बिना कपड़ों वाली बेशर्म बहू | Bina Kapdon Wali Besharam Bahu | Saas Bahu Ki Kahani | Saas Bahu Story

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” बिना कपड़ों वाली बेशर्म बहू ” यह एक Saas Bahu Story है। अगर आपको Hindi Stories, Moral Stories या Saas Bahu Ki Kahani पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।


बिमला, “बहू, बहू कहां हो तुम, बहू?”

बिमला अपनी बहू सुमित्रा को ढूंढ़ते हुए सुमित्रा के कमरे में घुस गई और घुसते ही उसने अपनी आँखें बंद कर ली क्योंकि उसने देखा सुमित्रा बिना कपड़ों के बिस्तर पर बैठी है।

सुमित्रा, “क्या बात है माँ जी?”

बिमला, ” छी छी छी बहू… तुम्हारे कपड़े कहाँ हैं? तुम बिना कपड़ों के क्यों बैठी हो?”

सुमित्रा, “गर्मी की वजह से, माझी। हाय गर्मी!”

बिमला, “हाय गर्मी नहीं… हाय हाय बहू! कोई देख लेगा तो क्या कहेगा?”

सुमित्रा, “देखने दीजिये ना माँ जी, ये कोई नई चीज़ है क्या? हा हा हा…”

बिमला, “बड़ी बेशर्म हो तुम तो।”

बिमला गुस्से से लाल हो गई। बिमला को एक संस्कारी बहू चाहिए थी, लेकिन उसका बेटा राजीव शहर गया कॉलेज में पढ़ाई करने के लिए और राजीव को मिल गई सुमित्रा।

सुमित्रा शहर की लड़की थी, अमीर बाप की इकलौती बेटी जिसे कभी समाज की परवाह नहीं थी।

सुमित्रा, “राजीव, मैं तुमसे प्यार करने लगी हूँ।”

राजीव, “लेकिन क्यों? मैं तो तुम्हारी बिरादरी का भी नहीं हूँ।”

सुमित्रा, “तो क्या हुआ, प्यार में ये सब नहीं देखते।”

कॉलेज में सुमित्रा की सहेलियों ने उससे पूछा,

सहेली, “सुमित्रा, तूने उस राजीव में क्या देखा? गाँव का लड़का है वो।”

सुमित्रा, “हां तो क्या हुआ? मैंने कभी गांव नहीं देखा क्या? इस बहाने गांव भी घूम लूंगी।”

सुमित्रा को हमेशा से छोटे कपड़े पहनने का शौक था। राजीव ने उसे कहा था,

राजीव, “देखो सुमित्रा, गांव के लोग मॉडर्न नहीं हैं। इसलिए तुम्हें वहाँ जाकर अपने कपड़ों पर थोड़ा ध्यान देना होगा।”

सुमित्रा, “कोई बात नहीं राजीव, तुम्हारे लिए मैं इतना तो कर ही सकती हूँ।”

दोनों ने शादी कर ली और राजीव सुमित्रा को लेकर गांव चला गया। सुमित्रा ससुराल पहली बार जा रही थी, इसीलिए सास को इम्प्रेस करने के लिए उसने साड़ी पहन ली।

ससुराल पहुंचकर…
बिमला, “वाह! कितनी सुंदर बहू है मेरी? आओ बेटी, अंदर आओ।”

सुमित्रा अंदर गई और उसे गर्मी होने लगी।

सुमित्रा, “आप लोगों के घर में ए.सी. नहीं है क्या?”

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बिमला, “नहीं बहू, हम गरीब हैं।”

सुमित्रा, “लेकिन मुझे तो गर्मी हो रही है, क्या करूँ? हाँ, साड़ी खोल देती हूँ।”

घर में मेहमान आए हुए थे। सुमित्रा ने सबके सामने ही साड़ी खोल डाली। वो सबके सामने ब्लाउज और पेटीकोट पहनकर खड़ी हो गई। सारे मेहमान भाग गए।

बिमला, “बहू, ये तुमने क्या किया? सबके सामने साड़ी खोल दी। तुम्हें शर्म नहीं आई?”

सुमित्रा, “शर्म क्यों आएगी माँ जी? मैं तो इससे भी छोटी-छोटी ड्रेसेस पहनती हूँ।”

बिमला, “मतलब..? तुम यहाँ भी वो सब पहनोगी क्या?”

राजीव ने बात को टालने के लिए कहा,

राजीव, “नहीं नहीं, यहाँ क्यों पहनेगी? यहाँ तो सुमित्रा साड़ी पहनेगी।”

रात को सभी खाना खाकर सो गए, लेकिन सुमित्रा नहीं सो पाई। उसे ए.सी. में सोने की आदत जो थी।

सुमित्रा, “अरे राजीव! ए.सी. लाओ ना।”

राजीव, “अब मैं यहाँ ए.सी. कहाँ से लाऊं? अच्छा ऐसा करो, तुम नहा लो, अच्छा लगेगा।”

सुमित्रा नहा धोकर सो गई। अगले दिन राजीव ऑफिस चला गया। बिमला काम करने लगी और सुमित्रा अपने कमरे में पंखे के नीचे बैठ गई।

सुमित्रा, “अगर पहले पता होता कि यहाँ इतनी गर्मी है तो मैं यहाँ कभी नहीं आती। एक काम करती हूँ, सब कुछ खोल देती हूँ।”

यह बोलकर सुमित्रा ने सब कुछ खोला डाला। उधर नई बहू को देखने के लिए बिमला की पड़ोसी जानकी आई।

जानकी, “अरी ओह बिमला! अपनी नई बहू से नहीं मिलवाएगी?”

बिमला, “हाँ हाँ, जरूर मिलवाऊंगी। तू रुक, मैं बुला के लाती हूँ।”

बिमला सुमित्रा को बुलाने गई और जाकर देखा कि सुमित्रा बिना कपड़ों के बैठी हुई है। दोनों में बातचीत होने लगी और इतने में जानकी खुद बाहर चली आई।

जानकी, “अरे! इतनी देर क्यों हो रही है? अरे! ये क्या..?”

जानकी की आँखें जैसे बाहर आ गईं।

जानकी, “अरे बाप रे! सुना था राजीव की बीवी मॉडर्न है, ये तो कुछ ज्यादा ही मॉडर्न निकली।”

ये बोलकर जानकी भाग गई। दोपहर को सुमित्रा ने कहा,

सुमित्रा, “मुझे अभी निकलना पड़ेगा, कुछ खरीदना है।”

बिमला, “लेकिन इन कपड़ों में बाहर जाओगी क्या?”

सुमित्रा, “हाँ, तो क्या हो गया?”

सुमित्रा टॉप और हॉट पैंट पहनकर बाहर चली गई। सारे गांव के लोग आँखें बड़ी-बड़ी कर देख रहे थे।

पहला आदमी, “अरे! ये राजीव की बीवी है ना?”

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दूसरा आदमी, “अरे! हाँ भई। सुना है ये घर में बिना कपड़ों के घूमती है।”

पहला आदमी, “अरे वाह! फिर तो देखना पड़ेगा।”

अगले दिन दोनों आदमी सुबह-सुबह घर के बाहर चले आए और खिड़की से अंदर झांकने लगे।

सुमित्रा बिना कपड़ों के बैठी हुई थी। दोनों ने मोबाइल फ़ोन से उसका वीडियो बना लिया।

पहला आदमी, “अब इस वीडियो को दिखाकर राजीव से पैसे लेंगे।”

शाम को राजीव घर लौट रहा था। इतने में दोनों उसके सामने आ गए और वीडियो दिखाकर कहने लगे।

पहला आदमी, “राजीव, पैसे दे नहीं तो ये वीडियो वायरल कर दूंगा।”

राजीव ने पैसे देकर वीडियो डिलीट करवाया और घर लौटकर सब कुछ कहा,

राजीव, “सुमित्रा, मॉडर्न होना अच्छी बात है, लेकिन बेशर्म होना नहीं। अगर ऐसा बार-बार होगा तो क्या होगा?”

सुमित्रा, “माफ कर दीजिए, आगे से ऐसा बिल्कुल नहीं होगा। मुझे सब कुछ समझ में आ गया है, राजीव।”

सुमित्रा ने गांव के तौर-तरीके समझ गई और खुशी-खुशी रहने लगी। उसे समझ आ गया कि बुजुर्ग लोग सही कहते थे—”जैसा देश, वैसा भेष।”


दोस्तो ये Moral Story आपको कैसी लगी, नीचे Comment में हमें जरूर बताइएगा। कहानी को पूरा पढ़ने के लिए शुक्रिया!


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