लालची चोर | Lalchi Chor | Hindi Kahaniya | Moral Stories | Bed Time Story | Hindi Kahani | Hindi Fairy Tales

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” लालची चोर ” यह एक Bedtime Story है। अगर आपको Hindi Kahaniya, Moral Story in Hindi या Bedtime Stories पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
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Lalchi Chor | Hindi Kahaniya | Moral Stories | Bed Time Story | Hindi Kahani | Hindi Fairy Tales

लालची चोर

रायगढ़ राज्य में जग्गी नाम का एक बहदाल से दूर और एक नंबर का बदमाश व्यक्ति रहता था। जग्गी हमेशा किसी गरीब का भोजन छीन लेता तो किसी के पैसे छीन लेता।
राजा विक्रम जग्गी की हरकतों से बहुत परेशान था। लेकिन जग्गी हमेशा राजा की दयालुता का फायदा उठाकर बच निकल जाता। 
एक दिन जग्गी एक पेड़ के नीचे आराम कर रहा था कि तभी उसने देखा, गांव के मुखिया सुखिया चाचा बड़े सज धजकर राजमहल की ओर जा रहे थे।
जग्गी,” अरे ! इतना सज धजकर कहाँ जा रहे हो मुखिया जी ? क्या राजमहल में कोई दावत वगैरह है क्या ? “
जग्गी की बात सुनकर गांव का मुखिया जग्गी के पास आकर बोला।
मुखिया,” बिल्कुल सही कहा तुमने जग्गी। क्या तुम्हें नहीं मालूम, राजा विक्रम ने आज पूरे गांव को अपने राजमहल में दावत दी है ? “
जग्गी,” किस खुशी में ? यहाँ तक मेरी जानकारी है तो आज तो राजा का कोई जन्मदिन भी नहीं है। “
मुखिया,” हाँ, लेकिन आज उनका पुत्र 10 साल का हो गया है। इसी वजह से उन्होंने सारे गांव के लोगों को दावत दी है। “
जग्गी,” 10 साल का हो गया है ? भला उसके 10 के होने से पूरे गांव की दावत का क्या संबंध है ? “
मुखिया,” दरअसल… पंडित जी ने राजा विक्रम से ऐसा करने के लिए बोला है। उन्होंने कहा है कि अगर वो ऐसा करेंगे तो उससे उनकी प्रजा और ज्यादा सुखी रहेगी। 
और तुम तो जानते ही हो कि राजा विक्रम कितने दयालु हैं और अपनी प्रजा के लिए वो कितनी चिंता करते हैं ? “
जग्गी,” फिर तो काफी अच्छे अच्छे पकवान भी बने होंगे ? “
मुखिया,” ये भी कोई कहने की बात है जग्गी। अरे ! राजा के घर पर दावत है भैया तो ज़ाहिर सी बात है एक से एक अच्छे पकवान बने होंगे। “
जग्गी,” तो फिर तो अच्छी बात है मुखिया जी। आप चलिए, मैं भी तैयार होकर कुछ ही देर में राजमहल पहुँचता हूँ… हाँ। “
जग्गी की बात सुनकर मुखिया ज़ोर ज़ोर से हंसता हुआ बोला।
मुखिया,” लगता है तुझे किसी ने अभी तक ये नहीं बताया। जग्गी कि राजा विक्रम ने सबको दावत दी है… सिवाय तेरे। “
जग्गी,” क्या मतलब ? “
मुखिया,” मतलब ये है कि राजा विक्रम के साफ साफ आदेश हैं कि आज के दिन जगदीश ताजमहल के आसपास भी ना दिख जाये नहीं तो उसकी खैर नहीं। “
जग्गी,” ये तो राजा की बहुत ज्यादा गलत बात है। मुखिया जी क्या मैं इस गांव का व्यक्ति नहीं हूँ ? 
वैसे तो तुम्हारा राजा बड़ा दयालु बना फिरता है। दयालु राजा वही होता है जो अपनी प्रजा को एक समान समझता है। “
मुखिया,” मत भूलना जग्गी कि उसकी दयालुता की वजह से तुम आज तक बचते आए हो वरना अगर तुम किसी दूसरे राज्य में रह रहे होते तो वहाँ का राजा कब का तुम्हें फांसी पर चढ़ा चुका होता ? 
और सुनो… मेरी बात को मजाक मत समझना भैया। राजमहल की ओर भटककर भी मत जाना, बता रहा हूँ। “
मुखिया की बात सुनकर जग्गी के चेहरे पर क्रोध झलकने लगा।
जग्गी,” देखना मुखिया जी जिस दिन मैं राजा बनूँगा, उस दिन मैं किसी के साथ ऐसा व्यवहार नहीं करूँगा। “
मुखिया,” राजा और तुम… हें हें। लगता है तुम दिन में भी सपने देखने लगे हो जगी। अरे ! तुम्हारे जैसे मक्कार और चोर कभी राजा नहीं बनते भैया। 
ये हसरत अपने दिल में ही रखना। अगर राजा को पता चल गया तो आजीवन तुम्हें कारागार में डाल देगा। “
इतना कहकर मुखिया जग्गी का मजाक उड़ाते हुए और ज़ोर ज़ोर से हंसते हुए वहाँ से चला गया। जग्गी गुस्से से बड़बड़ाता हुआ अपने आप से बोला।
जग्गी,” ये राजा अपने आप को समझता क्या है ? पूरे गांव को दावत दी, मुझे दावत नहीं दी। ये तो मेरी बहुत ज्यादा बेइज्जती है। 
लेकिन कोई बात नहीं, मैंने भी अपने ऊपर पूरी बेशर्मी लाद रखी है। मैं राजमहल जाऊंगा। देखता हूँ राजा क्या कर लेता है ? “
जग्गी तैयार होकर सीधे राजमहल में पहुँच गया।राजमहल में अच्छे अच्छे पकवान देखकर जग्गी के मुँह में पानी आ गया।
जग्गी,” अरे वाह ! देसी घी की पूड़ियां भी है, मिठाई भी है। हा हा, कितनी शानदार खुशबू आ रही है ? “
जग्गी तुरंत उन पकवानों की ओर लपककर उन्हें खाने लगा कि तभी राजा विक्रम की नजर जग्गी पर पड़ गई। वो गुस्से से जग्गी की ओर आकर बोले।

राजा,” वैसे तो मैंने मना किया था कि तुम इस राजमहल के आसपास भी मत जाना। लेकिन मैं जानता हूँ कि तुम एक नंबर के बेशर्म हो। 
मैंने अपनी जिंदगी में बड़े बड़े बेशरम देखे लेकिन तेरे जैसा बेशर्म मैंने कभी नहीं देखा। जी तो चाहता है कि अभी और इसी वक्त तेरी गर्दन तेरे धड़ से अलग कर दूं।
लेकिन क्या करूँ… आज मेरे महल में जश्न हैं। अब आ ही गए हो तो पेट भरकर खाना और चाहो तो अपने घर के लिए भी ले जाना‌।
लेकिन याद रखना… आज मेरे राजमहल में बहुत दूर दूर से मेहमान आए हैं। गलती से भी अगर तुम ने कुछ उलटी सीधी हरकत की तो इस बार मैं तुम्हें नहीं छोडूंगा। “
जग्गी,” ये कैसी बातें कर रहे हैं आप राजा साहब ? मैं अब सुधर गया हूँ हाँ। “
राजा,” सुधर जाओ तो तुम्हारे लिए अच्छी ही बात है। “
इतना कहकर राजा विक्रम वहाँ से गुस्से से चला गया। जग्गी पकवान का मज़ा लेने लगा कि तभी जग्गी की नजर राजा के बेटे आदित्य पर पड़ी जोकि एक सोने के कंगन से खेल रहा था। 
जग्गी के खुराफाती दिमाग में तुरंत एक योजना दौड़ने लगी और वो बड़बड़ाते हुए अपने आप से बोला।
जग्गी,” अरे वाह ! ये तो बहुत भारी और बड़ा कीमती सोने का कंगन लगता है। अगर मैंने इसे चुराकर बाजार में बेच दिया तो मेरा तो 10 साल के खाने का प्रबंध हो जायेगा। फिर चोरी करने की जरूरत ही नहीं है, हाँ। “
जग्गी मुस्कुराते हुए राजा के बेटे आदित्य के पास जाकर बोला।
जग्गी,” छि छि छि… राजा के बेटे होकर नकली सोने के कंगन के साथ खेल रहे हो। तुम्हे तो असली सोने के कंगन के साथ खेलना चाहिए। “
आदित्य,” ये असली सोना है। पिताजी ने मुझे दिया है। यकीन नहीं आता तो इसे छूकर देख लो। “
जग्गी,” लाओ, दिखाओ तो मुझे। “
आदित्य ने वो कंगन जग्गी के हाथ में पकड़ा दिया।
जग्गी,” अरे ! नहीं नहीं राजकुमार, यह नकली है। इसमें तो सोने का पानी फिर रहा है। अगर तुम्हें यकीन ना हो तो तुम जाकर अपने पिताजी से पूछ लो। “
जग्गी की बात सुनकर भोला भाला राजकुमार सोच में पड़ गया।
आदित्य,” ठीक है, मैं पिताजी से पूछ कर आता हूँ। “
इतना कहकर राजकुमार वहाँ से दौड़ता हुआ चला गया और जग्गी इधर उधर देखकर वहाँ से खामोशी से निकल गया। राजकुमार को खाली हाथ देख राजा विक्रम ने राजकुमार से पूछा।
राजा,” तुम्हारे हाथ में शाही सोने का कंगन था, वो कहाँ है बेटा ? “
राजकुमार ने सारी बात विक्रम को बता दी। राजकुमार की बात सुनते ही राजा विक्रम समझ गया कि ये सब जग्गी की ही करामात है। राजा विक्रम गुस्से से बोला।
राजा,” बस बहुत हो गया। आज तो उसने हद पार कर दी। राजकुमार को बेवकूफ बनाकर सोने का कंगन चुरा कर ले गया। सैनिकों को बुलाओ। “
कुछ ही देर में… 
राजा के सैनिक सिर झुकाये खड़े थे।
राजा,” जाओ जाकर जग्गी को पकड़ कर लेकर आओ। मुझे किसी भी हाल में जग्गी चाहिए, जिंदा या मुर्दा। “
राजा का आदेश पाते ही सैनिक गांव की ओर दौड़ पड़े। इधर जग्गी एक पेड़ के पास उसी कंगन को निहारे जा रहा था कि तभी गांव का एक व्यक्ति वहाँ पर आकर जग्गी से बोला।
आदमी,” जग्गी, इस बार तो तुमने हद पार कर दी भैया। राजा विक्रम ने तुम्हें जिंदा या मुर्दा पकड़ने का आदेश दिया है… समझे ? “
उस व्यक्ति की बात सुनकर जग्गी पूरी तरह से घबराकर बोला।
जग्गी,” ये कैसी बातें कर रहे हैं भैया ? राजा विक्रम तो बहुत ज्यादा दयालु है। मुझे लगा कि हर बार की तरह वो मुझे इस बार भी माफ़ कर देंगे। “
आदमी,” अबे पागल वागल हो गया क्या तू ? तूने तो इस बार राजा के घर पर ही चोरी कर ली भैया। 
तेरी मौत तो इस बार पक्की है भैया… ठोक के बजा के। अब जो है ना, अब तुझे भगवान के अलावा और कोई नहीं बचा सकता भैया। “
जग्गी,” मैं राजा के पैर पकड़कर माफी मांग लूँगा और ये कंगन उन्हें वापस कर दूंगा। “
आदमी,” अरे ! बेवकूफ है क्या ? राजा इस समय बहुत ज्यादा गुस्से में है। अगर तू कंगन वापस लौटाने के इरादे से भी वहां चला गया ना, वो जो है तब भी तुझे जिंदा नहीं छोड़ेंगे। 
और तो और… अगर तुझे किसी सैनिक ने देख लिया तो सैनिक ही तुझे जान से मार देंगे। समझ गया तू..? “
जग्गी,” अब मैं क्या करूँ ? “
आदमी,” मेरी सलाह मान… तू इस राज्य से कुछ महीनों के लिए चला जा। “
इतना कहकर वह व्यक्ति चला गया। तभी अचानक जग्गी ने देखा कि तीन सैनिकों के घोड़े उसकी ओर दौड़ें चले आ रहे थे।
जग्गी घबराकर जंगल की ओर भागने लगा और एक घने जंगल के अंदर घुस गया। तीन सैनिकों में से एक सैनिक बोला।
पहला सैनिक,” वो देखो वो उस जंगल में गया है। चलो, जंगल में जाकर उसे पकड़ते हैं। “
दूसरा सैनिक,” रहने दे, क्या तुझे नहीं मालूम उस जंगल में भूतों का साया है ? ये वहाँ पर जिंदा तो गया है लेकिन कभी लौटेगा नहीं। 
समझ लो कि जग्गी ने उस जंगल में जाकर अपनी मौत को खुद चुन लिया है। चलो जाकर राजा को सब कुछ बता देते हैं। “
इसके बाद सभी सैनिक वहाँ से चले गए। जग्गी घने जंगल में दौड़ा जा रहा था। तभी अचानक जग्गी एक पत्थर से टकरा गया और वो एक तालाब के अंदर गिर गया। 
इधर कुछ घंटों बाद अब राजमहल का माहौल सामान्य हो चुका था। राजा विक्रम अपने मेहमानों के साथ बातचीत करने में व्यस्त था। तभी वहाँ पर एक अजीब घटना घटी। 
राजा विक्रम जैसा दिखने वाला दूसरा राजा विक्रम राजमहल में पहुँच गया और राजा विक्रम को देखकर गुस्से से चीखते हुए राजा विक्रम से बोला।

हमशक्ल राजा,” कौन है तू बहरूपिये और मेरे मेहमानों के साथ यहाँ क्या कर रहा है ? “
राजा विक्रम की बात सुनकर वहाँ मौजूद सभी लोग दूसरे राजा विक्रम को हैरत से देखने लगे। राजा विक्रम अपने सामने अपने हूबहू हमशक्ल को देखकर हैरत में पड़ गया।
राजा विक्रम,” बहरूपिया मैं नहीं बहरूपिया बल्कि तू है। “
हमशक्ल राजा,” क्या सबूत है कि तू राजा विक्रम है। “
राजा,” तेरे पास क्या सबूत है कि तू राजा विक्रम है ? “
वहां सभी लोग ये समझ नहीं पा रहे थे कि कौन असली है और कौन नकली ?
राजा,” मैं ही असली राजा विक्रम हूं। मैं यहाँ पर सुबह से अपने मेहमानों के स्वागत और सत्कार में लगा हूँ। “
हमशक्ल राजा,” अगर तू असली राजा है तो फिर दिखा वो शाही कंगन जिसे जग्गी झूठ बोलकर मेरे बेटे से चुराकर ले गया था। “
राजा,” मैंने सैनिकों को जग्गी को पकड़ने के लिए भेजा था। मगर सैनिकों ने मुझे बताया कि वो उस जंगल की ओर चला गया जहाँ से कोई वापस नहीं आता। “
हमशक्ल राजा,” इस सभा में सभी लोग जानते हैं कि राजा विक्रम कभी नहीं डरता। तेरे बेटे के सोने का शाही कंगन चोरी हो गया और तू यहाँ पर बैठकर मेहमानों के साथ गप्पे लड़ा रहा है क्योंकि तू राजा विक्रम नहीं है। “
इतना बोलकर हमशक्ल विक्रम वो सोने का शाही कंगन निकाल कर बोला।
हमशक्ल राजा,” सुंदरनगर के वासियों, ये बहरूपिया झूठ बोल रहा है। देखो मेरे पास ये मेरे बेटे का सोने का शाही कंगन है। 
मैं इसे उस भयानक जंगल से जग्गी को मारकर लाया हूँ।
मैं कुछ देर के लिए जंगल क्या गया, इस बहरूपिये ने आकर मेरी जगह ले ली। “
राजा,” बस बहुत हो गया… अगर ऐसी बात है तो फिर हमारे और तुम्हारे बीच युद्ध होगा‌। जो जीतेगा वही असली विक्रम कहलाएगा। “
दूसरा राजा विक्रम भी राजा से आर पार करने के मूड में था। उसने तुरंत हाँ कर दी और दोनों के बीच युद्ध होने लगा। कुछ ही देर में एक राजा विक्रम ने दूसरे राजा विक्रम को जख्मी करके जमीन पर धराशायी कर दिया। 
तभी वहाँ पर एक काला धुआं फैल गया और उसमें से एक चुडैल निकल कर जख्मी विक्रम सिंह के सामने आकर खड़ी हो गयी। 
चुड़ैल,” मैंने तुमसे कहा था बेवकूफ कि तुम देखने में भले ही विक्रम जैसे लगोगे लेकिन आत्मा तुम्हारी ही रहेगी। बेवकूफ, राजा विक्रम असली राजा है।
उसके पास युद्ध लड़ने की कला है और जहाँ तक तुम्हारा सवाल है, तुम तो लोगों से खाना भी चोरी करके खाते हो। तुम जख्मी हो चूके हो। 
राजा की तलवार तुम्हारे शरीर पर पड़ चुकी है। इसलिए अब तुम अपने असली रूप में आ जाओगे। अचानक जख्मी राजा विक्रम जग्गी की शक्ल में आ गया। राजा विक्रम हैरत से चुड़ैल से बोला।
राजा,” ये तो जग्गी है। ये सब क्या है ? “
चुड़ैल,” बताती हूँ… बताऊंगी ही नहीं, दिखाऊंगी भी तुझे। “
इतना कहकर चुड़ैल ने एक फूंक मारी और सारे राज्य के सामने एक दृश्य चलने लगा। 
दृश्य में…
जग्गी जैसे ही तालाब में गिरा, अचानक तालाब में से काला धुआं निकलने लगा और देखते ही देखते उस तालाब में से एक चुडैल निकलकर जग्गी के सामने आ गयी। जग्गी तुरंत डरते हुए तालाब से बाहर निकलकर घबराकर बोला।
जग्गी,” कौन हो तुम ? “
चुड़ैल,” मैं बरसों से यहाँ तालाब के अंदर कैद थी। मगर अब मैं आजाद हूँ। बहुत सालों पहले मैं इसी जंगल में घूमती फिर रही थी। 
मेरी वजह से एक साधू की तपस्या भंग हो गई थी। उसने मुझे श्राप दे दिया और मैं इस तालाब के अंदर कैद होकर रह गई। उस दिन के बाद जब भी कोई इस तालाब के नजदीक आता तो मैं उसे मार देती। “
जग्गी,” क्या तुम मुझे भी मार डालोगी ? “
चुड़ैल,” नहीं, मुझे तुम्हारी वजह से ही आजादी मिली है। मैं उस साधू के सामने बहुत रोई। आखिरकार उसे मुझ पर तरस आ गया। 
उसने मुझसे कहा कि जब भी कोई धुर्त व्यक्ति हाथ में सोने का कंगन लेकर अचानक इस तालाब में गिरेगा तो तुम इस तालाब से आजाद हो जाओगी और देखो मैं आजाद हो गयी। बता क्या इच्छा है तेरी ? मैं तेरी एक इच्छा पूरी करुंगी। “
जग्गी,” यानी मैं जो कुछ भी मांगूंगा, तुम उसे पूरा कर दोगी। “
चुड़ैल,” हाँ, मैं उसे पूरा कर दूंगी। लेकिन सिर्फ एक ही इच्छा। “
उस सुंदर स्त्री की बात सुनकर जग्गी बड़बड़ाता हुआ अपने आप से बोला।
जग्गी (स्वयं से),” ये सही मौका है राजा को सबक सिखाने का। उस राजा ने मुझे जिंदा या मुर्दा पकड़ने का आदेश दिया है। अब मैं उसे सबक सिखा कर रहूंगा। “
जग्गी,” मैं चाहता हूँ कि मेरा चेहरा और मेरा शरीर सुंदरनगर के राजा जैसा हो जाए। इसी वक्त जैसा राजा विक्रम है, मैं हूबहू उसके जैसा हो जाऊं, उसके शाही कपड़ों से भी। “
जग्गी की बात सुनकर चुडैल हंसते हुए बोली।
चुड़ैल,” बेवकूफ मानव, इससे तुझे क्या हासिल होगा ? “
जग्गी,” जब मेरी शक्ल और शरीर राजा जैसा हो जायेगा तो तुम लोग मुझे राजा ही समझोगे और मैं बगैर लड़े सुंदरनगर का राजा बन सकता हूँ। “
चुड़ैल,” ठीक है, जैसी तेरी इच्छा। लेकिन याद रखना तेरा शरीर और तेरा चेहरा, तेरा कपड़े, तेरे आभूषण सब कुछ सुंदरनगर के राजा विक्रम जैसा हो जाएगा लेकिन तेरी आत्मा वही रहेगी।
ध्यान रखना… अगर तू किसी असली राजा की तलवार के हाथों जख्मी हो गया तो तू अपने असली रूप में आ जाएगा। “


और देखते ही देखते जग्गी का शरीर राजा विक्रम में परिवर्तित हो गया। अब जग्गी हुबहू राजा विक्रम में बदल गया।
जग्गी अकड़ता हुआ राजा के राजमहल चल पड़ा। 
दृश्य समाप्त…
 
चुड़ैल,” मैंने इसे चेतावनी दी थी पर यह एक मूर्ख व्यक्ति निकला। “
इतना बोलकर चुड़ैल गायब हो गयी। राजा विक्रम ने गुस्से से सैनिकों से कहा।
राजा,” ले जाओ इसे और हमेशा के लिए जेल में डाल दो।
उसके बाद जग्गी को माफी नहीं मिली। उसने पूरा जीवन जेल में ही व्यतीत किया।
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