दर्जी वाली बहू | DARJI WALI BAHU | Family Story | Parivar Ki Kahani | Hindi Kahani | Family Stories

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” दर्जी वाली बहू ” यह एक Family Story है। अगर आपको Family Stories, Moral Stories या Rishto Ki Kahaniyan पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।


अनुराधा पेट से है और इसी वक्त उसका पति एक अक्सीडेंट में मारा जाता है।

उसका पति एक फैक्टरी में काम करता था, उसी से उन लोगों का घर चलता था। लेकिन अब घर कैसे चलेगा?

इसी चिंता से अनुराधा रात को सो नहीं पाती है। कुछ महीने बीत जाते हैं और अनुराधा को एक बेटी होती है।

अनुराधा अपनी बेटी का नाम पूजा रखती है। उधर बैंक में जमा हुआ सारा पैसा खत्म हो जाता है।

तभी पड़ोस वाली चाची अनुराधा से कहती है

चाची, “अनुराधा अब तो कुछ न कुछ करना ही पड़ेगा, नहीं तो बच्ची को क्या खिलाएगी और खुद क्या खाएगी?”

अनुराधा, “लेकिन मुझे घर के कामकाज के अलावा कुछ आता ही नहीं है, चाची।”

चाची, “तू चिंता मत कर। मुझे सिलाई आती है, मैं तुझे सीखा दूंगी।”

अनुराधा सिलाई सीखने लगती है। कुछ ही दिनों बाद वो सिलाई सीख जाती है और अपना कुछ शुरू करने के बारे में सोचती है।

अनुराधा, “लेकिन क्या करूँ? व्यापार करने के लिए तो पैसा लगता है, मगर मेरे पास तो खाने के लिए भी कुछ नहीं है।”

तभी पूजा रो उठती है।

अनुराधा, “अले ले ले… क्या हुआ मेरी बच्ची को? भूख लगी है, मगर तुझे मैं क्या खिलाऊं बेटी? घर में एक फूटी कौड़ी नहीं है।”

अनुराधा पानी लाती है और पूजा को पिला देती है और रोते हुए कहती है,

अनुराधा, “अभी यही पीले बेटी। मैं वादा करती हूँ, एक दिन ऐसा आएगा जब तू जो बोलेगी मैं तुझे वहीं खिलाऊंगी।”

अनुराधा के दिमाग में एक आइडिया आता है। वो ब्रा पैन्टी बनाकर बेचने के बारे में सोचती है। वो अपने आप से कहती है,

अनुराधा, “अगर मैं ब्रा पैन्टी की दुकान खोल दूँ तो बहुत अच्छा बिकेगा और ब्रा पैन्टी बनाने में ज्यादा कपड़े भी नहीं लगते हैं।”

अनुराधा ब्रा पैन्टी बनाने के लिए कपड़े की दुकान में जाती है और कपड़े उधार मांगती है।

अनुराधा, “मुझे कुछ कपड़े देंगे। अभी तो मेरे पास पैसे नहीं है लेकिन मैं 2 दिन बाद सारा पैसा चुका दूंगी।”

मगर दुकानदार अनुराधा को भगा देता है। अनुराधा दुकानों में घूमती रहती है लेकिन उसे कपड़ा नहीं मिलता।

वो घर लौटती है और फिर अपने बिस्तर से चद्दर और अपनी शादी की मुलायम साड़ी निकाल कर ब्रा पैंटी सिलने लगती है।

पूरी रात काम करने के बाद पांच ब्रा और पांच पैंटी बनकर तैयार हो जाते हैं। अनुराधा का हाथ सिलाई में माहिर हो गया है।

वो बहुत ही अच्छा और यूनिक डिज़ैन बनाती है और फिर पूजा को गोद में लेकर वो उन ब्रा पैंटीज़ को बेचने के लिए निकल जाती है।

वो मार्केट जाती है और रास्ते के ऊपर एक पॉलीथीन का टुकड़ा बिछाती है और पूजा को गोद में लेकर उसके पास खड़ी हो जाती है और चिल्ला चिल्लाकर खरीदारों को बुलवाने लगती है।

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अनुराधा, “आइए बहन जी, ले लीजिए आपकी जरूरत की चीज़… सस्ता इन्नर वेयर।”

अनुराधा के बुलाने पर एक औरत उसके पास आती है और कहती है, “बस यही है तुम्हारे पास और ज्यादा कुछ नहीं है?”

अनुराधा, “नहीं बहन जी, मैं बहुत गरीब हूँ। मैंने अपने हाथों से ये बनाया है, लेकर तो देखिए। ये लीजिए ये आपकी साइज में आ जाएगी।”

अनुराधा एक ब्रा और एक पैंटी उस औरत के सामने बढ़ाती है। उस औरत को ब्रा पैंटी का डिज़ाइन बड़ा पसंद आता है।

औरत, “अरे वाह! ये तो बड़ा यूनिक डिजाइन है। ऐसे डिजाइन तो किसी जाने माने ब्रांड के भी नहीं होते।”

वो औरत एक ब्रा और पैंटी खरीदकर चली जाती है। अनुराधा ने पहली बार जिंदगी में पैसे कमाए हैं, इसलिए वो बहुत इमोशनल हो जाती है और पूजा से कहती है,

अनुराधा, “बेटी, आज तुझे पेट भरकर खाने को मिलेगा।”

एक एक कर सभी बिक जाते हैं। अनुराधा बहुत खुश हो जाती है और खाना खरीदकर घर चली जाती है।

उसके बाद वो ब्रा पैंटी बनाने के लिए कपड़े खरीदकर ले जाती है और पूरी रात जगकर बहुत सारी ब्रा पैंटी बनाती है

और अगले दिन पूजा को गोद में लेकर फिर से मार्केट चली जाती है।

आज उसके पास कोई लड़की नहीं बल्कि एक लड़का आता है और वो कहता है,

लड़का, “बहन जी, मुझे मेरी गर्लफ्रेंड के लिए ब्रा पैंटी खरीदना है, कुछ अच्छा सा दिखा दीजिए।”

अनुराधा, “यहाँ पर बहुत सारे हैं भैया, आप मुझे साइज बता दो।”

लड़का, “साइज के बारे में तो मुझे नहीं पता रुकिए, मैं अभी पूछ लेता हूँ।”

वह लड़का अपनी गर्लफ्रेंड से फ़ोन पर बात करता है और फिर फ़ोन रखकर अनुराधा से कहता है,

अनुराधा, “आप 34c दे दीजिए।”

अनुराधा उसे 34c साइज का एक ब्रा देती है। ऐसे ही रोज़ अनुराधा के पास एक से बढ़कर एक अतरंगी से कस्टमर आते रहते हैं।

अगले दिन एक लड़की उसकी सहेली के साथ आती है और सहेली को दिखाने के लिए महंगी ब्रा मांगती है।

लड़की, “दीदी, मुझे कुछ महंगा से दिखाइए।”

अनुराधा, “हाँ हाँ ये लीजिए, ₹500 की ब्रा।”

लड़की, “नहीं नहीं, इससे भी महंगी।”

सहेली, “बाप रे! कितनी महंगी ब्रा पहनती है रे तू?”

लड़की, “हाँ, सस्ती वाली मुझे सूट नहीं करती।”

लड़की, “दीदी, आप दिखाइए न।”

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अनुराधा और महंगी ब्रा दिखाती है।

अनुराधा, “ये लीजिए ₹1000.”

लड़की, “और महंगी दिखाइए।”

एक एक करके अनुराधा 5 हजार तक की ब्रा दिखाती है तभी उस लड़की की सहेली का फ़ोन आ जाता है और वो चली जाती है।

तब वो लड़की अनुराधा के कान में धीरे से जाकर कहती है,

लड़की, “दीदी, मुझे वो मंडे मार्केट वाली ₹50 की ब्रा दे दीजिए। “

अनुराधा हंसकर कहती है, “समझ गई, ये लीजिए।”

ऐसे ही अगले दिन एक और लड़की आती है और सस्ती ब्रा मांगती है।

लड़की, “दीदी, मुझे कुछ सस्ती वाली ब्रा दीजिए ना।”

अनुराधा, “ये लीजिए ₹200।”

लड़की, “और सस्ती।”

अनुराधा, “₹150.”

लड़की, “और सस्ती।”

अनुराधा, “₹100.”

लड़की, “और सस्ती।”

अनुराधा, “₹50।”

लड़की, “नहीं और सस्ती।”

अनुराधा, “इससे कम में तो सिर्फ धागा ही आ पाएगा। मैं वही दे देती हूँ। आप घर पहुँचकर सिल लेना।”

ऐसे ही अनुराधा मज़े से व्यापार करने लगती है। उसका व्यापार बड़ा होने लगता है।

इसी तरह एक साल बीत जाता है। पूजा थोड़ी बड़ी हो जाती है। अनुराधा को हर रोज़ बहुत सारे ब्रा पैंटीज़ के ऑर्डर आने लगते हैं।

उसका काम बहुत ज्यादा बढ़ जाता है और उसके साथ ही वो अमीर भी होने लगती है।

मार्केट में अब सिर्फ अनुराधा से ही औरतें ब्रा पैंटी खरीदती हैं और इस चीज़ से बाकी दुकानदार चिढ़ जाते हैं।

वो लोग आपस में मिलकर एक प्लान बनाने लगते हैं।

दुकानदार, “अरे! ऐसे नहीं चल सकता। वो औरत तो सबका व्यापार खराब कर रही है?”

दूसरा दुकानदार, “हाँ हाँ, हमे कुछ करना ही पड़ेगा।”

अगले दिन अनुराधा जब मार्केट जाती है तब वो लोग अनुराधा को अपनी दुकान नहीं लगाने देते हैं।

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दुकानदार, “अरे औरत! तू यहाँ दुकान नहीं लगा सकती। तेरी वजह से हमें बहुत नुकसान हो रहा है।”

अनुराधा प्रोटेस्ट करती है और इसी बात से सारे दुकानदार चिढ़ जाते हैं।

उसी दिन अनुराधा जब पूजा को दुकान के पास रखकर पानी लेने थोड़ी दूर जाती है, तभी एक दुकानदार पूजा को गोद में उठाकर भाग जाता है।

अनुराधा लौटकर पूजा को ढूंढ नहीं पाती है और वो घबरा जाती है।

अनुराधा, “पूजा… मेरी बेटी कहाँ हैं तू? कहाँ हैं मेरी बेटी, कहाँ हैं?”

अनुराधा रोने लगती है। ये देखकर वो सारे दुकानदार हंसने लगते हैं।

दुकानदार, “देखो, कैसे रो रही हैं देखो? हमारी बात नहीं मानेगी तो ऐसा ही होगा।”

अनुराधा रोते हुए रास्ते पर सर पटकती रहती है। इतने में वह एक पुलिस ऑफिसर आ जाता है और अनुराधा से सबकुछ सुनकर वो पूजा को ढूंढने लगते है।

लेकिन पूरा दिन ढूंढने के बाद भी पूजा नहीं मिलती। वो ऑफिसर अनुराधा को घर भेज देते हैं।

घर पहुँच कर भी अनुराधा के आंसू नहीं रुकते।

अनुराधा, “हाय री मेरी बेटी! क्या हुआ मेरी बेटी को?”

इतने में दरवाजा खटखटाने की आवाज सुनाई देती है। अनुराधा दरवाजा खोलती है तो देखती है कि उस मार्केट का एक दुकानदार वहाँ पर खड़ा होता है।

वो कहता है, “तेरी बेटी हमारे पास है। ये बात अगर तू पुलिस को बताएगी, तो हम उसे मार देंगे।”

अनुराधा, “नहीं, मैं कुछ भी नहीं बताऊंगी। आप मुझे मेरी बेटी लौटा दीजिए, बस।”

दुकानदार, “हम्म… केवल एक ही शर्त मैं लौटा सकता हूँ, अगर तू वादा करेगी कि तू अब से उस मार्केट में ब्रा पैंटी बेचने नहीं जाएगी तब।”

अनुराधा शर्त मान लेती है। आखिर वो करेगी भी क्या? उसके लिए उसकी बेटी सबसे बढ़कर है।

वो दुकानदार अनुराधा को उसकी बेटी लौटा देता है। अनुराधा पूजा को गोद में लेकर बहुत रोती है।

उसके बाद वाले दिन अनुराधा मार्केट नहीं जाती है। सारे दुकानदार सोचते हैं कि अब उनकी दुकानों से लोग ब्रा पैंटी खरीदेंगे।

ये सोचकर वो लोग खुश हो जाते हैं, लेकिन ऐसा नहीं होता। अनुराधा के व्यवहार और चीजों की क्वालिटी से सभी इतना प्रसन्न हो चुके थे

कि अनुराधा को मार्केट में ना देख वो लोग ढूंढ़ते हुए अनुराधा के घर पहुँच जाते हैं।

अनुराधा उन लोगों से कहती है, “नहीं, मैं अब से उस मार्केट में नहीं जाउंगी। वहाँ जाने से मेरी बेटी की जान को खतरा है। आज से मेरी ब्रा पैंटी की दुकान बंद हो गई है।”

तभी उनमें से एक औरत कहती है, “अरे कौन कहता है कि तुम सिर्फ मार्केट में ही बेच सकती हो?

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ये देखो, नया ऐप आया है। इस ऐप के जरिए अब से तुम ऑनलाइन भी बेच सकती हो।

तुम इस ऐप में दुकान खोल लो। हम यहाँ से ऑनलाइन खरीदेंगे।”

अनुराधा, “लेकिन मेरे पास फ़ोन नहीं है।”

औरत, “देखो अनुराधा, तुम्हारी चीजों की क्वालिटी बहुत अच्छी है। इसीलिए हम सिर्फ तुम्ही से खरीदेंगे। हम सब मिलकर तुम्हें एक फ़ोन खरीदकर दे देंगे। ठीक है?”

सभी चंदा इकट्ठा करके अनुराधा को एक फ़ोन खरीदकर दे देते हैं। अनुराधा ऑनलाइन बिज़नेस करने लगती है।

उसे अब कहीं जाने की भी जरूरत नहीं पड़ती। वो घर पे ब्रा पैंटे बनाती और ऑनलाइन बेच देती है।

उधर मार्केट में घाटे की वजह से सारे दुकानदारों को दुकानें बंद करनी पड़ती है क्योंकि वहाँ से कोई खरीदने को राजी ही नहीं है।

ऐसे ही उन लोगों को अपने किए की सजा मिल जाती है और अनुराधा अपने दम पर बिज़नेस में सक्सेसफुल बन जाती है।

अगर इच्छा और हिम्मत हो तो कोई भी कुछ भी कर सकता है, ये सीख हमको अनुराधा से मिलती है।


दोस्तो ये Family Story आपको कैसी लगी, नीचे Comment में हमें जरूर बताइएगा। कहानी को पूरा पढ़ने के लिए शुक्रिया!


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