दहन | Dahan | Darawani Kahani | Haunted Story | True Scary Story | Darawani Kahaniyan in Hindi

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” दहन ” यह एक Darawani Kahani है। अगर आपको Darawani Stories, Scary Stories या Bhoot Wali Kahaniyan पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।


देश और विदेश में रहने वाले भारतीय लोग दिवाली की रौशनी में जगमगाते रहते हैं और खुशियां मनाते हैं।

तब भारत के हिमाचल की वादियों में छुपा गांव, सिया काले अंधेरे में डूबा रहता है, जहाँ सर्दियों से किसी ने दिवाली नहीं मनाई।

अरे! मनाना तो छोड़िए, अगर कोई वहाँ इस त्यौहार को मनाने का नाम भी ले ले, तो सभी गांव वाले मिलकर उसे गांव से बाहर निकाल देते हैं।

फिर भी अगर कोई गांव में रहना चाहे, तो उसे एक कड़ी शुद्धि प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है, जिससे आज तक कोई जिन्दा नहीं बच सका।

कहते तो ये हैं कि ये सब उन गांव वालों की भलाई के लिए है, जिसकी शुरुआत आज से कई सदी पहले उनके पूर्वजों ने की थी।

दिवाली के दिन ही खुद की समाधि लेकर ताकि गांव के बाकी लोग बुरी शक्तियों के प्रभाव से बच सकें।

इन सभी बातों से अनजान गांव के विकास बोर्ड के पद पर एक नई अफसरनी अपनी बेटी अकीरा के साथ गांव में रहने आई थी।

बेहद ही चंचल और खुले विचार की अकीरा दिखने में बहुत सुंदर थी, बिल्कुल अपनी माँ की तरह।

अकीरा की माँ जितनी सुंदर थी, उतनी ही खतरनाक भी। मानो जंगल की शेरनी, जो किसी शेर से भी ज्यादा घातक साबित हो सकती थी। गांव में आते ही लोगों के बीच उसकी बातें होने लगीं थीं।

मनोहर, “सरपंच जी, मैडम बड़ी शख्त हो। एक ना चले किसी की। काहे तो यो भी कि अपने मरद को जेल भिजवा के तलाक ले लिया उसने।”

सरपंच, “अरे! बौत देखी मैंने ऐसी अफसर अफसरनी, इसे भी देख लेंगे। तू चिंता मत कर।”

मनोहर, “एक बात और सरपंच जी, आपका लौंडा आजकल अफसरनी की बेटी के साथ ज्यादा घुल मिल रो है।”

सरपंच, “अरे अरे! घुलने मिलने दो। जवान है, जमींदार का खून है, खून तो उफान मारेगा ही। नजर बनाए रखना मनोहर, आंच हम पर ना आए।”

सरपंच ने इतना कहा ही था कि इतने में बाहर से लोगों के चीखने-चिल्लाने की आवाज आने लगी, “डायन को मारो, मारो। डायन को मारो, मारो।”

बाहर देखा तो लोगों की भीड़ एक औरत को रस्सी के सहारे बांध दोनों तरफ से खींचते हुए ऊपर पहाड़ पर अघोरी बाबा के पास ले जा रही थी।

जिसे देख सरपंच ने कहा, “जब पता है कि इस गांव में दिवाली मनाने के नाम से ही वो राक्षस जाग जाता है, फिर भी इनका भूत उतरने का नाम नहीं लेता।

ऐ मनोहर! गांव में बात फैला दे कि अगर किसी ने दिवाली मनाने का नाम भी लिया, तो उसका क्रिया दहन करवा देंगे।”

सरपंच अभी बोल ही रहा था कि इतने में वो अफसर सरपंच के सामने सड़क पर अपनी गाड़ी रोकती है।

अफसर, “हम तो यहाँ विकास के लिए आए हैं और आप हैं कि उजाड़ने की बातें कर रहे हैं। और इस तरह से उसे बांध कर कहाँ ले जा रहे हैं?”

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सरपंच, “नमस्ते मैडम जी, जरूर कीजिए विकास, बस हमारे गांव की मान्यता से दूर रहिए।

बाकी उसने पाप किया है, शैतान को जगाने का। या तो ये निकल जाएगी या फिर मारी जाएगी।”

ये सुनते ही अफसर का दिमाग हिल गया। उधर दूसरी तरफ उसकी बेटी सरपंच के बेटे के साथ पहाड़ी की चट्टान पर बैठकर बातें कर रही थी।

कि तभी उसे भी वो आवाज सुनाई दी, जो लोगों का हुजूम उस औरत को घसीटते हुए चिल्ला रहे थे।

उसे औरत की हालत ऐसी हो रही थी की एक पल के लिए अकीरा भी डर कर खड़ी हो गई थी

क्योंकि वह औरत दर्द से चीख रही थी, चिल्ला रही थी और अगल-बगल के लोगों पर हमला कर रही थी।

उसकी हालत किसी जानवर की तरह हो चुकी थी और अब वह अकीरा को एक टक देखने लगी थी।

उसके देखते ही वो पूरी तरह शांत हो गई, जिस पर गांववालों का चीखना-चिल्लाना भी बंद हो गया और वो सब वहीं रुक गए।

पर उन्होंने अब भी उस औरत को रस्सी से आजाद नहीं किया। ना जाने क्यों? पर अकीरा एक टक देखते हुए उस औरत के पास चले जा रही थी।

वो औरत भी अपने थरथराते हुए सिर को हिलाते हुए अकीरा को देखने लगी।

उसे इस तरह देख अकीरा अपनी लड़खड़ाती जुबान से उस औरत से कुछ कहना चाह रही थी कि इतने में वो अकीरा पर झपट पड़ी।

और उसे कुछ होता इससे पहले ही सरपंच का बेटा रवि बीच में आकर अकीरा को बचा लेता है।

ये देख गांव के लोग एक बार फिर उसकी रस्सी को तान लेते हैं, जिससे वो औरत किसी जानवर की तरह चीखने लगी थी।

रवि अकीरा को साइड में ले जाकर उसे कहता है, “तुम पागल हो क्या? क्या जरूरत थी उसके सामने जाने की?

अरे अब वो कोई आम औरत नहीं रही, उस पर राक्षस सवार हो गया है।

अकीरा, “पर ये लोग उन्हें कहाँ ले जा रहे हैं?”

रवि, “तुम इन चीजों में मत पड़ो, अकीरा। चलो चलते हैं यहाँ से।”

अकीरा, “नहीं रवि, मुझे जानना है कि आखिर क्या करेंगे ये सब इस औरत के साथ?”

इतना कहते ही अकीरा उस भीड़ के पीछे-पीछे पहाड़ी पर ऊपर की ओर भागने लगी। कुछ देर सोचने के बाद रवि भी भागते हुए उसके पास पहुँच जाता है।

रवि, “देखो अकीरा, हम चल तो रहे हैं। लेकिन वहाँ से दूर ही रहेंगे, ठीक है?”

रवि की बात सुन अकीरा भीड़ से थोड़ा दूर एक पेड़ के पास ही रुक जाती है और एक टक उस औरत को देखने लगती है, जिसे गांववालों ने दो खूँटों से बांध दिया था।

अचानक से सभी गांववाले ‘डायन को मारो मारो’ के बजाय अघोरी नंदा का जयकारा लगाने लगते हैं,

जिससे हर तरफ वही नाम गूंजने लगता है और आते ही अपनी लचीली छड़ी उस औरत को बेतहाशा मारने लगता है और पूछता है।

अघोरी नंदा, “बता…बता, तू क्या चाहती है?”

औरत, “मौत, तुम सभी पापियों की मौत।”

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उसकी बात सुन सभी सहम जाते हैं और आपस में फुसफुसाने लगते हैं। तभी अघोरी नंदा की तेज आवाज सुन सभी शांत हो गए।

अघोरी नंदा, “शांत! ये नीच अब सभी गांववालों के लिए खतरा बन गई है। हम इसे निष्कासित भी नहीं कर सकते,

क्योंकि ये जहाँ जाएगी, बस तबाही लाएगी। इसीलिए इसे यहीं जलाकर भस्म करना होगा।”

अघोरी नंदा की बात सुनते ही एक आदमी आगे बढ़ और उस औरत को तेल से सराबोर कर देता है।

अघोरी नंदा भी आसमान की ओर देखते हुए मंत्र पढ़ने लगता है।

देखते ही देखते आसमान की घटा घनघोर होने लगती है और शाम अपने सरूर पर है। तभी एक आदमी मशाल लेकर आगे बढ़ता है

और नंदा के इशारे पर जिंदा औरत को आग के हवाले कर देता है। जिसके बाद उसकी चीख दूर-दूर तक ऐसे फैलती है

कि गांव के लोग बाहर खेल रहे अपने बच्चों को घर के अंदर खींच लेते हैं और दरवाजा बंद कर अंधेरे में कहीं खो जाते हैं।

अपनी आंखों के सामने एक जिंदा औरत को जलता देख अकीरा भी चीख पड़ती है, पर रवि उसके मुंह को दबाते हुए जंगल की तरफ खींच लेता है।

अकीरा की आवाज सुन अघोरी नंदा बोला।

अघोरी नंदा, “कौन थी वो, पकड़ो उसे। उसके अंदर से निकलती हुई बुरी शक्तियां घर कर सकती हैं उसमें। पकड़ो उसे।”

जैसे ही रवि ये सुनता है, वह अकीरा का हाथ पकड़ तेज़ी से पहाड़ी के नीचे जंगल की तरफ भागने लगता है।

साथ ही अघोरी नंदा के इशारे पर कुछ लोग भी उसके पीछे भागने लगते हैं।

रवि अकीरा को अपने आगोश में लेकर एक पत्थर के पीछे छुप जाता है और वो लोग आगे निकल जाते हैं। उनके जाते ही रवि और अकीरा उठकर खड़े हो जाते हैं।

अकीरा, “रवि, उन लोगों ने उस औरत को जिंदा जला दिया… और अब मुझे भी।”

इतना कहते ही अकीरा रोने लगती है और रवि को गले लगा लेती है।

रवि, “तुम फिक्र मत करो अकीरा, मैं कुछ नहीं होने दूंगा तुम्हें।”

अकीरा, “मैं जानती हूँ, जब तक तुम मेरे साथ हो, मुझे कुछ नहीं होने दोगे ना तुम?”

इतना कहते ही अकीरा अपने होठों को रवि के होठों से लगा देती है और एक बार फिर से उसे अपनी बाहों में जकड़ लेती है।

तभी वो महसूस करती है कि रवि की पीठ से खून निकल रहा है। धीरे-धीरे उसका पूरा शरीर कांप रहा है।

रवि को देखने के लिए अकीरा खुद से अलग करती है, तो पाती है कि वो सिर से लेकर पांव तक पसीने से सराबोर है और कांप रहा है।

अकीरा, “रवि क्या हुआ है तुम्हें? तुम ऐसे क्यों कर रहे हो?”

इतना कहते ही अकीरा अपने कदमों को पीछे ले लेती है। तभी वो देखती है कि रवि का पूरा शरीर अकड़ने लगता है और आंखें लाल हो जाती हैं।

उसकी सारी हरकतें बिल्कुल वैसी हो जाती हैं जैसी अभी कुछ देर पहले उस औरत की थी।

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वो समझ चुकी थी कि अब तक जो रवि उसे हर मुश्किल से बचाने का वादा कर रहा था, वो अब किसी भी पल उसे खत्म कर सकता है।

इसलिए वो चीखते हुए जंगल से गांव की तरफ भागने लगी। उसकी आवाज सुन अघोरी नंदा के लोग आने लगते हैं

और रवि कुछ देर अपने शरीर को मरोड़ता है और फिर किसी जानवर की तरह अकीरा के पीछे पड़ जाता है।

अकीरा भागते हुए अब गांव में पहुँच गई थी, लेकिन गांव का हर दरवाजा बंद था। वो कई दरवाजों के आगे चीखी, चिल्लाई भी, पर कोई भी मदद के लिए आगे नहीं आया।

तभी उसकी नजर रवि पर गई, जो उसे ढूंढ़ता हुआ उसी ओर आ रहा था। उससे बचने के लिए अकीरा एक घर के पास छिप जाती है और रवि आगे निकल जाता है।

तभी अकीरा को अपनी माँ दिखती है अपनी गाड़ी से जाते हुए।

माँ देखते हुए अकीरा उसकी ओर बढ़ जाती है, लेकिन उसे रवि देख लेता है। अकीरा किसी भी तरह अपनी माँ को रोकने में कामयाब हो जाती है।

अकीरा को इस हाल में देख उसकी माँ गाड़ी से उतर अपनी बेटी के पास आ उसे गले लगा लेती है।

तभी रवि भी उसके पास आता है और उन पर झपटने वाला ही होता है कि तभी अघोरी नंदा के 4 लोग कवच बनकर उनके सामने खड़े हो जाते हैं।

किसी के हाथ में मशाल तो किसी के हाथ में तलवार थी। इन लोगों को देख रवि एक पल के लिए रुक जाता है और एक ही जगह खड़े रहकर जानवर की तरह चिल्लाने लगता है।

तभी उनमें से एक आदमी मशाल को अकीरा के हाथ में थमा देता है और खुद रस्सी लेकर रवि की तरफ बढ़ने लगता है।

वो चारों लोग रवि को घेर लेते हैं और उसे बांधने के लिए जैसे ही रस्सी आगे फेंकते हैं, रवि उन चारों पर कहर बनकर बरस पड़ता है। देखते ही देखते वो सबको लहूलुहान कर खत्म कर देता है।

अपनी आंखों के सामने सबको खत्म होता देख अकीरा और उसकी माँ मशाल लिए वहाँ से भाग निकलते हैं,

पर रवि दूसरी ओर से ठीक उनके सामने पहुँच जाता है और उनकी तरफ झपटने वाला ही होता है कि अफसरनी उसे मशाल दिखाकर दूर करती है

और फिर गांव वालों से कहती है, “आज आपका गांव इस राक्षसी शक्ति की चपेट में इसीलिए है, क्योंकि आप सभी अच्छाई में विश्वास रखने से ज्यादा बुराई से डरते हैं।

अरे! दशहरा और दिवाली हम बुराई पर अच्छाई की जीत के लिए मनाते हैं ताकि हमारे जगमगाते घरों को देख बुराई दूर ही रहे।

पर आप सभी खुद को इसे अंधेरे में डाल खुद से ही बुरी शक्तियों को न्योता दे रहे हैं।

आज दिवाली है और यही वो दिन है जब आप सदियों से अपने गांव में बसी शैतानी शक्ति को बाहर कर सकते हैं।

सोच क्या रहे हैं? कर दीजिए रोशन अपने घर को दिवाली के दिए से।”

अफसरनी की बात सुन गांव का सरपंच अपने घर की खिड़की से झांक कर कहता है, “गांव वालों, हमारी बात को ध्यान से सुनो।

भले मेरे बेटे की बलि चढ़ जाए, पर परंपरा नहीं टूटनी चाहिए।”

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अफसरनी, “देखिए, आप सभी मेरी बात सुनिए। घर में अंधेरा रखकर शैतान से नहीं बचा जा सकता, बल्कि उजाले में विश्वास करके बचा जा सकता है।

आदमी, “सरपंच, ठीक कह रही है अफसरनी। इतने साल तेरी सुनके कौन सा हम बच रहे हैं?

एक एक करके हर साल कोई न कोई खत्म ही हो रहा है। आज इसकी बात सुनने में जीने की उम्मीद आ रही है, तो इसे भी करके देख लेते हैं।”

गांव के इस बुजुर्ग की बात सुन सभी एक-दूसरे को दिए जलाने को कहते हैं। जिसके बाद अंधेरे के साये में घिरे इस गांव के घरों से रोशनी निकलना शुरू हो जाती है।

कोई अपने घर में दिया जला रहा होता है, तो कोई लालटेन से अपने घर को रोशन करता है। देखते ही देखते कुछ ही देर में पूरा गांव जगमगा उठता है।

दूसरी तरफ अपनी बेटी को बचाने के लिए अफसरनी भी मशाल के दम पर रवि को रोके हुए थी,

लेकिन गांव में फैली रोशनी को देख रवि के अंदर की शैतान अपने आप ही मरने लगता है। मानो दिवाली के उजाले से उसके बुरे साम्राज्य का अंत हो रहा हो।

अगले ही पल उसमें से काली शक्तियां निकल आसमान में चली जाती हैं और रवि निढ़ाल हो जमीन पर गिर जाता है।

अकीरा उसे संभालने के लिए उसकी तरफ दौड़ पड़ती है। उसकी माँ उसे रोकती भी नहीं है,

क्योंकि उसे पता है कि दिवाली के उजाले ने इस गांव में फैले सदियों के अंधेरे को खत्म कर दिया है।


दोस्तो ये Darawani Story आपको कैसी लगी, नीचे Comment में हमें जरूर बताइएगा। कहानी को पूरा पढ़ने के लिए शुक्रिया!


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