हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – “ गर्भवती नर्स ” यह एक Girlfriend Boyfriend Story है। अगर आपको Bf GF Ki Kahani, Moral Story in Hindi या Bedtime Story पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
मीरा,” सतीश, मैं माँ बनने वाली हूँ। तुमने कहा था कि तुम अपने घरवालों से बात करोगे। मैंने तुम्हारे हर गलती में साथ दिया, लेकिन तुमने मुझे कहीं का नहीं छोड़ा।
अगर तुम अभी नहीं आए, तो मैं पुलिस को तुम्हारे बारे में सब सच बता दूंगी।”
सतीश, “तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है। क्या मैंने तुम्हें कहा था कि अबॉर्शन करवा लो? तुमने नहीं करवाया।
अब चुपचाप बच्चा गिराने की गोलियां खा लो, वरना मुझसे बुरा कोई नहीं होगा। और तू पुलिस को बताएगी? इससे पहले मैं तुझे जिंदा नहीं छोड़ूंगी।”
मीरा, “सतीश, मुझे छोड़ो।”
सतीश, “मैं तेरा गला दबाकर तुझे जान से मार दूंगा। आज तुझे मुझसे कोई नहीं बचा सकता।”
आखिर सतीश मीरा नाम की इस नर्स को जान से क्यों मारना चाहता है? कहानी के इस राज़ को समझने के लिए हमें 4 साल पीछे जाना होगा।
मीरा (नर्स),”लीजिए ये दवाई ले लीजिए, आपको आराम की नींद आएगी।”
पेशेन्ट,” जीती रहो बेटी, खुश रहो।”
दूसरी नर्स, “सिस्टर, आपको डॉक्टर सतीश अपने केबिन में बुला रहे हैं।”
मीरा,” अच्छा, मेरी ड्यूटी ओवर हो गई है। मैं घर जा रही हूँ।”
सिस्टर,” ठीक है, बाय मीरा।”
मीरा सतीश के केबिन में जाती है।
सतीश,” कहाँ रह गई थी? इतनी देर से तुम्हारा इंतज़ार कर रहा था।”
मीरा,” सतीश, ये तुम ठीक नहीं कर रहे हो। इस तरह से किसी ने हमें देख लिया तो कितनी बदनामी होगी?”
सतीश,” अरे! किसी को कुछ पता नहीं चलेगा। तुम बस थोड़ा करीब आओ। क्या तुम मुझसे प्यार नहीं करती हो? करती हो ना?”
मीरा,” हाँ, पर तुम मुझसे शादी कब करोगे? ऐसे कब तक चलेगा?”
मीरा सतीश से प्यार करती थी लेकिन सतीश केवल उसका फायदा उठा रहा था। ऐसे ही एक दिन…
मीरा, “ओके मां जी, ये पीने वाली दवाईले लो। वैसे आपके घर में और कौन-कौन है?”
पेशेन्ट, “मेरी बहू और बेटा तो मुझे कब के छोड़ कर चले गए? पति का कुछ साल पहले ही दहांत हो गया। अब उनकी पेंशन से ही गुजर बसर करती हूं।”
मीरा, “मां जी आप चिंता मत कीजिए, मैं भी तो आपकी बेटी की तरह हूं। आज आपका बीपी ज्यादा आया है।
Garbhavati Nurse | गर्भवती नर्स | Hindi Kahani | Moral Kahani | Sacchi Kahani in Hindi
इसलिए मैंने आपको दवाई दे दी है। आराम से सोना और अगर किसी चीज की जरूरत पड़े तो इस घंटी को बजा दना, मैं आ जाऊंगी।”
उस बूढी औरत को दवाई देने के बाद मीरा रिसेप्शन पर आकर बैठ जाती है। कुछ देर में वहां सतीश भी आ जाता है और उसे अपने केबिन में बुलाता है।
सतीश, “इतनी देर क्यों लगा दिया आने में?”
मीरा, “36 नंबर बैड के पेशेंट की तबीयत आज ठीक नहीं है। उनका बीपी बहुत बढ़ा हुआ आया है इसलिए उन्हें दवाई दे रही थी।”
सतीश, “मीरा, तुम्हें क्या लगता है ये बूढ़ी और कितने दिन जिंदा रहेगी? हमें जल्द से जल्द इसके शरीर से ऑर्गन निकालने होंगे।”
मीरा, “ये तुम कैसी बातें कर रहे हो सतीश, मैं कुछ समझी नहीं?”
सतीश,”मीरा, तुम नहीं जानती ऑर्गन कितने महंगे बिकते हैं? आज ही विदेश की एक डॉक्टर से बात हुई है।
अगर हम मरीजों के ऑर्गन बेचने का काम शुरू कर दें, तो हम कुछ ही दिनों में करोड़पति बन जाएंगे।”
मीरा,” छी सतीश…ये कैसी बेहुदा सोच है तुम्हारी? तुम एक डॉक्टर होकर ये सब बोल रहे हो?
मैं इस काम में तुम्हारा साथ कभी नहीं दूंगी। और अगर तुमने ऐसा करने की कोशिश की, तो मैं कुछ भी कर सकती हूँ।”
सतीश,” अरे रे! मैं तो मजाक कर रहा था, मेरी जान। अच्छा गुस्सा मत करो। इधर तो आओ।”
इतने में मीरा को घंटी की आवाज सुनाई देती है।
मीरा,” सतीश, लगता है किसी मरीज को कोई परेशानी है। मैं अभी उनके पास जाकर आती हूँ।”
मीरा दौड़कर मरीज के पास जाती है। उसे महिला की हालत बहुत खराब थी।
मीरा, “डॉक्टर सतीश, पेशेंट की तबियत बिगड़ रही है।”
सतीश, “उन्हें ऑपरेशन थिएटर में शिफ्ट करो, मैं वहीं पहुंचता हूं”
कुछ देर बाद सतीश ऑपरेशन थिएटर में जाता है। बूढी महिला की तबीयत बिगड़ रही थी।
सतीश उसे एक इंजेक्शन दे देता है जिसके बाद वो बूढ़ी महिला बिलकुल शांत हो जाती है।
मीरा, “डॉक्टर सतीश, ये महिला तो मर गई।”
सतीश,” इसमें हमारी क्या गलती है? इनका बीपी बहुत ज्यादा बढ़ गया था जिसकी वजह से इन्हें अटैक आ गया।”
सतीश, “नर्स, डेड बॉडी को पोस्टमॉर्टम के लिए तैयार करो।”
मीरा समझ नहीं पा रही थी कि अचानक सतीश ने उस बूढी महिला को कैसे इंजेक्शन दिया, जिसके बाद वह मर गई?
बात वहीं दब जाती है। मीरा को नहीं पता था कि जानबूझकर सतीश ने उस बूढ़ी महिला को मारा है।
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सतीश तो उसके ऑर्गन कब के बेच भी चुका था, जिससे मीरा बिलकुल अनजान थी। एक दिन मीरा को इस बात का पता चल जाता है।
मीरा, “रामदीन, डॉक्टर सतीश को देखा? वो अपने केबिन में नहीं थे।”
रामदीन, “डॉक्टर साहब तो किसी का पोस्टमॉर्टम कर रहे थे। कुछ देर पहले ही 20 नंबर बैड के मरीज की मौत हुई है।”
मीरा, “20 नंबर बैड का मरीज तो बिलकुल ठीक था। अचानक क्या हुआ?”
मीरा, “ठीक है तुम जाओ, मैं देखती हूँ।”
मीरा सतीश के पास जाती है। वो देखती है कि सतीश मरीज के सारे ऑर्गन निकालकर एक जगह रख रहा है। मीरा गुस्से में आ जाती है।
मीरा”सतीश, ये सब क्या कर रहे हो? तुमने जानबूझकर इस मरीज को मारा है ना?”
सतीश, “धीरे बोलो, धीरे बोलो। ज्यादा शोर मत मचाओ। मैं जो कर रहा हूँ, मुझे करने दो।
मुझे बहुत से पैसे कमाने हैं। मैं आराम की जिंदगी जीना चाहता हूँ। तुम भी मेरा साथ दो।
तुमने मेरा साथ नहीं दिया तो तुम मुझे खो दोगी। बोलो, तुम्हें मेरे साथ रहना है या नहीं?
ठीक है, तुम पुलिस को फोन करके मुझे जेल करवा दो, फिर रह लेना मेरे बिना।”
उस समय, मीरा चुप हो जाती है। यह घिनौना काम सतीश काफी समय से कर रहा था।
एक दिन मीरा को पता चलता है कि वह गर्भवती है। वह इस बारे में सतीश से बात करती है।
मीरा, “सतीश, मैं गर्भवती हूँ और अब मैं और नहीं रुक सकती। तुम अपने घर वालों से बात करके मुझसे शादी कर लो।
पिछले 4 साल से मैं तुम्हारे इस घिनौने काम में साथ दे रही हूँ, पर अब मैं और नहीं सह सकती।
तुम्हें मुझसे शादी करनी ही होगी। सतीश, यह सब छोड़ दो। हम दोनों शादी कर लेते हैं। तुम यह घिनौना काम छोड़ दो।”
सतीश, “मैं शादी नहीं कर सकता। इस बच्चे को गिराना है तो गिरा दे, मगर मैं तुझसे शादी नहीं कर सकता।
मैं एक अमीर लड़की से शादी कर रहा हूँ। मेरी बात वहाँ पक्की हो गई है।”
मीरा, “तुमने मुझे धोखा दिया, सतीश? तुम मेरे साथ ऐसा कैसे कर सकते हो?
मैं तुम्हारी सारी करतूत पुलिस में बता दूंगी। छोड़ो मुझे, छोड़ो सतीश।”
तभी पुलिस वहाँ आ जाती है।
इंस्पेक्टर, “घबराने की बात नहीं है मीरा जी, अच्छा हुआ आपने हमें सही समय पर फोन कर दिया।”
सतीश, “तुमने पुलिस को बुलाया है?”
मीरा, “हाँ, मैं और तुम्हारे इस गुनाह में साथ नहीं दे सकती थी। मुझे पता था तुम मुझे बेवकूफ बना रहे हो, इसलिए मैंने पुलिस को तुम्हारे बारे में सारी सच्चाई बता दी।
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मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता कि तुम मेरे साथ रहो या नहीं। मैं अकेली ही इस बच्चे को पाल सकती हूँ।
सतीश, मैंने तुमसे सच्चा प्यार किया था। पर मैं इतनी भी खुदगर्ज नहीं कि अपने काम के साथ गद्दारी करूँ। इसे ले जाइये, इंस्पेक्टर। डॉक्टर के नाम पर भद्दा दाग है।”
सतीश को उसके गुनाहों की सजा मिल जाती है। पुलिस सतीश को पकड़कर ले जाती है।
हॉस्पिटल का सारा स्टाफ मीरा की बहुत तारीफ करता है। आज मीरा के दिल का बोझ हल्का हो गया था।
उसे अपनी गलती का अहसास हो गया था और उसने सतीश जैसे इंसान को अपनी जिंदगी से निकाल बाहर फेंका था।
दोस्तो ये Moral Story आपको कैसी लगी नीचे Comment में हमें जरूर बताइएगा। कहानी को पूरा पढ़ने के लिए शुक्रिया!