लालची पहलवान | Lalchi Pahalwan | Hindi Kahaniya | Moral Stories | Bed Time Story | Hindi Kahani | Hindi Fairy Tales

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” लालची पहलवान ” यह एक Bedtime Story है। अगर आपको Hindi Kahaniya, Moral Story in Hindi या Bedtime Stories पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
लालची पहलवान | Lalchi Pahalwan | Hindi Kahaniya | Moral Stories | Bed Time Story | Hindi Kahani | Hindi Fairy Tales

Lalchi Pahalwan | Hindi Kahaniya | Moral Stories | Bed Time Story | Hindi Kahani | Hindi Fairy Tales

 एक बार की बात है। रायपुर गांव में एक पहलवान रहा करता था। वो बहुत ही बदमाश आदमी था। गांव के बड़े बड़े लोग उसे पैसे देकर काम कराते थे। 
एक दिन…
पहलवान (कसरत करते हुए),” 120…121…122…23…24…25 “
पत्नी,” अजी सुनिए, सेठ जी के लोग आये है। आपको बुला रहे हैं। “
पहलवान,” आता हूँ। “
पहलवान,” बताओ क्या काम है ? “
वो सेठ जी ने बुलाया है तुम्हें। तुम्हारे लिए एक काम है। मोटा पैसा मिलेगा इस बार। “
दोनों मुस्कुराने लगे। 
पहलवान,” आता हूँ अभी रुको। “
इसके बाद मल्लू पहलवान तैयार हो के सेठ जी के घर पहुंचा। 
पहलवान,” जी बताइए, क्या काम है ? “
सेठ,” आओ मल्लू पहलवान, बैठो। वो हमारे गांव का भीखू है ना, उसने मुझसे कुछ पैसे लिए थे। 
लेकिन इस बार उसकी फसल खराब हो गयी है। अब वो कह रहा है कि अगले साल दूंगा। 
अब भला इन लोगों की सुनता रहा तो एक दिन सड़क पर आ जाऊंगा। तुम समझ रहे हो ना, मैं क्या कह रहा हूँ ? “
पहलवान,” हाँ सेठ जी, समझ गया। “
 सेठ,” ये बात… अब तुम ऐसा करो, उसे धमकाओ और पैसे देने को कहो। ये काम मैं अपने आदमियों से भी करवा सकता हूँ लेकिन ये सब किसी काम के नहीं। 
इसीलिए मैंने तुम्हे बुलाया है। इसीलिए जो भी करना है ध्यान से करना है। “
पहलवान,” जी, सेठ जी। “
सेठ,” ये रहा अभी थोड़ा पैसा, बाकी काम खत्म होने के बाद मिलेगा। “
पहलवान,” काम हो जाएगा। “
इसके बाद मल्लू पहलवान भीखू के घर पहुंचा। 
पहलवान,” भीखू… भीखू। “
भीखू,” क्या हुआ भाई ? “
पहलवान,” ये बताओ, सेठ का पैसा कब तक देगा ? “
भीखू,” भाई, मेरी फसल खराब हो गयी है। मेरे पास इतने पैसे नहीं है जिससे मैं सेठ जी का कर्ज दे सकूँ। “
पहलवान,” चुपचाप देता है या नहीं ? “
मल्लू ने भीखू के सिर पर डंडा मारकर उसे बेहोश कर दिया। 
भीखू की मां,” छोड़ दो मेरे बेटे को, छोड़ दो। हम धीरे धीरे सेठ जी का पैसा दे देंगे। “
भीखू की पत्नी,” जाने दीजिए इन्हे। ये लीजिये। “
पत्नी ने अपने कान के कुंडल निकालकर पहलवान को दे दिए। 
भीखू की पत्नी,” लीजिये, इससे इस साल का कर्ज उतर जाएगा। “
पहलवान,” पहले ही दे देते तो भीखू को यूं पीटना नहीं पड़ता। चलता हूँ मैं अब। “
भीखू की हालत देखकर भीखू की पत्नी और उसकी माँ रोने लगीं। इसके बाद मल्लू पहलवान सेठ जी के घर पहुंचा। 
पहलवान,” ये लीजिये सेठ जी। “
सेठ,” अरे वाह ! मुझे पता था तुम जरूर काम पूरा करके ही आओगे। इन नालायकों को धमकाना भी नहीं आता। ये लो तुम्हारे बाकी के पैसे। जाओ मज़े करो। “
पहलवान,” धन्यवाद सेठ जी ! कोई काम हो तो जरूर याद करना। “
इसके बाद मल्लू पहलवान वहाँ से चला गया। रास्ते में उसे एक जूस वाला मिला।
पहलवान,” चार गिलास गन्ने का जूस बना दो, भाई। “
जूसवाला,” आ जाओ भैया, अभी बना देता हूँ। ये लीजिये भैया जी। “
मल्लू चार गिलास गन्ने का जूस पीने के बाद जाने लगा। 
जूसवाला,” भैया… भैया जी, पैसे तो दे दीजिये। “
पहलवान,” मुझसे पैसे लेगा ? अपना ठेला बंद करवाना चाहता है क्या ? “
जूसवाला,” नहीं नहीं भैया जी, माफ़ कर दीजिये गलती हो गयी। आप जाईये, नहीं चाहिए हमको पैसा। “
पहलवान,” ये की अक्लमंदी की बात। “
इसके बाद मल्लू पहलवान घर लौट आया। 
पहलवान,” सुनो, ज़रा खाना लगा दो। “
पत्नी,” अभी लायी। और जी, क्यों आये थे वो आदमी ? अब किसको मार कर आ रहे हो ? 
जब देखो मारपीट लगा रखी है। आप कोई काम क्यों नहीं पकड़ लेते ? कब तक यूं ही मारपीट करते रहेंगे ? “
पहलवान,” तुम अपना काम करो। मुझे मत सिखाओ मुझे क्या करना है, समझी ? जाओ अब खाना लेकर आओ। “
पत्नी,” मुझे तो नौकर बनाकर रखा है इस घर में बस। लाती हूँ। “
मल्लू ने खाना खाया। शाम को मल्लू बाहर टहलने निकला। उसने चलते हुए एक ठेले से दो आम उठा लिए। ठेलेवाला बिना कुछ बोले चला गया। 
इसके बाद मल्लू भी वहाँ से आगे चला गया। मल्लू दुकानों में गया और हफ्ता मांगने लगा। उसके डर के कारण सभी लोग इसे हफ्ता दे दिया करते थे। 

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पहलवान,” और नाथूलाल, इस बार की मिठाइयां घर नहीं पहुंची। पहले ही बता देता हूँ दोबारा बोलने की जरूरत ना पड़े बस। समझ गए ना ? मिठाइयां समय पर घर पर पहुँच जानी चाहिए। “
मिठाईवाला,” हां जी, समझ गया। वो लड़का थोड़ा बीमार था। वो जैसे ही आएगा, आपके घर पहुंचा दूंगा सारा सामान। “
पहलवान,” ठीक है। बाकी भी सुनो… कल तक घर पर सारा सामान पहुँच जाना चाहिए, ठीक है। “
इसके बाद मल्लू पहलवान अखाड़े चला गया। 
मल्लू का भाई,” और ये मल्लू, गांव कैसे आना हुआ ? “
पहलवान,” बस भैया, सोचा आपसे मिल लूं। “
मल्लू का भाई,” अरे ! जब से तू गया है, तब से इस अखाड़े की मानो रौनक चली गयी। तेरे जैसा न कोई था ना कोई बन पाएगा ये सारे तो चूजे ही रह जायेंगे। “
पहलवान,” आप तो खामखां ही मेरी तारीफ कर रहे हैं भैया। आपसे मिल लिया, बस आज का दिन बन गया। 
अपने चूजों को कहो कि खाना पीना खाया करें। क्या सूखा सा शरीर लेकर घूम रहे हैं। “
बाकी पहलवान गुस्से से उसकी तरफ देखते हुए चले गये। 
पहलवान,” चलिए भैया मैं चलता हूं। “
मल्लू का भाई,” ठीक है मल्लू। “
इसके बाद मल्लू पहलवान घर की तरफ चल पड़ा। 
मल्लू की पत्नी,” आ गए लोगों को धमका के..? डर के मारे लोगों ने क्या क्या भेजा है ? क्यों करते हो ये सब ? “
पहलवान,” जब देखो तुम कचकच करती रहती हो। कभी चुप भी रह लिया करो। जिसे तुम मेरा डराना धमकाना कहती हो ना, इसी के बदले घर में राशन आता है। 
तुम्हारे लिए साड़ियां आती हैं। ये जो बढ़िया बढ़िया चीज़ तुम देख रही हो ना, वो आती है। 
आज के बाद अगर तुम कुछ बोली ना तो तुम्हें तुम्हारे मायके भेज दूंगा, समझी..? जब देखो सर में दर्द करके रखा है। “
शारदा रोते रोते अंदर चली गई। उस दिन दोनों बिना खाये सो गए और उस दिन के बाद से दोनों के बीच बातचीत बंद हो गई। 
दोनों अपना अपना काम करते और सो जाते। इसी तरह दिन बीतते गए। एक दिन मल्लू पहलवान नशे की हालत में रात को घर जा रहा था। 
तभी रास्ते में उसे कुछ लोगों ने पकड़ लिया और उससे मारपीट करने लगे। 
आदमी (पीटने वाला),” मारो इसे…. मारो। जब तक इसका घमंड नहीं जायेगा, तब तक मारो। 
इसे बड़ा घमंड है ना खुद पर ? आज इसका घमंड ही तोड़ते‌ हैं। मारो… और मारो। “
तभी वहाँ साइकल पर एक आदमी आ रहा होता है। वो सब उसकी टॉर्च की रौशनी को देखकर डर गए। 
आदमी,” जल्दी निकलो यहाँ से। लगता है कोई आ रहा है। भागो, जल्दी चलो। 
पहलवान,” बचाओ… कोई है ? मदद करो मेरी। बचाओ मुझे। “
साइकिल वाला आदमी,” यह आवाज़ किसकी है ? “
साइकिल वाला आदमी जब थोड़ा पास आया तो उसने देखा कि एक आदमी अधमरी हालत में जमीन पर पड़ा हुआ था। “
साइकिल वाला आदमी,” कौन हो भाई ? “
उसने टॉर्च उसकी तरफ की तो पाया कि वह तो पहलवान है।
आदमी(मन में),” मल्लू पहलवान…। क्या करूँ ? इसे कैसे बचाऊं ? बचाऊं या नहीं ? 
मैं भी ये सब क्या सोच रहा हूँ ? अगर मैं भी उन सबकी तरह हरकतें करने लगा तो उनमें और मुझमें क्या फर्क रह जाएगा ? “
इसके बाद वह आदमी उसे जैसे तैसे करके वैध के पास ले गया। 
आदमी,” वैद्यजी… वैद्यजी। “
वैद्य,” इतनी रात को कौन आया है ? “
आदमी,” जल्दी आइये। “
वैद्य,” क्या हुआ बेटा ? “
आदमी,” तेजी से इसका इलाज कर दीजिये, वरना ये मर जाएगा। “
वैद्य,” ये तो मल्लू पहलवान है। इसे बचाना चाहते हो तुम ? “
आदमी,” ये भले ही बहुत बुरा हो। लेकिन इसे इसी तरह छोड़ना कहां कि इंसानियत है ? “
वैद्य,” तुम कितने नेक इंसान को बेटा ? चलो अंदर आ जाओ। “
 वैद्यजी ने रातभर मल्लू पहलवान का इलाज किया। सुबह होते ही मल्लू पहलवान को होश आया। 
पहलवान,” मैं कहाँ हूँ ? “
वैद्य,” हिलो मत। तुम रात को रास्ते पर अधमरी हालत में पड़े हुए थे, वो तो भला हो उस व्यक्ति का जो तुम्हें आधीरात को यहाँ लेकर आया और मुझसे तुम्हें ठीक करने के लिए प्रार्थना करने लगा। “
पहलवान,” देखो मल्लू, सुधर जाओ बेटा। क्या रखा है इन चीजों में ? बाकी तुम्हारी इच्छा। “
इन सब के बाद मल्लू पहलवान बहुत दुखी हो गया। वह जैसे तैसे अपने घर पहुँच गया। 
पहलवान की पत्नी,” आपकी ये हालत किसने की ? आप ठीक तो है ना ? कल रातभर आप कहाँ थे ? आप घर क्यों नहीं आये थे ? “
पहलवान,” सारे सवाल बाहर ही पूछोगी ? कुछ सवाल बाद के लिए भी रख लो। “
पहलवान की पत्नी,” मैं भी ना… आप अंदर आ जायें। ये लीजिये, पानी पी लीजिए। “
पहलवान,” मैं तो तुमसे कितना लड़ता रहता था, तुम्हें कितना कुछ सुनाता रहता था ? लेकिन तुम फिर भी मेरी चिंता करती हो, क्यों ? “
पहलवान की पत्नी,” क्योंकि हम एक परिवार हैं। अब परिवार इन छोटी छोटी बातों से बिखरने लगा तो वो परिवार काहे का ? चलिए अब आराम करिए। “

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कुछ दिनों तक आराम करने के बाद मल्लू पहलवान अपने घर से बाहर निकला। तो उसने देखा कि जो भी उसे देख रहा है, उनमें से कोई भी उसका हालचाल नहीं पूछ रहा बल्कि सब उससे डर रहे हैं। 
पहलवान,” मैं हमेशा सोचता था कि गांव में मेरा एक रौरा है। लोग मेरी ताकत को देखकर प्रभावित होते हैं, चाहते हैं मेरे जैसा बनना। 
लेकिन आज पता चला कि कोई मेरे जैसा नहीं बनना चाहता। मैंने अपनी जिंदगी के कितने साल इस धोखाधड़ी, मारपीट, लूटपाट इन सब में बिता दिये ? 
आज ये हालत है कि कोई भी नहीं चाहता कि मैं उनके साथ रहूँ। शायद किसी को फर्क नहीं पड़ता मेरे होने से। “
ये सब चीजें सोचने के बाद मल्लू जैसे ही आगे बढ़ा, उसने देखा कि सामने भीखू खड़ा है और वो एक बूढ़े आदमी की मदद कर रहा हैं। “
बूढा,” खुश रहो। भगवान तुम्हारा भला करे। मेरी तो इच्छा है कि मेरा पोता भी तुम्हारे जैसा ही बने। “
भीखू,” अरे चाचा ! अच्छे संस्कार कभी बेकार नहीं जाते। आप बस उसे एक अच्छा इंसान बनायें। 
अच्छा इंसान बन जाएगा तो वो जरूर जैसा आप उसे देखना चाहते हो, वैसा ही बनेगा। “
बूढा,” सही कहा बेटा। “
भीखू,” चलिए चाचा, ध्यान रखिये। “
बूढा,” खुश रहो बेटा। “
इसके बाद मल्लू पहलवान भीखू के पीछे पीछे भीखू के घर पहुँच जाता है। 
भीखू,” देखो… तुम यहाँ क्यों आये हो ? “
पहलवान,” मैं जानता हूँ कि मैंने तुम्हारे साथ गलत किया है। लेकिन मैं अब तुमसे माफी मांगने आया हूँ। मुझे माफ़ कर दो। “
भीखू,” तुम्हें माफ़ करके क्या होगा ? कल को तुम किसी और के साथ वो सब करोगे ? तो भला तुम ही बताओ तुम्हें माफ़ करके क्या फायदा‌ ? 
तुम्हे बचाना मेरी जिंदगी थी, तुम्हारी जगह कोई भी होता तो मैं यही करता। “
पहलवान,” आज के बाद मैं ये गुंडागर्दी छोड़कर कुछ काम करूँगा। आज पता नहीं क्यों खुद पर शर्म आ रही है ? 
मैंने तुम्हें चोट पहुंचाई और तुमने मेरी जान बचाने से पहले एक बार नहीं सोचा। “
भीखू,” अगर ये बात है तो मैंने तुम्हें माफ़ किया। जाओ, ज़िन्दगी में कुछ अच्छा काम करो। “
इसके बाद मल्लू पहलवान अपने घर चला जाता है। अपने घर जाने के बाद मल्लू पहलवान को पुराना सब कुछ याद आने लगता है कि कैसे वह लोगों को परेशान किया करता था ? 
कैसे वो सेठ के कहने पर लोगों के साथ मारपीट करता था ? लेकिन अचानक ही मल्लू पहलवान को सेठ पर गुस्सा आने लगा।
वह मन ही मन सोचने लगा कि जब तक सेठ जैसे आदमी इस गांव में रहेंगे, तब तक लोगों को ऐसे ही ठगते रहेंगे। इसलिए उसने फैसला किया कि वह सेठ को सबक सिखाएगा और योजना बनाने लगा। 
अगले दिन कुछ लोग पहलवान के घर पहुंचे।
सेठ का आदमी,” मल्लू… तू घर पर है ? “
पहलवान,” बताओ। “
सेठ का आदमी,” अरे ! सेठ ने बुलाया है। “
पहलवान,” ठीक है, अभी आता हूँ। “
सब के सब सेठ के घर पहुंचे। 
सेठ,” आओ मल्लू, तबियत ठीक है ? “
पहलवान,” हां ठीक है। “
सेठ,” अरे ! वो अपना गिरधारी है ना ? अरे ! उसने कर्जा ले रखा था कुछ महीनों पहले अपनी बेटी की पढ़ाई के लिए। 
बेटी को पढ़ा लिखा रहा है, वो तो ठीक है। लेकिन पैसा देगा कि नहीं ? देख मल्लू, तू जा और सबक सिखा के आ। 
और ज्यादा ड्रामा करें तो बेटी को उठा के यहाँ ले आइयो। बेटी के जान के बदले वो पक्का सब लौटा देगा। क्यों… कैसी लगी मेरी योजना ? “
पहलवान,” वाह ! क्या योजना है। “
तभी मल्लू ने फ़ोन उठाया और अंदर आने को कहा। देखते ही देखते पूरा गांव वहाँ आ गया। “
सेठ,” क्या हुआ भाई..? अंदर कैसे घुसे जा रहे हो ? धर्मशाला है क्या मेरा घर ? “
देखते ही देखते सारे लोगों ने उन लोगों को घेर लिया। 
गिरधारी,” तो तू मेरी बेटी को नुकसान पहुंचाएगा ? “
सेठ का आदमी गिरधारी पर डंडे से मारने वाला था कि तभी मल्लू ने वो डंडा पकड़ लिया और ये देखकर सारे लोग उन पहलवानों को मारने लगते हैं।
मल्लू का ध्यान सेठ की तरफ जाता है, जो वहाँ से भाग रहा होता है। तभी मल्लू उसको पीछे से पकड़ लेता है। 
पहलवान,” कहां जा रहा है ? “
पहलवान,” ये लो भाइयो, इसे भी चखाओ ज़रा डंडों का स्वाद। “
उसके बाद सब सेठ को मारने लगते हैं। तभी वहाँ पुलिस आ जाती है। 
पहलवान,” साहब, इसे ले जाईए। ये लोगो की मजबूरियों का फायदा उठाता है। ये गांव वालों को कर देता है और ब्याज बढ़ा बढ़ा के उनका जीना हराम कर देता है। “
आदमी,” हाँ साहब, अगर समय पर कर ना दो तो ये मारपीट करता है और घर से सामान उठा के चला जाता। है। “
पुलिस,” तुम सब चिंता मत करो, मैं देख लूँगा। “
गिरधारी,” आज तुम्हारी वजह से मेरी बेटी सुरक्षित है। लगता है तुम बदल गए हो ? अच्छी बात है बेटा। “
सेठ,” साहब, इसे भी पकड़ लो। ये भी हर काम में मेरा साथ देता था। “

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गिरधारी,” साहब, ये झूठ बोल रहा है। आज मल्लू की वजह से ये पकड़ा गया है ना, इसलिए इस पर झूठा इल्ज़ाम लगा रहा है। क्यों भाइयों..? “
गांव वाले,” हाँ, सेठ झूठ बोल रहा है। हाँ हाँ, सेठ झूठ बोल रहा है। “
इसके बाद पुलिस सेठ को पकड़ ले जाती है। 
बूढ़ा,” मैं खुश हूँ मल्लू, तुम बदल गए हो। मैं खुश हूँ तुम्हारे लिए। “
इसके बाद मल्लू पहलवान लकड़ी बेचने का काम करने लगता है और गांव के लोगों को पहलवानी सिखाने लगता है। और तो और अपनी पत्नी शारदा के साथ शांति से अपना जीवन बिताने लगता है।
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