हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” आत्मा ” यह एक Real Horror Story है। अगर आपको True Horror Stories, Real Horrible Stories या Sachhi Darawani Kahaniyan पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
ममता, “इस बार भी इस करमजली के पेट में लड़की है। कैसी मनहूस है, अपने पति को वारिस तक नहीं दे पा रही है?”
राहुल, “माँ, आपको कैसे पता कि इस बार भी लड़की है?”
ममता, “हॉस्पिटल की नर्स को ढेर सारा पैसा दिया, तब जाकर उसने इसकी लिंग जांच कर मुझे बताया।”
राहुल, “मगर माँ, ये तो गैरकानूनी है। किसी को पता चल गया तो लेने के देने पड़ जाएंगे।”
ममता, “तो तू क्या चाहता है? फिर से नौ महीने इसकी सेवा करूँ और हजारों रुपये में एक लड़की और घर लेके आ जाऊं?
फिर तू सारी ज़िन्दगी इसकी खिदमत कर और उसके दहेज के लिए पैसे जुटा। नहीं, मैं ये नहीं होने दूंगी।”
राहुल, “तो आप क्या करोगी?”
ममता, “अरे! करना क्या है? इस मुसीबत से छुटकारा पाना है और क्या?”
राहुल, “मगर माँ…।”
ममता, “कोई मां वां नहीं, मैंने एक बार कह दिया मतलब कह दिया।”
राहुल, “मगर उसे मालूम पड़ेगा तो, वो कभी भी इसके लिए तैयार नहीं होगी।”
ममता, “कैसे तैयार नहीं होगी? अरे! उसे कुछ पता ही नहीं चलेगा। तू बस कल सुबह उसे डॉक्टर के यहाँ चलने के लिए बोल देना, बाकी सब मैं देख लूंगी।”
दूसरी तरफ सोना बहुत परेशान थी। दो बेटियों के होने के बाद वो तीसरी बार माँ बनने वाली थी।
दूसरी बेटी के जन्म के बाद ही डॉक्टर ने उसे ऑपरेशन के लिए कह दिया था क्योंकि वो शारीरिक रूप से इतनी मजबूत नहीं थी कि तीसरी बार भी माँ बन सके।
उसके बहुत मना करने के बावजूद पति राहुल अपनी माँ की जिद के आगे हार गया और उन दोनों को अपने तीसरे बच्चे के बारे में सोचना पड़ा।
मगर उसकी तबियत इतनी खराब थी कि वो घर के रोजमर्रा के काम भी नहीं कर पा रही थी।
राहुल, “सोना, कैसी हो? तबियत तो ठीक है ना?”
सोना, “मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा है। मैं कुछ दिनों के लिए अपने मायके जाना चाहती हूँ।”
राहुल, “तुम ऐसे क्यों बात कर रही हो? मम्मी तुम्हारा इतना ख्याल तो रखती हैं।
कल तुम्हारे लिए डॉक्टर का स्पेशल अपॉइंटमेंट लिया है। सुबह जल्दी तैयार हो जाना।”
सोना को राहुल की बात पर यकीन ही नहीं हुआ कि उसकी सास ने उसकी बेहतरी के लिए डॉक्टर से अपॉइंटमेंट लिया होगा।
वो नहीं जाना चाहती थी, मगर राहुल की जिद के आगे सुबह तैयार होकर अपनी सास के साथ हॉस्पिटल पहुँच गई।
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ममता जी ने डॉक्टर से पहले अपॉइंटमेंट लेकर रखा था, इसीलिए उनके जाते ही नर्स उसे ओटी में ले गई और ऑब्सर्वेशन की तैयारी करने लगी।
बेहोशी की हालत में सोना को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि उसके साथ क्या हो रहा है?
मगर सोना की शारीरिक कमजोरी के कारण उसे बहुत ज्यादा रक्तस्राव होने लगा, जिसे देख कर नर्स और डॉक्टर दोनों डर गए।
नर्स, “डॉक्टर, अब क्या करें? इसकी तो ब्लीडिंग रुक ही नहीं रही है।”
डॉक्टर, “मुझे भी समझ में नहीं आ रहा है। ओ पॉज़िटिव ब्लड का इंतजाम करो। इसे ब्लड चढ़ाना पड़ेगा, वरना इसकी हालत और खराब हो जाएगी।”
डॉक्टर के कहते ही नर्स तुरंत ओटी से बाहर निकली और ब्लड का इंतजाम करने में लग गई।
दूसरी तरफ सोना की हालत गिरती जा रही थी। नर्स ब्लड लेकर पहुँच पाती, उसके पहले ही सोना मर चुकी थी।
डॉक्टर, “वी आर सॉरी, शी इज़ नो मोर। कमजोरी के कारण बहुत ज्यादा ब्लीडिंग हो गई। हम उसे नहीं बचा पाए।”
अपनी पत्नी की मौत की खबर सुनकर राहुल तो टूट सा गया, मगर ममता जी खुश हो गईं।
अब वो अपने बेटे की दूसरी शादी करने के लिए स्वतंत्र हो गई थीं।
ममता, “अरे! क्यों फिक्र कर रहा है तू? क्या कमी है तुझ में? तेरे लिए लड़कियों की लाइन लगा दूंगी।
अभी इसके मायके वालों को फ़ोन कर, इस मुसीबत से छुटकारा पाते हैं।”
सोना का अंतिम संस्कार कर जब राहुल घर लौट रहा था, तब अचानक साफ मौसम में तूफ़ान आ गया।
तेज़ तूफ़ान के कारण राहुल की गाड़ी चलाना मुश्किल हो रहा था। बारिश के कारण कुछ भी सामने नजर नहीं आ रहा था।
तभी अचानक उसे ऐसा लगा कि उसकी पत्नी सोना सामने खड़ी है। उसने तुरंत झटके से ब्रेक लगाया, मगर गाड़ी उसकी पत्नी से जाकर टकरा गई।
राहुल, “सोना, नहीं… ये नहीं हो सकता।”
यह कहते हुए राहुल सोना को ढूंढने के लिए सड़क पर उतर गया। वो ज़ोर-ज़ोर से आवाज़ देकर बीच सड़क पर बैठे-बैठे रो रहा था।
तेज बारिश और हवा-आंधी के बीच कार के दरवाज़े खुले और ऐसा लगा कि मानो कोई ड्राइवर के पास वाली सीट पर आकर बैठ गया हो।
कुछ ही पल के बाद मौसम एकदम साफ हो गया। तभी राहुल के मोबाइल पर उसकी माँ का फ़ोन आया।
फ़ोन की आवाज़ से राहुल को जैसे होश आया हो और वो सड़क के बीच में उठकर वापस कार में बैठ गया और घर पहुँच गया।
पानी में भीगे हुए राहुल के पैरों की छाप घर में बन रही थी और उसके पैरों के साथ ही दो पैरों की छाप और बन रही थी, मगर वो पैर उल्टे थे।
सोना को मरे हुए 4 दिन हो चुके थे। ममता जी तो जैसे सोना को भूल ही गई थीं। वो राहुल की दूसरी शादी करने की तैयारी में थीं।
मगर राहुल और उसकी दोनों बेटियाँ आज भी सोना को बहुत याद करती थीं। उसी रात उन लोगों को सोना के अपने आसपास होने का एहसास होने लगा।
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बड़ी बेटी, “पापा, आपको भी लगा ना कि मम्मी यहाँ पर है?”
राहुल, “हाँ, मुझे उसकी खुशबू आ रही है।”
राहुल, “सोना, तुम यहीं हो ना? कहाँ हो, कहां हो तुम? सामने आओ सोना। एक बार हमारे सामने आ जाओ।”
राहुल और उसकी दोनों बच्चियों को सोना नजर आने लगी। दोनों लड़कियाँ बहुत खुश हो गईं, क्योंकि उनकी माँ उन्हें छोड़कर कहीं नहीं गई थी, बल्कि उन्हीं के पास थी।
सोना अब नॉर्मल इंसान की तरह अपने बच्चों के साथ खेलती और पति से बातें करती। ममता जी हैरान थीं कि उनके घर में ये क्या हो रहा है?
उनके बेटे के कमरे से उसके साथ-साथ किसी स्त्री के भी हंसने की आवाज आ रही थी।
ममता जी कुछ दूर खड़ी होकर कुछ बातों को सुनने की कोशिश कर रही थी, मगर सही से कुछ समझ नहीं आ रहा था।
तभी अचानक से दरवाज़ा खुला और उनका बेटा राहुल बाहर आया। उसकी आँखें गुस्से में लाल थीं।
साड़ी पहने हुए उसने पूरा महिलाओं की तरफ मेकअप किया हुआ था। उसकी ये दशा देखकर ममता जी ज़ोर ज़ोर से चीख पड़ी।
राहुल (सोना की आवाज में), “क्या हुआ, मम्मी जी? आप परेशान लग रही हैं? आप तो खुश थीं कि मैं इस दुनिया से चली गई,
मगर मैं लौटकर आ गई हूँ अपने राहुल और बच्चों के पास। मुझे उन लोगों से कोई दूर नहीं कर सकता।
उन लोगों को मैं अपने साथ लेकर जाऊंगी। कोई मुझे नहीं रोक सकता। ममता नाम है ना आपका?
मगर आपके अंदर ममता नाम की कोई चीज़ नहीं है। एक अजन्मे बच्चे को मारने के लिए आपने अपने बेटे का घर उजाड़ दिया। अब आप अकेली ही रहना यहाँ।”
यह कहते हुए राहुल ज़ोर-ज़ोर से हंसने लगा और अचानक बेहोश हो गया। जब उसे होश आया तो खुद को देख कर शर्मिंदा हो गया।
राहुल, “माँ, ये सब क्या है और ये मैंने साड़ी क्यों पहन रखी है?”
राहुल की बात सुनकर ममता जी उसे सारी बात बताने लगीं। अपनी बच्चियों की सुरक्षा के लिए राहुल ने अपनी माँ के साथ गाँव जाकर पंडित जी से रक्षा सूत्र बंधवाकर लाया।
उस रक्षा सूत्र के कारण अब सोना की आत्मा राहुल के शरीर के भीतर नहीं जा पा रही थी
और न ही राहुल से और न ही अपनी बच्चियों से कोई बात कर पा रही थी। वह गुस्से में ममता जी के सामने आकर बोली,
सोना, “तुम्हें क्या लगता है, तुम मुझे मेरे पति और बच्चों से दूर कर दोगी? नहीं, कभी भी नहीं। मैं उन्हें अपने साथ लेकर ही जाऊंगी।”
कहते हुए गुस्से में उसने पूरे घर का सामान अस्त-व्यस्त कर दिया। उसकी आत्मा का रौद्र रूप देखकर ममता जी परेशान हो गईं।
अगले दिन सोना की आत्मा अपने बच्चों के सामने खड़ी थी। बच्चे अपनी माँ को देखकर बहुत खुश हुए।
सोना, “आओ बेटा, मेरे पास आओ।”
सोना के बुलाने पर दोनों लड़कियाँ उसकी तरफ बढ़ने लगीं, तभी सोना ने उन्हें रुकने का इशारा किया।
सोना, “बेटा, तुम्हारे हाथ में जो धागा बंधा है, इसे खोलकर मेरे पास आओ। राहुल, तुम भी मेरे पास आओ।
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देखो, हमारी तीसरी बेटी तुम्हें बुला रही है देखो। आओ आओ, अपनी बहन के पास आओ, बेटा।”
राहुल और उसके दोनों बच्चे सम्मोहित होकर सोना की तरफ देख रहे थे। सोना की गोद में एक छोटी सी बच्ची थी, जो मुस्कराकर उन्हें अपने करीब बुला रही थी।
तीनों ने सम्मोहित होकर अपने हाथ का धागा खोल दिया। ममता जी के मना करने के बावजूद, वो सभी सोना की तरफ बढ़ने लगे।
जैसे ही राहुल ने सोना की गोद में से बच्ची को दिया, एक तेज़ बवंडर आया और तीनों उस बवंडर के अंदर घूम रहे थे।
जैसे ही वो बवंडर शांत हुआ, तीनों की लाश जमीन पर पड़ी थी। सोना अपने साथ अपने पूरे परिवार को ले जा चुकी थी।
ममता जी के पास पछताने के अलावा कुछ भी नहीं बचा था। पोते की चाह में उनका घर उजड़ चुका था।
दोस्तो ये Real Horror Story आपको कैसी लगी, नीचे Comment में हमें जरूर बताइएगा। कहानी को पूरा पढ़ने के लिए शुक्रिया!