नरपिशाच | Nar Pishach | Horror Story | Pishach Ki Kahani | Most Horror Story | Darawani Kahaniyan

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” नरपिशाच ” यह एक Horror Story है। अगर आपको Hindi Horror Stories, Horrible Stories या Darawani Kahaniyan पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।


शामोली गांव का एक जत्था हाथ में मशाल लिए जंगल की तरफ बढ़ रहे थे, उस ओर जहाँ गोरी नंदा का ठिकाना था।

रास्ता दूर था, फिर भी किसी के कदम नहीं थके थे। इधर जंगल में फैली शाम की धीमी रोशनी थी।

सिया काली रात का रूप लेने लगी थी। उस पर से चारों ओर से आने वाली खूंखार जंगली भेड़ियों की आवाज़ सभी लोगों को और भी ज्यादा डरा रही थी।

राघवन,”डरो मत। जंगल का जानवर कितना भी खतरनाक क्यों न हो, आग के करीब आने से डरता है।

बस कोई अलग मत होना, साथ-साथ चलते रहो। हम बस पहुंचने ही वाले हैं।”

सभी लोग राघवन की बातों के मुताबिक एक साथ आगे बढ़ने लगते हैं।

राघवन, कितना जानते हो तुम उस अघोरी नंदा को? मैंने तो कभी नहीं सुना जंगल में रहने वाले किसी अघोरी के बारे में।

और भला एक अघोरी कैसे बचा सकता है हमें उस नर पिशाची दरिन्दे से?”

राघवन, “पता नहीं। पर कल जब दिन में मैं इस जंगल से गुजर रहा था, तो अचानक उस अघोरी ने मुझे दिखा और उसे हमारे गांव की सभी परेशानी भी पता थीं।

तभी उसने मुझसे कहा कि मुक्ति चाहते हो तो मिलो पूरे गांव के साथ मुझे आधी रात में जंगल की उस गुफा में।”

राघवन मल्लिका से कह ही रहा था कि इतने में पीछे से यशवंत ज़ोर से चीखा।”

यशवंत, “राघवन, बचो उसकी हमले से।”

जैसे ही राघवन ने मशाल अपने बाईं ओर घुमाई, उसने देखा एक भेड़िया उस पर झपटने के लिए कूद चुका था।

उसके वार से बचने के लिए राघवन पूरी तरह से पीछे की ओर झुक गया और मशाल उस भेड़िए पर दे मारी।

जिसके बाद वो भेड़िया चीखता हुआ जंगल की ओर भाग गया। अचानक से जानवर के हमले से सभी के बीच भगदड़ मच गई

और इसी बीच मल्लिका कहां गायब हो गई, किसी को नहीं पता चला? सभी खुद को किसी तरह संभालते हुए ढलान से नीचे गुफा की तलाश में बढ़ने लगे।

पर सबके जहन में अभी भी एक डर छुपा हुआ था कि कहीं उन पर कोई हमला ना हो जाए?

अपने हर कदम के साथ वे कभी मशाल को दायें तो कभी बाईं ओर करते ताकि अमावस की इस घोर अंधेरे में अगर कोई घात लगाए बैठा हो, तो उन्हें दिख जाए।

दरअसल, ये गांव वाले इतनी दहशत में इसलिए थे क्योंकि नरपिशाच ने इन सभी का जीना हराम करके रखा है।

इतना कि गांव के मंदिर में आरती कम और अर्थी के ढोल ताशे ज्यादा सुनाई देने लगे थे। पर हमेशा से ऐसा नहीं था ये शामोली गांव।

ये बीते कुछ महीनों की बात है। जब से यहाँ मौत का तांडव शुरू हुआ, पर क्यों? ये किसी को कुछ भी पता नहीं था।

इसलिए अघोरी को ही आस मान सभी लोग जंगल की गुफा की तरफ बढ़े जा रहे थे, जहाँ शायद आज से पहले वे कभी गए नहीं थे।

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चलते-चलते अब सभी गांव वाले वहाँ तक पहुँच गए जहाँ से आगे अब कुछ भी नहीं, बल्कि एक गहरी खाई है।

पर किसी को कोई गुफा नहीं दिखी। तभी राघवन तेज़ आवाज़ में सभी को बुलाते हुए कहता है, “इधर चलो सब, वहाँ गुफा जैसा ही कुछ लग रहा है।”

राघवन की तेज़ आवाज़ सुनते ही सभी उस ओर ही चल देते हैं, जहाँ अंधेरे में सराबोर एक गुफा का मुंह दिखता है।

सिर्फ बाहर नहीं बल्कि, बल्कि गुफा के अंदर भी घनघोर अंधेरा था। किसी की इतनी हिम्मत नहीं थी कि वह गुफा के अंदर जाने की हिम्मत करे।

तभी यशवंत बोला, “राघवन, आपको सच में लगता है कि यहाँ कोई अघोरी रहता होगा?”

राघवन, “उस अघोरी ने तो इसी ओर किसी गुफा के बारे में बताया था। मुझे लगता है कि हमें अंदर जाकर देखना चाहिए।

तुम क्या कहती हो, मल्लिका? मल्लिका… मल्लिका। यशवंत, मल्लिका कहां है?”

राघवन पागलों की तरह सबसे पूछने लगा कि आखिर मल्लिका गई कहां? पर उसके बारे में किसी को पता ही नहीं था।

सभी की जुबान पर बस एक ही बात थी। जंगल में हुए हमले के बाद उन्होंने मल्लिका को नहीं देखा।

राघवन को समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे? और इससे पहले की वो कुछ भी करता, तभी उसे गुफा के अंदर से अजीब आवाज़ें सुनाई देने लगीं।

आवाजें इतनी भयंकर होने लगी कि एक पल के लिए उसने राघवन का ध्यान अपनी तरफ खींच लिया।

और सब आवास का पीछा करते हाथ में मशाल लिए अंदर चले गए। तभी भयानक आवाज के साथ सैकड़ों चमगादड़ों का झुंड निकला, जिसने सभी को हिला कर रख दिया।

राघवन, “शांत हो जाओ सब और कोई अलग मत रहो, एक साथ हो जाओ। क्योंकि गुफा के घनघोर अंधेरे से मशाल की रौशनी में एक के बाद एक कई भेड़िए निकल उन्हें चारों तरफ से घेर रहे थे,

उन पर घुर्रा रहे थे और चारो ओर ऐसे घूम रहे थे, जैसे मौका मिलते ही उन पर झपट पड़ेंगे।

उनमें से तो कई भेड़िए झपटने के लिए आगे बढ़ते भी। फिर गांव वाले उसे मशाल दिखाते, तो भेड़िए पीछे हट जाते।

काफी देर तक सभी गांव वाले इस तरह भेड़िए के डर में घिरे रहे। किसी के मुँह से चूं शब्द की आवाज भी नहीं निकल रही थी।

सन्नाटे में चारों ओर बस मशाल की पीली रौशनी और भेड़ियों का गुर्राना गूंज रहा था।

तभी गुफा के अंदर से एक आवाज आई जैसे कोई किसी चीज़ को ठक ठक करते हुए बाहर आ रहा हो।

जैसे जैसे आवाज तेज़ हो रही थी, वैसे वैसे भेड़ियों का घुर्राना कम हो रहा था। इधर गांव वाले पहले ही भेड़िए के आतंक में घिरे हुए थे।

ना जाने अब उनके सामने कौन सी मुसीबत आने को तैयार? पर जैसे ही गुफा से आने वाली आवाज ने अपना पूरा अस्तित्व लिया,

तो सबकी जान में जान आ गई क्योंकि वो कोई और नहीं बल्कि अघोरी नंदा था, जिसे ढूंढते हुए सभी यहाँ तक आए थे।

अखोरी नंदा के रौशनी में आते ही सारे भेड़िए उसकी तरफ दौड़ गए। तभी अघोरी ने अपनी मायावी छड़ी को जमीन पर ऐसे ठक ठकाया कि सभी भेड़िए दौड़ते हुए जंगलों में भाग गए।

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फिर अगोरी नंदा ने सभी को इशारा किया कि उनके पीछे गुफा के अंदर चल दिए। पर इससे पहले के सभी अंदर जाते, तभी कहीं दूर से मल्लिका की आवाज आई।

मल्लिका, “रुक जाओ सभी, दूर हट जाओ उस अघोरी से। ये कोई अघोरी नहीं, बल्कि बहरूपिया नरपिशाच है।”

मल्लिका की आवाज सुन राघवन खुशी के मारे पीछे मुड़ता है। पर मल्लिका को किसी और के साथ घोड़े पर आगे बैठे हुए देखकर उसका चेहरा उतर जाता है।

पर वक्त की नजाकत को देखते हुए मल्लिका की बात मान वो पहले सभी को अघोरी से दूर हटने का इशारा करता है,

जिस पर अगोरी क्रोधित होकर कहता है, “कौन है तू? इस तरह से मुझ पर लांचन लगा रही है।

मुझे तो तू किसी राक्षसी प्रवृति की लगती है। इसकी बात मत सुनो। चलो मेरे साथ अंदर, वहां तुम सुरक्षित रहोगे।”

अघोरी ने इतना कहा ही था कि मल्लिका के साथ बैठे उस आदमी ने तेज़ी से घोड़ा आगे बढ़ाया और अघोरी को चांदी के चाबूक से दागते हुए आगे निकल गया।

जिसके बाद वो कराहते हुए अपने असली रूप में आ गया। जिससे खुद गांववाले बचना चाहते थे और आस लगाए बैठे थे कि अघोरी उससे उन्हें बचाएंगे?

पर जब उन्हें पता चला कि कोई और नहीं बल्कि उस राक्षस नहीं उसका रूप ले लिया है, तो उनकी बची कुची उम्मीद भी खत्म हो गई और सबको अपने सामने मौत दिखने लगी।

क्योंकि सामने अघोरी के रूप में छिपा और राक्षस अब पूरे तरीके से अपने अवतार में आकर कहर मचाने को तैयार था।

वो चिहारते हुए अपनी छाती को ऐसे पिट रहा था जैसे उसके सामने जो भी आए उसे चीर फाड़ देगा।

तभी मल्लिका के पीछे एक था वो इंसान नरपिशाच को देखते हुए हवा में अपना चाबुक लहराने लगा,

जिस पर वो नरपिशाच गुस्से में लाल आगे बढ़ता है और एक आदमी को दबोचते हुए अंदर उस गुफा में भाग जाता है।

जिस पर यशवंत चीखता है, “राघवन, हमें अपने लोग बचाने होंगे, बताओ क्या करें?”

घोड़े पर सवार व्यक्ति, “ये इसके बस की बात नहीं है, मैं संभालता हूं उसे।”

मल्लिका, “मैं भी चलूँगी तुम्हारी मदद के लिए।”

राघवन, “मल्लिका, कौन है ये जिस पर तुम्हें इतना भरोसा हो गया।”

मल्लिका, “ये है सुजान और इसने ही मुझे उस नरपिशाच से बचाया था।”

मल्लिका ने इसके साथ ये भी बताया कि किस तरह से नरपिशाच ने जानवर के हमले के बाद भगदड़ के बीच मल्लिका को उठा ले गया था।

और वो उसे मारने वाला था कि सुजान ने वहाँ पर पहुँच उसकी जान को बचाया। सुजान पास के ही गांव का है।

पहले जहां इस राक्षस का कहर था और उस पर काबू कर उसे हमेशा हमेशा के लिए खत्म करने के लिए सुजान ने चाबुक को सिद्धि के जरिए बनाया था।

पर वो राक्षस उसके शिकंजे से निकल इस गांव में आ गया। पर आज वो उसे खत्म कर हम सभी को आजादी दिला देगा।

मल्लिका उसके बारे में सबको ऐसे बता रही थी जैसे वो इन सभी का रक्षक हो।

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पर राघवन को ये बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था कि मल्लिका इस तरह से उसकी बातें कर रही है।

फिर उसने पूरे गांव के बारे में सोचते हुए कहा, “अगर ऐसा है तो जरूर सुजान ही कुछ करें। हम सब उसके साथ है।”

मल्लिका, “चलो सुजान, चलते हैं। आज उसे खत्म करना है।”

मल्लिका के इतना कहते ही सुजान अंदर चला जाता है और उसके पीछे पीछे मल्लिका, राघवन और यशवंत भी।

अंदर जाने पर भी उन्हें वो राक्षस कहीं नहीं दिखा। तो बस गुफा की छत से लटके हुए चमगाद और अब जो मशाल की रौशनी से दूर भाग रहे थे।

उस राक्षस के ढूंढ़ते ढूंढ़ते सभी बहुत अंदर पहुँच गए थे, पर उन्हें वो कहीं नहीं दिख रहा था।

पर जैसे ही वो थोड़ा और अंदर गए, उन्हें रास्ते में वही गांव वाला आदमी दिखा, जो नरपिशाच से घायल होकर दर्द से तड़प रहा था।

घायल को देख राघवन उसकी तरफ चले जा रहा था कि तभी सुजान ने उसे रोकते हुए कहा, “ये अब उतना ही खतरनाक है जितना कि वो राक्षस। सभी को सुरक्षित रखने के लिए इसे खत्म करना होगा।”

इतना कहते ही सुजान ने अपने कमर से खंजर निकाला और सीने में धंसा कर उसके शरीर से उसकी जान को अलक कर दिया।

जिसके बाद घायल हुआ वो शख्स राक्षस में बदल अपना दम तोड़ देता है। तभी गुफा के अंदर उस नरपिशाच की तेज खूंखार आवाज़ आती है, जिसे सुन सभी की सांसें अटक गयी थी।

तभी सुजान अपने चाबुक को राघवन की तरफ बढ़ाता है।

राघवन, “ये तुम मुझे क्यों दे रहा है, सुजान?”

सुजान, “राघवन, इसे मारना उतना आसान नहीं। बदले की आग में वर्षों की तपस्या के बाद बना है वो नरपिशाच,

इसीलिए उसे खत्म करने में मुझे तुम्हारा साथ चाहिए। तुम उसे इस चाबुक से काबू में लाना, उसी बीच में उसे खत्म कर दूंगा। चलो चलते हैं। “

मल्लिका, “सुजान, जो भी करना संभलकर करना।”

सभी एक साथ उस राक्षस के सामने पहुँच जाते हैं, जहाँ वो दहाड़ें मार रहा था। जैसे ही नरपिशाच की नजर इन सभी पर पड़ी, वो एक झटके में उनकी तरफ दौड़ पड़ा।

और इससे पहले की वो किसी पर झपटता, राघवन ने चाकू घुमाया और उसकी टांगों में फंसाकर खींच लिया।

जिसके बाद वो नरपिशाच औंधे मुँह जमीन पर गिर पड़ा था। मौका पाते ही सुजान उसकी पीठ पर चढ़ गया और उसके गले में खंजर दे उतारा,

जिसके बाद वो दर्द की मारे चीखने लगा और छटपटाने लगा। इसी खींचातानी के बीच सुजान उस नरपिशाच के पंजे से घायल हो गया। वो राक्षस तो मर गया, लेकिन सुजान दर्द से कराहने लगा।

उसे ऐसा लग रहा था जैसे उसके शरीर में खून कई गुना तेज दौड़ने लगा हो। वो समझ गया था कि अब बहुत जल्द वो भी नरपिशाच बन जाएगा।

इसीलिए वो सभी से दूर हट जाता है और राघवन से कहता है, “मार दो मुझे, नहीं तो मैं भी तुम सभी की मौत का कारण बन जाऊंगा।”

मल्लिका, “नहीं सुजान, ऐसा मत बोलो। तुम्हे कुछ नहीं होगा।”

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मल्लिका की बात सुन दर्द से करहाते तेज इस आवाज में सुजान कहता है, “यही मौका है राघवन, खत्म कर दो इस नरपिशाच की कहानी को। उठाओ खंजर और मार दो मुझे।”

राघवन ये करना तो नहीं चाहता था, पर सभी लोगों की भलाई के लिए उसने खंजर उठा लिया।

पर मल्लिका उसे रोकने लगी थी। फिर सुजान के कहने पर यशवंत उसे खींचकर बाहर ले जाने लगा और इधर राघवन ने सुजान के साथ साथ नरपिशाच की कहानी भी खत्म कर दी।

पर मल्लिका की नजर में वो उसके किसी खास का हत्यारा बन चुका था। इधर सुबह होने को बेकरार थी।

आसमान में बिजलियां भी कड़क रही थीं। सभी वापस अपने गांव निकल चुके थे। तभी एक ज़ोर की बिजली चमकी।

और उस रोशनी में राघवन अपना हाथ देखता है, जिस पर नरपिशाच के वार का निशान होता है।

यशवंत,”चलो राघवन, अब सब खत्म हुआ।”

राघवन (नरपिशाच), “हूं… लगता तो यही है।”


दोस्तो ये Horror Story आपको कैसी लगी, नीचे Comment में हमें जरूर बताइएगा। कहानी को पूरा पढ़ने के लिए शुक्रिया!


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