हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” मेहनती बैल ” यह एक Moral Story है। अगर आपको Hindi Stories, Bedtime Story या Hindi Kahaniya पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
Mehnati Bail | Hindi Kahaniya| Moral Stories | Bed Time Story | Hindi Stories | Hindi Fairy Tales
बलियापुर गांव में सोमू अपनी पत्नी मालती और बेटी प्रीति के साथ रहता था। उनके पास उनका एक बैल बादल भी था जिसकी मदद से वह खेती करते थे।
सोमू,” और खाओ जी भरकर खाओ। आखिर तुम ही हो जिसकी वजह से आज हम लोग दो वक्त का खाना खा पाते हैं। खाओ मेरे बच्चे। “
सोमू बादल को अपने बच्चे की तरह प्यार दुलार किया करता था। दोपहर में सोनू अपनी बीवी से कहता है।
सोमू,” अरे ओ भाग्यवान ! सुनती हो..? “
मालती,” जी हाँ, आई। क्या हुआ..? “
सोमू,” मैं बादल को नहलाने तालाब पर लेकर जा रहा हूँ और आते वक्त खेत से होता आऊंगा ताकि देख सकूं फसल कैसी हो रखी है ? “
मालती,” ठीक है ठीक है, आपको तो बस अपने बादल के साथ समय बिताने का बहाना चाहिए। “
उसके बाद सोमू बादल को लेकर तालाब पर जाता है और उसे बड़ी अच्छी तरह से नहलाता है।
सोमू (गाना गाते हुए),” मेरा सुखी परिवार… जिसका आधार तू मेरे बादल यार… हाँ, तू मेरे बादल यार। “
बादल बूढ़ा होने के बावजूद सोमू के साथ मस्ती में झूमता रहता है। उसके बाद सोमू बादल को लेकर खेतों में से होता हुआ घर आ रहा था। तभी रास्ते में उसे गांव का एक आदमी मिलता है।
आदमी,” और सोमू ! क्या बात है भाई, बुढ़ापे में भी बादल की चमक तो बढ़ती जा रही है ? इस बार की प्रतियोगिता की तैयारी हो रही है क्या ? “
सोमू,” अरे ! कैसी बातें करते हो भाई ? वो वक्त गया जब बादल के सामने कोई बैल टिकता नहीं था।
लेकिन अब मेरा बादल बूढ़ा हो चुका है। उसे प्रतियोगिता में… नहीं नहीं भाई ऐसा नहीं कर सकता। “
आदमी,” सोमू भाई, बादल में अभी भी कोई कमी नहीं है। भाई देख लो, तुम्हारा अपना विचार है। “
सोमू,” सुझाव के लिए धन्यवाद भाई ! माफ़ करना देरी हो रही है, मैं चलता हूँ। “
अगली सुबह सोमू शहर जा रहा था तभी उसकी पत्नी ने उसे रोका।
मालती,” सुनिए जी… मैं कह रही थी कि आप जाते जाते बादल को भी ले जाईये। “
सोमू,” मैं इतनी गर्मी में बादल को ले जाकर क्या करूँगा ? बेचारा परेशान होगा। “
मालती,” देखिये… अब बादल बूढ़ा हो गया है और यह हमारे किसी काम का नहीं। अभी ये खेतों में काम नहीं कर सकता है। “
सोमू,” तुम पागल हो गयी हो क्या ? कैसी कैसी बातें कर रही हो? “
मालती,” मैं सही कह रही हूँ। हम अपने खर्चे की पूर्ति ही जैसे तैसे कर पाते हैं। अब बादल का खर्चा बिना कमाये कैसे उठाएंगे ? “
सोमू,” बादल ने खराब परिस्थिति में हमारा काम किया है। “
मालती,” आप मेरी बात मानिये और इस बूढ़े बैल को बाजार में कसाई के यहाँ बेच आइए क्योंकि अब हम इस बेल को नहीं पाल पाएंगे। “
अ
सोमू,” हमने बेल को कभी नहीं पाला बल्कि बेल ने सदा से हमारा परिवार पाला है। “
मालती,” मुझे बैल से कोई परेशानी नहीं है लेकिन मैं भी हमारे हालत को ध्यान में रखकर बोल रही हूँ। “
सोमू,” आज मैं बैलों की जोड़ी ले जाऊंगा। लेकिन बादल इस घर से कहीं नहीं जायेगा।
मालती,” मैं भी बादल से प्यार करती हूँ लेकिन मजबूरी के हालात देखकर मैं बहक गयी थी। “
सोमू,” कोई बात नहीं, मैं अब शहर जा रहा हूँ। “
सोमू शहर में गया और उसने देखा कि वहाँ कुछ किसान पशुओं को बेच और खरीद रहे हैं।
सोमू,” ये भी सही है। सभी लोग मुझे जल्दी मिल गए हैं। अब यहाँ से एक सुंदर सी बैलों की जोड़ी खरीदकर घर ले जाऊंगा। मालती बहुत खुश होगी। “
सोमू व्यापारी भानूचंद के पास गया।
भानूचंद,” आइये आइये सोमू, और क्या हाल है ? “
सोमू,” जी भैया आपकी कृपा है। मैं एक बैलों की जोड़ी लेने आया हूँ। “
भानूचंद,” मैं बैलों की जोड़ी तो मैं तुम्हें दे दूंगा। चाहे एक की जगह दो ले जाओ लेकिन बदले में मुझे बादल चाहिए। “
सोमू,” भैया बादल… वो अब किसी काम का नहीं है। वो तुम्हारे खेतों में काम नहीं कर पाएगा। “
भानूचंद,” अरे भैया ! सभी चीजों की जिम्मेदारी मेरी है। तुम सिर्फ बादल दे दो। “
सोमू,” मैं बादल को बेचना नहीं चाहता और वैसे भी उसे अब कोई नहीं खरीदेगा। “
भानूचंद,” मैंने पहले भी कई बार समझाया है और आज भी प्यार से समझा रहा हूँ कि चुपचाप बादल को मुझे दे दो। “
सोमू,” भैया, बादल मेरे बेटे जैसा है। जीवन भर उसने मुझे कमा कर खिलाया है। अब मैं उसे किसी को नहीं बेच सकता हूँ। “
भानूचंद,” मैं तुमसे अपना खेत वापस ले लूँगा फिर तुम क्या करोगे ? मजदूरी के लिए यहाँ वहाँ भटकोगे।
लेकिन पूरे गांव में सभी मेरी बात मानते है। मेरे मना करने के बाद कोई तुमको काम भी नहीं देगा। “
ये भी पढ़ें :-
Mehnati Bail | Hindi Kahaniya| Moral Stories | Bed Time Story | Hindi Stories | Hindi Fairy Tales
सोमू,” भैया, ऐसा अन्याय मत कीजिये। हम तुम्हारे हाथ जोड़ते हैं। “
भानूचंद,” फिर सोच लो कि तुम बादल को मुझे बेचोगे या नहीं ? “
सोमू,” चाहे मेरे कितने भी बुरे दिन आ जाएं लेकिन मैं बादल को तुम्हें नहीं दे पाऊंगा। उसने मेरा बहुत साथ दिया है। अब उसके बुढ़ापे में मैं उसका साथ नहीं छोड़ सकता हूँ। “
भानूचंद,” फिर तुम याद रखना कि तुम्हें बादल को ना बेचने की भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। समझे..? “
सोमू,” मैं बादल के लिए कुछ भी कीमत चुकाने के लिए तैयार हूँ। लेकिन तुम याद रखना कि तुम किसी गरीब के साथ ये अच्छा नहीं कर रहे हो। “
सोमू बिना बैल खरीदे ही वापस घर की ओर निकल गया। वहाँ उपस्थित एक अन्य व्यापारी ने भानूचंद से पूछा।
व्यापारी,” भानूचंद भाई, सोनू का बेल बूढ़ा हो चुका है। तुम उसको खरीदने पर क्यों तुले हो ? “
भानूचंद,” तुम नहीं जानते कि उस बेल में क्या है ? मैं उस बैल को खरीदकर बैलों की दौड़ प्रतियोगिता में दौड़ाना चाहता हूँ। “
व्यापारी,” मैं कुछ समझा नहीं। वो बूढ़ा बेल कैसे दौड़ पाएगा और अगर ऐसा होता तो फिर सोमू भी उसे दौड़ा सकता था ? “
भानूचंद,” सोमू ने बहुत कोशिश की लेकिन मैंने उसे हर बार प्रतियोगिता में हिस्सा लेने से रुकवा दिया है और अब उसको खुद ही बादल पर भरोसा नहीं है। जबकि मुझे उस पर पूरा भरोसा है। “
व्यापारी,” अब आगे क्या करोगे ? “
भानूचंद,” 2 दिन बाद बैलों की दौड़ प्रतियोगिता है। बादल बहुत सुंदर है। आधे से ज्यादा लोग तो उसकी सुंदरता पर ही पैसा लगा देंगे।
मैं एक दिन में बहुत सारे पैसे कमा लूँगा और फिर ये संख्या बढ़ती जाएगी क्योंकि मैं आखिर तक पैसे कमाऊंगा। “
व्यापारी,” हाँ, सही है। “
भानूचंद,” मेरे हाथ अब सोने का बैल लग गया है। सोना ही सोना होगा। “
दोनों खिलखिलाकर हंसते है।
अगले दिन सोमू और मालती दोनों उदास बैठे थे।
मालती,” तुम बिना सोचे समझे फैसले लेते हो। मैंने पहले ही कहा था कि इसको बेच दो।
ये हमारा भाग्य है कि कोई स्वयं चलकर इस बूढ़े बैल को खरीदने आ रहा है। “
सोमू,” अब तुम भी मेरी बात नहीं समझ रही हो। “
मालती,” मैं सारी बात समझती हूँ। मेरे लिए भी बादल बहुत प्यारा है और उसके अलावा हमारा कोई नहीं है।
लेकिन भानूचंद बहुत खतरनाक व्यक्ति है। हम उसका सामना कभी नहीं कर पाएंगे। “
सोमू,” मैं भी यही सोच रहा हूँ। भानूचंद जो बोलता है वो करता है। अब वो बादल को हमारे साथ नहीं रहने देगा। “
सोमू और मालती बादल को पकड़कर रोने लगे। सोमू उसको पकड़कर चूमता है और फिर रोता है।
सोमू,” वो दुष्ट तुम्हें लेने आता होगा। मैं तुम्हें नहीं बचा पा रहा हूँ मेरे बच्चे। मैंने बहुत कोशिश की लेकिन इस दृष्टि से तुमको नहीं बचा पाया क्योंकि उसके सामने मैं कमज़ोर हो गया। “
मालती,” हमें क्षमा कर देना बादल। अब तुमको दुष्ट से बचाना बहुत मुश्किल है। हमारे पास इतना समय भी नहीं बचा कि हम तुम्हारे साथ ये गांव छोड़कर भाग जाएं। “
बादल कुछ बोल नहीं सकता लेकिन उसकी भी भावनाएँ हैं। उसको सब कुछ समझ आ गया।
उसकी आँखों से भी आंसू बहने लगे। सोमू ने बैल को खोला और रात में ही उसे भानूचंद के घर बांध आया।
सोमू,” मुझे माफ़ कर देना, मेरे बच्चे। अपना ख्याल रखना। “
भानूचंद,” अब बस कर… अब बहुत हुआ तेरा काम।
अब ये मेरा हुआ। जाओ यहाँ से। “
सोमू वहाँ से जाने लगा लेकिन बादल की आँखों के आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे। लेकिन मजबूरन उसे वापस आना पड़ा।
सोनू ने जब अगली सुबह उठकर देखा तो बादल बाहर खड़ा होकर घास चर रहा था।
सोमू,” अरे बादल ! मेरे बच्चे… तू आ गया ? ये सच्चा प्रेम ही है, ये निस्वार्थ प्रेम है। मेरा बादल वापस आ गया। “
सोमू बादल से जाकर लिपट गया। तभी उसने देखा की बादल के पैर में चोट लगी है।
सोमू,” बादल, मेरे बच्चे… तुझे ये चोट कैसे लग गयी ? जरूर ये दुष्ट भानूचंद का ही कारनामा है। उस दुष्ट ने ही तुझे मारा होगा। “
भानूचंद के कारण सोमू और मालती की जिंदगी में सब कुछ खत्म हो गया था। अब उनके घर में रोटी भी नहीं बची थी।
मालती,” अब तो घर में खाने को कुछ भी नहीं बचा है। अब हम क्या करें ? “
सोमू,” मेरी समझ से सब बहार हो रहा है मालती। “
तभी बादल उन दोनों को परेशान देखकर अपनी जगह से चलकर पास ही रखी बैल गाड़ी के पीछे के हिस्से के पास जाकर खड़ा हो गया और अपने सींगों से उसे उठाने की कोशिश करने लगा। ये सब देखकर सोमू और मालती रोने लगे।
मजबूरी में सोमू ने बादल को बैलगाड़ी से जोड़ा और दिन भर सामान ढोने का काम किया।
सोमू,” आज हमारे बुरे समय में बादल ही काम आ रहा है। मैं बादल से बिल्कुल भी इतना ज्यादा काम नहीं लेना चाहता था लेकिन आज बादल ने बेटे से बढ़कर फर्ज निभाया है।
उसने टूटी टांग से भी हमारे लिए रोटी कमाई है। “
सोमू और मालती दोनों की आँखों से झरझर आंसू बहने लगे। तभी वहाँ भानूचंद आ गया।
भानूचंद,” अब मुझे ही इस बादल को लेने आना पड़ा। इसकी टांग तोड़ने के बाद भी ये नहीं माना। “
मालती,” मैं तुम्हारे आगे हाथ जोड़ती हूँ, मेरे बच्चे को मत लेकर जाओ। “
सोमू,” हाँ, बादल को छोड़ दो। इसके बदले हम जीवन भर के लिए तुम्हारे गुलाम हो जाएंगे। “
भानूचंद,” आज प्रतियोगिता है। मैंने बादल का नाम लिखवा दिया है और अब बादल मेरा है। मैं इसके लिए तुम्हें अब एक भी पैसा नहीं दूंगा। “
सोमू,” तुम मुझे मार दो और बादल को ले जाओ क्योंकि मैं अपने जीते जी बादल को नहीं ले जाने दूंगा। “
भानूचंद,” देखो मुझे बहुत देर हो रही है इसलिए जाने दो। नहीं तो अच्छा नहीं होगा। मैं सच में तुम्हें मार दूंगा। “
भानूचंद ने सोमू को धक्का मारा और बादल के गले में बंधी रस्सी को हाथ में फंसाकर चलने लगा। सोमू और मालती दोनों ज़ोर ज़ोर से रो रहे थे।
बादल भी आगे कदम नहीं बढ़ा रहा था। भानूचंद उसे जबरदस्ती अपनी ओर खींच कर आगे ले जाना चाहता था।
भानूचंद,” मुझे जल्दी से प्रतियोगिता में पहुंचना है और एक तू है कि चल ही नहीं रहा। “
बादल को बहुत क्रोध आया। वो बहुत तेज़ दौड़ने लगा। भानूचंद का हाथ उसकी रस्सी में फंस चुका था इसलिए भानूचंद को भी उसके पीछे दौड़ना पड़ा।
लेकिन ज्यादा दूर तक वो दौड़ नहीं पाया और नीचे गिर गया। लेकिन बादल नहीं रुका। उसने भानूचंद को पूरे गांव में जमीन पर खदेड़ा। “
ये भी पढ़ें :-
Mehnati Bail | Hindi Kahaniya| Moral Stories | Bed Time Story | Hindi Stories | Hindi Fairy Tales
सोमू,” बादल, रुक जा… रुक जा मेरे बच्चे। वो मर जाएगा। रुक जा। “
गांव के सभी लोग ये देख रहे थे। कुछ देर में ही भानूचंद की तड़प तड़प कर मौत हो गई। सोमू और मालती भी वहाँ पहुँचे।
सोमू,” बादल, तुझे ये नहीं करना चाहिए था। ये तुने गलत किया। “
मालती,” बादल ने जो आज किया, वो उसकी मजबूरी बन गई थी। “
बादल दोनों के पैरों से लिपट गया। मालती और सोमू ने भी उसको गले से पकड़ लिया और तीनों का प्रेम अश्रु बनकर बह गया।
इस कहानी से आपने क्या सीखा ? नीचे Comment में हमें जरूर बताएं।