काला जादू | KALA JADU | Horror Story | Horrible Kahani | Horror Kahani | Scary Story | Horror Stories in Hindi

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” काला जादू ” यह एक Real Horror Story है। अगर आपको Hindi Horror Stories, Horrible Stories या Darawani Kahaniyan पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।


राकेश और प्रीति दोनों अपने कमरे में पलंग पर सोए हुए थे। अचानक कमरे में किसी चीज़ के गिरने की आवाज आई तो प्रीति तुरंत जागकर इधर उधर देखने लगी। 

तभी उसे अंधेरे में चमकती हुई दो आंखें नजर आईं, जो धीरे धीरे उसकी ओर बढ रही थीं। डर की वजह से उसके मुँह से आवाज भी नहीं निकली। 

तभी वो काली आंखें काली बिल्ली के रूप में उसके सामने थी। बिल्ली ने पास ही ड्रेसिंग टेबल पर रखी उसकी सिंदूरदानी फैला दी और कमरे से बाहर चली गई। 

प्रीति ने लाइट जलाकर देखा तो सिंदूर के पास कुछ उल्टे पैर बने हुए थे।

प्रीति, “बिल्ली के इस तरह के पैर कैसे हो सकते है?”

वो सोच ही रही थी की अचानक राकेश ज़ोर से चीखने लगा। वो अपनी जगह पर बैठा हुआ था।

उसकी आंखें बंद थी। उसे सांस लेने में तकलीफ होने लगी। 

अचानक ही उसके चेहरे से खून आने लगा। ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने उसके चेहरे को बुरी तरह से नोच दिया हो। 

ये सब देख प्रीति डर गई। 

प्रीति, “राकेश, क्या हुआ है? तुम होश में आओ। ये चोट कैसे लग गयी?”

मगर राकेश को कोई होश नहीं था। उसके हाथ मुड़कर आड़े टेढ़े हो गए थे। उसके मुँह से चीख निकल रही थी। 

राकेश, “बचाओ… बचाओ, अरे कोई मुझे बचाओ। कोई है?”

वैलेंटाइन डे के दिन सभी अपने लिए सोलमेट तलाश कर रहे थे। 

विशाल, “यार, मैं तो प्रीति को प्रोपोज़ करना चाहता हूँ। ना जाने वो मेरी बात पर कैसे रिएक्ट करेगी?”

दोस्त, “करके देख ले। यदि वो भी तुझे पसंद करती होगी, तो हाँ कर देगी।” 

दोस्त के कहने पर विशाल प्रीति के पास पहुंचा और खुद घुटनों पर बैठकर रोज़ देकर प्रोपोज़ करने लगा। 

मगर प्रीति ने साफ मना कर दिया। कुछ समय के बाद उसकी शादी राकेश से हो गई। मगर विशाल अभी भी प्रीति को नहीं भुला पा रहा था। 

एक ही दिन प्रीति की याद में शराब के नशे में धुत विशाल उसकी यादों में रो रहा था। 

विशाल, “प्रीति, ये तुमने मेरे साथ ठीक नहीं किया। मैं तुमसे बदला लेकर रहूँगा।”

दोस्त, “बदला… मगर कैसे लेगा?”

विशाल, “चल मेरे साथ।”

दोनों शराब के नशे में धुत शमशान के अंदर पहुंचे जहाँ पर गहरे अंधेरे में केवल जलती हुई चिता थी। 

अंधेरे में वो आगे बढ़े, एक चमगादड़ उड़ता हुआ उनके सिर पर से निकल गया। 

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उनकी निगाह जलती हुई चिता के पास गई जहाँ पर एक अघोरी उसके पास बैठा तंत्र पूजा कर रहा था। 

चिता के पास चौकोर घेरा बना हुआ था। एक कटोरे में खून रखा हुआ था, काले कपड़े की बनी हुई गुड़िया और पास में रखा हुआ नींबू जिसमें सुई घड़ी हुई थी। 

तांत्रिक मंत्रों का उच्चारण करने लगा और कुछ देर के बाद उसने नींबू में रखी हुई सुई निकालकर उसे काले कपड़े वाली गुड़िया के हाथों में चुभाने लगा। 

उसके हाथों में से खून निकल रहा था। ये देखकर तांत्रिक के चेहरे पर रहस्यमयी मुस्कराहट आ गई। 

कुछ देर तक वो उस गुड़िया के शरीर में जगह जगह सुई चुभा रहा था जब वो सुई को चुभाता वहाँ से खून निकलना शुरू हो जाता। 

फिर उसने उस गुड़िया के हाथ पैर तोड़ दिए और गर्दन को मरोड़कर उस गुड़िया को जलती हुई चिता पर डाल दिया। 

सारी क्रिया करने के बाद वो जब अपनी जगह से उठा, तो विशाल ने उस तांत्रिक के पैर पकड़ लिए।

तांत्रिक, “दुष्ट, मेरे पैर छोड़ दे। मेरे पैर क्यों पकड़ रखे हैं तूने?”

विशाल, “मुझे आपकी मदद की जरूरत हैं।”

तांत्रिक, “मदद…? कैसी मदद चाहिए तुझे?”

विशाल, “मुझे काले जादू से अपने खोये हुए प्यार को वापस हासिल करना हैं।”

विशाल के मुँह से काले जादू की बात सुनकर तांत्रिक तेजी से उपहास करने लगा। 

तांत्रिक, “हा हा हा… आज कल के लोगों को लगता है कि तंत्र साधना बच्चो का खेल है। मैंने इस साधना को सीखने के लिए अपनी पूरी जवानी शमशान में बिता दी।

वैसे भी दूसरे का बुरा सोचकर की गई तंत्र साधना हमेशा गलत नतीजा देती है। कहीं ऐसा ना हो कि उसका पूरा असर तुम पर ही हो जाए?”

विशाल अपनी जेब से ढेर सारे पैसे निकालकर तांत्रिक को तुरंत दे देता है। 

विशाल, “ये तो सिर्फ नजराना है। यदि आप हाँ कर देंगे, तो मैं आपको और कई सारे पैसे दूंगा

जो आपको तंत्र साधना करने में मदद करेंगे। मेरा काम तो आपके लिए बाएं हाथ का है, है ना?”

तांत्रिक, “पैसों से मेरी विद्या का अपमान कर रहा है, मूर्ख?” 

कहते हुए उन्होंने तुरंत अपने हाथ से विशाल के कुछ बाल उसके सिर से खींच कर तोड़ लिए और फिर कुछ तंत्र मंत्र पढ़े और पास रखे नींबू में वो बाल लपेट दिये। 

जैसे ही उन्होंने बाल को नींबू पर लपेटा, नींबू के ऊपर सुई लगने लगी। उसकी चुवन का एहसास विशाल को हो रहा था। 

वो हर बार ज़ोर से चीखते हुए तांत्रिक से माफी मांग रहा था।

तांत्रिक, “अब अहसास हुआ तंत्र विद्या क्या होती है?”

विशाल, “मान गया, मैं आपकी तंत्र वृदा की ताकत को अच्छे से मान गया। मुझे मेरा प्यार दिलवा दीजिये, सारी ज़िन्दगी आपकी गुलामी करूँगा। यकीन मानिए।”

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विशाल की बात सुनकर तांत्रिक हंसने लगा और बोला, “जा… जिसे तेरे रास्ते से हटाना है, उसके बाल

और शरीर पर पहना हुआ कपड़ा लेकर आने वाली अमावस्या पर आजा। तेरा काम हो जाएगा।”

विशाल को राकेश को अपनी जिंदगी से हटाने का रास्ता तो मिल गया था, मगर राकेश के बाल और उसका कपड़ा कैसे हासिल करें? 

वो पब में बैठा यही सोच रहा था कि उसने देखा प्रीति और राकेश दोनों एक साथ उसी रेस्टोरेंट में दाखिल हुए।

डिनर करने के बाद जब पेमेंट करने की बारी आई, तो राकेश का पर्स उसके पास नहीं था। 

किसी पॉकेट मार ने उसका पर्स चोरी कर लिया था। होटल का मैनेजर उनकी कोई बात सुनने को तैयार नहीं था। 

ऐसे में विशाल आगे आया और उसने उन दोनों के बिल का पेमेंट कर दिया। राकेश और विशाल की दोस्ती की शुरुआत हो चुकी थी। 

अब दोनों अक्सर पब में बैठकर शराब पीते। एक दिन शराब ज्यादा हो जाने के कारण राकेश का किसी से झगड़ा हो गया।

उसी हाथापाई में उसके कपड़े भी फट गए। विशाल तो इसी मौके की तलाश में था। 

उसने तुरंत उसके शर्ट का फटा हुआ कपड़ा उठाया और बाल खींचकर अपनी जेब में संभालकर रख लिए।

कुछ दिनों बाद जब अमावस्या आई तब वो सब सामान लेकर उसी तंत्रिक के पास शमशान में पहुंचा। 

तांत्रिक पहले से ही उसका इंतजार कर रहा था। आज शमशान में कोई चिता भी नहीं जल रही थी, इसलिए तांत्रिक ने शमशान के बीचोबीच एक हवन कुंड जलाया हुआ था। 

हवन कुंड के आसपास काले जादू का पूरा सामान रखा हुआ था। जैसे ही उसने तंत्रिक को राकेश के बाल और कपड़े दिए।

तंत्रिक ने काली गुड़िया उठाकर उस पर वो सारा सामान रख दिया। फिर पूजा के जरिए उस गुड़िया में राकेश की आत्मा को बुलाया और काले जादू के जरिए उन्होंने राकेश को मार दिया। 

आज विशाल बहुत खुश था क्योंकि राकेश के जाने के बाद उसका प्यार उसे मिल गया था। 

एक दिन विशाल किसी काम से बाहर गया था और प्रीति घर की सफाई कर रही थी। 

उसी समय उसे एक काले कपड़े की गुड़िया और काले जादू का सामान मिला। विशाल की कबट में ये सब देखकर वो हैरान थी।

उसके घर आते ही प्रीति कई सारे सवाल पूछने वाली थी, मगर उसके पहले ही उसकी एक सहेली अचानक से उसके घर आ गई

और उसके हाथों में सारा सामान देखकर वो उससे कई सारे सवाल पूछने लगी।

सहेली, “ये काले जादू का समान तुम्हारे पास कैसे? कहीं तुम कोई गलत काम तो नहीं कर रही हो?”

प्रीति, “कैसी बातें कर रही है तू? ये सब समान विशाल का है। मैं खुद उससे सवाल पूछने वाली थी।”

सहेली, “विशाल का समान..? कहीं राकेश की मौत में विशाल का हाथ तो नहीं?”

प्रीति, “कैसी बातें कर रही है? क्या कहना चाहती है तू?”

सहेली, “तू मान या ना मान मगर मुझे यकीन है कि राकेश की मौत काले जादू से ही हुई है।

विशाल तुझे कॉलेज के समय से चाहता था। हो ना हो उसी ने राकेश को अपने रास्ते से हटाया है।”

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ये सुनकर प्रीति ज़ोर ज़ोर से रोने लगी।

प्रीति, “मुझे तेरी मदद की जरूरत है। तू भी तो काले जादू के बारे में जानती है? मुझे राकेश की मौत का बदला लेना है।”

सहेली, “पागल मत बन। विशाल अब तेरा पति है।”

प्रीति, “मगर राकेश मेरा पहला प्यार था।”

सहेली के समझाने के बावजूद जब प्रीति नहीं मानी तो सहेली विशाल पर काला जादू करने के लिए मान गई। 

अमावस्या की रात को घर के तहखाने में दोनों ने काले कपड़े की गुड़िया की मदद से विशाल पर काला जादू किया। 

जिस तरह राकेश तड़प तड़पकर मरा था। प्रीति ने ठीक उसी तरह गुड़िया को टॉर्चर किया। मरने के पहले विशाल की सारी हड्डियां मुड़ चुकी थी। 

हाथ पैर आड़े टेड़े हो जाने के बाद प्रीति ने उस गुड़िया की गर्दन मरोड़ दी। विशाल सांस रुक जाने से मारा गया। 

प्रीति, “बुरे काम का बुरा नतीजा।”


दोस्तो ये Horror Story आपको कैसी लगी, नीचे Comment में हमें जरूर बताइएगा। कहानी को पूरा पढ़ने के लिए शुक्रिया!


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