हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ब्रह्मास्त्र। यह एक Haunted Story है। तो अगर आपको भी Horror Kahaniya, Bhutiya Kahani या Scary Story पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
आईने के सामने खड़ी मोइला खुद को निहार रही होती है कि तभी उसका ध्यान सीने पर उभरे त्रिशूल के निशान पर जाता है।
वह उसे आईने में निहारते हुए घूरने लगती है कि उसके आसपास का पूरा माहौल बदल जाता है। उसके सामने के आईने पर क्रैक आने लगता है।
कमरे का रंग फीका पड़ते-पड़ते खंडहर में बदल जाता है। वह डर के मारे कांपने लगती है जैसे किसी ने उसे अपने चंगुल में कस रखा हो।
वह घुटने के बल बैठकर अपने दोनों हाथ ऐसे फैला लेती है जैसे किसी ने उसे ज़ंजीर में बांध दिया हो। देखते ही देखते उसकी दोनों आँखों से लगातार आंसू बहने लगते हैं।
चारों ओर से नगाड़े और शंख की आवाजें गूंजने लगती हैं। फिर किसी की तेज़ आवाज आती है।
आवाज़, “देख क्या रहा है? धसा दे त्रिशूल इसके सीने में और अलग कर दे इसके शरीर से उस ब्रह्म विद्यैत्यकी आत्मा को।”
इस एक आवाज के साथ एक शक्स त्रिशूल को मोइला के सीने में धंसा देता है। वह दर्द के मारे तड़पने लगती है जैसे उसके शरीर से आत्मा को अलग कर दिया गया हो।
तभी…
रवीश, “मोइला… मोइला होश में आओ मोइला।”
रवीश की आवाज सुन मोइला वापस इस दुनिया में तो आ गई, पर अभी भी उस भयानक सपने ने मोइला को डर के आतंक में घेर रखा था”
रवीश, “फिर से वही सब देखा तुमने? कितनी बार कहा है मत देखा करो इस निशान को, जो तुम्हें पुरानी यादों में खींच लेता है।”
रवीश की बात सुनकर मोइला थोड़ी शांत हो जाती है।
मोज़िला, “ठीक हूं मैं रवीश। और ये बुरे सपने तो मेरी जिंदगी का हिस्सा बन गए हैं। अब लगता है कि ये मेरी मौत के साथ ही खत्म होगा।”
रवीश, “ऐसा मत बोलो तुम। बस कुछ दिनों की बात और है, फिर सब पहले जैसा होगा।”
मोइला, “क्या पहले जैसा होगा रवीश? एक साल हो गया यह सब मेरे साथ होते हुए, पर तुम बताते ही नहीं कि आखिर क्या हुआ था मेरे साथ?
मैं तुम्हें कैसे मिली और मेरे सीने पर यह निशान कैसा है? क्यों इसे देखते ही मैं खौफनाक ख्यालों में चली जाती हूँ… क्यों?”
मोइला, “रवीश, मैं तुमसे बहुत प्यार करने लगा हूँ। पर अगर आज तुमने मुझे यह सच नहीं बताया, तो मैं तुम्हें छोड़कर चली जाऊँगी।”
इतना कहते ही मोइला बाथरूम के अंदर चली गई और खुद को अंदर बंद कर फूट-फूटकर रोने लगी। रवीश उसे समझाने की बहुत कोशिश करता है कि वह बाहर आ जाए।
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पर मोइला ने इस बार ठान लिया था कि वह बिना सच जाने बाहर नहीं आएगी।
परंतु, रवीश बाथरूम के बाहर से ही उसे वो दास्तां बताना शुरू कर देता है जिस कारण से वो ये सब झेल रही थी।
बात आज से तकरीबन साल भर पहले की थी, जब रवीश ने पहली बार मोइला को गुवाहाटी के एक बस स्टैंड पर देखा था। देखते ही उसे पहली नजर में ही उससे प्यार हो गया था।
रवीश रोज़ उस बस स्टैंड पर जाकर उसे निहारने लगा था। कभी वो मोइला को किसी से बात करते हुए देखता, तो कभी मूंगफली खाते हुए देखता रहता।
अब तक तो मोइला ने भी नोटिस कर लिया था कि कोई उसे रोज़ चोरी-छिपे निहारता रहता था। पर वह इसे इग्नोर कर देती थी और रोज़ मोरी गांव जाने वाली बस में चली जाती थी।
रवीश ने सोचा रोज़ यूं ताकते-निहारते से कुछ नहीं होने वाला है। अब मुझे उससे बात करनी ही होगी।
इसीलिए एक दिन वो भी मोइला के पीछे मोरी गांव की बस में चढ़ जाता है, पर पूरे रास्ते उसकी हिम्मत नहीं होती है कि वो उससे भी कुछ कह पाए।
बस से उतरते ही महिला सड़क से कटती हुई जंगल की पथरीले रास्ते की तरफ मुड़ जाती है। फिर कुछ दूर चलने के बाद मोइला ने अचानक से पीछे मुड़कर कहा,
मोज़िला, “जान प्यारी है तो मत करो मेरा पीछा।”
इस पर रवीश ने कहा, “पर कोई तुम्हारे इश्क में डूब के मरना चाहे तो?”
मोज़िला, “बकवास बंद करो और पीछे देखो। लगता है कोई तुम्हें बुला रहा है।”
मोइला की बात सुनकर रवीश पीछे मुड़कर देखता है तो वहाँ दूर-दूर तक कोई नहीं है। और तो और, बस भी अब बहुत आगे निकल चुकी थी।
फिर जैसे ही वो वापस घूमा, मोइला भी कहीं नहीं दिख रही थी। वो समझ गया कि मोइला उसे बेवकूफ बना कर कहीं निकल गई है।
इसलिए अगले दिन रवीश फिर से बस स्टैंड पर उसका इंतज़ार करने लगा। धीमी-धीमी बारिश भी हो रही थी।
तभी उसने देखा कि लाल साड़ी में भीगते हुए मोइला बस स्टैंड की तरफ ही आ रही थी। उसकी बलखाती चाल को देख रवीश भी अब उसमें खोता जा रहा था।
आसमान में काले बादल के गुब्बारे अब हर तरफ गिरने लगे थे, जिस वजह से दिन के उजाले ने रात की गाली चादर ओढ़ ली थी।
इसी बीच रवीश अपने छाते के साथ उसकी तरफ बढ़ता है और मोइला को अपने छाते के साए में ले लेता है।
मोइला पहले तो थोड़ा झिझकती है, फिर धीरे-धीरे उससे बातचीत शुरू कर देती है। देखते-देखते कुछ दिनों में दोनों के बीच काफी अच्छी दोस्ती हो गई थी।
सिलसिला यूं ही चलता रहा। मोइला अपने सफर को पूरा करने के लिए बस में चढ़ जाती और रवीश भी उसके साथ बिना किसी मंजिल के उसके सफर का हमसफर बन उसके बगल में बैठ जाता है।
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हर रोज़ मोइला के बस से उतरने के बाद जंगल में जाने के बाद रवीश भी वापस लौट जाता था, पर उस दिन ना जाने क्यों मोइला के साथ वो भी बस से उतर गया और फिर से उसके पीछे-पीछे जाने लगा। जिस पर मोइला ने कहा,
मोज़िला, “रवीश, तो मेरे पीछे मत आओ। लौट जाओ यहाँ से। मैं तुम्हें खोना नहीं चाहती।”
मोइला की इस बात पर रवीश ने उससे कहा, “ऐसा क्यों बोल रही हो तुम? अभी तो हमारा मिलना पूरा भी नहीं हुआ और तुम खोने की बात करती हो।
आज मैं तुम्हें कुछ साफ-साफ बताना चाहता हूँ, मैं तुमसे बेहनतिया प्यार करता हूँ। प्लीज़ मुझे अपनी जिंदगी में जगह दे दो।”
मोइला, “रवीश, मैं प्यार नहीं कर सकती, मुझे इसकी इजाज़त नहीं है।”
मोइला के मुँह से ऐसी बात सुनकर रवीश बोला, “इजाज़त नहीं है..? मोइला प्यार हो जाता है, उसे किसी की परमिशन नहीं लेनी होती है।
अगर तुम मुझे पसंद नहीं करती तो साफ-साफ शब्दों में बोलो, मैं कभी दोबारा अपना चेहरा नहीं दिखाऊंगा।”
रवीश के कहते ही मोइला की आँखों से आंसू निकल जाते हैं।
मोइला, “रवीश, मैं तुम्हें खोना नहीं चाहती हूँ, पर हम कभी एक नहीं हो सकते।”
रवीश ने झुंझलाते हुए कहा, “आखिर क्यों मोइला?”
और मोइला का हाथ पकड़ लिया। दोनों एक पल को एक-दूसरे के करीब आ ही रहे थे कि अचानक आसमान में ज़ोर की बिजली चमकी।
तभी रवीश को मोइला के अंदर एक राक्षस दिखाई दिया। जिसे देख रवीश मोइला को खुद से दूर झटक देता है।
पर रवीश समझ नहीं पा रहा था कि उसने अभी-अभी क्या देखा? क्योंकि मोइला को छूते ही उसे उसमें कोई और दिखने लगा था। आखिर क्या माजरा था?
मोइला, “रवीश, तुम्हें मुझे भूलना होगा। मेरा शरीर… मेरे शरीर पर एक ब्रह्म दैत्य का कब्जा है।
क्योंकि मेरे परदादा ने एक ब्राह्मण का यह कहकर अनादर किया था कि भिक्षा माँगने वाले से हम अपनी बेटी नहीं ब्याहेंगे। और उन्होंने ना सिर्फ अनादर किया बल्कि उसे मौत के घाट भी उतार दिया।
मरते-मरते उस ब्राह्मण ने श्राप दिया कि वह कभी इस परिवार की बेटी की शादी नहीं होने देगा। उसकी मृत्यु राक्षस योनी में हो रही है, इसलिए अब वह ब्राह्मण राक्षस बनकर हमारे परिवार के लिए काल बन जाएगा।
वह दिन और आज का दिन, हमारे परिवार की किसी भी बेटी ने ना तो कभी शादी की और ना ही उसे प्रेम का कोई सुख मिला।
जिसने भी अपने हिस्से का प्यार पाने की कोशिश की, उसे केवल मौत ही मिली।”
मोइला की बात सुन एक पल को रवीश अंदर तक सहम गया। पर रवीश के लिए कहानी नई नहीं थी।
वह भी इस कहानी को बचपन से सुनता आ रहा था। बस उसे यह नहीं पता था कि उसे उस परिवार की लड़की से ही प्यार हो जाएगा, जिनके कारण लगभग एक सदी पहले उसके परिवार के एक सदस्य की जान गई थी।
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यानी जिस ब्राह्मण ने मोइला के परिवार को श्राप दिया था, वो ब्राह्मण रवीश के परिवार का सदस्य था। पर रवीश के मन में बदले की कोई भावना नहीं थी।
बल्कि वह तो खुद इन चीजों को बदलना चाहता था। और अब उसके सामने एकमात्र यही लक्ष्य था कि किसी भी तरह से मोइला को मुक्ति दिला दे।
यह सब सोचते हुए उसने मोइला की तरफ बढ़ते हुए कहा, “मोइला, मेरा नाता उसी परिवार से है जिसकी वजह से तुम्हारा ये हाल है, पर मैं तुम्हें विश्वास दिलाता हूँ कि मैं सब ठीक कर दूंगा।”
रवीश के मुँह से सुनते ही मानो मोइला के पांव तले जमीन खिसक गई हो। लेकिन मोइला के दिमाग में क्या चल रहा था?
वह बुत बनी बस अपनी आँखों से आंसू बहाए जा रही थी। फिर जैसे ही रवीश उसे अपने साथ चलने को बोलता है, वह एक कदम भी नहीं हिलती और कहती है,
मोज़िला, “रवीश, मैं तुमसे प्यार करने लगी हूँ, पर मुझे नहीं पता था कि तुम उसी राक्षस के परिवार से हो जिसने मेरी ज़िन्दगी हर पल जहन्नुम बना दी।
लेकिन अब और नहीं होगा, क्योंकि मैं अपने परिवार की आखिरी अनाथ बेटी हूँ। न मैं जिंदा रहूंगी, न हमारे परिवार में कोई और बेटी जन्मेगी।
और न इससे तिल तिल कर मरना पड़ेगा। आज तुम्हारा प्यार ही मेरी मौत का कारण बनेगा।”
मोइला के कहे हुए हर शब्द के साथ वह अपने अंत की ओर बढ़ी, जैसे उसे भरने की कोई फ़िक्र न हो।
उधर रवीश मोइला को अपनी तरफ आते देख उलटे कदम पीछे हट रहा था और इससे पहले कि वह कुछ साफ समझ पाता, मोइला ने रवीश को कसकर अपनी बाहों में भर लिया और उसके होठों को चूमने लगी।
उन दोनों के इस मिलन से प्रकृति भी डोल उठी। आसमान में बादल दहाड़ मारने लगे, जानवर चीखने लगे, चारों तरफ तेज तूफान उठ गया।
रवीश ने एक झटके में मोइला को खुद से अलग कर दिया और तब तक उसके अंदर छिपे ब्रह्मदैत्य ने मोइला को तिल तिल कर मारना शुरू कर दिया।
अब मोइला के अंदर इतनी भी शक्ति नहीं बची थी कि वो खड़ी हो सके। मोइला वहीं बैठ दर्द से चीखने लगी और उसके दोनों आँखों से खून के आंसू निकलने लगे, जिससे उसके शरीर खून से लथपथ हो गया था।
मोइला की हालत रवीश देख नहीं पा रहा था, इसलिए उसने उसे अपने गांव मोयांग ले जाने का सोचा।
पर इससे पहले उसने अपने हाथ में बंधा हुआ रक्षा सूत्र निकाला और ऊपर देखते हुए मंत्रों के जरिये महाकाल को आराधना करने लगा।
फिर सुरक्षा सूत्र को मोइला के गले में माला बनाकर पहनाया और उसे अपनी गोद में उठाकर जंगल के रास्ते अपने गांव मायोम की तरफ निकल गया।
उस ब्रह्मदैत्य ने अपने रास्ते में कई जगह तरह-तरह से रवीश को रोकने की कोशिश की, पर वो रवीश को रोक नहीं पाया।
अब रवीश तंत्र-मंत्र और काले जादू के केंद्र अपने गांव में पहुँच गया, जहाँ जंगल से घिरे एक बड़े मैदान के बीचोबीच बड़ा अग्निकुंड था और चारों तरफ नगाड़े भी थे, जिन्हें अगोरी के भेष में खड़े लोग एक धुन में बजा रहे थे।
रवीश मोइला को अपनी गोद में लिए अग्निकुंड की तरफ बैठी एक सिद्ध साध्वी की तरफ बढ़ता है और दर्द भरी आवाज में कहता है।
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रवीश, “तंत्रा मां, बचा लो मेरी मोइला को। बचा लो इससे पहले कि बहुत देर हो जाए।”
रवीश की आवाज सुनकर भी वो साध्वी अपनी आँखें नहीं खोलती, बस रवीश से कहती है।
साध्वी, “लौटकर आ गया फिर से शस्त्र रवीश इस मंत्र की दुनिया में? पर तुमने तो कहा था कि अब इस तंत्र मंत्र की जरूरत किसी को नहीं है।”
रवीश, “तंत्रा मां, मेरी कही हुई बातों को भूल जाइए। मैं आपके आगे हाथ जोड़ता हूँ। मेरी मोइला की जान बचा लीजिए।”
रवीश की बात सुनकर साध्वी अपनी आँखें खोलती हैं और कहती हैं,
साध्वी, “अरे मूर्ख! उसे तो तुमने तभी बचा लिया था जब तुमने उसकी रक्षा के लिए महाकाल का मंत्र जागृत किया, पर उसके रूह से ब्रह्म दैत्य को आज़ाद करना इतना आसान नहीं है।
इसके लिए तंत्र और मंत्र की कड़ी साधना करनी होगी और ब्रह्म शस्त्र पाना होगा।”
इतना कहकर तंत्रा मां अपने आजू-बाजू में बैठे साध्वी से इशारा करती हैं और वो रवीश की गोद से मोइला को ले अग्निकुंड के पास लिटा देती हैं।
उधर तंत्रा मां ने भी रवीश को सब समझा दिया था, जिसके बाद अंत में वो कहती हैं,
साध्वी, “रवीश, दिन का ये पहर भी शुरू हो गया है। सूर्यास्त से पहले तुम्हें पहाड़ी से वो त्रिशूल ला ब्रह्मपुत्र नदी में उसकी शुद्धि कर यहाँ पहुंचना होगा, नहीं तो यह लड़की नहीं बचेगी।”
रवीश”आशीर्वाद दीजिए, तंत्र मां। सूर्यास्त से पहले लौट आऊंगा और अपने पूर्वज की कलंक को मिटाऊंगा। मैं इसे यूँ ही मरने नहीं दे सकता।”
तंत्रा मां आँखें बंद कर रवीश को आशीर्वाद देती हैं और वो तेज़ी से उस पहाड़ी की तरफ निकल जाता है।
कभी जंगली जानवर तो कभी कोई अंधा दलदल, रवीश सभी चीजों को पार करते हुए ऊपर पहाड़ी की गुफा में पहुँच गया, जहाँ वो सिद्ध त्रिशूल गढ़ा हुआ था।
रवीश उसके सामने नतमस्तक हो उसे पहाड़ी से निकाल लेता है और पहाड़ी से थोड़ा नीचे झील में छलांग लगा देता है।
इतने ऊपर से छलांग लगा एक पल को रवीश की हालत बिगड़ जाती है और उसके हाथ से त्रिशूल छूटकर पानी के साथ बहने लगता है।
पर तभी उसकी आँखों के सामने एक ऐसा दृश्य आता है जैसे कि मोइला उसे दूर जा रही हो। जिसके बाद वो एक झटके में आँख खोलता है और तैरकर त्रिशूल को पकड़ लेता है।
तभी उसकी नजर पड़ती है कि सूर्यास्त होने ही वाला है। उधर मोइला की हालत बिगड़ने लगी थी।
अब ब्रह्मदैत्य उस पर और भी ज्यादा हावी होने लगा था। इतना कि मोइला खुद अपने हाथों से खुद को नुकसान पहुंचाने लगी थी।
जिस वजह से मोइला के हाथ और पैर को जंजीरों से बांधना पड़ा। मोइला की हालत देख तंत्रा मां ऊपर देखते हुए कहती हैं,
तंत्रा मां, “रवीश, इससे पहले कि सूर्य अस्त हो जाए, आ जाओ बेटा, नहीं तो यह ब्रह्म दैत्य जीत जाएगा।”
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यह कहते हुए जैसे ही तंत्रा मां अपनी आँखें नीचे करती हैं, उनकी आँखों के ठीक सामने रवीश ऊपर से नीचे पानी में सराबोर खड़ा था।
तंत्रा मां, ” देख क्या रहा है रवीश, देर मत कर, धंसा दे त्रिशूल को इसके सीने में और इसके शरीर से उस ब्रह्म दैत्य की आत्मा को बाहर निकाल दे।”
तंत्रा मां की बात सुनकर रवीश त्रिशूल के सिरे को मोइला के सीने में धसा देता है, जिसके बाद मोइला के शरीर में ऐसा लगता है जैसे उसे दो हिस्सों में बांटा जा रहा हो।
त्रिशूल के अंदर जाते ही उसके शरीर से एक काला साया निकलने लगता है। इसके बाद मोइला बेहोश हो जाती है।
मोइला के बेहोश होते ही तंत्रा मां, उनके साथी और बाकी साध्वी मोइला के उपचार में लग जाते हैं।
मोइला कई दिनों तक अपनी आँखें नहीं खोलती और जब खोलती हैं तो रवीश को पाती है। सीने पर त्रिशूल का वो गहरा जख्म अब उसे परेशान करने लगा था।
ये सारी बातें बताते हुए रवीश बाथरूम के बाहर बैठ रोने लगता है और कहता है, “मोइला, मैं सचमुच तुम्हें खोना नहीं चाहता था, पर अब फैसला तुम्हारा होगा। अगर तुम मुझे छोड़कर जाना चाहती हो तो जा सकती हो।”
दूसरी तरफ बैठी मोइला भी रवीश की बातें सुन रही थी, जो एक झटके में दरवाजा खोलकर बाहर आ जाती है और रवीश को गले लगाती है
और बाहों में भर लेती है और कहती है, “आज के बाद अलग होने की बात मत करना, मैं अपनी बाकी उम्र तुम्हारे साथ रहना चाहती हूँ।”
मोइला को उसके सारे सवालों के जवाब मिल चुके थे और वो अब अपने उस निशान की तरफ भी ध्यान नहीं देती थी।
पर अब भी उसे बुरे सपने आते रहते हैं जिसमें वह ब्राह्मराक्षस कहता है, “मोइला, मैं लौटकर जरूर आऊंगा।”
दोस्तो ये Horror Story आपको कैसी लगी नीचे Comment में हमें जरूर बताइएगा। कहानी को पूरा पढ़ने के लिए शुक्रिया!