हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” चमत्कारी अंगूठी ” यह Jadui Kahani एक है। अगर आपको Hindi Stories, Moral Story in Hindi या Hindi Fairy Tales पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
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चमत्कारी अंगूठी
एक गांव में निर्मला नाम की एक औरत रहती थी। निर्मला की एक बेटी थी जिसका नाम काजल था और उसके पति के गुजर जाने के बाद घर की सारी जिम्मेदारी उसके सर आ गयी थी।
वो दूसरों के घर में काम करके अपनी बेटी का पेट पालती थी। एक दिन काजल अपने स्कूल से आ रही होती है।
निर्मला,” क्या हुआ बेटी..? तू इतनी जल्दी स्कूल से कैसे आ गई ? तेरी तबियत तो ठीक है ना ? “
काजल,” माँ मुझे स्कूल से निकाल दिया है। आपने तीन महीनों से मेरी स्कूल की फीस नहीं दी। टीचर ने कहा है – जब तक फीस नहीं लाओगे, स्कूल मत आना। “
निर्मला,” मेरी बच्ची, मुझे माफ़ कर दे। मेरी वजह से तेरा स्कूल भी छूट गया। “
काजल,” नहीं मां, इसमें आपकी क्या गलती ? आपसे जितना हो पाता है, आप करती हो। “
निर्मला,” मैं मालकिन से उधार लेकर तेरी फीस जल्दी भर दूंगी। ठीक है ना ? “
काजल,” अब ये सब छोड़ो, चलो ना खाना खाते हैं। “
निर्मला जाती है और काजल के लिए खाना लेकर आती हैं।
काजल,” क्या हुआ मां..? आपका खाना कहाँ है ? “
निर्मला,” अरे ! वो मुझे भूख लगी थी तो मैंने पहले ही खा लिया था। तू अब खाले। “
काजल समझ जाती है कि उसकी माँ ने खाना नहीं खाया और जितना खाना था, वो उसे दे दिया।
कई दिन गुजर गए लेकिन निर्मला काजल की स्कूल की फीस नहीं भर पाई।
काजल भी समझ गई थी कि अब वह शायद स्कूल कभी नहीं जा पायेगी।
एक दिन…
काजल,” माँ तुम काम पर चली जाती हो, मैं यहाँ अकेले रहती हूँ। मैं भी आपके साथ चलूँ, आपकी थोड़ी मदद भी कर लूँगी ? “
निर्मला,” अच्छा, चल ठीक है। “
दोनों माँ बेटी जाती हैं। उन दोनों को देखकर अनीता जिसके यहाँ निर्मला काम करती थी, कहती है,” अरे निर्मला ! ये कौन हैं ? “
निर्मला,” मालकिन, ये मेरी बेटी है काजल। “
अनीता,” तो तुम इसे यहाँ क्यों लाई हो ? “
निर्मला,” मालकिन, वो… अकेली थी ये इसलिए आ गई मेरे साथ। “
अनीता,” अच्छा अच्छा कोई बात नहीं, चलो जल्दी से काम पर लग जा। “
निर्मला काम करने लग जाती हैं और काजल वहाँ पड़ी एक बुक उठा लेती है और पढ़ने लग जाती है। इतने में अनीता वहाँ आ जाती है और कहती है।
अनीता,” अरे रे ! ये क्या कर रही है तू ? “
अनीता,” निर्मला, अरे ओ निर्मला ! कहां है ? “
निर्मला,” जी मालकिन, कहिए। “
अनीता,” निर्मला, अपनी बेटी को देख पढ़ रही है। इसे घर के काम सिखा, वही इसके काम आएगा, ये पढ़ाई लिखाई नहीं। “
काजल,” मालकिन, आप ऐसा क्यों कह रही हैं ? मैं पढ़ना चाहती हूँ। “
अनीता,” एक नौकरानी की बेटी होकर तू पढ़ाई करेगी ? जा जाकर काम कर। “
निर्मला चुपचाप काम करने लगती है लेकिन उसे अनीता की बातों का बहुत बुरा लगता है। वो काम करके घर पहुंचती हैं।
और माँ लक्ष्मी के सामने जाकर रोने लगती हैं।
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निर्मला (रोते हुए),” मैंने ऐसी क्या गलती कर दी जिसकी सजा मेरी बेटी को मिल रही है ?
मैंने अपने पूरे जीवन में कभी किसी के साथ कुछ गलत नहीं किया, किसी के साथ कोई छल नहीं किया।
फिर भी मैं अपनी बेटी को अच्छे से पढ़ा नहीं पा रही। उसे ढंग से दो वक्त का खाना नहीं दे पा रही। “
तभी उस मूर्ति से आवाज आई।
मूर्ति,” निर्मला, तुम परेशान मत हो। मनुष्य को जीवन में अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। लेकिन आज तुम्हारी सारी परेशानियों का अंत हो जाएगा। “
तभी एक बहुत तेज रौशनी में एक जादुई अंगूठी सामने आ जाती है।
निर्मला,” माँ, मैं इस अंगूठी का क्या करूँगी ? “
मूर्ति,” ये कोई साधारण अंगूठी नहीं है। ये एक जादुई अंगूठी है। इस अंगूठी से जो चीज़ तुम चाहोगी, वो तुरंत मिल जाएगी। बस इस अंगूठी को घुमाना और मुझे याद करना। “
निर्मला,” धन्यवाद मां ! धन्यवाद…। “
मूर्ति,” लेकिन निर्मला, एक बात का हमेशा ध्यान रखना कि ये अंगूठे किसी गलत व्यक्ति के हाथ नहीं लगनी चाहिए। “
निर्मला,” जी मां, मैं ध्यान रखूंगी माँ। “
निर्मला वो अंगूठी पाकर बहुत खुश थी।
निर्मला,” यहाँ अभी कोई नहीं है। चलो इस अंगूठी की परीक्षा लेती हूँ। “
निर्मला अंगूठी को घुमाती हैं और माँ लक्ष्मी का ध्यान करते हुए अच्छे खाने की कामना करती हैं वैसे ही एक टेबल पर लज़ीज़ खाना आ जाता है।
वो और उसकी बेटी पेट भरकर खाना खाते हैं और चैन की नींद सो जाते हैं।
एक दिन…
काजल,” माँ, आप इस अंगूठी की मदद से मेरी फीस भर दो ना। “
निर्मला,” हाँ मेरी बच्ची, मैं अभी इस अंगूठी की मदद से तुम्हारी फीस का इंतजाम करती हूँ। “
निर्मला फिर माँ लक्ष्मी का ध्यान करती है, अंगूठी को घुमाती हैं और पैसों की कामना करती है और उसे पैसे मिल जाते हैं।
वो उन पैसों से काजल की फीस भर देती है। उस अंगूठी की मदद से निर्मला ने वो सब हासिल कर लिया, जो उसे चाहिए था।
इसके साथ ही उसने अपने लिए बहुत सारी गाय खरीदीं जिनका दूध निकालकर वो बेचने लगी। थोड़े ही दिन में निर्मला की गरीबी दूर हो गई और वो अमीर हो गयी।
उस अंगूठी की मदद से वो निर्धन लोगों की मदद करने लगी। लेकिन गांव के कई लोगों को ये बात खटकने लगी और लोग आपस में बात करने लगे। उसके पड़ोस में रहने वाली औरतें भी उससे जलने लगीं।
पड़ोस में रहने वाली दो औरतें बात करते हुए…
पहली औरत,” अरे जीजी ! इस निर्मला के पास ना जाने इतना धन कहाँ से आ गया ? कल तक तो इसके पास खाने को नहीं था और अब देखो सब है। “
दूसरी औरत,” हाँ निशा, तू सही कह रही है। कुछ तो बात है। हमें इसका पता लगाना होगा। “
पहली औरत,” हाँ जीजी, सही कह रही हो आप। दोनों देवरानी और जेठानी मिलकर निर्मला के घर की निगरानी करने लगीं और एक दिन उन्होंने निर्मला को उस अंगूठी का इस्तेमाल करते देखा।
फिर क्या था..? एक दिन निशा (पहली औरत) ने मौका पाकर उस अंगूठी को चुरा लिया।
अगले दिन…
निशा अपनी जेठानी के पास आई।
निशा,” यह देखो जीजी, मेरे पास क्या है ? “
निशा की जेठानी,” अरे निशा ! यह तो वही एक अंगूठी है जिसकी वजह से निर्मला इतनी अमीर हो गई है। “
निशा,” हां जीजी, यह वही अंगूठी है। “
निशा की जेठानी,” ला, ला मुझे दे। “
निशा,” आपको क्यों दूं ? इसे चुराकर तो मैं लाई हूं ना। “
निशा की जेठानी,” लेकिन बड़ी तो मैं हूं ना। इस घर में जो चीज आती है, वह सबसे पहले मुझे दी जाती है। “
इस बात को लेकर दोनों में लड़ाई हो जाती है और मारपीट हो जाती है। लड़ते-लड़ते दोनों को काफी चोटें आ जाती हैं जिसकी वजह से वो बेहोश हो जाती हैं।
इधर निर्मला को अंगूठी नहीं मिल रही थी जिसकी वजह से वह काफी परेशान थी। वह घर के आस-पास अंगूठी ढूंढना शुरू कर देती है।
तभी उसकी नजर बेहोश पड़ी निशा पर जाती है। जब निर्मला निशा के पास जाती है तो उसे नजर आता है कि निशा के साथ-साथ उसकी जेठानी भी बेहोश पड़ी हुई है और निशा के हाथ में वही अंगूठी है।
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निर्मला,” अंगूठी को पाने के चक्कर में यह जेठानी देवरानी आपस में लड़ रहे हैं। ऐसे तो बहुत से लोग इस अंगूठी को पाने के चक्कर में लड़ाई कर सकते हैं।
मैं इस अंगूठी को ही खत्म कर दूंगी जिससे सभी का लालच ही खत्म हो जाएगा। “
निर्मला निशा के हाथ से अंगूठी लेती है और पास ही नदी में जाकर फेंक देती है।
इसके बाद निर्मला अपनी गायों का दूध बाजार में बेचकर अपने परिवार के साथ खुशी-खुशी करने लगती है।
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