हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” कुंवारी भाभी बनी मां ” यह एक Family Story है। अगर आपको Family Stories, Bhabhi Stories या Bhabhi Ki Kahaniyan पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
विमला, “बहू, तुम्हारा पेट क्यों फूल रहा है?”
अनीता, “पेट… कहाँ? नहीं तो…।”
पूर्वा, “क्या भाभी? हमें साफ-साफ दिखाई दे रहा है।”
अनीता, “ओह! शायद ज्यादा खाने की वजह से हुआ है। ठीक हो जाएगा, आप लोग चिंता मत कीजिए।”
लेकिन और एक महीने बाद पेट थोड़ा और फूल गया। विमला को शक हुआ।
जिसका पति सुहागरात से पहले ही मर गया हो, उसका पेट कैसे फूल सकता है?
शादी के बाद से ही अनीता का बर्ताव कुछ ठीक नहीं था। शादी के एक हफ्ते बाद, एक दिन अनीता अपने कमरे में बैठकर एक पुतले को गोद में लेकर गाना गा रही थी—
अनीता, “चंदा है तू, मेरा सूरज है तू, हाँ मेरी आँखों का तारा है तू। चंदा है तू, मेरा सूरज है तू।”
और कमरे के बाहर से अनीता की सास विमला और ननद पूर्वा ये सब देख रही थीं।
विमला, “अरे! ये औरत पागल-वागल हो गई है क्या?”
पूर्वा, “पता नहीं माँ, भैया को खोने के शौक में शायद दिमाग खराब हो गया है।”
विमला और पूर्वा अंदर चली गईं और अनीता से कहा—
विमला, “बहू, ये क्या कर रही हो? एक पुतले को सुला रही हो?”
अनीता, “हाँ माँ, मैं तो हमेशा से एक बच्चा चाहती थी, लेकिन देखते ही देखते क्या से क्या हो गया?”
अनीता की आँखें भर आईं। एक हफ्ता पहले ही उसकी शादी हुई थी। मंडप में शादी खत्म होने के बाद ही उसके पति रौनक के पास एक चिट्ठी आई।
रौनक, “अरे! ये किसकी चिट्ठी है? पढ़कर देखता हूँ।”
रौनक आर्मी ऑफिसर था और वह चिट्ठी आर्मी की तरफ से आई थी।
रौनक, “बॉर्डर पर जंग छिड़ गई है, मुझे अभी जाना होगा।”
ये सुनकर अनीता अपने आप को संभाल नहीं पाई।
अनीता, “तो फिर हमारी सुहागरात का क्या होगा, रौनक?”
रौनक, “जंग से लौटने के बाद हम सुहागरात मनाएंगे।”
अनीता, “तुमने मुझे प्रॉमिस किया था, रौनक कि तुम मुझे एक बच्चा दोगे। मुझे बच्चे बहुत पसंद हैं।”
कुंवारी भाभी बनी मां | KUNWARI BHABHI BANI MAA | Saas Bahu Story | Bhabhi Story in Hindi
रौनक, “हमारा बच्चा होगा, अनीता। बस थोड़ा इंतजार कर लो। जंग से लौटने के बाद मैं दिन-रात तुम्हारे साथ बिताऊँगा।”
रौनक जंग लड़ने चला गया। अनीता ससुराल चली गई और रौनक के फ़ोन का इंतजार करने लगी।
2 दिन बीत गए, लेकिन रौनक का कॉल नहीं आया। अनीता बेचैन हो गई।
अनीता, “2 दिन हो गए, वो कहाँ होंगे? किस हालत में होंगे?”
विमला, “बहू, ज्यादा चिंता मत करो, तबीयत बिगड़ जाएगी।”
पूर्वा, “हाँ भाभी, आर्मी ऑफिसर से शादी करोगी तो ज़िंदगी भर इंतजार ही करना पड़ेगा।
भैया तो हमेशा ऐसे ही अचानक से चले जाते हैं। हमें इन सब चीजों की आदत है।”
लेकिन अनीता का मन नहीं मान रहा था।
अनीता, “पता नहीं क्यों, मुझे कुछ गड़बड़ लग रही है। नहीं तो वो एक कॉल तो जरूर करते।”
अगले दिन अनीता दरवाजे के बाहर बैठकर रौनक की राह देख रही थी। इतने में पीओन चिट्ठी लेकर आया।
पीओन, “ये आर्मी ऑफिसर रौनक का घर है?”
अनीता, “हाँ, उन्होंने चिट्ठी भेजी है क्या?”
पीओन, “उन्होंने नहीं, ये आर्मी की तरफ से चिट्ठी है उनके घरवालों के लिए।”
पीओन चिट्ठी देकर चला गया। अनीता ने चिट्ठी खोलकर पढ़ी और उसके हाथ से चिट्ठी गिर गई। वो रोने लगी।
अनीता, “अरे! ये क्या हुआ? मैं विधवा हो गई। हे भगवान! ये क्या किया आपने?”
रोने की आवाज सुनकर विमला और पूर्वा वहाँ आईं। अनीता ने दोनों को सब कुछ बताया, और वे भी रोने लगीं।
चिट्ठी में लिखा था- ‘ऑफिसर रौनक अब इस दुनिया में नहीं हैं। जंग के मैदान में उनका देहांत हो गया, लेकिन उनकी बॉडी अभी तक नहीं मिली।’
अनीता, “अब क्या होगा, मां जी? अब क्या होगा? मेरा पति कभी मेरे पास नहीं लौटेगा।”
विमला, “मेरा बेटा…मेरा बेटा।”
2 दिन तक रोना धोना चलने लगा और उसके बाद से अनीता अजीब हरकत करने लगी।
अनीता, “बच्चा… मुझे बच्चा चाहिए। रौनक ने मुझे बच्चा देने का वादा किया था। मुझे बच्चा चाहिए।”
पूर्वा, “अभी बच्चा कहाँ से आएगा, भाभी? अब तो भैया ही नहीं रहे।”
अनीता, “वो सब मुझे नहीं पता, मुझे बच्चा चाहिए किसी भी हालत में।
अनीता बाजार से एक छोटा सा पुतला खरीदकर लाई और उसे खिलाने और सुलाने लगी।
उसे गोद में लेकर इधर उधर घूमने लगी। सभी ने सोचा कि अनीता पागल हो गई है।
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आसपास के लोग भी बातें करने लगे और ऐसे ही दो महीने बीत गए और अचानक से एक दिन अनीता बीमार पड़ गई। उसे तेज बुखार आया और उसका सिर चकराने लगा।
उसे डॉक्टर के पास ले जाया गया। डॉक्टर ने अनीता से कुछ कहा। विमला और पूर्व को कुछ समझ नहीं आया, लेकिन अनीता बहुत खुश लग रही थी।
इसीलिए विमला ने पूछा, “क्या बात है, बहू? इतनी खुश क्यों हो, क्या हुआ?
अनीता, “कुछ नहीं मां जी, बस ऐसे ही… आप नहीं समझेंगी।”
उसके बाद से अनीता के हाव भाव बदले बदले से लगने लगे। वो बहुत ज्यादा खाना खाने लगी और उसे हमेशा खट्टा खाने का मन करने लगा।
पूर्वा, “माँ, ये भाभी को हुआ क्या है? कुछ दिनों से कुछ अजीब सा लग रहा है।”
विमला, “पता नहीं बेटी, शायद रौनक की मौत के शौक को अब तक भुला नहीं पाई है।”
विमला ने इसे इग्नोर कर दिया, लेकिन तीन महीने बाद अनीता का पेट फूलने लगा।
विमला, “बहू, तुम्हारा पेट क्यों फूल रहा है?”
अनीता, “पेट…कहाँ? नहीं तो।”
पूर्वा, “क्या भाभी? हमें साफ-साफ दिखाई दे रहा है।”
अनीता, “शायद ज्यादा खाने की वजह से हुआ है। ठीक हो जाएगा, आप लोग चिंता मत कीजिए।”
लेकिन और एक महीने बाद पेट थोड़ा और फूल गया। विमला को शक हुआ।
विमला, “हाँ, तू सच कह रही थी। कुछ तो गड़बड़ लग रही है।”
पूर्वा, “माँ, इसका उत्तर उसी डॉक्टर के पास है, जिसके पास भाभी गई थी।”
वे दोनों डॉक्टर के पास चले गए।
विमला, “डॉक्टर साहब, हमारी बहू को क्या हुआ है?”
डॉक्टर, “क्यों, आपकी बहू ने आपको नहीं बताया? वो प्रेग्नेंट है।”
ये सुनकर विमला और पूर्वा के सिर पर जैसे आसमान गिर पड़ा।
विमला, “क्या प्रेग्नेंट? लेकिन ये कैसे हो सकता है?”
पूर्वा, “वही तो… भाभी तो कुंवारी है।”
दोनों घर लौटे और अनीता को उल्टा-सीधा सुनाने लगे।
विमला, “बच्चा पाने के लिए मुँह काला करके आई, कलमुही!”
पूर्वा, “हाँ भाभी, ये आपने गलत किया। भैया आपसे प्यार करते थे।”
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विमला, “बता, इस बच्चे का बाप कौन है?”
अनीता, “मैं नहीं बता सकती।”
विमला, “हाँ, कैसे बताएगी? पता नहीं कौन सी पापी औरत को घर की बहू बनाकर लाई हूं?”
अनीता, “खबरदार माँ, मेरे चरित्र पर उंगली मत उठाइए।”
विमला, “तो क्या करूँ, तेरी पूजा करूँ?”
बिमला बहुत गुस्सा हो गई और उसने अनीता को घर से निकाल दिया। अनीता समझ गई कि इस घर में उसे जगह नहीं मिलने वाली है।
सिर्फ उसे पता था कि उसके बच्चे का पिता कौन है, लेकिन वो किसी को बता नहीं सकती थी।
अनीता माइके लौट गई। लेकिन सब कुछ सुनने के बाद वहाँ से भी उसे निकाल दिया गया।
बेचारी अनीता फुटपाथ पर रहने लगी और कुछ महीनों बाद वहीं उसे एक बेटा हुआ।
लेकिन उसके पास अपने बेटे की परवरिश करने के लिए पैसे नहीं थे, इसलिए वो अपने ससुराल के दरवाजे पर उसे रखकर आई।
विमला ने दरवाजा खोला और बच्चे को देखा।
विमला, “अरे! ये क्या..? यहाँ बच्चा कौन रख कर गया है? जरूर उस कलमूही अनीता ने किया है ये।”
विमला दरवाजा बंद करने जा ही रही थी कि तभी उसने देखा कि उस बच्चे के दाहिने गाल पर एक तिल है।
विमला, “अरे! मेरे बेटे के गाल पर भी एक तिल था, वो भी दाहिने गाल पर। ये कैसे संभव है?”
विमला आश्चर्यचकित होकर खड़ी थी कि तभी एक कांड हो गया। रौनक विमला के सामने आकर खड़ा हो गया।
रौनक, “माँ, कैसी हो आप?”
विमला, “अरे बेटा! तू… तू कैसे आया? चिट्ठी में तो लिखा था कि तू…”
रौनक, “वो सब झूठ था, माँ। मुझे एक सीक्रेट मिशन पर भेजा गया था, इसीलिए मुझे मरने का नाटक करना पड़ा।
लेकिन इस बीच मैं एक रात चुपके से घर आया था और केवल अनीता से मिल पाया था।
मैंने उसे मेरे बारे में किसी को बताने से मना किया था, इसलिए उसने आप लोगों को कुछ नहीं बताया।”
अब जाकर विमला और पूर्वा को सारी सच्चाई समझ में आई।
विमला, “इसका मतलब ये बच्चा तेरा है? इसका मतलब बहू ने कोई पाप नहीं किया और मैं फालतू में उस पर शक कर रही थी। बेटा, तू बहू को ढूंढकर ला।”
रौनक तुरंत बाहर गया और बहुत ढूंढने के बाद आखिरकार उसे अनीता मिल गई। वह अनीता को लेकर घर आया।
विमला और पूर्वा ने उससे माफी मांग ली और उसके बाद सभी खुशी खुशी रहने लगे।
दोस्तो ये Family Story आपको कैसी लगी, नीचे Comment में हमें जरूर बताइएगा। कहानी को पूरा पढ़ने के लिए शुक्रिया!