हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – “ बिना घी के परांठे ” यह एक Saas Bahu Story है। अगर आपको Saas Bahu Ki Kahani, Moral Story in Hindi या Family Story in Hindi पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
कंचन की जेठानी ममता बहुत चालाक थी। शुरू से ही उसने सोच लिया था कि वह अपनी देवरानी को कभी भी अपने से आगे नहीं बढ़ने देगी।
ममता को वैसी ही सीधी-सादी देवरानी मिल गई। कंचन की शादी को कुछ ही दिन बीते थे। एक दिन घर में रिश्तेदारी की कुछ खास औरतें आने वाली थीं।
तभी ममता, “माँ जी, ये तो आप मेरे साथ नाइंसाफी कर रही हो।”
सास, “क्या हुआ? कौन सी नाइंसाफी कर दी मैंने?”
ममता, “माँ जी, जब मैं शादी होकर आई थी, तो आपने चीनी छुपा दी थी और कहा था कि बिना चीनी डाले मीठी चाय बनाकर दिखाओ।
तब मैंने गुड़ की चाय बनाकर दिखाई थी। पर आप कंचन की कोई भी परीक्षा नहीं ले रही हो।”
सास, “अच्छा, तो ये बात है। ठीक है, हम कंचन की भी परीक्षा ले लेते हैं। फिर तो तुम नाराज़ नहीं होगी? पर कंचन से क्या करवाएं?”
ममता, “बिना घी के पराठे। आप कंचन से कहो कि आज जो मेहमान आ रहे हैं, उनके लिए बिना घी के मुलायम पराठे बनाए।”
सास, “पराठे बिना घी के तो सूख जाएंगे।”
ममता (मन में), “यही तो मैं चाहती हूँ कि पराठे सूखें और कंचन परीक्षा में फेल हो जाए।”
सास, “क्या हुआ? क्या सोच रही हो? बिना घी के पराठे ही बनाने हैं न या कुछ और?”
ममता, “हाँ, वही बनवाने हैं। आप कंचन को बुलाकर बोल दो।”
सास ने कंचन को बुलाया और कहा,
सास “बहू, जो भी मेहमान आ रहे हैं सबके लिए पराठे बनाने हैं।”
कंचन, “जी माँ जी, मैं बना लूंगी। घी कहाँ रखा है, मुझे बता दीजिए।”
सास, “पराठों में घी नहीं लगाना, बिना घी के पराठे बनाने हैं। मुलायम बनाने हैं, पराठे मुलायम होने चाहिए।”
ममता, “माँ जी, बड़ी मौसी जी के तो दांत ही नहीं हैं, नकली दांत हैं। वो तो वैसे भी मुलायम पराठा खाती हैं।”
सास, “हाँ, दांत तो बड़ी मौसी जी के साथ-साथ जिठानी जी के भी खराब हैं। कई बार बोलती हैं कि सख्त चीज नहीं खानी।”
सास, “कंचन बहू, इस बात का ख्याल रखना कि पराठे सूखने नहीं चाहिए।”
बिना घी के परांठे | Bina Ghee Ke Parathe | Saas Bahu | Saas Bahu Story | Family Story in Hindi
कंचन, “जी, मैं इस बात का ख्याल रखूंगी।”
कंचन रसोई में पराठे बनाने के लिए चली गई, और ममता मन ही मन हंसने लगी।
ममता, “हा हा हा…अब आएगा मजा, जब पराठे लकड़ी की तरह सूखे होंगे और माँ जी को पता चलेगा कि उनकी बड़ी बहू ज्यादा समझदार और बेहतर है और छोटी बहू बेकार है।”
कंचन सोच में पड़ गई।
कंचन, “बिना घी लगे पराठे मुलायम कैसे बनें, जो खाने में भी स्वादिष्ट हों?”
कंचन अपना मोबाइल फ़ोन इधर-उधर ढूंढने लगी, पर उसका मोबाइल फ़ोन कहीं नहीं दिख रहा था। उसने सोचा,
कंचन, “क्यों न मम्मी को फ़ोन पर कोई तरीका पूछ लूँ, या फिर फ़ोन में कोई तरीका मिल जाए जिससे बिना घी के पराठे स्वादिष्ट और मुलायम बनते हों?
पता नहीं, मैंने अपना मोबाइल फ़ोन कहाँ रख दिया। नहीं तो मैं मम्मी से पूछ लेती, या फिर फ़ोन में सर्च कर लेती, कोई तो तरीका मिल जाता। अब क्या करूं?”
तभी ममता आ गई।
ममता, “देवरानी जी, आपका मोबाइल फ़ोन मेरे पास है। माँ जी ने बोला है कि जब तक आप पराठे नहीं बना लेतीं, तब तक मोबाइल मेरे पास रहेगा।”
कंचन, “भाभी, बस एक सेकंड के लिए फ़ोन में सर्च कर लूं कि बिना घी के पराठे मुलायम कैसे बन सकते हैं?”
ममता, “नहीं, बिल्कुल नहीं। फ़ोन में देख कर कुछ नहीं करना। माँ जी ने तुम्हें जो काम बोला है, उसे खुद करो नहीं तो वो गुस्सा करेंगी।”
कंचन, “ममता भाभी, आपको ऐसा तरीका पता है जिससे परांठे घी लगाए बिना मुलायम और टेस्टी बन जाएं?”
ममता, “नहीं, मुझे कोई तरीका नहीं पता। और अगर पता भी होता तो मैं तुम्हे क्यों बताती?
मतलब कि काम तुम्हें दिया गया है और बता कर मैं तुम्हारे नंबर बढ़ा दूं? सबके बीच में तारीफ के पात्र बनो तुम और वो भी मेरे से पूछ कर?
आ हा हा… नहीं, पहली बात तो मुझे पता नहीं, और दूसरी बात पता होता तो भी न बताती।”
ममता का ऐसा नेचर देखकर कंचन हैरान रह गई। ममता मुंह बनाती हुई रसोई से बाहर चली गई।
कंचन, “भाभी का नेचर कैसा है? यह किस तरह से बात करती है? मैंने तो इनसे सिर्फ हेल्प मांगी थी।
यह तो बहुत ही अजीब सा व्यवहार कर रही है और मेरा मोबाइल फोन भी ले गईं। जैसे मैं इनकी देवरानी नहीं, कोई दुश्मन हूँ।
मुझे खुद ही कुछ सोचना होगा, ये तो मेरी हेल्प करेगी नहीं।”
कंचन सोचने लगी, तभी उसे कुछ याद आया।
कंचन, “मम्मी, ये आप आटे में दूध क्यों मिला रही हो?”
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मम्मी, “बेटा, तू तो जानती है तेरे बाबूजी घी लगे पराठे नहीं खाते, इसलिए दूध का आटा गूंध रही हूँ। इसमें थोड़ा नमक और अजवाइन मिलाऊंगी।”
कंचन, “मम्मी, दूध डाल कर बिना घी के पराठे मुलायम और टेस्टी बन सकते हैं?”
मम्मी, “हाँ तो और क्या? अच्छे से आटे को गूंधना है, फिर घी की जरूरत भी नहीं पड़ेगी क्योंकि दूध डालने से आटा मुलायम हो जाता है।”
कंचन, “थैंक यू मम्मी। मुझे आपकी वो बात याद आ गई। आज आप यहाँ मेरे साथ नहीं हो, पर आपने सिखाई हुई वो बात आज मेरे काम आ रही है।
हाँ, मैं दूध का आटा गूंधकर उसके पराठे बनाऊंगी। नमक-अजवाइन के दूध के परांठे।”
कंचन ने खूब सारा दूध लेकर आटे में अजवाइन मिलाई और दूध का आटा गूंथा। अच्छे से मुलायम आटा तैयार हो गया।
जब मेहमानों ने कंचन के हाथों के बने पराठे खाए, तो सबको इतने स्वादिष्ट लगे कि सब ने बहुत तारीफ की।
मेहमान, “कंचन बहू, पराठे तो इतने स्वादिष्ट बने हैं और इतने मुलायम कि मेरे मुंह में घुल गए। वाह वाह वाह!”
दूसरी मेहमान, “दीदी, पराठों पर घी नहीं है। आप बिना घी के पराठे खा रही हो?”
पहली मेहमान, “कंचन, हमें भी बताओ ये तरीका जिससे बिना घी के तुमने ये स्वादिष्ट पराठे बनाए हैं।”
दूसरी मेहमान, “हाँ, मुझे भी जानना है, ताकि घर की बहुएं ऐसे ही बिना घी के पराठे बना सकें।”
कंचन, “जी, मैंने ये पराठे दूध का आटा गूंधकर बनाए हैं। मेरी मम्मी कभी-कभी पापा के लिए ऐसे ही बनाती थीं।
पराठे तो मुझे याद थे, इसलिए आज मैंने वही तरीका अपनाया और मैं बहुत खुश हूँ कि आप सबको ये पराठे पसंद आए।”
सब मेहमानों के जाने के बाद कंचन की सास एक बार फिर उसकी तारीफ करती है। ममता भी वहीं खड़ी थी।
सास, “कंचन बहू, पता है… जब ममता इस घर में आई थी, तब मैंने इसे बिना चीनी की चाय बनाने के लिए कहा था। तब ममता ने गुड़ की चाय बनाई थी।
और आज मैंने तुम्हारी भी परीक्षा ली। तुम्हे बिना घी के पराठे बनाने के लिए कहा, पर तुम उस परीक्षा में पास हो गई। मुझे गर्व है कि मेरी दोनों बहुएं बहुत समझदार हैं।”
कंचन, “थैंक यू माँजी, पर मुझे आपसे कुछ कहना है। आज मुझे एक बात का बहुत दुख है।”
सास, “हां हां, बोलो क्या हुआ?”
कंचन सारी बात बता देती है कि ममता ने उसके साथ कैसा व्यवहार किया?
सास, “ममता, मुझे तुमसे यह उम्मीद नहीं थी। कंचन इस घर में नई आई है, तो तुम्हें उसे सपोर्ट करना चाहिए था।
तुमने भी तो गुड़ की चाय बनानी कहीं से सीखी होगी? तभी तो तुम इस परीक्षा में पास हुई थी।”
ममता, “आई एम सॉरी, कंचन। मैंने तुम्हारे साथ अच्छा नहीं किया।”
ममता, “आई एम सॉरी माँ जी, वैसे गुड़ की चाय बनानी तो मुझे मेरी मम्मी ने सिखाई थी।”
कंचन, “आई एम सॉरी नहीं कहो, भाभी। मैं समझ सकती हूँ कि आप भी चाहती थीं कि मैं अपनी मेहनत से पराठे बनाऊं।”
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ममता, “आई एम सॉरी, कंचन… आई एम सॉरी, मां जी।”
कंचन और ममता गले मिल जाती हैं।
दोस्तो ये Saas Bahu Story आपको कैसी लगी, नीचे Comment में हमें जरूर बताइएगा। कहानी को पूरा पढ़ने के लिए शुक्रिया!