हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” फस गई देवरानी ” यह एक Family Story है। अगर आपको Hindi Stories, Family Stories या Saas Bahu Ki Kahaniyan पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
माया, “बुढ़ऊ, तुम यहाँ पर बैठे-बैठे काहे खांस रहे हो? शर्म नहीं आती, यहाँ सब बहू-बेटियां हैं?
चुपचाप जाकर कमरे में बैठो या किसी कोने में बुड्ढों के साथ बैठो जाकर।”
अआज गजोधर के छोटे बेटे कार्तिक की शादी की तैयारियां चल रही हैं। गजोधर कुछ बोल नहीं पाता और चुपचाप घर के बाहर निकल जाता है।
माया, “ये बुड्ढा हमेशा मेहमानों के सामने हमारी बेइज्जती कराता है। मैंने इतना बोल दिया कि कमरे में बैठो जाकर तो इतने में घर से बाहर चला गया ये बुड्ढा”
इतने में वहाँ पर बड़ा बेटा विनोद और छोटा बेटा कार्तिक आ जाते हैं।
विनोद, “अरे माँ! पिताजी को बार-बार इस तरह क्यों डांटती रहती हैं? उन्हें कैसा लगता होगा?
वो इस घर के मुखिया हैं। सबके सामने इस तरह उन्हें डांटोगी, तो उन्हें खुद पर शर्म आने लगेगी।”
माया, “अच्छा, तो तुम लोग भी अपने बाप की साइड लेने लगे हो आजकल। ठीक है, मैं ये कोने में जाकर बैठ जाती हूँ। फिर देखती हूँ सारा काम कैसे होता है?”
विनोद और कार्तिक की माँ माया विनोद के इतना बोलते ही गुस्सा हो जाती है और खुद को कमरे में बंद कर लेती है।
सब लोग दरवाजा पीटते रहते हैं लेकिन वो दरवाजा नहीं खोलती और ना ही कुछ बोलती है।
नीलम, “आपको माँ जी से इस तरह बात नहीं करनी चाहिए थी। अब ऐसा कीजिए, दरवाजा तोड़ दीजिए वरना कहीं माँ जी कुछ गलत न कर बैठें।”
विनोद, “नीलम, तुम सही कह रही हो। कार्तिक, ज़रा पीछे हटना, मैं दरवाजा तोड़ता हूँ।”
विनोद पांच कदम पीछे जाता है और भागकर दरवाजा तोड़ने ही वाला होता है लेकिन जैसे ही वह दरवाजे को छूता है,
वैसे ही उसकी माँ अंदर से दरवाजा खोल देती है और विनोद दरवाजे के अंदर जाकर दीवार से भिड़ जाता है और उसे चोट लग जाती है।
माया, “तुम सब लोग अपने बाप पर ही गए हो। थोड़ी देर बाथरूम में जाकर हल्का क्या होने लगी?
तुमने तो दरवाजा ही तोड़ दिया। कल शादी है, शादी से पहले इतना बड़ा अपशगुन कर दिया तुम लोगों ने। अब कोई ना कोई गड़बड़ तो शादी के बाद जरूर होगी।”
नीलम, “मां जी, आप ऐसा क्यों बोल रही हैं? ऐसा कुछ नहीं होगा।”
माया, “तू तो चुप ही कर बहू। ये मेरा घर है और यहाँ सिर्फ मेरी चलेगी। मुझे आज के जमाने की सास मत समझ लेना, जिसे तू दबा ले जाएगी।”
नीलम, “ठीक है माँ जी, अब हम लोग कुछ नहीं बोलेंगे। जैसा आप कहेंगी, वैसा ही होगा।
अब चलिए शादी की तैयारी करते हैं, कल बारात निकलनी है कार्तिक की। देवर जी को थोड़ा समझा देती हूं।”
अगले दिन कार्तिक बारात लेकर प्रियंका के घर पहुँच जाता है। सब लोग डांस कर रहे होते हैं।
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कार्तिक अपने पिता गजोधर को भी डांस करने के लिए ले जाता है, लेकिन तभी उसकी माँ माया वहाँ पर आ जाती है और गजोधर को घसीटकर गाड़ी में बिठा देती है।
माया, “चुपचाप इस गाड़ी में बैठे रहो। पैर कबर में लटक रहे हैं और जवानी अभी भी चढ़ी हुई है। ये कोई उम्र है डांस करने की?”
गजोधर, “मैं हर बार कोशिश करता हूँ कि मुझसे कोई गलती ना हो, पर पता नहीं कैसे मुझसे हर बार गलती हो जाती है।”
शादी की सभी परंपराएं आगे बढ़ने लगती है और वरमाला का समय आ जाता है। वरमाला के बाद सभी रिश्तेदार फोटो खिंचवाने के लिए दूल्हा दुल्हन को आशीर्वाद देते हैं।
गजोधर को भी कार्तिक स्टेज के ऊपर ले जाता है, लेकिन माया उसे धक्का देकर वहाँ से भगा देती है।
नई नवेली दुल्हन यानी नीलम की देवरानी प्रियंका को ये सब देखकर अच्छा नहीं लगता है।
खैर विदाई हो जाती है और प्रियंका अपने ससुराल आ जाती है। कार्तिक ये तुम्हारे सगे पिताजी है ना?
प्रियंका, “कार्तिक, ये तुम्हारे सगे पिताजी हैं ना?”
कार्तिक, “प्रियंका, ये तुम कैसे सवाल कर रही हो?”
प्रियंका, “मैं जब से यहाँ पर आई हूँ, यहाँ तक की शादी के दिन भी देख रही हूँ कि ससुर जी की बिल्कुल इज्जत नहीं है इस घर में। माँ जी जब देखो तब बहुत बुरी तरीके से उन्हें लताड़ देती हैं।”
कार्तिक, “ये उनका रोज़ का काम है, धीरे-धीरे तुम्हे आदत पड़ जाएगी।”
प्रियंका, “मैं ससुर जी से बात करती हूँ।”
कार्तिक, “तुम कुछ ऐसा वैसा मत कहना उनसे, जैसा चल रहा है चलने दो।”
प्रियंका, “आप परेशान मत हो। मैं इतनी समझदार हूँ, मैं सब संभाल लूँगी।
इतना कहकर प्रियंका अपने ससुर गजोधर के कमरे में चली जाती है।
प्रियंका, “आप अपने ही घर में इतना सब कुछ क्यों बर्दाश्त करते हो? कुछ ना कुछ करना पड़ेगा वरना इस तरह का माहौल अच्छा नहीं होता। आने वाले बच्चों पर क्या प्रभाव पड़ेगा?”
गजोधर, “प्रियंका, तुम इन सब चक्करों में मत पड़ो। ये तो मेरा रोज़ का काम है।”
प्रियंका और गजोधर चुपके चुपके बातें कर रहे होते हैं तभी दूर से माया सब कुछ सुन लेती है और उसके कमरे में आ जाती है।
माया, “ये सब क्या हो रहा है? तुम्हारी जवानी गई नहीं है अभी तक? नई नवेली बहु से अकेले-अकेले कमरे में चुपके-चुपके क्या बातें कर रहे हो?
कोई चक्कर चल रहा है क्या? बुढ़ऊ, तुमको लेकर तो मैं परेशान हो गई।”
प्रियंका, “अरे माँ जी! आप तो अंतरयामी निकलीं। हम दोनों के बीच चक्कर चल रहा है, ये आपको कैसे पता चला?
खैर, शाम तक कुछ और भी पता चलने वाला है आपको।”
इतना कहकर प्रियंका अपनी ससुर गजोधर को लेकर वहाँ से चली जाती है। तभी प्रियंका एक बार रुकती है
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और पीछे पलट कर बोलती है, “आपको ससुर जी से बहुत ज्यादा तकलीफ होती है ना?
इसलिए मैं इन्हें लेकर अपनी बुआ के घर जा रही हूँ। यही पास में ही रहती हैं।
इनका भी मन बहल जाएगा और आपको भी थोड़ा सुकून मिल जाएगा।”
इस तरह से प्रियंका अपने ससुर गजोधर को लेकर वहाँ से चली जाती है। रात हो जाती है।
और माया अपने बेटे से कहती है, “रात हो रही है कार्तिक, तेरी नयी नवेली दुल्हन अभी तक गायब है। तुझे खबर है या नहीं?”
कार्तिक, “अरे माँ! प्रियंका अकेले नहीं गई है। वो पिताजी के साथ अपनी बुआ के घर गई है।
अभी आती होगी। पिताजी साथ है, तो किस बात की टेंशन?”
माया के दिल में अंदर ही अंदर ना जाने क्या-क्या चलने लगता है। तभी अचानक डोर बेल बजती है।
माया भागकर दरवाजा खोलती है और जो देखती है, वो देखकर उसके पैरों तले जमीन खिसक जाती है।
क्योंकि प्रियंका और उसके ससुर गजोधर दोनों के गले में वरमाला थी। दोनों शादी करके आ चुके हैं।
माया, “विनोद, नीलम, कार्तिक जल्दी आओ। ये देखो, बुड्ढे को क्या हो गया है? अपनी बहू से शादी करके आ गया।”
नीलम, विनोद और कार्तिक भी वहाँ पर आ जाते हैं और अपने पिता को प्रियंका के साथ इस हालत में देख कर दंग रह जाते हैं।
नीलम, “अरे छोटी देवरानी! तू पागल हो गई है क्या? ये तेरे बाप की उम्र के हैं।
तुझे जब किसी बूढ़े इंसान से शादी करनी थी तो देवर जी को मना कर देती शादी के लिए।”
प्रियंका, “मुझे गजोधर जी पहले से ही बहुत पसंद हैं। मैं गजोधर जी तक पहुंच सकूं इसलिए मैंने कार्तिक से शादी की।
और मुझसे बकवास करने की कोई जरूरत नहीं है। मेरे पिता एक जज हैं, मेरी माँ सरकारी वकील हैं और मेरा भाई एक आईपीएस ऑफिसर है।
तुम लोग मेरा कुछ नहीं कर सकते। पैसों के लालच में सासु माँ ने हमारे परिवार से रिश्ता तो कर लिया।
अब भुगतो सब लोग। मैं इसी घर में रहूंगी सासु माँ।
अब आप अपने बुड्ढे को मेरे साथ इसी घर में हर पल देखोगी। अब जाओ चुपचाप हम सब के लिए खाना बनाओ जाकर।
गजोधर, “ये लोग हमारे प्यार को नहीं समझेंगे, प्रियंका। जिसको हमारा रिश्ता मंजूर नहीं है, वो इसी वक्त मेरा घर छोड़ कर जा सकता है।”
गजोधर प्रियंका का हाथ पकड़ता है और अपने कमरे में उसे लेकर चला जाता है।
कार्तिक को कुछ समझ नहीं आता। शाम को कार्तिक के पास उसकी भाभी नीलम आती है।
नीलम, “देवर जी, अब परेशान ना हो। अगर ये बात घर से बाहर गई तो, हमारे परिवार की बदनामी होगी।”
कार्तिक, “तो अब मैं क्या करूँ भाभी? मैं भी दूसरी शादी कर लूँ क्या?”
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इतने में कार्तिक का फोन बजने लगता है। उसकी सास का फोन है।
कार्तिक, “सासु माँ, आपकी बेटी को, आपके परिवार को मैंने बहुत अच्छा समझा था, पर उसने तो मेरे पिताजी से शादी कर ली। मैं भी अब दूसरी शादी कर लूँगा।”
सास, “ऐसी गलती भी मत करना, कार्तिक वरना पूरा परिवार पूरी जिंदगी जेल में सड़ते रहोगे। मेरी बेटी आजाद है, वो जो चाहती है वही करती है।”
इतना कहकर कार्तिक की सास फोन काट देती है। कार्तिक रोने लगता है।
कार्तिक, “मेरी तो जिंदगी ही बर्बाद हो गई, भाभी।”
नीलम, “कार्तिक, मेरी देवरानी बहुत अच्छी है और दमदार भी।”
कार्तिक, “भाभी, आप भी प्रियंका की तारीफ कर रही हैं?”
नीलम, “तुम बहुत भोले हो, देवर जी। सुनो।”
नीलम उसे सारी बात बता देती है।
नीलम, “देखो कार्तिक, तुम प्रियंका को गलत मत समझो। उसके घर में सभी लोग कानून के रखवाले हैं।
इसलिए ऐसे लोग जहाँ भी गलत होते हुए देखते हैं, उसे सुधारने के लिए वो लोग किसी हद तक जा सकते हैं।”
कार्तिक, “मैं कुछ समझा नहीं, भाभी।
नीलम, “मेरी देवरानी जो भी कर रही है, मुझे बताने के बाद ही कर रही है। ससुर जी के साथ मिलकर वो सिर्फ शादी का नाटक कर रही है।”
कार्तिक ये सब सुनकर हैरान हो जाता है।
कार्तिक, “नाटक..? प्रियंका पिताजी से शादी का नाटक क्यों कर रही है?”
एक दो दिन में सब पता चल जाएगा। इसी तरह दो-तीन दिन बीत जाते हैं और प्रियंका माया पर बहुत जुल्म करती है।
उससे सारा काम करवाती है। गजोधर के पैर पकड़ने तक मजबूर कर देती है।
तब जाकर गजोधर का खोया हुआ सम्मान और आत्मविश्वास लौट आता है।
लेकिन इस सबके बाद माया बहुत बीमार पड़ जाती है और बिस्तर पर लेट जाती है।
माया, “मैं मरने वाली हूँ। कहते हैं ऊपर वाला हर किसी को उसके कर्मों का फल इसी जन्म में दे देता है।
मैंने अपने पति की कभी इज्जत नहीं की, इसलिए आज मुझे अपनी सौतन देखनी पड़ी। अंतिम समय में मैं आप सभी से माफी मांगती हूँ।”
माया अपने पति गजोधर से और बाकी सभी से माफी मांगती है। तभी वहाँ प्रियंका के माता-पिता भी आ जाते हैं।
प्रियंका की मां, “परेशान मत होइए समधन जी, हमने शादी वाले दिन ही समधी जी के प्रति आपका बिहेव्यर देख लिया था।
इसीलिए प्रियंका ने गजोधर जी के साथ मिलकर शादी का नाटक किया।”
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प्रियंका के पिता, “आदमी एक घर का पिलर होता है। आदमी एक घर को अपने कंधे पर उठा लेता है, इसीलिए कभी भी उसे इंसल्ट नहीं करना चाहिए।
लेकिन समधन जी, आप तो इंसल्ट पर इंसल्ट किए जा रहे थे। इसीलिए मेरी बेटी को ये स्टेप लेना पड़ा।”
नीलम, “हाँ माँजी, मेरी प्यारी देवरानी ने मुझे बता कर ही सब कुछ किया।”
माया, “मुझे माफ़ कर दीजिए जी, मुझसे गलती हो गई।”
इस तरह से माया को अपनी गलतियों का अहसास हो गया और सब कुछ ठीक हो गया।
प्रियंका उस घर में छोटी बहू बनकर ही रहने लगी और सभी खुशी-खुशी रहने लगे।
दोस्तो ये Family Story आपको कैसी लगी, नीचे Comment में हमें जरूर बताइएगा। कहानी को पूरा पढ़ने के लिए शुक्रिया!