नाजायज़ | Naajayaz | True Horror Story | Sachhi Kahani | Real Horror Story in Hindi

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” नाजायज़ ” यह एक True Horror Story है। अगर आपको Hindi Horror Stories, Darawani Stories या Real Bhutiya Kahani पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।


शाम का वक्त है। बेड पर गुलाब के फूलों का दिल बना है और बिस्तर पर चारों तरफ गुलाब की पंखुड़ियां बिखरी पड़ी हैं।

“हैप्पी बर्थडे टु यू,” पीछे से राज ने कहा।

रूम की सजावट देखकर संजना की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा। राज ने भी संजना को अपनी बांहों में भर लिया

और एक लंबी फ़्रेंच किस के बाद संजना बोली, “बस दो मिनट और, मैं अभी रेडी होकर आयी।”

तभी राज, संजना के हाथ में कपड़ों का पैकेट थमाते हुए बोला, “जान, प्लीज़ आज यहीं ड्रेस पहन ना।”

संजना शर्मा जाती है और राज से कहती है, “तुम बाजू वाले कमरे में जाओ। जब बोलूंगी, तब आना।”

राज भी संजना की बात मान दूसरे कमरे में चला गया। दूसरा कमरा संजना की रूम पार्टनर पल्लवी का था।

रूम की हालत देख राज दंग रह जाता है, क्योंकि उस कमरे में काले जादू का सामान बिखरा पड़ा हुआ था।

नींबू, वूडू डॉल, और किसी राक्षस की फोटो के साथ कुछ कीलें और इंसान की फोटो भी थीं, जिसका चेहरा सिगरेट से जलाया हुआ था।

राज अभी ये सब गौर से देख ही रहा था कि तभी संजना की आवाज आई, “आई एम रेडी, लव।”

राज कमरे को ध्यान से देखता हुआ, हैंगर पर टंगे लेडीज अंडरगारमेंट्स को साइड करता हुआ संजना के सामने जा पहुंचा।

राज की मदहोश आँखों में शरारत देखकर संजना शर्मा गई और पैरों की उंगलियों से बिस्तर को कुरेदते हुए, खुद में खुद को सिमटने की जद्दोजहद में लग गई।

तभी राज आगे बढ़कर उसे अपने आगोश में ले लेता है और विवाह से पहले ही संपूर्ण सुख देने में जुट जाता है।

दूसरे दिन राज अपने फ्लैट पर अपने रूम पार्टनर सोहम के साथ सिगरेट के छल्ले बना रहा था।

तभी राज के मोबाइल पर संजना का फोन आया। संजना से सारी बात होने के बाद,

राज ने सोहम से कहा, “सोहम, संजना आज मेरे रूम पर आ रही है, तू एक काम कर, प्रेम के फ्लैट पर चला जा।”

सोहम, “यार मेरे कमरे में तो तूने पहले से ही कब्ज़ा कर रखा था, अब तू मुझे मेरा फ्लैट से ही बाहर जाने को कह रहा है। तू ही बता यार, इस बारिश में कैसे बाहर जाऊं?”

राज, “यार, अब तू रो मत। मैं तेरे ऑटो का पैसा दे दूंगा और कल दारू भी पिला दूंगा, बस..?”

राज की बात मान सोहम फ्लैट से जा चुका था। राज अब संजना के इंतजार में था कि तभी फिर संजना का फोन आया।

“राज, माय लव… कुछ इमरजेंसी आ गई है, इसलिए मैं आज नहीं आ रही। पर कल सुबह पक्का आऊंगी।”

संजना की बात सुन राज़ अपना मूड ऑफ करके बैठ गया था पर अब उसके अंदर की वासना की आग भड़क चुकी थी।

इसी चक्कर में अब वो किसी उधेड़बुन में लग गया था, क्योंकि अब सोहम भी फ्लैट से जा चुका था। राज़ ने तुरंत ही किसी को फ़ोन किया।

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राज, “मैं अकेला हूँ, तू फ्लैट पर आ जा।”

दूसरे दिन जब संजना राज के फ्लैट पर आई, तो दोनों में जोरदार रोमांस हुआ। रोमांस ही रोमांस में जाने कब शाम हो गई, कुछ पता ही नहीं चला।

दोनों एक ही चादर में लिपटे एक दूसरे के आगोश में सोहम के लैपटॉप पर फिल्म देख रहे थे।

तभी संजना ने कहा, “चल ना राज, थोड़ा बाहर घूम कर आते हैं। वैसे भी मेरा बदन टूट सा रहा है। मुझे चाय पीनी है।”

राज, “बाहर बारिश हो रही है, संजना और फ्लैट में तो चाय बनाने का सामान भी नहीं है। रुको, मैं बाहर से तुम्हारे लिए चाय लेकर आता हूँ।”

संजना से कहता हुआ राज बाहर चला गया। राज़ के ना होने पर संजना बोर होने लगी थी क्योंकि राज़ को आने में देरी हो गई।

संजना, “एक चाय लेने में राज़ को इतना टाइम क्यों लग रहा है?

खुद से कहती हुई संजना ने फ़िल्म को पास कर दिया। फिर लैपटॉप की बाकी फाइलें को देखने लगी।

संजना भी लैपटॉप की फाइलें को देखी रही थी कि अचानक ही उसे कुछ ऐसा दिखा, जिसे देख उसका खून जमसा गया।

संजना पूरी तरह से टूट चुकी थी। उसकी आँखों से आंसू थम नहीं रहे थे। तभी राज़ भी हाथ में चाय लिए संजना के सामने आ जाता है।

वो अभी संजना से कुछ कह ही रहा था की तभी उसकी नजर लैपटॉप की स्क्रीन पर गई जिसमें राज़ किसी और लड़की के साथ संभोग करते हुए वीडियो बना रहा था। जीस

जिसे देख राज के पसीने छूटने लगे थे।

उसने कहा, “संजना, मैं सब समझा सकता हूँ।”

संजना चिल्लाई, “क्या समझाओगे तुम मुझे, राज़? इस वीडियो को देखकर मुझे सब कुछ समझ में आ चूका है।

मुझसे मन भर गया था तो एक बार बता देते। मेरी दोस्त, मेरी रूम पार्टनर को क्यों बर्बाद किया?

पल्लवी मेरी अच्छी दोस्ती, राज़ और तुम मेरे पीठ पीछे ही मेरे दोस्त के साथ रंग रलियां मनाते रहे। कब से चल रहा है तुम दोनों का चक्कर?”

संजना की आँखे गुस्से से लाल हो चुकी थी। जिसे देख राज ने गर्दन झुकाते हुए कहा,”मैं तुमसे मिलने के एक हफ्ते बाद से ही, जब पहली बार तुम्हारे फ्लैट पर आया था

और नशे में तुम जल्दी सो गई थी ना, तब पल्लवी और मेरी बातें शुरू हो गई और पता ही नहीं चला कि कब हम दोनों एक दूसरे के इतने करीब आ गए और ये सब होने लगा?

फिर उसके बाद हर बार तुम्हारा पेट भरने के बाद मैं उसकी प्यास बुझाने उसके कमरे में जाता था। और…”

राज अभी बोल ही रहा था कि तभी संजना ने उसका कॉलर पकड़ उसे दूर धकेल दिया।

संजना, “छी… राज, मैंने तुमसे प्यार किया था और तुमने मुझे कहीं का नहीं छोड़ा।”

इतना कहकर संजना रोती हुई राज़ के फ्लैट से चली गई। राज़ भी उदास मन से बिस्तर पर लेट गया और सो गया।

रात अपने उफान पर थी कि तभी राज़ के फ्लैट पर किसी ने दस्तक दी। राज़ एक पल में नींद से जाग गया था। उसने जैसे ही दरवाजा खोला तो दरवाजे पर कोई था ही नहीं।

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राज़ दरवाजा बंद करके जैसे ही पीछे मुड़ा तो देखा संजना छत से उल्टी लड़की हुई थी। उसके गले में टूटी हुई रस्सी थी, जैसे किसी ने उसे फांसी लगाई हो।

और संजना के पेट में खंजर भी घुसा हुआ था। राज संजना की हालत देखकर डर के मारे कांपने लगा था।

वो डर र के मारे वापस अपने फ्लैट से बाहर जाने को मुड़ा ही था की देखा संजना उसके ठीक आँखों के सामने घड़ी है।

संजना,”मैं कोई खेलने की चीज़ नहीं हूँ, राज़। मैं एक औरत हूँ, जिसे तूने धोखा देकर अपनी वासना की भूख मिटाई है और मुझे रौंद दिया। उसकी कीमत तो तुझे चुकानी ही पड़ेगी।”

इससे पहले कि राज संभल पाता, संजना ने अपने पेट से खंजर निकाल के राज़ के पेट में घोंप दिया। राज़ दर्द के मारे तड़पने लगा था।

वो अपना दर्द बर्दाश्त नहीं कर पाया और नीचे गिर गया। इतने पर भी जब संजना का पेट नहीं भरा, तो वो राज़ के ऊपर ही कूद गई और उसकी गर्दन के मांस को अपने दांतों से नोचते हुए खाने लगी।

राज फर्श पर पड़ा हुआ दर्द के मारे चिल्ला रहा था, अपने पैर पटक रहा था। देखते देखते संजना राज की गर्दन और छाती का मांस नोंचकर खा चुकी थी।

राज की छाती की हड्डियां साफ दिखने लगी थी और उसकी सांसे अभी भी बाकी थीं।

बहुत हिम्मत कर राज ने संजना को खुद से दूर झटक दिया और बदहवासी फ्लैट से निकल मुंबई की सड़कों पर दौड़ता हुआ सीधा पुलिस स्टेशन पहुंचा।

राज, “सर, मुझे बचा लीजिए। वो संजना मेरी जान की दुश्मन बन गई है। पता नहीं उसे क्या हो गया है?

वो बस मेरे जिस्म का मांस नोंच के खा रही थी। प्लीज़ मुझे संजना से बचा लीजिए।”

ये सुन इंस्पेक्टर बोला, “जिसे बचाना था, उसे तो तूने खुद ही मार दिया। और अगर तेरे जिस्म से मांस नोंच रही थी तो खून के निशान कहाँ है? तू तो बिल्कुल सही सलामत खड़ा है।”

इंस्पेक्टर की बात सुन राज चौंक गया। उसने जब खुद की छाती छुई, तो बिलकुल सही सलामत थी। राज़ के जिस्म पर खून का एक कतरा भी नहीं था।

उसे समझ नहीं आ रहा था कि उसके साथ फ्लैट में संजना ने जो किया, राज़ के पेट में खंजर घुसाना और उसकी छाती का मांस नोचना, वो सब क्या सिर्फ एक वहम भर था?

ये सब सोचकर ही राज़ के होश उड़ गए। तभी इंस्पेक्टर ने हवलदार से चिल्लाते हुए कहा, “सिंधे, बड़ी चरबी चढ़ी है।

डाल इसको लॉकअप में, अभी इसकी सारी चर्बी उतारता हूँ। साला हमें बेवकूफ बनाने चला है। वैसे भी हम इसे ही पकड़ने जा रहे थे।

इंस्पेक्टर की बात मान हवलदार ने तुरंत ही राज़ को गर्दन से पकड़ उसे लॉकअप में बंद कर दिया।

मार खाते वक्त राज़ को भी पता चला कि उस पर धारा 375, 376 और 302 लगी है। यानी रेप के बाद मर्डर का केस, जिसमें बेल भी नहीं मिलती।

राज़ की हालत वद से बदतर होती जा रही थी। इंस्पेक्टर और हवलदार राज से उसका जर्म कबूल करवाने में लगे हुए थे।

पर राज़ ने मुँह खोला तो सिर्फ चीखने और चिल्लाने के लिए। रात के 3 बजने को हो गए।

पर आज ने इंस्पेक्टर के आगे अपना जुर्म नहीं के बोला। पर हर मार, हर चोट के बाद राज़ इंस्पेक्टर से बस इतना कहता कि उसे एक आखरी बार संजना का चेहरा देखना है,

उसके बाद इंस्पेक्टर जैसा बोलेगा राज अपना जुर्म कबूल कर लेगा। इंस्पेक्टर ने राज़ की बात मानी।

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और राज को सीधा संजना के फ्लैट पर ले गया, जहाँ पहले से ही संजना के रूम पार्टनर पल्लवी मौजूद थी।

पल्लवी की बातें सुनकर राज़ को संजना के साथ हुई वारदात के बारे में पता तो चल गया था। लेकिन उसे बात पर अभी भी यकीन नहीं था कि संजना को उसने मारा है।

सब कुछ जानने के बाद राज़ ने पल्लवी से कुछ नहीं किया और इंस्पेक्टर के साथ फ्लैट के अंदर चला गया।

राज जब फ्लैट के अंदर गया तो फोरेंसिक वाले संजना की लाश को स्ट्रेचर पर रखकर ले जा रहे थे। संजना की लाश देख राज़ टूट गया।

उसके अंदर डर का सैलाब उमड़ पड़ा क्योंकि संजना की लाश बिलकुल उसी हालत में थी, जैसी राज़ ने अपने फ्लैट में देखी थी, पेट में चाकू धंसा हुआ, गले में टूटी रस्सी लटकी हुई।

पुलिस ने जब पंचनामा किया तो संजना के कमरे से वो सारे सबूत मिले जो ये साबित करते थे कि संजना को मौत के घाट उतारने वाला कोई और नहीं बल्कि राज़ ही है।

लाख दलीलें और महंगे वकीलों के बावजूद भी राज़ खुद को नहीं बचा पाया और उसे संजना के मर्डर में उम्र कैद हो गई।

आज रात को 7 साल जेल में हो गए हैं और आज ही उसे जेल से पागल खाने भेजा जा रहा है। कहते हैं कि वो रौशनी को देखते ही चीखने लगता है और अपना आपा खो देता है।

7 साल की अब तक की जेल में राज़ ने 6 साल तो अंधेरी काल कोठरी में ही बिताए। हवलदार बताते हैं कि राज़ की कोठरी से अक्सर चिल्लाने और माफी मांगने की आवाज आती थी। वह आधी-आधी रात को उठकर रोता था, गिड़गिड़ाता था।

उनका कहना था कि राज़ अंधेरे में किसी लड़की से बातें किया करता था। राज़ पागल खाने पहुँच कर भी अंधेरे कमरे में ही बंद पड़ा रहता था। फिर एक दिन उससे मिलने के लिए दो लोग आए।

सभी के मिलने का इंतजाम एक अंधेरे कमरे में किया गया। राज़ अंधेरे में ही कुर्सी पर बैठा हुआ था, गर्दन तक बिखरे बाल और आँखों के नीचे काले धब्बे, जिन्हें देख कोई भी राज़ से सहम जाए।

राज़ कमरे में गर्दन झुकाए बैठा हुआ था कि तभी उसके चेहरे पर किसी ने टॉर्च मारी।

पल्लवी, “लगता तो वही है।”

अपना नाम सुनकर जब राज़ ने सामने देखा तो उसके सामने पल्लवी और सोहम खड़े थे।

सोहम, “क्या हाल है, मेरे दोस्त? सुना है तू पागल हो गया?”

सोहम और पल्लवी ज़ोर-ज़ोर से हँस रहे थे। दोनों की हँसी सुनकर राज़ का मन खट्टा हो गया था।

राज, “आए क्यों तुम दोनों?”

सोहम, “बस देखने आए थे, बर्बाद होने के बाद भी तेरी अकड़ गई की नहीं?”

राज सोहम और पल्लवी की बातें बड़े गौर से सुन रहा था।

राज, “बर्बाद…? क्या मतलब है तुम दोनों का? मेरी इस हालत की वजह तुम दोनों हो?”

राज़ की बात सुनकर सोहम और पल्लवी दोनों एक-दूसरे को देखकर हँसने लगे।

पल्लवी, “अरे बेवकूफ! इतने साल मिले सोचने के लिए, फिर भी तुझे समझ नहीं आया?”

राज, “क्या समझ नहीं आया? तुम साफ-साफ क्यों नहीं बताते?”

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पल्लवी से कहते हुए राज़ गुस्से में आ गया था। वो कुर्सी से खड़ा हुआ ही था कि सोहम ने राज़ को धक्का देकर फिर से उसी कुर्सी पर बैठा दिया।

फिर राज़ का कॉलर पकड़कर गुस्से में बोला, “हाँ, तेरी इस हालत की वजह हम दोनों ही हैं। मैं संजना से बेइंतहा प्यार करता था।

तू शायद भूल गया राज़ कि मैं और संजना बचपन के दोस्त थे। मेरा पहला और आखिरी प्यार थी वो और तू मेरे सामने ही मेरे प्यार को मेरे बिस्तर पर रौंदता था। फिर तुझे कैसे छोड़ देता मैं?”

सोहम की बातें सुनकर राज़ का सिर फटने को हो गया था।

राज, “तो क्या संजना का रेप तूने किया था?”

सोहम, “हाँ और फिर उसे फांसी भी मैंने नहीं लगाई थी, जिसमें मेरा साथ पल्लवी ने दिया था।”

ये सब सुनकर राज़ की सांसें गर्म होने लगीं। उसके नथूने फूलने लगे थे और कमरे में सबको ठंड लगने लगी थी।

राज, “क्या… पल्लवी ने? पर पल्लवी का संजना से क्या लेना-देना? वो तो संजना की अच्छी दोस्त हुआ करती थी। फिर?”

संजना, “मैं संजना की दोस्त जरूर थी लेकिन मेरा प्यार तुम थे। मैं तुमसे प्यार करती थी, पर तुमने तो मेरे जिस्म के अलावा कुछ देखा ही नहीं।

कितनी बार राज़ तुम मुझे नोंच रहे होते थे, फिर तुम्हारे होठों पर संजना का जिक्र होता था। और जो काले जादू का सामान तुमने मेरे कमरे में देखा था, वो मैं करती थी तुम पर और संजना पर।

लेकिन जिस दिन संजना ने तुम्हारे फ्लैट पर आने से मना कर दिया था और तुमने मुझे फ़ोन कर अपने फ्लैट पर बुलाया था, तब मुझे रास्ते में सोहम मिला, जो संजना के लिए रो रहा था।

उसी दिन हमने फैसला कर लिया था कि हम तुम दोनों को बर्बाद कर देंगे। फिर तभी से मैंने तुम्हारे खिलाफ़ सबूत इकट्ठा करना शुरू कर दिया।”

सोहम, “फिर मैं अपने प्यार, संजना के पास गया। एक आखरी बार मैंने उसके कोमल बदन को छुआ, उस पर अपने दांत गड़ाये, उसे बेहतशा मारा।

मैंने वो सब कुछ किया, जो मैं उसके साथ करने का सोचता था। फिर उसे तड़पा-तड़पाकर मार डाला और तुमसे इकट्ठा हुए सारे सबूत हमने संजना के पास बारी-बारी से रख दिए

ताकि सबको लगे कि सब तुमने किया है। और ऐसा ही हुआ। हमने तुझे बर्बाद कर दिया, राज़… बर्बाद कर दिया।”

सोहम की बात सुन राज रोने लगा था और उसकी आवाज़ सुन कमरे में एक लड़की के रोने की आवाज भी गूंजने लगी थी।

जिसे सुन सोहम और पल्लवी की रूह कांप गई थी। उन्होंने जैसे से ही टॉर्च की रौशनी कमरे की छत पर डाली।

तो सैकड़ों संजना दीवारों से चिपकी नजर आने लगीं। उसके पेट में अभी भी खंजर गढ़ा हुआ था। उसके गले में आज भी वही टूटा हुआ फंदा पड़ा था।

पर संजना पहले से और भी ज्यादा डरावनी और गुस्सैल हो चुकी थी। संजना का ये रूप देख सोहम और पल्लवी दोनों कमरे से डर के मारे चीखने लगे थे।

वो जैसे ही कमरे से बाहर जाने के हुए थे, उनके पैर जम गए क्योंकि उनकी आँखों के सामने ही संजना खड़ी थी।

सोहम, “संजना, तुम..? तुम तो मर गई थी।”

सोहम संजना से कहता हुआ डरता हुआ पीछे हट रहा था तभी पल्लवी बोली।

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पल्लवी, “संजना, मैंने कुछ नहीं किया। मुझे तो सोहम ने पैसे दिए थे और पुलिस वाले का मुँह बंद करने के लिए सोहम ने मुझे पुलिस वालों के साथ भी सुलाया। मुझे माफ़ कर दे दोस्त, मैं बहक गई थी। “

पल्लवी की बात खत्म होते ही संजना ने पल्लवी के मुँह में हाथ डालकर उसकी जुबान ही खींच ली।

फिर उसकी आँखें फोड़ और गर्दन से पकड़कर एक कोने में फेंक दिया।

यह सब देख सोहम का गला सूख गया था।

संजना, “मैं मानती हूँ कि मेरे बॉयफ्रेंड ने मेरे साथ गलत किया, लेकिन तुझे किसने मेरे साथ गलत करने का हक दिया?

क्यों मुझे रौंदा? क्यों बर्बाद किया तुने मुझे, बोल?”

संजना की बात सुनकर सोहम के मुँह से चूं तक नहीं निकली। वह डर के मारे काँप रहा था।

इससे पहले कि सोहम कुछ कहता, संजना ने सोहम के दोनों हाथ उसके जिस्म से अलग कर दिए और उसकी भी आँखें फोड़ दीं।

सोहम अपनी मौत के लिए तड़प रहा था, लेकिन संजना ने किसी को भी मौत के घाट नहीं उतारा।

सोहम और पल्लवी के दिल में संजना का डर इस कदर बैठ गया था कि उन्होंने अपना जुर्म कबूल किया और राज हमेशा-हमेशा के लिए बाइज्जत बरी हो गए।

लेकिन आज भी वो रौशनी से डरता है। उजाले को देखकर चीखने लगता है। इधर सोहम और पल्लवी भी पागल खाने में बड़बड़ाते रहते हैं,

चीखते हैं, और खुद को कोसते हैं। शायद अब तीनों में से कोई भी संजना के डर से कभी बाहर नहीं निकल पाएगा।

उम्मीद है आप जान पाए होंगे कि हर गलती की अपनी एक सजा होती है। आप किसी भी गलती के लिए किसी को भी मौत की सजा नहीं दे सकते।


दोस्तो ये True Horror Story आपको कैसी लगी, नीचे Comment में हमें जरूर बताइएगा। कहानी को पूरा पढ़ने के लिए शुक्रिया!


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