कहर | Kahar | Horror Story | Most Scary Story | Sachhi Horror Kahani | True Horror Story in Hindi

व्हाट्सएप ग्रुप ज्वॉइन करें!

Join Now

टेलीग्राम ग्रुप ज्वॉइन करें!

Join Now

हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” कहर ” यह एक True Horror Story है। अगर आपको Hindi Horror Stories, Real Scary Stories या Darawani Kahaniyan पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।


जंगल के बीचोबीच काल भैरव की भयंकर मूर्ति के सामने आरती चल रही है।

आरती की ऊंची-ऊंची लपटों के साथ ढोल, ताजे और मंजीरे की आवाज़ तेज़ होती जा रही है।

गांव के सारे लोग इस आरती में मौजूद हैं। सबकी नज़रें काल भैरवी की भयंकर मूर्ति पर टिकी हुई हैं

और सबके हाथ आस्था और भक्ति में जुड़े हुए हैं कि अचानक ही आरती की लपटें और तेज़ हो गईं।

काल भैरवी की मूर्ति की आँखें भी लाल हो गईं। काल भैरवी की आँखें देख पंडित डर के मारे कांपने लगा

और अगले ही पल तेज़ आवाज़ के साथ पंडित के हाथ से थाली जमीन पर आ गिरी।

पंडित, “कहर।”

आवाज, “ऐसे कोरा ना जाबो… ऐसे कोरा ना जाबो।”

कालीबाड़ी गान में हर 3 साल पर काल भैरवी की आरती होती है। माना जाता है कि अगर ये आरती ना हो, तो गांव में भयंकर प्राकृतिक आपदाएँ आती हैं।

नियम के अनुसार गांव के हर एक शख्स को पूरी आरती में शामिल होना होता है और अगर कोई पूरी आरती में शामिल नहीं होता, तो उसकी ज़िंदगी की सांस भी पूरी नहीं होती।

सब लोग आरती में शामिल होकर अपनी श्रद्धा व्यक्त कर रहे थे, तभी एक लड़के का फ़ोन बजा।

लड़का, “क्या… आज ही? ठीक है।”

इतना कहकर लड़के ने फ़ोन काट दिया और अजीब सी मुस्कुराहट अपने चेहरे पर सजाए भीड़ से निकलकर अपने घर की ओर चल पड़ा।

इधर लड़के के जाते ही काल भैरवी की आँखें पूरी तरह से लाल हो गईं और अगले ही पल आरती की आग की लपटें तेज़ हो गईं,

जिसे पंडित संभाल नहीं पाया और आरती की थाली जमीन पर गिर गई। उसने चीखते हुए सबसे कहा,

पंडित, “विनाश… महाविनाश! अब इस गांव को नहीं बचा सकता कोई। काल भैरव ने हमारी आरती स्वीकार नहीं की।

किसी पापी ने आरती में विघ्न डाला है। कौन है वो, जिसने पूरे गांव की ज़िंदगी दाव पर लगा दी? कौन है , जो काल का ग्रास बनने को आतुर है?”

पंडित की बात सुनकर सभी गांव वाले डर के मारे एक-दूसरे को देखने लगे थे कि अचानक ही सबकी सांसें एक पल के लिए रुक गईं

क्योंकि काल भैरवी की आँखों से आग निकलने लगी थी। ये देखकर अगले ही पल सभी गांव वाले भागने लगे।

गांव वाले, “भागो, काल भैरव अपने रौद्र रूप में आ गए हैं। भागो, जल्दी भागो।”

इधर जो लड़का फ़ोन पर बातचीत करते हुए बीच आरती से निकल गया था, वो अपने घर पर बैठकर टीवी देख रहा था।

तभी उसकी बहन उसके लिए खाना लेकर आई।

बहन, “लो सुजीत, तुम खाना खा लो। मुझे भूख नहीं है। पता नहीं किस बददिमाग ने पूरे गांव को संकट में डाल दिया? पता नहीं अब क्या होगा?”

कहर | Kahar | Horror Story | Most Scary Story | Sachhi Horror Kahani | True Horror Story in Hindi

सुजीत की बहन उससे बोल रही थी, पर उसका सारा ध्यान टीवी में था। इस पर गुस्सा होकर बहन ने टीवी बंद करते हुए कहा,

बहन, “क्रिकेट के चक्कर में तुम्हें कुछ ध्यान नहीं रहता, ना? बंद करो टीवी, चलो बंद करो।”

इतना कहकर सुजीत की बहन उसकी तरफ़ बढ़ ही रही थी। लड़का सिर झुकाए सहमा सा बैठा हुआ था कि अचानक टीवी फिर से चालू हो गया।

पर इस बार टीवी में क्रिकेट मैच नहीं, बल्कि काल भैरवी की मूर्ति नज़र आ रही थी, जिसकी आँखों से आग निकल रही थी।

बहन, “सुजीत… सुजीत भागो, भागो टीवी में आग लग गई है।”

बहन की बात सुनकर भी सुजीत अपनी जगह से हिला तक नहीं और टीवी से निकलती आग की लपटें धीरे-धीरे सुजीत की तरफ़ ही बढ़ती जा रही थीं।

सुजीत की बहन ने सुजीत को बचाने के लिए जैसे ही उसे छुआ। पर उसकी बहन अभी भी सुजीत का नाम ही पुकार रही थी।

बहन, “सुजीत…सुजीत, क्या हुआ तुम्हें?”

बहन, “हो ना हो, इसने आरती पूरी नहीं की और मैच देखने वापस आ गया। काल भैरवी इसे नहीं छोड़ेगी।

क्या करूँ, क्या करूँ? मुझे हवन का वभूत लाकर इसे लगाना चाहिए।”

इतना कहकर बहन ने सुजीत को वो वभूत लगा दी, जिसके रखते ही सुजीत एकदम से बेहोश हो गया था। कुछ देर बाद उसे होश आया।

सुजीत, “सरला दीदी, अरे! मैं नीचे कैसे सो गया? आपने टीवी बंद क्यों कर दिया? कितना शानदार मैच आ रहा था?”

सरला, “क्या, तुम्हें कुछ याद नहीं?”

सुजीत, “कैसे याद नहीं रहेगा? हम बस मैच जीतने ही वाले हैं। क्रीज पर अपना माही ही है।”

सरला (अपने आप से), “इसे कुछ याद नहीं है, पर मुझे पंडित जी से मिलकर सारी बातें कहनी चाहिए।

पर नहीं, गांव के नियम के अनुसार जो भी आरती पूरी नहीं करता, उसे गांव छोड़कर जाना पड़ता है।

किसी को कुछ ना बताने में ही भलाई है। और अब तो… अब तो सुजीत भी ठीक है।”

अगली रात पूरे गांव में मौत की शांति पसरी हुई थी। सरला भी अपने कमरे में चैन से सो रही थी कि अचानक एक चीख से उसकी नींद खुल गई।

उसे किसी अनहोनी का अहसास होने लगा। इसी सोच के साथ जब वो सुजीत को देखने उसके कमरे में गई और उसने जो देखा,

उसे देखकर उसके बदन का रोम-रोम डर के मारे कांप उठा था, क्योंकि सुजीत हाथ के बल चल रहा था और उसके पैरों पर दो दिये जल रहे थे।

सुजीत, “बचाओ दीदी, मैं जल रहा हूँ दीदी। बचाओ दीदी, बहुत दर्द हो रहा है। दीदी बचाओ।”

सुजीत ने सरला को देखते ही कहा। सरला भी सुजीत की बात सुन उसके पैरों पर रखे दिए हटाने जाती है।

उसने जैसे ही दिए हटाए, अगले ही पल सुजीत फिर से अपने दोनों पैरों पर खड़ा हो गया।

पर उसका चेहरा बहुत डरावना हो चुका था, जिसे देख सरला की आँखें भी नम हो गईं।

कहर | Kahar | Horror Story | Most Scary Story | Sachhi Horror Kahani | True Horror Story in Hindi

सुजीत सरला से कुछ बोल नहीं पा रहा था। जैसे ही उसने अपना मुँह खोला…

सुजीत, “इसे कोरा ना जाबो… इसे कोरा ना जाबो।”

ये कहते हुए सुजीत का आधा हिस्सा एक औरत का हो गया था, जिसके हाथ लगातार बड़े होते जा रहे थे।

सरला उसके हाथों से बचते हुए इधर-उधर भाग रही थी, पर उसकी ये कोशिश नाकामयाब रही।

सरला, “बचाओ मुझे, मुझे बचाओ कोई।”

सुजीत (औरत की आवाज़ में), “इसे कोरा ना जाबो… सेइसे कोरा ना जाबो।”

सरला की चीख सुन पंडित उसके घर आ गया था।

पंडित, “अरे! ये तो काल भैरव की आवाज़ है। इसे कोरा ना जाबो… मतलब इसे कोई नहीं बचा सकता।

हे भगवान! अब इसके बाद पूरा गांव संकट में होगा। मुझे कुछ करना ही होगा।”

वभूत लगाकर सुजीत फिर से बेहोश होकर जमीन पर गिर पड़ा। सरला भी अब आज़ाद हो गई थी।

पंडित, “काली के काल को आमंत्रण दिया है तुम लोगों ने। अब बस अंधेरा होगा, हर तरफ अंधेरा होगा। कोई नहीं बचेगा… कोई नहीं।”

सरला (रोते हुए), “पंडित जी, कोई तो उपाय होगा मेरे भाई को और मेरे गांव को बचाने का?”

पंडित, “हाँ है, पर बहुत ही मुश्किल। सुजीत को माँ काली की प्रतिमा के चारों ओर घूमकर कई महीनों तक आरती करनी होगी।

चाहे करकड़ाती धूप हो या तूफान, परिक्रमा रुकनी नहीं चाहिए, तभी काल भैरव प्रसन्न होंगे।

उनके प्रसन्न होते ही आरती प्रसाद के रूप में ग्रहण कर लेंगी। वो प्रसाद खाते ही सुजीत ठीक हो जाएगा।”

पंडित सरला को सारी बात बता ही रहा था कि तब तक सुजीत को भी होश आ चुका था। उसने पंडित से कहा,

सुजीत, “मैं करूँगा ये परिक्रमा।”

अगले दिन सुजीत ने आरती की थाली लेकर काल भैरव की प्रतिमा की परिक्रमा करनी शुरू कर दी।

आरती की लपटें तेज़ होने लगी थीं और सुजीत हर कदम के साथ एक पुरुष होता, फिर अगले ही पल काल भैरवी का रूप ले लेता और सबसे यही कहता…

सुजीत, “इसे कोरा ना जाबो… इसे कोरा ना जाबो।”

सुजीत की आवाज़ पूरे गाँव में गूंज रही थी, जिसे सुन गांव वाले भी डरने लगे थे।

सुजीत, “इसे कोरा ना जाबो… इसे कोरा ना जाबो।”

गांव वाले (डरते हुए), “चलो, सभी काल भैरव के पास चलो। वो बहुत कुपित हैं। जल्दी-जल्दी चलो, उनसे माफी की भीख मांगते हैं।”

सभी गांव वाले दौड़ते हुए काल भैरवी की प्रतिमा के सामने हाथ जोड़े डरे सहमे खड़े थे।

सुजीत भी काल भैरवी की प्रतिमा की परिक्रमा कर रहा था और हर कदम के साथ वो सबसे यही कह रहा था।

सुजीत, “इसे कोरा ना जाबो… इसे कोरा ना जाबो”

कहर | Kahar | Horror Story | Most Scary Story | Sachhi Horror Kahani | True Horror Story in Hindi

सुजीत अभी बोल ही रहा था कि तभी काल भैरवी की आँखों से लपटें निकलीं और अगले ही पल सुजीत घूम-घूमकर जलने लगा।

ये देखकर सभी गांव वाले डर गए थे। अपने भाई को बचाने के लिए सरला उसके पास जा ही रही थी, तभी पंडित ने उसके हाथ पकड़ कर रोकते हुए कहा,

पंडित, “यही गांव के हित में है, बेटी।”

और जब तक सरला कुछ कर पाती, सुजीत चीखता हुआ जलकर राख हो चुका था।

गांव वालों ने उसे एक बलि समझ अपने मन को शांत किया, लेकिन एक बहन से उसका भाई हमेशा के लिए दूर जा चुका था।


दोस्तो ये True Horror Story आपको कैसी लगी, नीचे Comment में हमें जरूर बताइएगा। कहानी को पूरा पढ़ने के लिए शुक्रिया!


Leave a Comment

लालची पावभाजी वाला – Hindi Kahanii ईमानदार हलवाई – दिलचस्प हिंदी कहानी। रहस्यमय चित्रकार की दिलचस्प हिंदी कहानी ससुराल में बासी खाना बनाने वाली बहू भैंस चोर – Hindi Kahani