कामचोर पत्नी | Kamchor Patni | Hindi Kahani | Pati Patni Ki Kahani | Husband Wife Story | Family Stories in Hindi

व्हाट्सएप ग्रुप ज्वॉइन करें!

Join Now

टेलीग्राम ग्रुप ज्वॉइन करें!

Join Now

हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” कामचोर पत्नी ” यह एक Husband Wife Story है। अगर आपको Hindi Stories, Pati Patni Ki Kahaniyan या Family Stories पढ़ने का शौक है, तो कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।


धोलापुर गांव में भीखू नाम का एक गरीब किसान रहा करता था। वह दिनभर खेत में काम करके ही अपना गुजर-बसर करता था,

लेकिन भीखू अक्सर बहुत ही दुखी रहता था। उसकी पत्नी गुलगुली मोटी और कामचोर औरत थी। वह दिनभर सोती और खाती रहती थी।

एक दिन गुलगुली अपनी झोपड़ी में बैठी समोसे खा रही थी।

गुलगुली, “अरे वाह वाह! लल्लू की दुकान के समोसे तो बहुत ही अच्छे हैं। इनकी तो बात ही अलग है। कितने स्वादिष्ट हैं?

वाह वाह! मेरा तो मन ही नहीं भरता, बड़ी मजेदार है और बहुत ही स्वादिष्ट। अरे वाह वाह! मज़ा ही आ गया। पेट भरकर समोसे खा लिए।

अब थोड़ा आराम करती हूँ। कितनी थक गई मैं समोसे खाकर? समोसे खाकर जो नींद आती है, उसका तो जवाब ही नहीं।”

और गुलगुली आराम से खर्राटे लेकर सो जाती है। तभी उसका पति भीखू खेत से थका-हारा अपनी झोपड़ी में आता है और देखता है कि गुलगुली खराटे मारकर सो रही है।

भीखू, “अरे अरे! दोपहर होने को आई है और ये मोटल्लो अभी तक घोड़े बेचकर सो रही है। क्या करूँ मैं इसका? पता नहीं आज भी खाने को कुछ है या नहीं?”

बोलने के बाद भी गुलगुली आराम से खर्राटे मारकर सो रही होती है।

भीखू, “अरे! लगता है ये नहीं उठेगी, भूख भी बहुत जोर से लगी है। अब तो मुझे ही अपने लिए कुछ भोजन बनाना पड़ेगा, वरना भूख से मेरे प्राण ही निकल जाएंगे हाँ।”

इसके बाद भीखू रसोई में जाता है और एक डिब्बे में थोड़े चावल और दाल देखता है।

भीखू, “अरे! अब क्या किया जाए? चलो, इन्हीं थोड़े चावल और दाल से खिचड़ी बना लेता हूँ। हाँ, यही ठीक रहेगा।”

इसके बाद भीखू चूल्हे पर खिचड़ी बनाने लगता है, जिसकी खुशबू गुलगुली के पास जाती है और उसकी आंख खुल जाती है।

गुलगुली, “अरे वाह वाह! क्या खुशबू आ रही है? चलकर देखूं तो सही, आखिर बन क्या रहा है?”

इसके बाद गुलगुली रसोई में जाती है और भीखू को चूल्हे पर खिचड़ी बनाते हुए देखती है।

गुलगुली, “अरे वाह वाह! आप तो बड़ी जल्दी आ गए और ऊपर से… अरे वाह! मजेदार भोजन भी बना रहे हैं।

वाह वाह! मुझे भी भूख लगी है। थोड़ा जल्दी कीजिए ना, मुझसे भूख सहन ही नहीं हो रही।”

भीखू, “अरे भाग्यवान! समय तो देखो, सांझ होने को आई है और तुम अब तक सो रही थी। ना जाने कब तुम्हें समझ आएगी?

खैर, क्या ही कहा जाए? तुम किसी की सुनती हो भला। अच्छा अब आओ बैठो, भोजन बन गया है।

मैं अभी बाहर जाकर तबेले में जानवरों को पानी देकर आता हूँ। कब से चिल्ला रहे हैं?”

गुलगुली, “अरे वाह वाह! कितनी अच्छी खुशबू आ रही है? अब ना जाने ये कब आएँगे? मैं ही भोजन कर लेती हूँ हाँ।”

गुलगुली, “अरे वाह वाह! बहुत ही स्वादिष्ट है, बहुत ही मजेदार।”

कामचोर पत्नी | Kamchor Patni | Hindi Kahani | Pati Patni Ki Kahani | Husband Wife Story | Family Stories in Hindi

और देखते-देखते सारी खिचड़ी खा जाती है।

भीखू, “अरे अरे! ये क्या किया तुमने, भूखी हथिनी? सब खा गई, ज़रा सा ख्याल नहीं किया इस गरीब पति का? अब मैं क्या खाऊंगा?”

गुलगुली, “देखो जी, मैं आपकी इज्जत करती हूँ।इसका मतलब ये नहीं कि आप मुझे हथिनी कहके बुलाओ। अब मुझसे भूख सहन नहीं होती तो क्या करूं?”

भीखू, “न जाने किस जन्म का बदला ले रही हो मुझसे?”

इसके बाद बेचारा भीखू खाली पेट ही सो जाता है। सुबह होती है। गुलगुली आराम से खर्राटे मारकर सो रही होती है। तभी पड़ोस की रीमा की चिल्लाने की आवाज आती है।

रीमा, “अरे!कहाँ हो गुलगुली बहन? ज़रा बाहर तो आओ। देखो तो सही, मैं तुम्हारे और भीखू भैया के लिए क्या लेके आई हूँ?”

गुलगुली, “अरे! आओ रीमा बहन, क्या लेके आई हो? आज तो खुशबू बहुत ही बड़ी आ रही है हाँ।”

रीमा, “वो क्या है ना… आज थोड़े पकवान बनाए थे, तो सोचो तुम्हारे और भीखू भैया के लिए भी ले चलूं।”

गुलगुली, “अरे! हाँ हां, बहुत ही अच्छा किया तुमने रीमा बहन। अरे बहुत ही अच्छा, वाह वाह! मुझे तो बहुत ही जोर की भूख लगी थी हां। लाओ लाओ।”

रीमा, “अच्छा ठीक है, ये लो गुलगुली बहन। अकेले अकेले मत खा जाना, भीखू भैया खेत से आ जाएं तो उन्हें भी दे देना। बाकी मैं चलती हूँ अब।”

रीमा, “अरे वाह वाह! कितना सारा भोजन है? गरमा-गर्म पूड़ियां, गुलाब जामुन… वाह! आज तो पेट भर के खाऊंगी हाँ।

अरे वाह वाह! बहुत स्वादिष्ट भोजन है। वाह! बहुत ही मजेदार। वाह वाह! बहुत ही स्वादिष्ट।”

और वह सारा भोजन खा जाती है।

गुलगुली, “अरे अरे! यह क्या? मैं तो सारा भोजन ही खा गई। अब मुझे तो भोजन ही नहीं बनेगा। इतना सारा भोजन खाकर मैं बहुत थक गई हूँ हाँ।

ये जब खेत से आएंगे, तो खुद ही बनाकर खा लेंगे। बड़ी नींद आ रही है, थोड़ा आराम कर लेती हूँ।

वैसे भी अगर आराम नहीं करूँगी, तो मेरी सुंदरता थोड़ी कम हो जाएगी।”

और गुलगुली फिर खर्राटे मारकर सो जाती है। भीखू थका-हारा खेत से आता है।

भीखू, “अरे अरे भाग्यवान! ये क्या? जब देखो तब सोती रहती हो। लगता है तुमने भोजन कर लिया है। लेकिन मेरा क्या?

मुझे तो बहुत जोर की भूख लगी है। भाग्यवान, कुछ भोजन मेरे लिए भी तो बचा देती, बहुत भूख लगी है।”

गुलगुली, “आप आ गए? आओ आओ, कुछ खाने को बना लो। मेरा तो अब सिस्टम ओके है, एकदम फर्स्ट क्लास।

रीमा बहन ने आज दिन बना दिया। क्या पकवान लाईं थीं, वाह! बहुत थकावट हो गई, मैं आराम करती हूँ। आप बनाओ खाना।”

भीखू, “हे भगवान! पता नहीं हमारे पड़ोसी भी क्यों इस ड्रम को भरते रहते हैं? किसी दिन उनके ऊपर ही मुसीबत बन पड़े, तब मज़ा आएगा।”

भीखू रसोई में जाता है, लेकिन उसे अनाज का एक भी दाना दिखाई नहीं देता।

कामचोर पत्नी | Kamchor Patni | Hindi Kahani | Pati Patni Ki Kahani | Husband Wife Story | Family Stories in Hindi

भीखू, “अरे! ये क्या? रसोई में तो एक भी अनाज का दाना नहीं है। अब कैसे और क्या पका कर खाऊंगा?

हे भगवान! ना जाने कैसी पत्नी पाई है मैंने? खुद आराम से भोजन करके सो रही है। लेकिन अब क्या करूँ, कहाँ जाऊं?”

और बेचारा भीखू दुखी मन से गांव के बाजार की तरफ चला जाता है, तभी उसे एक आदमी की ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने की आवाज आती है जो रंग-बिरंगी गोलियां बेच रहा होता है।

आदमी, “गांव वालों, मेरे पास आओ। मेरी असरदार गोलियां ले जाओ। किसी भी समस्या का इलाज मेरी इन गोलियों में है।

हाँ, इसीलिए आइए आइए, मेरी ये गोलियां ले जाइए।”

भीखू, “अरे! क्या सच में भाई, किसी भी समस्या में तुम्हारी ये गोलियां असरदार हैं? बताओ बताओ।”

आदमी, “अरे! हाँ हाँ भाई, क्यों नहीं? तुम लेकर तो जाओ ये गोलियां। तुम जिस भी इंसान को दोगे,

इसका असर जरूर होगा। मेरे गुरूजी रंगीला की देन है ये रंगीली गोलियां।”

भीखू, “अरे! अगर मैं ये गोलियां गुलगुली को दूंगा, तो क्या पता उसे थोड़ी अक्ल आ जाए और भोजन भी थोड़ा कम खाने लगे? हाँ, यही सही होगा। ये गोलियां ले ही लेता हूँ।”

भीखू, “देखो भाई, मुझे भी ये अपनी असरदार गोलियां दे दो।”

आदमी, “अरे! हाँ हाँ, क्यों नहीं? अभी दे देता हूँ। लेकिन ध्यान रहे, ये गोलियां अत्यधिक मात्रा में नहीं खानी होंगी।

सिर्फ एक-दो गोली ही अपना काम कर देगी। इसकी ज्यादा मात्रा इंसान के शरीर में नुकसानदेह होगी और इसका उल्टा असर होगा भाई।”

आदमी, ” बोलो बाबा रंगीला की जय।”

भीखू, “जय हो रंगीला की… जय हो। अच्छा ठीक है, मैं समझ गया।”

इसके बाद वह आदमी भीखू को कुछ गोलियाँ देता है। भीखू उस आदमी के हाथ में ₹1 रखता है और उन गोलियों को लेकर घर पर चला आता है।

गुलगुली, “अरे! आ गए आप? कहाँ चले गए थे जी? कब से आपका इंतजार कर रही थी?

आज तो घर में अनाज का एक भी दाना नहीं है। जाइए और बाजार से थोड़े चावल और दाल ले आइए।”

भीखू, “अरे! हाँ हाँ, क्यों नहीं भाग्यवान? अभी जाता हूँ। लेकिन ये देखो, मैं तुम्हारे लिए क्या लेकर आया हूँ?

ये देखो, रंग-बिरंगी मीठी गोलियाँ। देखो, खाकर देखो कितनी स्वादिष्ट हैं?”

गुलगुली, “क्या कहा जी, गोलियाँ? वैसे अच्छा किया, कुछ मीठा खाने का मन भी कर रहा था। लाइए, मीठी गोलियाँ दीजिए।”

भीखू, “अरे! नहीं नहीं, ये सारी गोलियाँ एक साथ नहीं खानी हैं। तुम भी ना, कुछ खाने की वस्तु देखी नहीं कि बस टूट पड़ती हो। अच्छा अच्छा, अब मैं बाजार जा रहा हूँ।”

इसके बाद भीखू बाजार चला जाता है और चावल-दाल लेकर आता है। तभी उसे एक समोसे वाले की दुकान दिखाई देती है, जिस पर बहुत भीड़ लगी होती है।

भीखू, “अरे वाह वाह! क्या बढ़िया समोसे की खुशबू आ रही है? क्यों ना थोड़े समोसे ले लिए जाएँ और देखे कि उस गोली का गुलगुली पर असर हुआ है या नहीं? ये भी पता चल ही जाएगा हाँ। “

भीखू अपनी झोपड़ी में जाता है और देखता है कि गुलगुली झोपड़ी में झाड़ू लगा रही होती है।

कामचोर पत्नी | Kamchor Patni | Hindi Kahani | Pati Patni Ki Kahani | Husband Wife Story | Family Stories in Hindi

भीखू, “अरे! ये क्या? भाग्यवान का ये रूप तो मैंने कभी नहीं देखा। लगता है वो गोली अपना असर कर रही है हाँ।”

भीखू, “अरे! कहाँ हो भाग्यवान? ये देखो, ले आया मैं बाजार से चावल और दाल। और देखो, तुम्हारे लिए ये गरमा-गरम समोसे भी लाया हूँ हाँ।”

गुलगुली, “अरे! आ गए आप? ये चावल और दाल तो ठीक है, लेकिन इस समोसे की क्या जरूरत थी?

मेरा तो बिलकुल भी मन नहीं है। अभी तो भोजन बनाने के लिए घर में जल भी नहीं है। आप ये समोसे ही खा लीजिए। मैं पास के तालाब से जल लेकर आती हूँ।”

जिसके बाद गुलगुली हाथ में मिट्टी का मटका ले कर वहाँ से चली जाती है।

भीखू, “अरे वाह वाह! वो गोलियां तो वाकई असरदार हैं हाँ। भाग्यवान तो बदल ही गई है। हाँ, ये अच्छा है।”

थोड़ी देर बाद गुलगुली पानी का मटका लेकर अपनी झोपड़ी में आती है।

गुलगुली, “ये देखिए जी, ले आई मैं तालाब से पानी हाँ। अब जाकर रसोई में आपके लिए भोजन बनाती हूँ।”

भीखू, “अरे! भाग्यवान पर उसे गोली का ये असर हुआ है। अगर वह सारी गोलियां मैं इसे ही खिला दूँ, तो यह तो सर्वगुण संपन्न बन जाएगी। हाँ, यही ठीक रहेगा।”

भीखू सारी गोलियां लेकर गुलगुली के पास जाता है।

भीखू, “अच्छा अच्छा ठीक है। तुम भोजन बाद में पकाना भाग्यवान, ये लो तुम्हें ये कल मीठी गोलियां बहुत पसंद आई थीं ना? लो, ये तुम सारी खा लो। हाँ, लो खाओ।”

गुलगुली, “अरे वाह! मीठी गोलियां। अरे वाह! कितनी स्वादिष्ट मीठी गोलियां हैं? उस दिन तो सिर्फ एक ही मजेदार गोली खाने को मिली थी,

लेकिन आज मैं सारी गोलियां खा जाऊँगी हाँ। अरे वाह वाह! बड़ी ही मजेदार गोलियां हैं।

अचानक बहुत थकान होने लगी है। थोड़ा आराम कर लेती हूँ हाँ। भोजन तो मैं बाद में पका लूँगी हाँ।”

भीखू, “अरे! हाँ हाँ, क्यों नहीं? अभी मैं भी खेत जा रहा हूँ। तुम भोजन बाद में पका लेना। अच्छा तुम आराम करो,

वैसे भी आज बहुत काम कर लिया तुमने। अच्छा तो तुम आराम करो भाग्यवान, मैं चलता हूँ।”

इसके बाद भीखू वहाँ से चला जाता है और गुलगुली आराम से खर्राटे लेकर सो जाती है।

थोड़ी देर बाद, भीखू झोपड़ी में आता है और गुलगुली को देखता है, जिसके बाल बिखरे होते हैं, रंग एकदम काला और पहले से और ज्यादा मोटी, देखने में एकदम भयानक लग रही होती है।

भीखू, “अरे अरे! ये क्या हो गया? ये क्या हो गया भाग्यवान? तुम्हारा ये रूप कैसे हुआ?”

गुलगुली, “अरे! ना जाने क्यों चिल्ला रहे हैं? आखिर क्या हुआ है मेरे रूप को? मैं ज़रा आईने में देखूं।”

जैसे ही गुलगुली आईना देखती है, वह ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने लगती है।

गुलगुली, “अरे अरे! ये क्या हुआ मुझे? ये कौन है? ये तो मेरा रूप नहीं है। ये क्या हो गया? और ये क्या… मुझे तो अचानक बहुत जोरों की भूख लग रही है?”

गुलगुली भागती हुई रसोई में जाती है, जहाँ खाने को कुछ भी नहीं होता। सिर्फ कुछ कच्चे चावल और दाल रखी होती है।

गुलगुली, “ये क्या? खाने को तो कुछ भी नहीं है, लेकिन भूख तो सहन ही नहीं हो रही। यही चावल और दाल खा लेती हूँ।”

कामचोर पत्नी | Kamchor Patni | Hindi Kahani | Pati Patni Ki Kahani | Husband Wife Story | Family Stories in Hindi

गुलगुली जल्दी-जल्दी सारे कच्चे चावल और दाल खा लेती है। फिर वह रसोई के रखे डब्बों को देखने लगती है,

लेकिन डब्बों में उसे कुछ भी नहीं मिलता। फिर उसकी नजर कुछ गाजर और टमाटर पर पड़ जाती है।

गुलगुली, “चलो अच्छा है, ये सब्जियाँ खाकर ही अपनी भूख मिटाऊँगी हाँ।”

भीखू ये सब खड़ा होकर देख रहा होता है।

भीखू, “अरे अरे! ये सब क्या हो गया? भाग्यवान की ये हालत तो पहले से ज्यादा विचित्र और खराब है।

लगता है ये सब मेरे ही कारण हुआ है। मुझे उस गोली वाले को ढूँढना होगा। अभी जाता हूँ।”

भीखू, “अरे! ये क्या? भूख तो शांत होने का नाम ही नहीं ले रही। क्या करूँ? अब मैं क्या करूँ? मुझे भोजन चाहिए, वरना तो ना जाने मैं क्या ही कर दूँगी, हां?”

इसके बाद गुलगुली भागती हुई अपनी पड़ोसन रीमा के घर जाती है और उसकी झोपड़ी का दरवाजा ज़ोर-ज़ोर से बजाने लगती है।

रीमा जैसे ही अपनी झोपड़ी का दरवाजा खोलती है, गुलगुली का भयानक रूप देख वह हैरान रह जाती है।

रीमा, “अरे गुलगुली बहन! ये तुम्हें क्या हो गया?”

तभी गुलगुली रीमा को एक धक्का मारती है और उसकी झोपड़ी के अंदर चली जाती है।

गुलगुली, “बहुत भूख लगी है। हाँ, बहुत भूख लगी है। मुझसे भूख ही नहीं सहन हो पा रही। हाँ, क्या खुशबू है? वाह वाह, ताज़ा ताज़ा मछली।”

रीमा, “अरे गुलगुली बहन! लेकिन इन मछलियों को तो अभी पकाना बाकी है। तुम ये नहीं खा सकती हो।”

गुलगुली, “अच्छा… तो तू मुझे मछलियाँ नहीं खाने देगी? अभी बताती हूँ तुझे।”

रीमा, “अरे अरे गुलगुली बहन! ये तुम क्या कर रही हो? मुझे क्यों मार रही हो? अरे अरे! ना जाने तुम्हें क्या हो गया है?

अच्छा अच्छा लो, खा लो मछलियाँ। ये लो, लेकिन मुझे छोड़ दो।”

गुलगुली, “अरे वाह वाह! बहुत ही मजेदार मछलियाँ हैं। क्या स्वाद है? अरे वाह! बड़ी अच्छी खुशबू आ रही है।”

इसके बाद गुलगुली अपने दोनों हाथों से आटे को खाने लगती है।

रीमा, “अरे अरे! ये क्या हो गया है गुलगुली बहन को? ये तो रुकने का नाम ही नहीं ले रही।

भीखू रोता हुआ गोली बेचने वाले के पास पहुँचता है।

भीखू, “अरे भाई! ये क्या कर दिया तुम्हारी उस गोली ने? तुम्हारी उस दी हुई गोली ने मेरी पत्नी की हालत बहुत खराब कर दी है। मेरी मदद करो।”

आदमी, “मुझे सब समझ आ रहा है कि ये सब तुम्हारे ही कारण हुआ है। क्या तुम्हें याद नहीं, मैंने तुमसे क्या कहा था?

वो एक ही गोली काफी असरदार होगी। जरूर तुमने ही अपनी पत्नी को एक से अधिक गोली खिलाई होगी।”

आदमी, “ये सच है। तुम्हारी दी गई एक गोली काफी असरदार थी हाँ। लेकिन पत्नी को जल्दी ठीक करने के चक्कर में मैं गलती कर बैठा।

आदमी, “अच्छा अच्छा, तुम चुप हो जाओ। तुम्हें अपनी गलती का एहसास हो गया है, ये अच्छी बात है। मेरे पास एक उपाय है।”

आदमी भीखू को एक कांच की शीशी देता है।

कामचोर पत्नी | Kamchor Patni | Hindi Kahani | Pati Patni Ki Kahani | Husband Wife Story | Family Stories in Hindi

आदमी, “ये एक मेरी बनाई हुई बहुत ही मजेदार और चमत्कारी दवा है। इसे तुम अपनी पत्नी को पूरी पीला देना, जिसके बाद वह पूरी तरह से ठीक हो जाएगी।”

भीखू, “क्या सच में मेरी पत्नी की हालत इससे ठीक हो जाएगी?”

आदमी, “हाँ बच्चा, हाँ। बोलो बाबा रंगीला की जय।”

भीखू अपनी झोपड़ी में दवा लेकर आता है, लेकिन उसे गुलगुली कहीं भी नजर नहीं आती।

भीखू, “अरे! ना जाने वह कहाँ चली गई? आखिर कहाँ गई होगी?”

रीमा, “हाय! लगता है आज तो मेरे घर का सारा अनाज गुलगुली बहन खा जाएगी। अरे! कोई तो बचाओ।”

रीमा की आवाज सुनकर भीखू उसके घर पर जाता है, जहाँ अपनी पत्नी की ऐसी हालत देख वह हैरान हो जाता है।

रीमा, “देखिए ना भीखू भैया, गुलगुली बहन को क्या हो गया है? कब से बस जो भी मेरी रसोई में भोजन दिख रहा है, बस खाये जा रही है खाये जा रही है। अब आप ही कुछ कीजिए।”

भीखू, “अरे अरे गुलगुली!:ये देखो, मैं तुम्हारे लिए ये मीठी दवा लेकर आया हूं। ये बहुत ही स्वादिष्ट है। इसे पीते ही तुम्हारी भूख शांत हो जाएगी।”

गुलगुली, “क्या सच में..? आप सच बोल रहे हैं कि यह स्वादिष्ट दवा है? इससे मेरी भूख शांत हो जाएगी? लाओ, लाओ।”

गुलगुली वह दवा की शीशी पीती है और थोड़ी देर बाद उसकी भूख शांत हो जाती है। उसका भयानक रूप ठीक हो जाता है।

गुलगुली, “हाँ, अब मेरी भूख शांत हो गई है। लेकिन ये क्या हो गया था मुझे जी? क्यों मेरी भूख शांत नहीं हो रही थी?”

रीमा, “चलो, अच्छा हुआ। आप वक्त पर दवा ले आए, वरना आज तो मैंने सोच लिया था कि सब कुछ खत्म होने के बाद तुम मुझे भी खा जाओगी।”

भीखू, “मुझे माफ़ कर दो भाग्यवान, ये सब मेरे ही कारण हुआ है। उन्हीं मीठी गोलियों के कारण, जो मैंने तुम्हें दी थीं।”

गुलगुली, “ये आप क्या बोल रहे हैं जी? मेरी तो कुछ समझ में नहीं आ रहा।”

भीखू, “हां भाग्यवान, अगर मैं तुम्हें सर्वगुण संपन्न बनाने का लालच ना करता और तुम्हें वो सारी गोलियां ना खिलाता, तो तुम्हारी यह हालत ना होती। मुझे माफ़ कर दो भाग्यवान।”

गुलगुली, “नहीं जी, इसमें मेरी भी तो गलती है। अगर मैं पहले ही अपने पत्नी धर्म निभाती, तुम्हें भोजन बना कर देती और काम चोरी नहीं करती,

तो तुम्हें कभी आवश्यकता ही नहीं होती उन गोलियों को मुझे देने की। मुझे क्षमा कर दीजिए जी, लेकिन अब मुझे अपनी गलती का अहसास हो गया है।”

इसके बाद गुलगुली अब रोज़ अच्छे से सारा घर का काम करती है। भीखू को खेत से आते ही भोजन पकाकर देती है।

अब भीखू और गुलगुली हँसी-खुशी एक-दूसरे के साथ रहने लगते हैं।


दोस्तो ये Family Story आपको कैसी लगी, नीचे Comment में हमें जरूर बताइएगा। कहानी को पूरा पढ़ने के लिए शुक्रिया!


Leave a Comment

ईमानदार हलवाई – दिलचस्प हिंदी कहानी। रहस्यमय चित्रकार की दिलचस्प हिंदी कहानी ससुराल में बासी खाना बनाने वाली बहू भैंस चोर – Hindi Kahani