हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – लास्ट मैट्रो। यह एक Horror Story है। तो अगर आपको भी Darawani Kahaniya, Bhutiya Kahani या Horror Story in Hindi पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
रात के करीब 10 बज रहे थे और चिराग ज़ोरबाग़ मेट्रो स्टेशन के करीब बस स्टॉप पर खड़ा किसी से बात करते हुए बस के आने का इंतजार कर रहा था।
अचानक आसमान में काले बादल घिर आए और झमाझम बारिश होने लगी। बस स्टॉप पर अकेले खड़ा चिराग पहले तो खुद को बारिश से बचाने की बहुत कोशिश करता रहा।
लेकिन जब काफी देर तक कोई बस नहीं आई तो हार मानकर मेट्रो स्टेशन की ओर चल दिया। पर बारिश इतनी तेज़ थी कि कुछ ही सेकंड्स में वह पूरा भीग गया।
पर जैसे-तैसे चिराग स्टेशन के अंदर आ गया। पूरे मेट्रो स्टेशन पर अजीब सी शांति फैली हुई थी। दूर-दूर तक कुछ मेट्रो स्टाफ के अलावा स्टेशन पर कोई नहीं था।
अचानक ही प्लेटफार्म पर एक ट्रेन आ रुकी। चिराग ने पहले तो अपने आसपास देखा, फिर बिना कुछ सोचे-समझे ट्रेन के अंदर बैठ गया।
ट्रेन के अंदर भी अजीब सा सन्नाटा पसरा हुआ था और जैसे ही ट्रेन चलनी शुरू हुई, ट्रेन की लाइटें काँपने लगीं। चिराग को ऐसा लगता जैसे कोई उसके आस-पास से गुजर रहा है।
पर जलती-बुझती ट्रेन की रोशनी में उसे एक साया भी नजर आ रहा था। डर के मारे उसकी हालत पस्त हो रही थी और वह बस यही सोच रहा था कि ट्रेन अभी रुक जाए और वह किसी तरह जिंदा बच जाए।
पर फिलहाल वो चुपचाप सीट पर बैठा अपना सिर पीछे ट्रेन की खिड़की पर टिकाए आँखें मूँद लेता है ताकि उसे कुछ दिखाई ना दे और ना ही कुछ महसूस हो।
तभी चिराग के कान में किसी लड़की की धीमी और मदहोश कर देने वाली आवाज आई।
लड़की, “एक्स्क्यूज़ मी… इज़ दिस हार्ली ट्रैन?”
ट्रेन में लाइट के बीच अचानक से किसी लड़की की आवाज सुन चिराग एक पल के लिए चौंक गया और चीख पड़ा। पर जैसे ही लाइट नॉर्मल हुई और उसकी नजर उस लड़की पर गई, तो वह निहारता ही रह गया।
अब उस लड़की की खूबसूरती ऐसी थी कि शायद चिराग की जगह आप होते तो आपका भी यही हाल होता। चिराग की तरह वह लड़की भी पूरी तरह से भीग चुकी थी।
इतनी भीगी हुई थी कि उसके कपड़ों के ऊपर से ही उसके सुडौल बदन का आकार देखा जा सकता था।
लड़की, “क्या आप सुन रहे हैं?”
चिराग अभी भी उसमें खोया हुआ था क्योंकि उस लड़की का सिर्फ बदन ही नहीं बल्कि हर अदा और नज़ाकत मन मोहिनी थी। वह लड़की लगातार चिराग से कुछ कहने की कोशिश कर रही थी।
पर चिराग था कि अपने ख्यालों में ही सारी हदें पार कर रहा था।तभी उस लड़की ने उसके कंधे को हिलाते हुए कहा।
लड़की, “बस करो यार, अब आँखों से ही लूट लोगे क्या?”
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उसकी ये बात सुन चिराग ने अपनी नजरें झुकाते हुए कहा।
चिराग, “ऐसी कोई बात नहीं है। तुम मुझे गलत मत समझो।”
चिराग की बातों को नज़रअंदाज़ करते हुए उसने कहा।
लड़की, “एक तो ये ट्रेन खाली है, ऊपर से ये टर्बुलेंस और तुम यहाँ बैठे कांप रहे थे तो मैंने सोचा कि देख लूं क्या हुआ? पर तुम तो अकेले लड़की को देखते ही घूमने लगे।”
उस लड़की के नाराज़ लफ्ज़ों को सुन चिराग ने शायराना अंदाज में माफी मांगते हुए कहा।
चिराग, “अगर बुरा लगा हो तो माफ कर दो। अब खूबसूरती को देखने में कोई गुनाह तो नहीं?”
चिराग के इतना कहते ही उस लड़की के चेहरे पर एक प्यारी मुस्कान आ गई और वह उसके बगल में आकर बैठ गई। ट्रेन अपनी रफ्तार में चलते हुए आगे कई स्टेशनों पर रुककर गुजर चुकी थी, पर अब तक उसमें एक भी पैसेंजर नहीं चढ़ा था।
पहले तो चिराग को भी यह चीज़ काफी खटक रही थी, पर इतनी खूबसूरत लड़की के पास में होने से चिराग ने इस बात पर ज़रा भी ध्यान नहीं दिया।
देखते ही देखते ट्रेन का टेम्परेचर भी कम होने लगा। लगातार बढ़ती ठंड के मारे वह लड़की अपने हाथ रगड़ने लगी।
एक तो बारिश की भीगी ऊपर से पूरी खाली ट्रेन और कम होता टेम्परेचर जैसे उसे जमाने लगा था।
वह अपने हाथों को रगड़कर उसकी गर्माहट अपने शरीर को देने लगी। इसी बीच उसके हाथ चिराग से टकरा गए।
लड़की के हाथों की गर्माहट से चिराग समझ गया कि उसे गर्मी की सख्त जरूरत है और चिराग ने तुरंत ही अपनी जैकेट उतार कर लड़की को पहना दी और उसका हाथ अपने हाथ में ले लिया।
पहले तो वह चौंकी पर चिराग के छूने भर से उसके पूरे शरीर में गर्म सनसनी फैलने लगी, जिसे वह चाहकर भी इनकार नहीं कर पाई और उसमें खोती चली गई।
लड़की ने धीरे-धीरे चिराग के दोनों हाथों को पकड़ लिया। दोनों पल-पल के लम्हों के साथ एक-दूसरे के करीब आते जा रहे थे।
दोनों के लबों का आलिंगन होने ही वाला था कि तभी अनाउंसमेंट ने दोनों के अरमानों पर पानी फेर दिया।
अनाउंसमेंट, “यह स्टेशन साकेत है। दरवाजे बाईं ओर खुलेंगे। उतरते वक्त दूरी का ध्यान रखें।”
अनाउंसमेंट की आवाज़ सुनते ही चिराग की आंखें खुलीं तो उसके आसपास कोई नहीं था।
चिराग, “वह लड़की कहाँ गई? अभी तो यहीं मेरे पास बैठी हुई थी।”
चिराग खुद से कहता हुआ पूरे मेट्रो स्टेशन को फिर से देख रहा था। पर मेट्रो में दूर-दूर तक फैले सन्नाटे के अलावा कुछ नहीं था। चिराग को समझ नहीं आ रहा था कि आखिर वह लड़की गई कहाँ?
इतने में मेट्रो का दरवाजा बंद होने वाला था कि चिराग को वह लड़की सीढ़ियों से जाती हुई दिखी। इससे पहले कि दरवाजा बंद होता, चिराग भी किसी तरह बाहर निकल प्लेटफार्म पर आ गया और चैन की सांसें लेने लगा।
फिर जैसे ही उसने होश संभाला तो पाया कि पूरा मेट्रो स्टेशन सुन्न पड़ा है। यहाँ तक कि एक सिक्योरिटी वाला भी नहीं दिख रहा है।
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एक तो वह लड़की भी अजीब लग रही थी और अब ऊपर से स्टेशन यूं खाली जिसे देख अंदर ही अंदर चिराग डर के साए में जा रहा था।
इसीलिए वह तुरंत ही मेट्रो स्टेशन से बाहर निकल गया और वहाँ भी उसे सन्नाटे के सिवा कोई नहीं दिखा।
सिर्फ एक लड़की जो एक ऑटो से बाहर अपना हाथ निकाल कर “हेल्प, हेल्प” चिल्ला रही थी और फिर अपना सिर बाहर निकाल ज़ोर से चिल्लाई।
लड़की, “प्लीज़, कोई मेरी मदद करो ना!”
तभी चिराग ने देखा ये तो वही लड़की है जो मेट्रो में उसके साथ थी। इससे पहले कि चिराग उसके पास पहुंचता, किसी ने उस लड़की को पहले से पकड़ कर उसका मुँह दबाते हुए ऑटो के अंदर खींच लिया और अगले ही पल ऑटो तेज रफ्तार से दौड़ पड़ा।
चिराग उस लड़की को बचाने के लिए ऑटो के पीछे दौड़ पड़ा।चिराग ने रास्ते में एक ऑटो देखा, जिसका ड्राइवर उसमें सोया हुआ था। चिराग ने ड्राइवर को झकझोरते हुए कहा।
चिराग, “भैया उठो, अरे ! जल्दी उठो ना। गाड़ी स्टार्ट करो और उस ऑटो का पीछा करो। जितने पैसे बनेंगे, मैं दूंगा।”
ऑटो वाले ने अपनी आँख मलते हुए रोड की ओर देखा फिर चौंकते हुए कहा।
ऑटो वाला, “मगर भाई, क्या..?”
इससे पहले कि ऑटो वाला कुछ और बोल पाता, चिराग ने कहा।
चिराग, “अगर मगर कुछ नहीं, चुपचाप जो कह रहा हूँ वो करो। बोला ना तुम्हें तुम्हारे पैसे मिल जाएंगे।”
चिराग का लहजा ऐसा था जैसे उसके सिर पर जुनून सवार हो। पर भला एक अनजान लड़की के लिए इतना कौन करता है?
ऑटो वाले को भी इस हालत में चिराग की बात माननी पड़ी और वह ऑटो को दौड़ाते हुए निकल पड़ा।
कई बार तो चिराग उस ऑटो के बेहद करीब भी पहुँच गया और उसने अपने ऑटो से निकलकर उस लड़की को बचाने की कोशिश भी की।
इस पर ऑटो वाले ने उसे कहा।
ऑटो वाला, “देखो भैया, अगर इस तरह से ऑटो से निकलोगे तो मैं गाड़ी यहीं खड़ी कर दूंगा, इसीलिए आप चुपचाप बैठे रहो।”
ड्राइवर की बात सुनकर चिराग बैठ तो गया, पर उसके अंदर बेचैनी अभी भी बनी हुई थी। इस वजह से उसकी नजरें लगातार ही उस ऑटो का पीछा कर रही थीं।
जब पुल पर आकर ऑटो रुक गया, तो चिराग ने देखा कि ऑटो के अंदर से दो गुंडे निकले और लड़की को पुल से नीचे नदी में फेंक दिया।
फिर अगले ही पल वे वहाँ से रफूचक्कर हो गए। चिराग चलते ऑटो से कूद गया और उन गुंडों को पकड़ने के लिए उनके ऑटो का पीछा करने लगा।
कुछ दूर तक तो चिराग ने उनका पीछा किया, लेकिन जब उसका दम फूलने लगा, तो कदम अपने आप ही रुक गए।
थककर वह वापस पुल की उसी जगह पर आ गया, जहाँ से उस लड़की को नीचे फेंका गया था।
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वह लड़की अभी भी जिंदा थी और जान बचाने के लिए पानी में हाथ-पैर मार रही थी। चिराग को देख वह हेल्प मांगने लगी।
लड़की, “मेरी मदद करो, प्लीज़… मैं मरना नहीं चाहती हूँ!”
चिराग ने जब उस लड़की को तड़पते सुना, तो वह भी पुल से नीचे पानी में कूद गया। उसे पानी में कूदते देख ऑटो वाले की जान हलक में आ गई।
उसने तुरंत पुलिस को फ़ोन लगा दिया। अगले ही पल पुल पर सायरन की आवाज़ें गूंजने लगीं। गोताखोर को नदी में भेजा गया और चिराग को अस्पताल।
अगली सुबह जब चिराग की आंख खुली, तो सबसे पहले उसने उस लड़की के बारे में पूछा।
चिराग, “वह लड़की कैसी है? कहां है? उसे कुछ हुआ तो नहीं ना?”
सामने खड़े इंस्पेक्टर ने अपनी नजरें झुकाई और सभी कमरे से बाहर निकल गए। फिर इंस्पेक्टर ने दरवाजा बंद कर दिया। चिराग ने चिल्लाते हुए कहा।
चिराग, “बोल ना आशीष, कैसी है वो? तू बोलता क्यों नहीं?”
आशीष, “चिराग मेरे दोस्त, तू ये मानने को तैयार क्यों नहीं कि वह कब की इस दुनिया से जा चुकी है?
पर तू हर महीने अपनी जान देने उस पुल पर चला जाता है और हर बार जिंदा भी बच जाता है। पर दोस्त, हर बार किस्मत इतनी अच्छी नहीं होती।”
इधर अंदर आशीष और चिराग की बहस चल रही थी। इतने में दरवाजे पर कान लगाए ऑटो वाले ने हवलदार से पूछा।
ऑटो वाला, “साहब, क्या हुआ है? इसमें मैं तो नहीं फंसूंगा ना? ये पागलों की तरह किसी ऑटो का पीछा करने को बोल रहा था।
पर मैं पीछा भी करता तो किसका? जब सड़क पर मेरे ऑटो के अलावा कोई दूसरी गाड़ी थी ही नहीं।
फिर अचानक साहब मेरे ऑटो से उतरते और चीखते हुए भागे, पुल पर छलांग लगा दी। सच बता रहा हूँ, मैंने कुछ नहीं किया।”
ऑटो वाले की बात सुन हवलदार बोले।
हवलदार, “अरे! कुछ नहीं होगा तुझे। ये चिराग हमारे साहब का दोस्त है और अपनी लवर के मरने के बाद थोड़ा खिसक गया है, समझा?
थोड़ा गैप तो लगता है, पर ये तो पूरा ही खिसक गया है। तुझे पता है, चिराग की एक लवर थी जिससे वह कभी मिला ही नहीं था।
पहले बातें हुईं, फिर मिलने का प्लान किया। जिस दिन मिलने वाले थे, उस दिन देर रात स्टेशन के बाहर से कोई उसे उठा लिया और रेप करके पुल से नीचे फेंक दिया।
चिराग ने अपनी लवर को बचाने की खूब कोशिश की, पर बचा नहीं पाया। बल्कि खुद मरते-मरते बचा।
हमारे साहब ने उस दिन चिराग को तो बचा लिया, पर उस लड़की की हालत बहुत खराब थी, वह नहीं बच पाई। पर ये चिराग है हकीकत को मानने को तैयार ही नहीं है।
हर महीने उसी तारीख को किसी न किसी लड़की का भ्रम पाल के उसे बचाने की कोशिश में निकल पड़ता है।”
हवलदार की बात सुन ऑटो वाला कहता है।
ऑटो वाला, “बेचारे के साथ बहुत बुरा हुआ साहब, पर उसे सच्चाई मान लेनी चाहिए। भगवान उसे हिम्मत दे।”
ये कहते हुए ऑटो वाला कांच के दरवाजे से एक नजर चिराग को देखते हुए वापस चलना चाहता है। पर भला चिराग सच्चाई को कैसे मान सकता था?
क्योंकि दिशा उससे बात करती है और उसी तारीख को मिलने बुलाती है। पर चिराग उससे मिल नहीं पाता है।
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बस हर बार उसकी तड़पती हुई चीख का पीछा करता है और अपनी जान देने की अनचाही कोशिश करता है।
शायद वह भी दिशा के पास जाना चाहता है, पर दिशा ऐसा नहीं चाहती। इसीलिए तो हर बार वह चिराग को बचा लेती है।
ये Horror Story आपको कैसी लगी नीचे Comment में हमें जरूर बताएं। कहानी को पूरा पढ़ने के लिए शुक्रिया!