प्रेग्नेंट स्कूल टीचर | PREGNANT SCHOOL TEACHER | Teacher Student Story | Moral Stories

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” प्रेग्नेंट स्कूल टीचर ” यह एक Moral Story है। अगर आपको School Stories, Moral Stories या Teacher Student Ki Kahaniyan पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।


बीएड की पढ़ाई पूरी करते ही नेहा को स्कूल में टीचर की जॉब मिल जाती है। सागर, नेहा के साथ पढ़ता था। दोनों एक-दूसरे को बहुत पसंद करते थे।

नेहा, “सागर, तुम मुझसे शादी तो करोगे ना? देखो, मुझे जॉब मिल गई है।”

सागर, “कैसी बातें कर रही हो, नेहा? मैं तुम्हारे सिवा किसी और से शादी कर ही नहीं सकता।

तुम तो जानती हो कि मैं तुमसे कितना प्यार करता हूँ? लेकिन मेरी जॉब तो लग जाने दो।

तुम क्या चाहती हो कि लोग मुझे ताने मारें कि बीवी की कमाई पर पल रहा हूँ?”

नेहा, “नहीं सागर, मैं तुम्हारी जॉब लगने का इंतजार करूँगी।”

नेहा और सागर एक हो जाते हैं। दोनों पहले भी कई बार मिल चुके थे, लेकिन यह पहली बार हुआ था कि नेहा सागर की बाहों में समाकर खुद को भूल गई थी।

दूसरे दिन से नेहा ने स्कूल जॉइन कर लिया। जॉब पाकर वह बहुत खुश थी।

नेहा, “बस सागर को जल्दी से जॉब मिल जाए, फिर हम दोनों शादी कर लेंगे।”

स्कूल में नेहा की मुलाकात राजन से होती है। राजन स्कूल में साइंस का टीचर था।

राजन, “हैलो मिस नेहा! माइसेल्फ राजन…राजन गुप्ता। मैं बच्चों को साइंस पढ़ाता हूँ।”

नेहा ने दोनों हाथ जोड़कर राजन को नमस्ते किया।

नेहा, “नमस्ते राजन सर! आपसे मिलकर बहुत खुशी हुई।”

नेहा की सादगी और संस्कार से राजन बहुत प्रभावित होता है। राजन अक्सर नेहा से बातें करने के बहाने ढूंढता।

कभी वह नेहा की क्लास में आ जाता तो कभी उसके इर्द-गिर्द मंडराता रहता। लेकिन नेहा सागर के ख्यालों में डूबी रहती।

एक दिन…
राजन, “नेहा, गाँधी मैदान में बुक फेयर लगा है। आज स्कूल की छुट्टी के बाद वहाँ चलें? बहुत सारी नई किताबें देखने को मिलेंगी।”

नेहा, “नहीं राजन, स्कूल की छुट्टी के बाद मुझे कहीं और जाना है। हम फिर किसी दिन चलेंगे।”

नेहा को तो सागर से मिलने जाना था, इसलिए उसने राजन से झूठ बोल दिया।

स्कूल की छुट्टी के बाद नेहा सागर से मिलने चली जाती है।

नेहा, “सागर, तुम्हारी जॉब का कुछ हुआ?”

सागर, “नहीं नेहा, ना जाने मेरी किस्मत को क्या मंजूर है? कब मेरी जॉब लगेगी?”

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नेहा, “सागर, तुम्हारी जॉब जल्द ही लग जाएगी। मैं हूँ ना, तुम परेशान मत हो।”

नेहा और सागर सारी परेशानियां भूलकर एक-दूसरे के हो जाते हैं। यूँ ही दिन गुजर रहे थे।

सब कुछ ठीक चल रहा था। नेहा और सागर कभी किसी पार्क में मिलते तो कभी सागर के घर पर।

सागर अक्सर नेहा को मिलने के लिए अपने घर बुलाता था, जहाँ वह अकेले रहता था। उसके माता-पिता गाँव में रहते थे।

एक दिन अचानक नेहा की तबीयत बिगड़ जाती है और उसे उल्टियाँ होने लगती हैं।

नेहा, “मेरी तबियत को क्या हो गया? कल तक तो मैं बिल्कुल ठीक थी। लगता है, मैंने कुछ उल्टा-सीधा खा लिया है।”

नेहा स्कूल जाने से पहले केमिस्ट की दुकान से खाना पचाने की दवा लेकर खाती है, लेकिन दवा से उसे कोई आराम नहीं मिलता। नेहा की तबीयत और बिगड़ जाती है।

नेहा, “ये मुझे क्या हो रहा है? पहले तो ऐसा कभी नहीं हुआ। लगता है, डॉक्टर को दिखाना पड़ेगा।”

स्कूल से लौटकर नेहा डॉक्टर के पास जाती है।

डॉक्टर, “मिस नेहा, आप माँ बनने वाली हैं।”

नेहा, “क्या..? मैं माँ बनने वाली हूँ?”

डॉक्टर, “हाँ, आप प्रेग्नेंट हैं। दूसरा महीना चल रहा है। आपको अपना बहुत ख्याल रखना पड़ेगा।”

नेहा क्लिनिक से बाहर निकलकर सागर को फोन करती है।

सागर, “हैलो नेहा, मैं अभी तुम्हें ही फोन करने वाला था।”

नेहा, “क्यों? क्या बात है, सागर?”

सागर, “मेरी जॉब लग गई।”

नेहा, “अरे वाह! यह तो बहुत अच्छी बात है। मैं भी तुम्हें कुछ बताना चाहती हूँ।”

सागर, “क्या बताना चाहती हो?”

नेहा, “तुम पिता बनने वाले हो, सागर और मैं माँ बनने वाली हूँ। अब हम जल्दी से शादी कर लेंगे।”

सागर, “ये तुम क्या कह रही हो, नेहा? मैं तुमसे शादी नहीं कर सकता।”

नेहा, “क्यों? शादी क्यों नहीं कर सकते? तुमने ही तो कहा था कि तुम्हारी जॉब लगते ही हम दोनों शादी कर लेंगे।”

सागर, “नेहा, तुम तो जानती हो कि मेरे माता-पिता गाँव में रहते हैं। मेरे पिताजी ने गाँव में अपने दोस्त की बेटी से मेरी शादी तय कर दी है।

मैं उनकी मर्जी के खिलाफ नहीं जा सकता। अब तो मेरे माता-पिता मेरे पास शहर आ गए हैं।”

नेहा, “लेकिन तुमने मुझसे जो वादा किया था उसका क्या? हमारे प्यार का क्या? मेरे पेट में जो तुम्हारा बच्चा पल रहा है, उसका क्या होगा?”

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सागर, “मैं कुछ नहीं जानता, तुम अबॉर्शन करा लो।”

सागर फोन काट देता है। नेहा के पैरों तले ज़मीन खिसक जाती है।

उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि सागर उसे इतना बड़ा धोखा देगा। वह घर आ जाती है।

वो दूसरे दिन स्कूल नहीं जाती। वह लगातार सागर को फोन करती है, लेकिन सागर का फोन बंद था।

तभी नेहा के पास राजन का फोन आता है।

राजन, “क्या बात है नेहा, आज तुम स्कूल नहीं आई?”

नेहा, “बस यूँ ही, दिल नहीं हो रहा था।”

राजन, “तुम्हारी तबीयत तो ठीक है ना?”

नेहा, “हाँज्ञठीक है, कल मिलती हूँ।”

राजन, “ओके, मैं तुम्हारा वेट करूँगा।”

नेहा अगले दिन स्कूल तो जाती है, लेकिन वह एक ज़िंदा लाश बन गई थी। वो न किसी से बात करती, न हँसती। उसकी तबीयत लगातार खराब रहने लगी थी।

राजन उससे बात करने की कोशिश करता, लेकिन वो राजन की बातों का कोई जवाब नहीं देती।

धीरे-धीरे नेहा का पेट बड़ा होने लगता है। स्कूल की दूसरी शिक्षिकाएं उसे टोकने लगती हैं।

सोनिया, “क्या बात है, नेहा मैडम? आजकल ज्यादा खाने लगी हो क्या? आपका पेट निकल रहा है। कुछ एक्सर्साइज़ नहीं करती, क्या?”

नेहा, “नहीं सोनिया मैडम, ऐसी बात नहीं है। एक्सर्साइज़ तो करती हूँ।”

सोनिया, “फिर आपका पेट क्यों निकल रहा है?”

नेहा, “आजकल ऑयली खाना ज्यादा खा रही हूँ ना, इसलिए।”

नेहा सबकी बातें सुनकर टेंशन में रहने लगती है।

नेहा, “मेरा पेट बड़ा होने लगा है। स्कूल में सबको पता चल जाएगा कि मैं माँ बनने वाली हूँ। अब क्या होगा?

सलवार कुर्ते की जगह साड़ी पहन लेती हूँ। साड़ी में मेरा बड़ा पेट किसी को पता नहीं चलेगा।”

नेहा साड़ी पहनकर स्कूल जाने लगी। उसे साड़ी में देखकर राजन ने कहा, “नेहा, साड़ी में तो तुम कमाल की लग रही हो। किसी देवी जैसी लग रही हो।”

राजन के कॉम्प्लीमेंट का नेहा ने नम्र स्वर में “थैंक यू” कहकर जवाब दिया।

नेहा, “राजन को क्या पता कि मैं साड़ी पहन कर क्यों आई? साड़ी पहनना मेरी मजबूरी है।

साड़ी नहीं पहनूंगी तो सबको पता चल जाएगा कि मैं प्रेग्नेंट हूँ। लेकिन साड़ी में मेरी प्रेग्नेंसी कब तक छुपेगी?

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अभी तो चौथा महीना चल रहा है, पाँचवें महीने से तो साड़ी में भी सबको पता चल जाएगा कि मैं प्रेग्नेंट हूँ। फिर क्या होगा?

कहीं प्रिंसिपल मैडम मुझे नौकरी से ना निकाल दे? मेरी कितनी बेइज्जती होगी?

मैं कैसे सह पाऊंगी ये सब? मैंने सागर पर भरोसा करके कितनी बड़ी गलती कर दी?”

ये सब सोचकर नेहा की आँखों में आँसू आ जाते हैं। तभी नेहा के पास कॉलेज की सहेली रचना का फ़ोन आता है।

रचना, नेहा और सागर दोनों की दोस्त थी, लेकिन उसे नेहा और सागर के रिश्ते के बारे में कुछ नहीं पता था।

रचना, “हाय नेहा! कैसी है तू?”

नेहा, “मैं ठीक हूँ रचना, तू बता कैसी है?”

रचना, “मैं तो बिल्कुल मज़े में हूँ। तू सागर की शादी में जा रही है?”

नेहा, “सागर की शादी?”

रचना, “हाँ, सागर ने तुझे अपनी शादी का कार्ड नहीं दिया? आज उसकी शादी है।”

नेहा ने बात को मोड़ते हुए कहा, “नहीं, दरअसल मैं बहुत बिजी रहती हूँ। कॉलेज खत्म होने के बाद मैंने सागर को कभी फ़ोन नहीं किया।”

रचना, “अरे यार! तू कितनी बिजी रहती है। मेरे साथ उसकी शादी में चल, सागर तुझे देखेगा तो खुश हो जाएगा।”

नेहा, “नहीं रचना, मैं नहीं जाऊँगी। तू चली जा, मुझे भी बहुत काम है।”

रचना, “ठीक है, जैसी तेरी मर्ज़ी।”

नेहा, “सागर इतना बेरहम कैसे हो सकता है? मैं दुनिया को क्या दिखाऊँगी? मैं कैसे जीऊँगी?

स्कूल की छुट्टी के बाद नेहा घर चली जाती है। इधर राजन नेहा के बारे में सोचता है।

राजन, “नेहा कितनी सुंदर और सुशील लड़की है? मुझे अपने लिए ऐसी ही लड़की की तलाश थी।

आज तो नेहा से अपने दिल की बात कह दूँगा। उसे बता दूँगा कि मैं उससे कितना प्यार करता हूँ?”

राजन नेहा के पीछे-पीछे जाता है, लेकिन नेहा तो घर ना जाकर बीच सड़क पर चल रही थी।

नेहा के सामने से एक तेज रफ्तार बस आ रही थी। बस बार-बार हॉर्न बजा रही थी, लेकिन नेहा बस के सामने से नहीं हट रही थी। बस बिल्कुल नेहा के करीब आ चुकी थी।

नेहा की जान जाने वाली थी कि राजन ने उसे किनारे खींच लिया। नेहा की जान जाते-जाते बच जाती है।

राजन, “ये तुम क्या करने जा रही थी, नेहा?”

नेहा, “तुमने मुझे क्यों बचाया?”

राजन, “लेकिन क्यों? आखिर ऐसी क्या बात है, नेहा?”

नेहा, “लोग मुझ पर हँस देंगे। मुझे जीने नहीं देंगे।”

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राजन, “आखिर ऐसी क्या बात है?”

नेहा राजन को सागर के बारे में सारी बात बता देती है।

नेहा, “अब तुम ही बताओ राजन, जब दुनिया को पता चलेगा कि मैं बिन ब्याही माँ बनने वाली हूँ, तो क्या होगा?

लोग मेरी कितनी बेइज्जती करेंगे? मुझे और मेरे बच्चे को कौन अपनाएगा? कौन करेगा मुझसे शादी?”

राजन, “मैं करूँगा शादी। हाँ नेहा, मैं तुमसे बहुत दिन से ये बात कहना चाहता था कि मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ और तुमसे शादी करना चाहता हूँ।”

नेहा, “लेकिन ये जानते हुए भी कि मेरे पेट में किसी और का बच्चा है?”

राजन, “मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। मैं तुम्हें और तुम्हारे बच्चे दोनों को अपनाऊँगा।

आज सागर की शादी है ना? आज ही तुम्हारी शादी होगी, चलो मेरे साथ।”

राजन उसी समय नेहा को पास के मंदिर में ले जाता है और नेहा से शादी कर लेता है।

राजन, “नेहा, हम दोनों कोर्ट मैरिज भी करेंगे। मैं कल ही हमारी कोर्ट मैरिज के लिए आवेदन दे दूँगा।”

नेहा, “राजन, तुमने मुझे और मेरे बच्चे को नई जिंदगी दी है।”

राजन, “धत्त पागल, तुम्हें देखकर तो मैंने जीना सीखा है। तुम कुछ दिन के लिए जॉब छोड़ दो।

हमारे बच्चे के जन्म के बाद तुम दूसरे स्कूल में जॉब के लिए कोशिश करना। इससे किसी को पता नहीं चलेगा कि तुम पहले से प्रेग्नेंट थी।”

नेहा, “राजन, तुम मेरी कितनी परवाह करते हो। मैं तुम्हें पाकर बहुत खुश हूँ।”

राजन, “और तुम्हें पाकर मेरी जिंदगी पूरी हो गई है।”

राजन नेहा को गले से लगा लेता है। एक महीने के बाद दोनों कोर्ट मैरिज कर लेते हैं।


दोस्तो ये Moral Story आपको कैसी लगी, नीचे Comment में हमें जरूर बताइएगा। कहानी को पूरा पढ़ने के लिए शुक्रिया!


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