हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” पाताल लोक ” यह एक Darawani Kahani है। अगर आपको Horror Hindi Stories, Darawani Kahaniyan या Bhutiya Kahaniyan पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
एक पुरानी सी ज़िल्द वाली किताब के पन्ने पलटती उंगलियां शायद किसी बुजुर्ग डायन महिला की थीं।
सामने जमीन पर बैठे कुछ शैतान के बोने बच्चे उस बुढ़िया से दुखी होकर पूछ रहे थे, “फिर आगे क्या हुआ? दोनों को जिन्दा छोड़ दिया क्या?”
सवाल खत्म होते ही गुफा में किसी के आने की आहट सुनाई दी, जिसे सुन बच्चे और सहम गए थे और धुआं बनकर गायब हो गए।
गुफा में शैतान आया था, जिसने गुफा में झांकते हुए बूढ़ी डायन से पूछा, “आज फिर बच्चे तुम्हारे पास तो नहीं आए?”
शैतान की बात का बुढ़िया कोई जवाब नहीं देती, और अगले ही पल शैतान खाली हाथ चला जाता है।
शैतान के जाते ही सारे बच्चे एक बार फिर धुएं से वापस आ डायन के सामने खड़े थे और आगे की कहानी जानने की ज़िद कर रहे थे।
इस पर बूढ़ी डायन बोली, “बच्चो, इस कहानी का अंत मैं खुद लिखूंगी, पर अभी के लिए सब बच्चे अपने-अपने घर जाओ। पाताल लोक में छोटे बच्चों का देर शाम को घूमना सुरक्षित नहीं है।”
बच्चे भी बूढ़ी डायन की बात मान धुआं बनकर गायब हो गए। रात अब अपने उफान पर थी।
बूढ़ी डायन गुफा में उल्टी लेटी गहरी नींद में सो रही थी कि तभी किसी के जलने की बू आई।
डायन की जब आंख खुली, तो उसकी गुफा धू-धू कर जल रही थी। हालत इतनी बुरी थी कि बचाना नामुमकिन था,
पर तभी बूढ़ी डायन अपने बुदबुदाते होठों से कुछ मंत्र पढ़ने लगी और आग अपने आप शांत हो गई।
इसी दहकती आग के बीच एक शख्स बैठा हुआ था। पाताल लोक के बीचोबीच एक लड़का और एक लड़की को प्यार करने के जुर्म की सजा दी जा रही है।
लड़का धरती लोक का है और लड़की पाताल लोक की। दोनों कबीलों के सरदारों को ये रिश्ता पसंद नहीं था,
इसलिए दोनों को सजा-ए-मौत का ऐलान कर दिया गया। लड़की की मासूमियत देखकर कोई ये नहीं कह सकता था कि ये इंसान नहीं है।
दोनों का जुर्म सिद्ध हो चुका था और उन्हें जिंदा ही ताबूत में दफनाया जा रहा था।
यह सब देख एक मासूम-सी दिखने वाली बूढ़ी डायन दया की भीख मांग रही थी, मगर कोई भी उसकी बात सुनने को तैयार नहीं था।
तभी एक ताबूत में से एक लड़की की आवाज आई, “जिस तरह तुम लोगों ने हमें जिंदा दफनाया है, हमें बर्बाद किया, ठीक उसी तरह तुम्हारे इस पाताल लोक का भी अंत हो जाएगा।”
दरअसल, पाताल लोक में सभी भूतों, पिशाचों और काली शक्तियों से जुड़े हर शख्स का वास हुआ करता था और यहाँ इंसानों के आने की सख्त मनाही थी।
लड़की की बात सुन सबका मन खटका जरूर, लेकिन जिंदा दफनाने के बाद सब भूत, पिशाच, डायन, चुड़ैल अपने-अपने घर चले गए।
लेकिन एक शख्स अभी भी सीना ताने अकेला खड़ा था, इस पाताल लोक का राजा सुम्भासुर। पाताल लोक के सभी भूत, प्रेत, पिशाच सुम्भासुर के नाम से थर-थर कांपते थे।
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सुम्भासुर जब पाताल लोक की गलियों से गुजरा करता था, तो किसी की मजाल नहीं होती थी कि कोई ऊपर नजर उठा कर देखे।
जिस किसी भी वस्तु या सुंदरी पर उसकी नजर जाती, वो उसकी सेवा में हाजिर कर दी जाती।
अगर कोई बीच में आनाकानी करता, तो उसका सर वहीं धड़ से अलग कर दिया जाता। मगर अब हालात धीरे-धीरे बदल रहे थे क्योंकि इस हादसे के बाद सुम्भासुर की हालत भी खराब हो चुकी थी।
उसे अक्सर ऐसा लगता जैसे कोई उसकी छाती पर बैठ उसका गला दबा रहा हो। उसे तड़ तड़पाकर जान से मारने की कोशिश कर रहा हो।
रात का पहर…
सारा पाताल लोक सोया हुआ है, तभी पाताल लोक की गलियों में एक शख्स सुम्भासुर के राजमहल की तरफ चला आ रहा था।
पहरेदारों की गर्दनों को रेंदता हुआ, दूसरे ही पल वह शख्स सुम्भासुर के पास पहुँच गया। उसने तुरंत अपनी तलवार निकालकर सुम्भासुर की गर्दन पर रख दी।
धारदार चीज़ को अपनी गर्दन पर महसूस कर सुम्भासुर की नींद एक पल में खुल गई।
इससे पहले कि सुम्भासुर कुछ बोल पाता, वह शख्स उससे पूछता है, “नैना को कहाँ दफनाया, बता? बता, वरना मैं अभी तेरा सर धड़ से अलग कर दूंगा।”
सुम्भासुर कुछ बोल पाता, तभी दरवाजे पर सैकड़ों सैनिक दस्तक दे चुके थे। उस शख्स सुम्भासुर की गर्दन दबोचकर उसे घसीटता हुआ अपने साथ दूर गुफा में ले गया।
इधर सारे नगर में हंगामा हो जाता है कि पाताल लोक के सरदार का अपहरण हो गया है। इस खबर ने पूरे पाताल लोक में रह रहे सारे भूत, प्रेत, पिशाचों की नींद उड़ा दी थी।
पूरे पाताल लोक में चप्पे-चप्पे पर सुम्भासुर को तलाशा जा रहा था, पर सुम्भासुर इस वक्त जंजीरों में जकड़ा हुआ था। अपने खून से लथपथ, अपनी जान की भीख मांग रहा था।
तब उस शख्स ने कहा, “क्या तूने रहम किया था हम पर? क्या दोष था नैना का, जो उस मासूम को जिंदा दफना दिया तुम लोगों ने?
उसका कसूर यही था ना कि वह पाताल लोक की वासी होते हुए भी उसने इंसान से, मुझसे प्यार किया था?”
सुम्भासुर ने पहली बार उस शख्स को गौर से देखा था और देखते ही मुस्कुराने लगा।
सुम्भासुर, “तुच्छ इंसान की औलाद… तुझे क्या लगता है, तू मुझे कैद करके बच जाएगा?
नहीं, इस बार मैं तुझे जिंदा नहीं दफनाऊंगा, बल्कि तेरे जिस्म से खून का एक-एक कतरा निचोड़कर अपने पिशाचों को पिलाऊंगा,
और तेरा मांस अपने आदमखोरों को। पर एक बात बता, तू जिन्दा कैसे बचा?”
सुम्भासुर अभी बोल ही रहा था कि तभी वहाँ बूढ़ी डायन आ गई। वो इस तरह सुम्भासुर को घूरकर देखती है जैसे उसे जिन्दा चबा जाएगी।
बूढ़ी, “मेरी लाख मिन्नतों के बाद भी मेरी भूल जैसी बच्ची नैना और इस शख्स को जिंदा दफनाने के बाद जब तेरे आदमी वहाँ से चले गए,
तब मैंने इस आदमी की औलाद को बचाने का फैसला लिया। क्योंकि मेरी बेटी तो दफन हो कर भी मर नहीं सकती, लेकिन ये इंसान ये एक बार मर गया तो पुनः जीवित नहीं होगा।
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जब मैंने इसे जमीन से खोद कर बाहर निकाला, तो इसकी नब्ज़ चल रही थी। कुछ दिनों के इलाज के बाद यह फिर से अपने पैरों पर खड़ा हो गया था। और आज तेरे सामने खड़ा है, तेरी मौत बनकर।”
बूढ़ी डायन की बात खत्म होते ही गुफा में सैकड़ों की संख्या में सैनिक आ गए।
तभी वो शख्स तुरंत ही अपनी तलवार उठा सुम्भासुर की गर्दन पर रख देता है। सुम्भासुर को सैनिकों के बीच से घसीटता हुआ गुफा के बाहर ले आता है।
गुफा से बाहर आते ही जाने सब लोग कहां गायब हो गए, पता नहीं चला। सुम्भासुर को घसीटता हुआ वो शख्स उस दिशा में आगे बढ़ ही रहा था,
जहाँ नैना को दफनाया गया था। हर चार कदम के बाद वो शख्स सुम्भासुर से वही सवाल पूछता, “बता सुम्भासुर, कहाँ दफनाया तूने मेरी नैना को?”
इस पर सुम्भासुर हंसते हुए बोला, “बहुत जल्दी है तुझे तेरी नैना से मिलने की? कहे तो फिर से तुझे जिंदा दफना दूं?”
सुम्भासुर की हँसी सुन वो शख्स और भी गुस्से में आ गया था।
उसने गुस्से में बूढ़ी डायन से कहा, “मार क्यों नहीं देते इस सुम्भासुर को? वैसे भी इसने दूसरों को दुख देने के अलावा किया ही क्या है?”
इस पर बूढ़ी डायन ने कहा, “यही तो विडंबना है कि इसे मारा नहीं जा सकता। नैना कहाँ है, इसका पता सिर्फ सुम्भासुर ही जानता है।”
तभी आसमान में काले बादल छा गए, तेज गड़गड़ाहट होने लगी। ऐसा लगता मानो आसमान फट जाएगा।
सुम्भासुर जोर से हंसते हुए बोला, “स्वागत है तुम सबका मेरी इस जादुई माया नगरी में।”
सुम्भासुर के कहते ही सभी बादल भूत, प्रेत और पिशाच बन गये। अब उस शख्स के सामने एक पूरी फौज थी, जो उसकी जान लेने के लिए तैयार थी।
भूत, प्रेत और पिशाचों ने उस शख्स को घेर लिया। और अब सुम्भासुर की जंजीरें भी टूट चुकी थीं।
जैसे ही सुम्भासुर आजाद हुआ, उसने अपने भूत, प्रेत और पिशाचों को आदेश दिया और अगले ही पल वे सब उस शख्स पर टूट पड़े।
कोई उसकी गर्दन से खून चूस रहा था, तो कोई उसके पेट का मांस नोच रहा था। वह शख्स दर्द से तड़प रहा था, लेकिन बूढ़ी डायन का जादू अभी बाकी था।
पर पिशाच तो खुद उसकी जान के दुश्मन बने हुए थे। फिर भी डायन खुद संभाला और सुम्भासुर पर हमला किया।
तभी बूढ़ी डायन ने अपना सारा जादू एक बार में इस्तेमाल करने की सोची। उसका जादू इतना ताकतवर था कि सभी भूत, प्रेत और पिशाच एक पल में गायब हो गए।
पर सुम्भासुर अब भी जीवित था और गुस्से में खड़ा बूढ़ी डायन को ही देख रहा था।
सुम्भासुर, “बहुत जल्दी है ना तुम्हें नैना के पास जाने की?”
इतना कहकर सुम्भासुर कुछ मंत्र बुदबुदाने लगा, जिससे अचानक ही एक धुएं का अंबार उठा और उसमें से नैना निकल सबके सामने आ गई।
वो जिंदा तो थी, मगर ठीक तरह से ना तो बोल पाती थी और ना चल पाती थी। नैना की हालत देख सभी दंग रह गए थे। नैना को देख उस शख्स की आँखें नम हो गई थीं।
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तभी सुम्भासुर ने कहा, “देख लो अपनी नैना को, छ छ छ… तुम्हारी नहीं, मेरी नैना को। अब ये सिर्फ मेरी है। इसे मुझसे कोई नहीं छीन सकता, तू भी नहीं लड़के।
बहुत प्यार था तुम दोनों में..? ले, मैंने नैना की सारी यादें मिटा दीं। इसे अब कुछ भी याद नहीं है। मुझे आज भी वो दिन याद है, जब तू और नैना हसीन वादियों में साथ साथ घूम रहे थे।
फिर एक पेड़ के नीचे तू बैठा हुआ था और नैना तेरी गोद में सर रख कर लेटी हुई और तू उसके सर पर हाथ फेर रहा था।
मैं सब एक पेड़ के पीछे खड़ा होकर देख रहा था और सब देखकर मेरे तन बदन में बिजलियां कौंद रही थीं।
तभी तो मैंने तुझे और नैना को अलग करने का षड्यंत्र बनाया था। और तुम दोनों को जिंदा दफनाने की सजा दिलवाई थी।
ये कहते हुए सुम्भासुर ने आलोक की गर्दन पकड़कर उसे ज़मीन से ऊपर उठा लिया।
सुम्भासुर, “मगर तुझे बचा लिया इस चुड़ैल बुढ़िया डायन ने। खैर कोई बात नहीं, जो तब नहीं हो सका, वो अब होगा।”
हर चोट के साथ वो सिर्फ नैना को देखता, पर नैना को कुछ याद नहीं आ रहा था। यहाँ तक कि वो अपनी माँ को भी भूल चुकी थी।
इधर बूढ़ी डायन भी आलोक को बचाने की कोशिश कर रही थी, पर सुम्भासुर पर उसका कोई भी जादू काम नहीं कर रहा था।
आलोक को पूरी तरह से अपाहिज कर सुम्भासुर सीधे डायन की ओर बढ़ा। उसका सारा जादू खत्म हो चुका था।
अगले ही पल सुम्भासुर ने अपने मंत्रों से उसे हवा में उड़ा मंत्रो के उच्चारण से जिंदा ही जलाने लगा।
डायन की चीख सुन पूरा पाताल लोक कांप उठा था। उसका सारा काला जादू खत्म हो चुका था।
तभी ना जाने क्या हुआ, नैना खड़े खड़े कांपने लगी? शायद उसकी माँ का बचा कुचा जादू नैना में आ चुका था जिससे वो अब और ज्यादा ताकतवर बन गई थी।
उसे अब ये नहीं पता था कि उसका आलोक से क्या रिश्ता है? लेकिन उसकी चीख सुन नैना के दिल में दर्द उठता था।
नैना ने भी अपनी आँखे बंद की और मंत्रों के उच्चारण कर सुम्भासुर को हवा में उठा बारी बारी से उसकी हड्डियों तोड़ने लगी।
सुंभासुर भी अब दर्द में चीखने लगा था। उसे भी तकलीफ होने लगी थी। नैना ने भी उसके साथ वही किया जो सुम्भासुर ने उसकी माँ के साथ किया।
जिस्म की सारी हड्डियाँ तोड़ने के बाद, नैना ने अपने मंत्रों से उसे हवा में ही जिंदा जला दिया।
सुम्भासुर जब जल रहा था, तब उसमें से हजारों प्रेतात्माएं निकल रही थी, जिनको काबू में कर वो अपनी शक्तियां को बढ़ाया करता था।
इस हादसे के बाद अलोक कभी भी ठीक नहीं हो पाया। वह हमेशा हमेशा के लिए अपाहिज हो गया था और नैना को भी कभी कुछ याद नहीं आया।
लेकिन आज भी दोनों एक-दूसरे के साथ रहते हैं, सिर्फ इस भरोसे पर कि वे दोनों एक-दूसरे के लिए ही बने हैं।
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तो बस इतनी सी थी ये कहानी। दोस्तो, हमारे रिश्तों में भी कुछ पल के लिए दूरियाँ आ जाती हैं, पर इसका मतलब ये नहीं कि हम रिश्ता ही खत्म कर दें।
आज की हमारी कहानी में भी सब कुछ खत्म होने के बाद, आलोक और नैना ने अपने रिश्ते को भरोसा और वक्त दिया।
दोस्तो ये Horror Story आपको कैसी लगी, नीचे Comment में हमें जरूर बताइएगा। कहानी को पूरा पढ़ने के लिए शुक्रिया!