हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” बीच पर पानीपुरी वाला ” यह एक Moral Story है। अगर आपको Hindi Stories, Moral Stories या Bedtime Stories in Hindi पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
नागेश एक गरीब परिवार का आदमी था। वो अपनी गरीबी से परेशान होकर बहुत सारा पैसा कमाने मुंबई आ गया।
लेकिन मुंबई आते ही स्टेशन पर उसका पर्स और सामान चोरी हो गया।
नागेश, “क्या बात है यार? मैंने मुंबई के बारे में जो सुन रखा था, जो सोचा था, ठीक वैसा ही हुआ मेरे साथ मुंबई में कदम रखते ही।”
सारा सामान चोरी होने के बावजूद वह दुखी नहीं होता। उसे पता था कि मुंबई में पहले दिन से ही स्ट्रगल करना पड़ता है।
बटवा चोरी हो जाने की वजह से वह बस नहीं ले पाया। वो पैदल ही अपने दोस्त के दिए हुए ठिकाने के लिए निकल पड़ा और चलते-चलते एक झोपड़पट्टी के सामने आ गया।
नागेश, “यार, इस बबलू ने तो बोला था कि वो मुंबई में बहुत अच्छे फ्लैट में रहता है। ये तो झोपड़पट्टी वाला इलाका है।
कहीं मैं गलत एड्रेस पर तो नहीं आ गया? मेरा फ़ोन भी चोरी हो गया है, मैं फ़ोन कैसे करूँ उसे?”
तभी पीछे उसके कंधों पर किसी ने हाथ रखा। नागेश अचानक से पीछे मुड़ा और देखा कि पीछे कोई और नहीं, बल्कि उसका दोस्त बबलू ही था।
बबलू, “अरे नागेश! तू कब आया? अरे! मुझे फ़ोन कर देता, मैं आ जाता तुझे लेने।”
नागेश, “यार बबलू, मेरे साथ तो कमाल का हादसा हो गया मुंबई पहुँचते ही।”
बबलू, “अच्छा, ऐसा क्या हुआ तेरे साथ? क्या मुंबई पहुँचते ही तुझे नौकरी मिल गई?”
नागेश, “नहीं यार। जैसे ही मैं मुंबई पहुँचा वैसे ही मेरा पर्स और सारा सामान चोरी हो गया। मैं बता नहीं सकता कि मैं कितना खुश हूँ, बबलू।”
बबलू, “इसका सारा सामान चोरी हो गया और ये इतना खुश है। कहीं ये पागल तो नहीं हो गया?”
नागेश, “बबलू, तू यही सोच रहा है न कि मेरा सारा सामान चोरी हो जाने के बावजूद मैं इतना खुश क्यों हूँ?
मैंने सुना है कि मुंबई स्टेशन पर चोर सारा सामान चोरी कर लेते हैं और जो स्ट्रगल करता है, वही सफल होता है। आते ही मेरा स्ट्रगल शुरू हो गया। अब मैं बहुत पैसे कमाऊँगा।”
बबलू, “अरे यार! यहाँ पर नौकरी करने का कोई फायदा नहीं है क्योंकि नौकरी बहुत मुश्किल से मिलती है और पता नहीं उसमें कितना टाइम लग जाएगा?
कुछ नहीं कह सकते। ऐसा करते हैं, हम लोग पानी पूरी का ठेला लगाते हैं और वो भी जूहू बीच पर।
वहाँ पर शाम होते ही लाखों लोगों की भीड़ लगती है। बहुत पैसा कमाएँगे हम लोग और तू फिक्र मत कर।”
नागेश को भी उसकी बात सही लगती है और दोनों जूहू बीच पर पानी पूरी का ठेला लगा लेते हैं।
लेकिन वहाँ तो पहले से ही पानी पूरी का ठेला था और वो बहुत फेमस ठेला था। बीच पर आए हुए लोग उसी ठेले से पानी पूरी खाते थे।
नागेश को ठेला लगाए 3 दिन बीत गए, लेकिन कोई उसके ठेले पर आया ही नहीं।
बीच पर पानीपुरी वाला | Beach Par Panipuri Wala | Moral Stories | Bedtime Stories in Hindi
नागेश, “यार, 3 दिन बीत गए। उस सामने वाले पानी पूरी की दुकान पर बहुत ज्यादा भीड़ रहती है और हमारे दुकान पर लोग आते ही नहीं।
क्यों…? जबकि मैं तो बहुत ज्यादा स्वादिष्ट पानी पूरी बनाता हूँ। मैं इसमें एक्सपर्ट हूँ।”
बबलू, “हाँ, वो बात तो सही है तेरी नागेश। लेकिन ये मुंबई है यार, तेरे पानी पूरी का स्वाद बहुत अच्छा है,
ये बात लोगों को तभी पता चलेगी ना जब लोग तेरी दुकान पर आएँगे।”
नागेश, “लेकिन उसके लिए करेंगे क्या? कोई प्लान है क्या तेरे पास?”
बबलू, “नहीं, अभी प्लान तो नहीं है।”
नागेश, “इतने दिनों से मुंबई में रहता है। तेरे पास बुद्धि नाम की चीज़ ही नहीं है।
मैंने सुना है वो सामने वाला बहुत तीखा पानी पूरी बनाता है। हम उससे डबल तीखा बनाएँगे।”
शाम को घर पहुँचने के बाद नागेश ने बहुत ही तीखा मसाला तैयार किया और एक बोर्ड भी बनाया,
जिस पर उसने लिखा कि ‘हमारे यहाँ की पानी पूरी लड़कियाँ और महिलाएँ बिल्कुल भी खाने ना आएँ। हमारे यहाँ की पानी पूरी सिर्फ असली मर्द लोग ही खा सकते हैं।’
बबलू, “यार, तूने बोर्ड पर लिख तो दिया कि हमारे यहाँ सिर्फ असली मर्द ही पानी पूरी खा सकते हैं।
लेकिन लड़कियों और औरतों का क्या? सबसे ज्यादा बिक्री तो लड़कियों से ही होती है ना?”
नागेश, “तू बस देखता जा, भाई। तीन दिनों के अंदर हमारा धंधा कई गुना बढ़ जाएगा।”
अगले दिन नागेश ने ठेले के बाहर उस बोर्ड को लगा दिया और वहाँ पर जितने भी लड़के और आदमी थे,
उनके ईगो को ठेस पहुँची और सभी लड़के और आदमी नागेश की दुकान पर ही पानी पूरी खाने आ गए।
ग्राहक, “वाह यार! इतनी तीखी और इतनी स्वादिष्ट पानी पूरी मैंने आज तक नहीं खाई। कमाल कर दिया तूने। आज से हम सब रोज़ यहीं पर आएँगे।”
इसके बाद सभी आदमी और लड़के उसकी दुकान पर आने लगे, जिससे सामने वाले का धंधा डाउन पड़ गया।
लेकिन लड़कियाँ और औरतें ये सब पढ़कर अभी भी उसकी दुकान पर नहीं आती थीं।
बबलू, “चलो, कम से कम हमारी दुकान पर लड़के और आदमी तो आने लगे। उन्हें स्वाद ही अच्छा लगा।
लेकिन औरतों और लड़कियों का क्या? अगर लड़कियाँ भी हमारी दुकान पर आने लग गईं, तो फिर हमारा धंधा आसमान छू जाएगा क्योंकि तेरे हाथों में जादू है, नागेश।”
नागेश, “टेंशन मत ले यार, कल से लड़कियाँ और औरतें भी आने लगेंगी, देख लेना।”
बबलू, “अरे! लेकिन लड़कियाँ हमारी दुकान पर क्यों आएँगी? यार? तुने बोर्ड पर लिख रखा है कि लड़कियाँ और औरतें नहीं आ सकती, हाँ।”
अगले दिन शाम को नागेश ने फिर से पानी पूरी का ठेला लगाया और उसने एक और बोर्ड लगा दिया: ‘हमारे यहाँ अनपढ़ लड़कियों और औरतों को मुफ्त में पानी पूरी खिलाई जाती है।’
तभी वहाँ पर एक लड़कियों का ग्रुप आ गया।
बीच पर पानीपुरी वाला | Beach Par Panipuri Wala | Moral Stories | Bedtime Stories in Hindi
लड़कियाँ, “क्या बात है? आज तो हम लोग पेट भरकर पानी पूरी खाएँगे।”
वे लड़कियाँ नागेश के पास गईं और सबने खूब पेट भरकर पानी पूरी खाई। खाने के बाद वे वहाँ से जाने लगीं।
नागेश, “अरे मैडम! कहाँ जा रही हैं आप लोग? कम से कम पैसे तो देते जाइए।”
लड़कियाँ, “अरे! तुमने ही तो यहाँ पर लिख रखा है कि अनपढ़ों को फ्री में पानी पूरी। हम सब लोग अनपढ़ हैं।”
नागेश, “आप नहीं मैडम। लाल सूट वाली, आप पढ़कर बताइए कि यहाँ क्या लिखा हुआ है?”
लाल सूट वाली लड़की, “हाँ भैया, साफ-साफ लिखा हुआ है कि अनपढ़ों को फ्री में पानी पूरी खिलाई जाएगी। हम लोग पढ़े-लिखे नहीं हैं।”
नागेश ने बारी-बारी से सभी लड़कियों से बोर्ड पर लिखी हुई लाइन पढ़ने के लिए कहा और सभी लड़कियों ने पढ़कर उसे बताया कि अनपढ़ लड़कियाँ फ्री में पानी पूरी खा सकती हैं।
नागेश, “अगर आप लोग पढ़ी-लिखी नहीं हैं, तो फिर ये सब कैसे पढ़ लिया आपने? दीजिए, पैसे दीजिए।”
उन लड़कियों को पैसा देना पड़ा, लेकिन लड़कियों ने बुरा नहीं माना क्योंकि नागेश की पानी पूरी स्वादिष्ट जो थी।
उन सभी लड़कियों को पानी पूरी का स्वाद बहुत अच्छा लगा। इसलिए उस दिन के बाद से सारे लड़के-लड़कियाँ नागेश की दुकान पर ही पानी पूरी खाने आने लगे
और उसका धंधा खूब चलने लगा। उसने खूब पैसा कमाया और मुंबई में खुशी-खुशी रहने लगा।
दोस्तो ये Moral Story आपको कैसी लगी, नीचे Comment में हमें जरूर बताइएगा। कहानी को पूरा पढ़ने के लिए शुक्रिया!