आलसी पति | AALSI PATI | Pati Patni Ki Kahani | Family Story | Husband Wife Stories in Hindi | Hindi Story

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” आलसी पति ” यह एक Family Story है। अगर आपको Hindi Stories, Parivar Ki Kahani या Pati Patni Ki Kahaniyan पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।


मीरा की शादी को दो साल हो गए थे। मीरा सरकारी टीचर थी और उसका पति रवि एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर था।

दोनों आराम से जिंदगी गुजार रहे थे कि एक दिन रवि का दोस्त महेश उनके घर आया।

महेश, “यार रवि, तेरी बीवी तो सरकारी टीचर है। भगवान झूठ ना बुलवाएं, तुझे भला प्राइवेट नौकरी में धक्के खाने की क्या जरूरत है यार?”

रवि, “मैं समझा नहीं, तू कहना क्या चाहता है?”

महेश, “यार, तू बचपन से ही बड़ा भोला यार है। मुझे देख, मेरी बीवी भी सरकारी नौकरी करती है और मैं, मैं आराम से घर में ऐश करता हूं।”

रवि, “मैं फिर नहीं समझा यार।”

महेश, “अरे यार! नौकरी छोड़ क्यों नहीं देता? ऐश कर मेरी तरह।”

महेश के जाने के बाद रवि बहुत सोचता है और फिर नौकरी छोड़ देता है।लिविंग रूम में रवि एक पुराने से सोफे पर बैठा है और टीवी पर सीरियल देख रहा है।

उसकी पत्नी मीरा, जो एक मेहनती महिला है, हाथ में बहुत सारे धुले हुए कपड़े लेकर आती है।

मीरा, “रवि, ज़रा मेरी मदद करो ना। देखो ना कितने सारे कपड़े हैं?”

रवि, “अरे! पागल तो नहीं हो गई हो? दिखाई नहीं देता, मेरा सीरियल चल रहा है?”

मीरा कपड़े लेकर छत पर सुखाने चली जाती है। तभी डोर बेल बजती है। दूध वाला आ जाता है।

रवि, “मीरा… ओ मीरा! अरे जल्दी नीचे आओ भाई, अरे! दूध लो। कमाल की आलसी हो तुम। अरे! पहले नीचे के काम निपटाओ, फिर छत पर जाओ। तुम्हें तो बस समय को बर्बाद करना आता है।”

मीरा, “सुनिए जी, मैं कपड़े फैला रही हूं। बारिश का मौसम हो रहा है, थोड़े बहुत सूख जाएंगे। तब तक आप दूध ले लीजिए।”

रवि, “अरे! होश में हो तुम? अरे! तुरंत नीचे आओ और दूध लो। और हां, साथ ही साथ गरम-गरम चाय बनाना और कुछ पकौड़े भी तल देना। बढ़िया मौसम हो रहा है, टीवी देखने का मजा आ जाएगा।”

मीरा चुपचाप नीचे आती है और दूध लेकर रवि के लिए चाय बनाती है।उसे पकौड़े तलकर देती है।

इतवार का दिन होने की वजह से उसके पास बहुत सा काम था। अगले दिन उसे ऑफिस जाना था। अगले दिन शाम को जब मीरा वापस आती है,

रवि, “अरे वाह वाह! अरे सही समय पर आई हो। आलसियों की तरह कुर्सी पर क्या बैठ गई? ज़रा फटाफट चाय बना और साथ में बिस्किट भी ले आना, मजा आ जाएगा।”

मीरा, “रवि, मैं अभी-अभी ऑफिस से लौट कर आई हूं। बहुत थक गई हूं।”

रवि, “यार, मेरा मूड मत खराब करो। ऑफिस से आई हो, पहाड़ चढ़कर तो नहीं आई हो ना? कौन सा बड़ा काम है?

असली औरत वही है जो बाहर के और कामों के साथ-साथ घर का काम करे, समझी?”

मीरा, “अच्छा, यह बताओ तुम्हारी नौकरी का क्या हुआ? तुम एक हफ्ते से घर में ही हो, सब ठीक तो है ना?”

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रवि उसे चुप रहने का इशारा करके चुपचाप सीरियल देखने लगता है और उदास मीरा काम करने रसोई की तरफ चल देती है।

मीरा (मन ही मन), “रवि को क्या हो गया है? घर और बाहर दोनों का काम मुझसे नहीं किया जाता। लगता है, एक नौकरानी रखनी पड़ेगी।”

तभी रवि जोर से चिल्लाता है।

रवि, “अरे भाई! इस घर में एक कप चाय मिलेगी भी या नहीं? हद हो गई है यार, चाय के लिए भी तरसना पड़ता है।”

रवि मीरा की किसी भी काम में मदद नहीं करता। घर की चिंता और स्कूल के काम के कारण मीरा किसी भी काम पर ठीक से ध्यान नहीं दे पाती।

धीरे-धीरे काफी समय बीत जाता है। एक दिन मीरा सोचती है कि रवि को सबक सिखाना ही पड़ेगा।

उदास मीरा जब घर लौटती है, तो रवि को रोज़ की तरह सोफे पर लेटकर सीरियल देखते देख सोचती है। रवि से कहती है,

मीरा, “वाह! तुम्हारे जैसा भाग्य सबका हो। बस पलंग तोड़ते रहो। शर्म नहीं आती क्या? नौकरी छूटे कई महीने हो गए।

तुम नई नौकरी ढूंढते क्यों नहीं? कभी तुम्हें चिंता नहीं होती कि घर का खर्चा कैसे चलेगा?”

रवि, “अरे! मैं बस ब्रेक ले रहा हूं। वैसे भी दो रोटी से ज्यादा मैं क्या खाता हूं? क्या तुम मुझे दो रोटियां भी नहीं मिला सकती?

देखो, मुझे वैसे भी दिल की बीमारी है, तो मुझे बेकार की टेंशन मत दिया करो। समझी?

अरे यार! दिमाग खराब मत करो। मस्त सीरियल चल रहा है। दफा हो जाओ यहां से।”

मीरा, “हम मुश्किल से गुजारा कर रहे हैं रवि और तुम घर के कामों में भी मेरी मदद के लिए कुछ नहीं कर रहे हो। मैं अकेली कब तक यह सब करती रहूंगी?”

रवि, “अरे यार! जिंदगी एक ही बार मिलती है। प्लीज़ मुझे जीने दो।”

मीरा, “तुम सच ही कह रहे हो, जिंदगी एक बार ही मिलती है। मैं भी एंजॉय करना चाहती हूं।

बहुत हो गया काम। कल से मैं भी आराम करूंगी। कल से मैं भी स्कूल नहीं जाऊंगी।”

अगली सुबह जब मीरा ऑफिस नहीं जाती तो रवि हैरान हो जाता है। मीरा की बात सुनकर उसके पैरों से जमीन खिसक जाती है।

रवि, “अरे! तुम तैयार नहीं हुई? अरे! कितनी आलसी हो गई हो? टाइम हो गया तुम्हारा, चलो फटाफट तैयार हो जाओ। तुम्हें समझना चाहिए नौकरी कितनी जरूरी है, वरना घर का खर्चा कैसे चलेगा?”

मीरा, “बस जो भी हो, अब तो यूं ही चलेगा। आज से मैं भी ऑफिस नहीं जाऊंगी। मुझे भी घर में बैठकर आराम करना है।”

रवि, “अरे यार! तुम पागल तो नहीं हो गई हो? जिम्मेदारी भी कोई चीज है।”

मीरा, “घर चलाने की जिम्मेदारी तुम्हारी है, रवि। अब तुम जानो घर कैसे चलेगा।”

रवि, “अरे तुम हमेशा मेरे पीछे क्यों पड़ जाती हो? मिल जाएगी नौकरी।”

मीरा, “बस करो। अभी तुम्हारी यही बातें सुनते-सुनते कितने महीने बीत गए? मैं थक गई हूं। घर में राशन नहीं है। जैसे चाहो व्यवस्था करो, मैं जा रही हूं सोने।”

घंटी बजती है। दूध वाला रवि से कहता है।

दूध वाला, “साहब, दूध के पैसे दे दीजिए। महीने भर का बिल जो है 5500 हुआ है। कल दीदी ने कहा था, अब आप ही पेमेंट करेंगे।”

दूध वाला बात कर ही रहा होता है कि प्रेस वाला आ जाता है। रवि को नमस्ते कहते हुए कहता है,

प्रेस वाला, “भैया, 275 हुए हैं और दीदी ने बताया था अब पैसे आप ही देंगे। भैया, ज़रा जल्दी से पैसे दे दीजिए, दुकान पर कोई भी नहीं है।”

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रवि, “अरे! एक मिनट, एक मिनट यार, आता हूं।”

रवि, “मीरा, यह क्या बकवास है? ये सब मुझसे पैसे मांग रहे हैं। भला मैं उन्हें पैसे कहां से दूं?”

मीरा, “तो ठीक है, उनसे थोड़ा समय मांग लीजिए। मैं क्या कर सकती हूं? मैंने तो नौकरी छोड़ दी है।”

घंटी फिर बजती है। बाहर से आवाज आती है।

बिजली वाला, “अरे भैया! बिजली के बिल वाले भी आए हैं। पैसे मांग रहे हैं। उनके भी पैसे लेते आइएगा, वरना बिजली काट देंगे।”

रवि, “मीरा, यह तुम ठीक नहीं कर रही हो। सारी दुनिया के सामने मेरी बेइज्जती करवाना चाहती हो?”

मीरा, “ठीक है, मेरी बात ध्यान से सुनो। मैं सबके पैसे दे दूंगी। लेकिन अगर तुम मेरे साथ यहां रहना चाहते हो तो तुम्हें जल्दी से जल्दी नौकरी ढूंढनी होगी। वरना…”

रवि, “वरना… वरना क्या? तुम कहना क्या चाहती हो? माना कि यह घर तुम्हारे पापा का दिया हुआ है, पर तुम मेरी पत्नी हो।

ऐसी बातें करते हुए तुम्हें शर्म नहीं आती? खैर, फिर भी बोलो तुम कौन सी शर्त की बात कर रही थी?”

मीरा, “तुम्हें नौकरी नहीं मिली तो जो होगा उसके जिम्मेदार तुम होगे।”

रवि, “यह क्या बकवास है? मैं तुम्हारा पति हूं, तुम भला ऐसे कैसे कह सकती हो?”

मीरा, “मैं मजाक नहीं कर रही हूं रवि, याद रखो। वरना खुद ही पता चल जाएगा कि मैं क्या कर सकती हूं।”

रवि का दोस्त महेश उसके घर आता है।

महेश, “हां भाई, क्या बात है? हैं भाई, बड़ा उदास लग रहा है। भाई, आजकल तो शाही जीवन जी रहा होगा? हैं, मेरी सलाह काम नहीं आई क्या?”

रवि, “अरे! क्या बताऊं यार, बड़ा बदकिस्मत हूं। मेरी बीवी को तो जैसे मेरा आराम करना बड़ा भारी लगता है। वो मुझे कभी सुख से जीते हुए देख ही नहीं सकती।”

महेश, “हां भाई, अरे दिल क्यों छोटा करता है यार।श? चल एक काम करते हैं, आज बाहर चलते हैं। बाहर निकलेगा तो मन बहल जाएगा।

अरे! इन औरतों का क्या है? मेरी बीवी ने जब ऐसा हंगामा मचाया था तो मैंने उसे तलाक देने का अल्टीमेटम दे दिया था। उसके बाद भीगी बिल्ली बन गई।”

रवि, “ये तू क्या कह रहा है यार? मैं अपनी बीवी को तलाक नहीं दे सकता। मैं उससे प्यार करता हूं, यार।”

महेश, “अबे यार,श! यही तो प्रॉब्लम है तुम लोगों की, यार। तुम लोग इमोशनल हो जाते हो, यार।

तेरे अंदर हिम्मत नहीं है, तो ये ले एक बोतल खाली कर और आज अपनी बीवी की सही तरह से खबर ले। उसके बाद देख जीने का क्या मजा आता है।”

महेश उसे खूब शराब पिलाता है और घर छोड़ देता है। मीरा उसे नशे में देखकर जोर से चिल्लाती है।

मीरा, “अच्छा! तो तुम्हारे ये नए शौक शुरू हो गए हैं? तुमसे कमाया नहीं जाता और शराब पीकर घर आ गए?”

रवि, “ज़्यादा बकवास करने की जरूरत नहीं है। ज़्यादा बोलने की कोशिश की तो तुझे तलाक दे दूंगा।”

मीरा, “अच्छा! तो तुम मुझे तलाक दोगे? कभी सोचा है, मुझे तलाक देने के बाद क्या खाओगे? सड़क पर भीख मांगनी पड़ेगी तुम्हें।

वैसे भी, मुझे क्या तुम तलाक दोगे? कल तुम्हें मैं खुद वकील का नोटिस भिजवा दूंगी।”

सुबह उठकर रवि को सब याद आ जाता है कि उसने क्या किया? वह यह सोचकर बुरी तरह से घबरा जाता है कि अगर मीरा ने उसे तलाक दिया तो उसका क्या होगा? वह मीरा के पास जाता है और कहता है,

रवि, “मीरा, मुझे माफ कर दो। कल थोड़ी सी ज़्यादा हो गई थी इसलिए मैं होश में नहीं था। मैं वादा करता हूं, अब मैं नौकरी ढूंढ कर ही तुम्हारे सामने आऊंगा।

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पर अपने मुंह पर अब तलाक की बात कभी नहीं लाना।”

मीरा, “ठीक है रवि, अब मुझसे तभी बात करना जब तुम्हारी नौकरी लग जाएगी। उससे पहले मैं तुमसे कोई बात नहीं करना चाहती। तुम्हारे पास आज से एक महीने का समय है।”

इतना होने के बाद भी आलसी रवि को काम करने की इच्छा नहीं थी। लेकिन मीरा को बेवकूफ बनाने के लिए रवि नौकरी ढूंढने का बहाना करता है और घर से बाहर निकलता है।

इधर-उधर समय बिताकर वापस आ जाता है। एक महीने बाद रवि लिविंग रूम में बैठा है। मीरा मुस्कुराते हुए आती है।

मीरा, “रवि, समय पूरा हो गया। नौकरी मिली क्या?”

रवि, “नहीं मीरा, मेरा समय खराब चल रहा है। मैंने कोशिश की लेकिन कुछ भी काम नहीं आया।”

मीरा, “खैर जो भी हो, अब तुम्हें शर्त के अनुसार परिणाम भुगतना होगा।”

रवि, “क्या करना होगा? अरे! मुझे तुम ही बता दो, फांसी लगा लूं क्या? यही तो चाहती हो ना तुम? मुझे आराम से बैठा देख तुम्हें बेचैनी होती है।”

मीरा, “देखो रवि, अगर तुम नौकरी नहीं कर सकते तो तुम्हें घर का काम करना होगा। आज से खाना बनाना, कपड़े धोना, झाड़ू-पोछा करना — ये सारे काम तुम्हारे होंगे।”

रवि सहमति में सिर हिला देता है और सोचता है, “घर का काम भी कोई काम होता है? अपना सीरियल देखते-देखते आराम से इन्हें निपटा दूंगा और चैन से जिंदगी गुजारूंगा।”

अगले दिन मीरा के जाने के बाद रवि किचन में जाता है। वहां पड़े झूठे बर्तन देखकर वापस आ जाता है।

रवि, “पहले मैं झाड़ू लगा लेता हूं।”

एक कमरे में झाड़ू लगाने के बाद वह फिर टीवी के पास आकर बैठ जाता है।

रवि, “यह कोई काम है? बहुत भूख लग रही है, पहले कुछ खा लेता हूं, फिर काम करूंगा।”

किचन में जाता है पर वहां कुछ भी नहीं होता। वह फिर अपने सोफे पर आकर बैठ जाता है और सीरियल देखने लगता है।

इस तरह पूरा समय बीत जाता है लेकिन रवि कोई भी काम नहीं कर पाता। भूख से उसके पेट में दर्द होने लगता है। तभी ऑफिस से मीरा वापस आती है।

मीरा, “कैसे हो रवि? ज़रा एक कप चाय बना दो, मेरे सर में बहुत दर्द हो रहा है।”

रवि, “चाय और मैं? ये तुम क्या कह रही हो? मैं तो कब से तुम्हारा इंतजार कर रहा हूं? तुम कुछ बनाकर भी नहीं गई। सुबह से भूखा हूं। सारे बर्तन भी गंदे हैं।”

मीरा, “यानी कि तुमने घर का कोई काम नहीं किया?”

रवि, “मेरा यकीन मानो मीरा, मैंने सारे काम करने की कोशिश की थी पर कोई भी काम पूरा नहीं हो पाया।”

मीरा, “अच्छा? तो फिर तुम पूरे दिन क्या करते रहे?”

रवि, “मैं… वो सीरियल देख रहा था।”

मीरा, “रवि, क्या तुम मुझे बता सकते हो ये सीरियल देखने से तुम्हें क्या मिलता है? तुम सुबह से शाम तक टीवी देखते रहते हो।

क्या तुम्हारी जिंदगी में कभी काम आ सकते हैं? क्या तुम्हें पैसा कमा कर दे सकते हैं? क्या हमारा पेट भर सकते हैं?”

रवि, “अरे मीरा! इस दुनिया में खाना-पीना और पैसा ही सब कुछ नहीं होता, समझी? मनोरंजन से भी हम अपनी जिंदगी चला सकते हैं।

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देखो ना, मैं पूरे समय से भूखा था लेकिन सीरियल देखते-देखते मुझे भूख की खबर भी नहीं हुई।”

मीरा, “सोचो रवि, तुम जो कह रहे हो वह दिल से कह रहे हो? क्या तुम दूसरों का मनोरंजन कर सकते हो? यह बहुत बड़ा काम है जिसमें बहुत मेहनत लगती है।”

रवि, “अरे! यह कोई ऐसा भी बड़ा काम नहीं है। मुझे तो लगता है लोगों का मनोरंजन करना सबसे आसान काम है। काश! मुझे कोई ऐसी ही नौकरी मिल जाती तो मजा आ जाए।”

मीरा, “तो फिर ठीक है रवि, तैयार रहना। बहुत जल्द तुम्हें ऐसी ही नौकरी मिलेगी।”

मीरा बिना कुछ बोले घर का काम और नौकरी करती रहती है और इतवार की शाम रवि से कहती है,

मीरा, “रवि, समय आ गया है। चलो, यह समय तुम्हारा वह काम करने का है जो तुम्हें पसंद है। देखें, इस काम से तुम्हें कितना आनंद मिलता है?”

मीरा रवि को बाहर ले जाती है, जहाँ उनके पड़ोसियों का एक समूह इकट्ठा था, जो रवि को देखकर बातें करने लगते हैं। रवि को उम्मीद नहीं होती कि मीरा ऐसा कुछ करेगी।

रवि, “अब यह… यह क्या हो रहा है मीरा?”

मीरा, “मैंने बस एक छोटा सा कार्यक्रम आयोजित किया था। आज से हर इतवार को तुम्हें आस-पड़ोस के लोगों का मनोरंजन करना होगा। बदले में ये पैसे भी देंगे।”

रवि, “मनोरंजन? ये क्या कह रही हो? मैं समझा नहीं। मेरी मोहल्ले में रेपुटेशन है, तुम कहना क्या चाहती हो?”

मीरा, “अरे! ऐसी भी कोई डरने की बात नहीं है। तुम्हें बस अपने पड़ोसियों को नाच-गाकर, चुटकुले सुनाकर खुश करना होगा। आशा करती हूं, अब तुम्हें यह काम करने में आलस नहीं आएगा।”

यह सुनकर कि उसे लोगों के सामने नाचने-गाने और चुटकुले सुनाने जैसे काम करने होंगे, रवि का चेहरा शर्म से लाल हो जाता है।

लेकिन कोई और चारा न होने की वजह से उसे लोगों की फरमाइश पर वह सब करना पड़ता है जिससे उसके पड़ोसी खुश हों।

पड़ोसी, “अरे रवि जी! ज़रा ‘चिकनी चमेली’ वाला डांस दिखाइए ना!”

दूसरा पड़ोसी, “रवि जी, लीजिए मेरा दुपट्टा पहन कर नाचिए, यह रंग आपके ऊपर सूट करेगा।”

तीसरा पड़ोसी, “कहना पड़ेगा रवि साहब, आपकी कमर तो कैटरीना कैफ से भी तेज़ लचक रही है। है न सही, ना?”

इस तरह से लोग अपनी-अपनी फरमाइश रवि को बताते हैं। मीरा उसके पास आती है।

रवि, “मीरा, मैंने अपना सबक सीख लिया है। मैं कल से गंभीरता से नौकरी की तलाश शुरू कर दूंगा।”

मीरा, “मुझे पता है रवि, तुम ऐसा करोगे। मैं हर कदम पर तुम्हारा साथ दूंगी।”

जल्दी ही रवि वापस नौकरी ढूंढ लेता है और सब खुशी-खुशी रहने लगते हैं।


दोस्तो ये Family Story आपको कैसी लगी, नीचे Comment में हमें जरूर बताइएगा। कहानी को पूरा पढ़ने के लिए शुक्रिया!


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