हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” जिंदगी की रेस ” यह एक Short Motivational Story है। अगर आपको Motivational Stories, Motivational Kahani या Motivational Stories in Hindi पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
बहुत समय पहले की बात है। एक जंगल में एक चिड़िया रहती थी।
वो चिड़िया बहुत ही प्यारी और अच्छी थी लेकिन उस चिड़िया की एक अजीब सी आदत थी।
वो चिड़िया हर दिन जो भी देखती, सुनती या महसूस करती, उसके 7 दिन भर जो भी होता… अच्छा होता, बुरा होता तो उस अनुभव को एक पत्थर पर लिख देती
और फिर वो उन पत्थरों को अपनी एक छोटी सी पोटली में रखकर उड़ जाया करती थी।
ये उस चिड़िया की आदत बन गई थी और उसे इस चीज़ में मज़ा आता था।
वो सोचती थी कि अच्छी बातें याद रखना अच्छी बात है जो कि सच में मेरी नजर में भी अच्छी बात है।
वो चिड़िया सोचती थी कि बुरी बातों को कहीं लिख लेना चाहिए, अपने दिल में नहीं रखना चाहिए।
शुरुआत में तो उस चिड़िया को मज़ा आ रहा था। वो रोज़ पत्थरों पर अपनी बातें लिखती और उस पत्थर को अपनी पोटली में रख लेती,
लेकिन जैसे जैसे समय बीतता गया उस चिड़िया की ये आदत बढ़ती जा रही थी।
हर दिन पत्थर जमा करने की वजह से उस चिड़िया की पोटली में बहुत सारे पत्थर जमा हो गए थे
और इसकी वजह से उस चिड़िया को उड़ने में दिक्कत आने लगी थी और उसकी उड़ान कम होती जा रही थी।
उसने ध्यान नहीं दिया कि पत्थरों का भार उसके शरीर पर बढ़ रहा था।
उसकी ये आदत धीरे धीरे उसे शारीरिक और मानसिक रूप से थका रही थी।
कुछ दिनों के बाद उस चिड़िया का चल पाना भी मुश्किल हो गया था और एक दिन ऐसा आया कि वो चिड़िया उसी पत्थरों के बोझ तले दबकर मर गई।
वो चिड़िया जिन पत्थरों को ये सोचकर जमा कर रही थी कि बुरे वक्त में वो अपनी लिखी हुई यादों को याद करके संभल जाएंगी, उन्हीं यादों ने उसकी जान ले ले थी।
तो दोस्तों, इस छोटी सी कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि चाहे यदि अच्छी हो या बुरी, हमें उन दोनों को पास्ट में ही छोड़ देना चाहिए,
पास्ट में ही भुला देना चाहिए। उसे अपने साथ लेकर नहीं चलना चाहिए।
इस कहानी में तो चिड़िया की उस आदत को पत्थरों के थ्रू हमें बताया गया है।
लेकिन असल जिंदगी में कुछ लोगों की ये आदत होती है कि वो उन यादों को, उन बुरी बातों को,
उन अच्छी बातों को अपने दिल या दिमाग में ही रखे रहते हैं और प्रेसेंट में जीने की बजाय पास्ट में ही जीते हैं।
जिंदगी की रेस | JINDAGI KI RACE | Short Motivational Story | Best Motivational Stories in Hindi
अगर हम उन चीजों को छोड़ कर आगे नहीं बढ़ेंगे तो हमारे अंदर ही बोझ की तरह जमा होते रहेंगे
और हमारी शांति और खुशियों को छीन लेंगे और हमें अंदर ही अंदर खा जाएंगे।
जो हो गया है, उसे वहीं छोड़ दो। चाहे अच्छा हो या बुरा और प्रेसेंट में जीना शुरू करो।
क्योंकि बीते कल को बदलना संभव नहीं है। लेकिन हम अपने आज के सफर को बेहतर बना सकते हैं।
नई चीजों को एक्सपीरियंस करो, नए कदम बढ़ाओ और जिंदगी में कुछ बड़ा और अच्छा करो।
दोस्तो ये Motivational Story आपको कैसी लगी, नीचे Comment में हमें जरूर बताइएगा। कहानी को पूरा पढ़ने के लिए शुक्रिया!