ससुर जी की गर्लफ्रेंड | SASUR JI KI GIRLFRIEND | Saas Bahu Ki Kahani | Family Story | Saas Bahu Stories

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” ससुर जी की गर्लफ्रेंड ” यह एक Family Story है। अगर आपको Saas Bahu Stories, Moral Stories या Saas Bahu Ki Kahaniyan पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।


गौरवी के ससुर दिखने में बेहद हैंडसम थे। गौरवी की सहेलियां ये कहकर मजाक उड़ातीं कि तेरे ससुर तो अभी जवान हैं। 

उनका कहीं ना कहीं चक्कर जरूर चल रहा होगा? लेकिन गौरवी तब हैरान रह जाती है, जब उसे ये पता चलता है कि उसके ससुर की सच में एक गर्लफ्रेंड है।

ये कहानी शुरू होती है गौरवी और चिराग की शादी से। चिराग के घर में शादी की तैयारियां चल रही हैं। चिराग के पिता सुदीप अपनी पत्नी ज्योत्सना को आवाज लगाते हैं।

सुदीप, “ज्योत्सना… ज्योत्सना।”

ज्योत्सना, “जी, क्या बात है? क्यों चिल्ला रहे हैं?”

सुदीप, “जल्दी से मेरी शेव बना दो। हमें बारात लेकर निकलना है।”

ज्योत्सना, “धत्त… ये आप क्या कह रहे हैं? आप ससुर बनने वाले हैं। अब ये सब अच्छा लगेगा क्या?”

सुदीप, “इसमें क्या बुराई है? हमारी शादी के बाद से मेरी शेव तुम ही बनाती रही हो। अब बेटे की शादी हो रही है, तो क्या तुम मेरे काम नहीं करोगी?”

ज्योत्सना, “अब हमें ये सब शोभा नहीं देता। आप अपनी शेव खुद बना लीजिए। वैसे भी मुझे बहुत काम है।”

ज्योत्सना वहां से चली जाती है। सुदीप को अपना शेव खुद बनाना पड़ा है। 

तैयार सुदीप के बेटे अपने चिराग की बारात लेकर गौरवी के घर जाते हैं, जहां सुदीप की देशी महिलाओं के बीच चर्चा का विषय बनी हुई है।

महिला, “ये दूल्हे का पिता है या खुद दूल्हा है?”

दूसरी महिला, “इसे दूल्हे का पिता कौन कहेगा? ये तो अभी जवान है। कितना गोरा-चिट्टा और हैंडसम इंसान है? इस पर तो लड़कियां मरती होंगी।”

महिलाएं सुदीप को निहारती जा रही हैं। जयमाला के समय गौरवी की सहेलियों ने भी चुटकी ली।

सहेली, “गौरवी, तेरे ससुर तो नौजवानों को भी मात दे रहे हैं। बिल्कुल छैन छवीले बागा जवान हैं।”

गौरवनी, “चुप रहो तुम, वो मेरे प्रिय लोग हैं।”

सहेली, “होंगे तेरे ससुर जी, लेकिन कई जवान दिलों की धड़कनें भी होंगे। मैं पक्का कह सकती हूं कि इनकी जरूर कोई गर्लफ्रेंड होगी।”

गौरवी की सहेलियां हंसने लगती हैं। हंसी-मजाक के साथ शादी की रस्में पूरी हो जाती हैं और गौरवी विदा होकर ससुराल आ जाती है।

शादी के कुछ दिनों के बाद गौरवी और चिराग हनीमून पर जाने का प्लान बनाते हैं।

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सुदीप, “जरूर जाओ बेटा। तुम दोनों घूमो-फिरो और खूब मजे करो। 

मैं तो कहता हूं कि मैं और तुम्हारी मां भी सेकेंड हनीमून मनाकर आते हैं। क्यों ज्योत्सना, गोवा चलोगी?”

ज्योत्सना, “आपको बेटे-बहू के सामने ऐसी बात कहते हुए शर्म नहीं आती?”

सुदीप, “इसमें कैसी शर्म? मैं अपनी पत्नी से हनीमून पर चलने के लिए कह रहा हूं, किसी गैर से तो नहीं कहा ना?”

ज्योत्सना, “कम से कम हमारी उम्र का तो ख्याल कर लीजिए। हनीमून पर जाने की हमारी उम्र नहीं है।”

सुदीप, “हमारी उम्र को क्या हुआ है?”

ज्योत्सना, “अब हम सास-ससुर बन गए हैं।”

सुदीप, “ये किसने कहा कि सास-ससुर बनने के बाद हम घूम-फिर नहीं सकते?”

ज्योत्सना, “आप ही घूम आइए। मुझे घर में बहुत काम है।”

दूसरे दिन गौरवी और चिराग हनीमून पर पेरिस चले जाते हैं और सुदीप गोवा। ज्योत्सना घर पर अकेली रह जाती है। अपने हनीमून पर एक दिन गौरवी ने चिराग से पूछा।

गौरवी, “चिराग, पिताजी सच में गोवा अकेले गए हैं?”

चिराग, “हाँ, माँ उनके साथ नहीं गई, तो अकेले ही गए होंगे ना?”

गौरवी, “लेकिन गोवा कोई अकेले जाते हैं क्या?”

चिराग, “तुम कहना क्या चाहती हो?”

गौरवी, “कहीं पिताजी की कोई गर्लफ्रेंड तो नहीं है, जिसके साथ में गोवा गए हों?”

चिराग, “तुम्हारा दिमाग तो खराब नहीं हो गया? माना कि पिताजी जिंदादिल इंसान हैं, लेकिन वो माँ को धोखा नहीं दे सकते।”

गौरवी, “नहीं, मेरा मतलब है कि पिताजी हैंडसम हैं, स्मार्ट हैं, उन पर लड़कियां मरती होंगी।”

चिराग, “हाँ, पिताजी बताते हैं कि कॉलेज के दिनों में उनपर कई लड़कियां फ़िदा थीं। लेकिन पिताजी ने कभी किसी लड़की की तरफ आंख उठाकर भी नहीं देखा। 

लेकिन तुम पिताजी के बारे में सोचकर हमारा हनीमून क्यों वेस्ट कर रही हो? चलो हम बीच पर चलते हैं।”

गौरवी और चिराग पेरिस में खूब मस्ती करते हैं। एक सप्ताह बाद दोनों घर वापस लौट आते हैं। सुदीप भी गोवा से लौट आया था। 

सुदीप ज्योत्सना को डिजाइनर वन पीस गाउन देता है, जो वो गोवा से लेकर आया था।

ज्योत्सना, “ये क्या है?”

सुदीप, “वन पीस गाउन है। इसे पहनकर तुम जवान लगोगी।”

ज्योत्सना, “सारी जिंदगी मैंने साड़ी के अलावा और कुछ नहीं पहना। अब मैं ये कपड़े पहनूंगी?”

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सुदीप, “इसमें क्या बुराई है? कितना स्टाइलिश तो है?”

ज्योत्सना, “मैं इसे नहीं पहन सकती।”

ज्योत्सना गाउन को अलमारी में रख देती है। दिन गुजर रहे थे। एक बार की बात है, चिराग और गौरवी डिनर करने रेस्टोरेंट गए। वहाँ गौरवी मेन्यू ऑर्डर करती है।

गौरवी (वेटर से), “भैया, आप एक प्लेट वेज हक्का नूडल्स, चिली पनीर और दो कोल्ड कॉफी ले आओ।”

वेटर, “ओके मैम।”

वेटर को ऑर्डर देने के बाद गौरवी की नजर पीछे वाले टेबल पर बैठे शख्स पर जाती है, जो कि सुदीप था।

गौरवी, “चिराग, वो देखो… सामने पिताजी बैठे हैं।”

चिराग (बिना देखे), “गौरवी, तुम्हें यहाँ पिताजी कैसे दिख गए? वो तो वर्मा अंकल के घर गए हैं। वहाँ दोस्तों के साथ उनकी पार्टी है।”

गौरवी, “लेकिन उनकी पार्टी तो यहाँ हो रही है, वो भी एक जवान लड़की के साथ। ज़रा पीछे तो देखो।”

चिराग ने पीछे देखा तो सचमुच में सुदीप एक जवान लड़की के साथ बैठा था। चिराग और गौरवी उस लड़की का चेहरा नहीं देख पाए, क्योंकि उसने कपड़े से अपना चेहरा ढका हुआ था।

चिराग, “पिताजी ने माँ से झूठ क्यों कहा कि वह वर्मा अंकल के घर जा रहे हैं? और पिताजी के साथ ये लड़की कौन है?”

गौरवी, “ये लड़की उनकी गर्लफ्रेंड है। अपनी गर्लफ्रेंड से मिलने के लिए उन्होंने माँ से झूठ बोला। 

तुम तो कहते थे कि पिताजी ने कभी किसी लड़की की तरफ आंख उठा कर नहीं देखा, वे माँ को धोखा नहीं दे सकते, 

फिर ये सब क्या है? माँ को पता चलेगा तो उन पर क्या बीतेगी?”

चिराग, “तुम माँ को कुछ मत बताना, नहीं तो माँ टूट जाएंगी।”

चिराग और गौरवी डिनर करके घर लौट आते हैं। सुदीप लेट नाइट घर लौटता है।

ज्योत्सना, “आज बहुत देर हो गई।”

सुदीप, “तुम तो जानती हो कि वर्मा कितना बातूनी है? बातें करते हुए कब समय बीत गया, पता ही नहीं चला?”

ज्योत्सना, “चलिए, खाना खा लीजिए।”

सुदीप, “मैंने खाना खा लिया है।”

इतना कहकर सुदीप सो जाता है।

ज्योत्सना (अपने आप से), “आज से पहले इन्होंने कभी मेरे बगैर खाना नहीं खाया। आज इन्हें क्या हो गया? कहीं ये मुझसे नाराज तो नहीं?”

ज्योत्सना बिना खाना खाए सो जाती है। दूसरे दिन ज्योत्सना और गौरवी घर पर अकेले थे।

गौरवी, “माँ जी, पिताजी कहाँ गए?”

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ज्योत्सना, “तेरे पिताजी ने आज से योगा क्लास जॉइन कर लिया है, वहीं गए हैं।”

गौरवी, “माँ जी, मैं बोर हो रही हूँ। चलिए ना हम लोग मूवी देखने चलते हैं।”

ज्योत्सना, “लेकिन बहू, घर में बहुत काम पड़ा है।”

गौरवी, “माँ जी, काम तो होते रहेंगे ना? चलिए ना, बहुत अच्छी मूवी लगी है।”

गौरवी के जिद करने पर ज्योत्सना मूवी देखने के लिए तैयार हो जाती है। दोनों मूवी देखने के लिए हॉल में जाते हैं, 

जहाँ गौरवी और ज्योत्सना की नजर कॉर्नर सीट पर बैठे सुदीप पर जाती है। सुदीप के बगल में एक लड़की बैठी थी, जिसका चेहरा कपड़े से ढका हुआ था।

ज्योत्सना, “तेरे पिताजी यहाँ क्या कर रहे हैं? उनके साथ ये लड़की कौन है?”

गौरवी, “यही दिखाने के लिए तो मैं आपको यहाँ लायी हूँ। ये लड़की पिताजी की गर्लफ्रेंड है।”

ज्योत्सना, “क्या? क्या गर्लफ्रेंड?”

गौरवी, “हाँ, मैंने और चिराग ने पिताजी को इस लड़की के साथ कल रेस्टोरेंट में देखा था। आज मैंने पिताजी को फ़ोन पर बात करते हुए सुन लिया था कि वे मूवी जाने का प्लान बना रहे थे।”

ज्योत्सना, “ये लड़की तेरे पिताजी की गर्लफ्रेंड नहीं हो सकती। तुझे जरूर कोई गलतफहमी हुई है।”

ज्योत्सना सुदीप की ओर से नजरें हटा लेती है और मूवी देखने लगती है, लेकिन उसका ध्यान सुदीप पर ही था। 

मूवी खत्म होने के बाद वे दोनों घर आ जाती हैं। थोड़ी देर के बाद सुदीप भी घर आ जाता है।

ज्योत्सना, “कहाँ चले गए थे आप?”

सुदीप, “आज मेरा बचपन का दोस्त रवि लंदन से आ रहा था। उसे रिसीव करने एयरपोर्ट गया था।”

ज्योत्सना, “मैं आपके लिए चाय बना कर लाती हूँ।”

ज्योत्सना रसोई में चली जाती है, वहाँ गौरवी आती है।

गौरवी, “देखा माँ जी? पिताजी ने आपसे झूठ बोला। अब तो आपको यकीन हो गया ना कि वो लड़की पिताजी की गर्लफ्रेंड है?”

ज्योत्सना, “मेरा दिल अब भी मानने को तैयार नहीं है।”

दिन गुजर रहे थे। सुदीप ज्योत्सना से खिंचा-खिंचा सा रहने लगा था। वो सारा दिन अपने मोबाइल फ़ोन पर लगा रहता। 

एक दिन सुदीप फ़ोन पर किसी से बात कर रहा था, जिसे ज्योत्सना ने सुन लिया। ज्योत्सना गौरवी के पास जाती है।

ज्योत्सना, “गौरवी बहू, चल आजा दोनों वाटर पार्क घूमने चलते हैं।”

गौरवी, “क्या बात है माँ जी, आज आप वाटर पार्क जाना चाहती हैं? वहाँ स्विमिंग करने का इरादा है क्या?”

ज्योत्सना, “यही समझ ले?”

गौरवी, “ठीक है, मैं तैयार होकर आती हूँ।”

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तैयार होकर दोनों सास-बहू वाटर पार्क पहुँच जाते हैं।

गौरवी, “माँ जी, चलिए स्विमिंग सूट पहन लीजिए।”

ज्योत्सना, “बहू, मैं यहाँ स्विमिंग करने नहीं आई। वो देख, तेरे पिताजी उसी लड़की के साथ वहाँ बैठकर कॉफ़ी पी रहे हैं।”

ज्योत्सना इशारा करके गौरवी को दिखाती है। उस लड़की ने अपने चेहरे को कपड़े से ढका हुआ था।

गौरवी, “ये तो वही लड़की है। पिताजी ने तो हद ही कर दी।”

ज्योत्सना, “हद तो अब मैं करूँगी।”

ज्योत्सना सुदीप के पास जाती है। गौरवी भी उसके पीछे-पीछे वहाँ पहुँचती है।

सुदीप, “ज्योत्सना… गौरवी, तुम दोनों यहाँ?”

ज्योत्सना ने बिना कुछ कहे ही सुदीप को एक चांटा जड़ दिया।

सुदीप, “ज्योत्सना, अपने पति को थप्पड़ मारते हुए तुम्हे शर्म नहीं आती?”

ज्योत्सना, “नहीं। ठीक उसी तरह, जिस तरह तुम्हें गर्लफ्रेंड बनाकर उसके साथ गुलछर्रे उड़ाते हुए शर्म नहीं आती।”

सुदीप, “कौन गर्लफ्रेंड? मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है।”

ज्योत्सना, “ये कौन है?”

ज्योत्सना ने उस लड़की के चेहरे से कपड़ा हटा दिया। लेकिन उसे देखते ही वो हैरान रह गई।

ज्योत्सना, “निवेदिता, तू?”

निवेदिता, “जी, चाची जी।”

निवेदिता ने पैर छूकर ज्योत्सना का आशीर्वाद लिया। दरअसल निवेदिता सुदीप के बड़े भाई की बेटी थी।

निवेदिता, “सॉरी चाची जी! हमने आपको बहुत परेशान किया। मेरे कहने पर ही चाचा जी और मैंने ये सब नाटक किया था।”

ज्योत्सना, “नाटक?”

निवेदिता, “हां, चाचा जी ने मुझे बताया कि आप खुद को बूढ़ा समझने लगी हैं और चाचा जी के साथ घूमना-फिरना, उठना-बैठना सब बंद कर दिया है। 

आपकी उदासी के कारण चाचा जी बहुत अकेला महसूस कर रहे थे। इसलिए मैंने गर्लफ्रेंड वाले नाटक का प्लान बनाया। 

चाचा जी जान बूझकर फ़ोन पर ज़ोर-ज़ोर से बातें करते थे, ताकि आप लोग सुनकर हमारे पीछे आओ। चाची जी, हमें जिंदगी जीने के लिए मिली है। जिंदगी हर उम्र में खुलकर जीनी चाहिए।”

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ज्योत्सना, “मुझे समझ आ गया, बेटी। तूने मेरी आँखें खोल दीं। अब मैं तेरे चाचाजी को कभी अकेला नहीं महसूस होने दूंगी।”

ज्योत्सना सुदीप से माफी मांगती है। सुदीप उसे माफ़ कर देता है।

गौरवी, “पिताजी, मुझे भी माफ़ कर दीजिए। मैंने भी आपको गलत समझा।”

सुदीप गौरवी को भी माफ़ कर देता है। चारों एक साथ घर आ जाते हैं।


दोस्तो ये Saas Bahu Story आपको कैसी लगी, नीचे Comment में हमें जरूर बताइएगा। कहानी को पूरा पढ़ने के लिए शुक्रिया!


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