मुंशी, “तेरी कोठरी में घुसने की हिम्मत कौन करेगा?”

सेठ, “नहीं, नहीं, नहीं, तू… तू… तू… तू ले जा।”

भीखू ने सेठ के पैर पकड़ लिए।

भीखू, “सेठ जी! आप ही रख लो। यहाँ महफूज़ रहेंगे, जब ज़रूरत होगी मैं आपसे ले लूँगा। मेरे घर में चोरी हो गए तो?”

भीखू के पैर छूने पर सेठ को भीखू के रूप में साँप दिखाई दिया।

सेठ, “साँप! साँप!”

भीखू ने उसके पैर छोड़ दिए।

सेठ, “ये ले ₹1000। जा यहाँ से। बाकी के रुपये की जब ज़रूरत हो ले जाना।”

भीखू हां में सिर हिलाकर चला गया।

सेठ, “शुक्र है, जान बची।”

भीखू, “मैंने तो सेठ को एक ही बार रुपया दिया था, हर महीने मेरे नाम से कौन रुपया देकर गया और अंगूठा भी लगा गया? हे राम, तेरी महिमा तू ही जाने।”

भीखू ने पैसे जाकर मोनू को दिए और इस तरह उसने अपने दोस्त की मदद करके भगवान का शुक्रिया किया।


दोस्तो ये Hindi Story आपको कैसी लगी, नीचे Comment में हमें जरूर बताइएगा। कहानी को पूरा पढ़ने के लिए शुक्रिया!


Leave a Comment

लालची पावभाजी वाला – Hindi Kahanii ईमानदार हलवाई – दिलचस्प हिंदी कहानी। रहस्यमय चित्रकार की दिलचस्प हिंदी कहानी ससुराल में बासी खाना बनाने वाली बहू भैंस चोर – Hindi Kahani