गरीब चायवाला | Gareeb Chaiwala | Hindi Kahani | Moral Stories | Bedtime Stories in Hindi

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” गरीब चायवाला” यह एक Hindi Kahani है। अगर आपको Hindi Stories, Moral Stories या Gaon Ki Kahaniyan पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।


एक बार की बात है। कासगंज नामक गांव में सेठ करोड़ीमल नाम का एक सेठ रहा करता था। सेठ करोड़ीमल बहुत ही लालची था।

उसका एक पुत्र था, जिसका नाम सेठी था। सेठी स्वभाव में बहुत चालाक और बेईमान किस्म का बच्चा था।

दूसरी तरफ, उसी गांव में राजू नाम का एक लड़का था, जोकि सेठी की कक्षा में पढ़ता था, लेकिन वह सेठी के बिल्कुल विपरीत था।

एक दिन स्कूल में,

राजू, “ओय राजू! तुमने हॉलीडे का सारा टास्क बना लिया क्या?”

राजू, “हाँ, वो तो मैंने दो सप्ताह में ही सारा होमवर्क कंप्लीट कर लिया था। तुमने कंप्लीट नहीं किया है क्या?”

सेठी, “नहीं यार, बुआ के घर चला गया था यार। तीन दिन बाद कमलेश सर की क्लास है।

अगर होमवर्क कंप्लीट नहीं रहा, तो सर मुझे पनिशमेंट देंगे। मुझे बचा लो प्लीज़।”

राजू, “लेकिन बुआ के यहाँ तो तुम एक सप्ताह के लिए ही गए थे। बाकी के एक महीने तुम्हारे पास टाइम था, उसमें क्यों नहीं होमवर्क किया?”

सेठी, “अरे !छोड़ ना यार, तू अपनी नोटबुक दे दे, कॉपी करके तीसरे दिन तुम्हें लौटा दूंगा। दोस्त के लिए तू इतना भी नहीं कर सकता क्या?”

सेठी, “ठीक है दोस्त, लेकिन तू मेरी नोटबुक टाइम पर लौटा देना, प्लीज़।”

राजू, “ये भी कोई कहने की बात है भाई?”

तीसरे दिन कमलेश सर की क्लास रहती है। क्लास में सेठी हाथ की ऊँगली में पट्टी बांधकर आता है।

कमलेश सर, ” हां तो बच्चो, काफी लम्बी छुट्टी के बाद हम लोग मिले हैं। आप सभी ने होमवर्क कंप्लीट कर ही लिया होगा। सभी अपनी होमवर्क की नोटबुक लाकर मेरी टेबल पर रख दो।”

राजू, “सेठी, मेरी कॉपी तो मुझे। होमवर्क की कॉपी सर की टेबल पर रखनी है।”

सेठी, “मैंने तो तुम्हारी कॉपी सर की टेबल पर रख दी है। अब भाई, इतना भी काम नहीं कर सकता क्या?”

कमलेश सर, “अरे राजू! तुमने होमवर्क की कॉपी नहीं जमा की?”

राजू, “सर, टेबल पर ही रखी हुई है।”

कमलेश सर, “यहाँ पर तो नहीं हैं। आज तो सेठी की भी कॉपी मेरे पास है।”

राजू, “लेकिन वो तो मेरी कॉपी है क्यों सेठी?”

सेठी, “अब मैं क्या ही कह सकता हूँ तुम्हारी कॉपी के बारे में? जब मैं टास्क बना रहा था, तो मैंने तुमसे कहा था कि टास्क बना लो। लेकिन तुम बराबर यही कहते थे कि अभी बहुत दिन है।”

राजू, “क्यों झूठ बोल रहे हो? सर, कॉपी में देखिए मेरी हैंडराइटिंग है।”

सेठी, “राजू सही कह रहा है सर, मेरी कॉपी में राजू की ही हैंडराइटिंग है। मेरी तो ऊँगली कट गई थी, तो राजू से रिक्वेस्ट की थी कि मैं बता रहा हूँ, तू बस लिख दे।”

कमलेश सर राजू को होमवर्क ना करने के बदले सारा दिन क्लास में खड़े रहने की सजा दे देते हैं।

सेठी, “तुमने ऐसा क्यों किया?”

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सेठी, “थोड़े से झूठ से अगर तुम्हारी जान बच रही है, तो झूठ बोलने में कोई हर्ज नहीं है।”

सेठी लोगों को परेशान करता रहता था। इसी तरह 10 साल बीत जाने के बाद, सेठी शहर में एक बहुत बड़ा रेस्टोरेंट बनाता है, और वही अच्छे नंबर और अच्छी डिग्री होने के बावजूद राजू गरीब बेरोजगारी का जीवन जी रहा था।

राजू, “सरिता, आज मुन्नी सुबह से क्यों रो रही है?”

सरिता, “आज घर में कुछ नहीं है, मुन्नी दूध के लिए रो रही है।”

राजू, “ठीक है, कुछ देखता हूं।”

राजू सभी जानने वालों से पैसा मांगता है, लेकिन कोई भी नहीं देता। थक हार कर वह सरिता का मंगलसूत्र गिरवी रखकर खाने के लिए कुछ सामान लेकर आता है और बचे कुछ पैसों से अंत में वह चाय की दुकान खोल लेता है।

एक दिन सेठी की दुकान के सामने से गुजरता है।

सेठी, “अरे! क्या यार, तुम चाय बेचोगे? हम लोग एक ही स्कूल में पढ़े हैं, सब क्या कहेंगे भाई?”

राजू, “छूट-फरेम, बेईमानी, मक्कारी की हलवा पूड़ी से कहीं अच्छा ईमानदारी से चाय बेचकर सूखी रोटी खाकर चैन की नींद सोना कहीं अच्छा है।”

सेठी, “हां, तो ठीक है फिर रहो झोपड़ी में रूकी सूखी खाकर, और क्या? मुझे देखो, मेरे पास आज बंगला है, गाड़ी है, बैंक बैलेंस है, सब है।”

धीरे-धीरे राजू की चाय की दुकान बड़ी होकर कॉफ़ी हाउस रेस्टोरेंट में बदल जाती है। उसका टेस्टी चाय, कड़ी मेहनत, मधुर व्यवहार और ईमानदारी के कारण हमेशा कॉफ़ी हाउस फुल रहा करता था।

उधर सेठी का दोस्त चंदन, जो शहर का सबसे बड़ा सेठ हरीलाल का बेटा था, एक दिन सेठी के रेस्टोरेंट में खाना खा रहा था:

चंदन, “रेस्टोरेंट में तो बहुत अच्छा खाना बनाया है तुमने? मेरे पास एक आइडिया है, पहाड़ी के ऊपर फाइव स्टार रेस्टोरेंट खोलने का।

₹20,00,000 के प्रोजेक्ट में ₹5,00,000 का इंतजाम हो गया है।”

सेठी, “आइडिया तो बहुत अच्छा है, ₹15,00,000 मैं लगाऊंगा, प्रॉफिट कितना मिलेगा मुझे?”

चंदन, “तू मेरा दोस्त है इसलिए 25% प्रॉफिट तुम्हें मिलेगा।”

सेठी, “ठीक है, कल मैं तुम्हें कैश ₹15,00,000 दे दूंगा। कागज तुम बनवा लो।”

चंदन, “क्या यार… जब दोस्त के साथ कागज पर डील करनी पड़े, तो फिर दोस्ती कैसी?

भाई, अगर तुझे मुझ पर शक है, तो प्लीज़ मुझे नहीं चाहिए तेरा पैसा।”

इस तरह, इमोशनल बातों से बिना पेपर के डील चंदन सेठी से ₹15,00,000 ऐंठ लेता है।

दो साल बाद…

चंदन को पता चलता है कि उस तरह का कोई प्रोजेक्ट था ही नहीं।

चंदन, “सेठी, तूने फर्जी प्रोजेक्ट के नाम पर मुझसे ₹15,00,000 लिए हैं। अब वो पैसे वापस कर।”

सेठी, “ओये कौनसा प्रोजेक्ट… कैसा पैसा? कोई कागज या बैंक रसीद है तो दिखाओ‌ भैया।”

सेठी, “देख चंदन, मैंने पहाड़ी में रेस्टोरेंट के लिए तुम्हें ₹15,00,000 कैश दिए थे। तुमने कहा था कि दोस्तों के बीच कागज का क्या काम?”

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इस तरह, कागज के अभाव में चंदन सेठी से ₹15,00,000 हड़प लेता है।

एक दिन इनकम टैक्स वाले छापा मारते हैं और टैक्स चोरी के आरोप में सेठी की दुकान सीज कर दी जाती है। सेठी जल्दी ही कंगाल हो जाता है।

एक दिन राजू के कॉफ़ी हाउस में,

सेठी, “राजू भाई, आज मैं कंगाल हो गया हूँ। प्लीज़ मेरी मदद कर दो। मुझे फिर से बिज़नेस करने के लिए पूंजी चाहिए। मैं जल्दी ही तुम्हारा पैसा लौटा दूंगा।”

राजू, “ठीक है, मैं तुम्हें लोन दूंगा। लेकिन इस बार ईमानदारी और मेहनत से काम करना होगा।”

राजू से पैसा लेकर सेठी उसी के कॉफ़ी हाउस के सामने अपना कॉफ़ी हाउस भी खोल देता है। सेठी राजू के कैफे को प्रतियोगी मानकर उसके कैफे को तरह-तरह से बदनाम करने की कोशिश करने लगता है।

सेठी, “हरिया, ये ले फेवीक्विक और जा राजू के कॉफ़ी हाउस में दो-दो बूंद सभी कुर्सियों पर गिरा कर आ।”

सेठी का आदमी हरिया सभी की कुर्सियों पर फेविक्विक डालकर आ जाता है।

हरिया, “हाँ, मालिक, जैसा आपने कहा था, वैसा ही करके आया हूँ।”

सेठी, “शाबाश! अब आएगा मज़ा। बहुत ईमानदारी और मेहनत का पाठ पढ़ाता है। अब देखता हूँ तेरा कॉफ़ी हाउस कैसे चलता है?”

उधर फेविक्विक लगी हुई कुर्सी पर बैठने से सभी ग्राहकों का पैंट चिपक जाता है। उठते समय उनके पैंट फट जाते हैं। पूरे कॉफ़ी हाउस में हंगामा खड़ा हो जाता है।

राजू, “शांति बनाए रखें। पता नहीं ये किसकी हरकत है।

लेकिन राजू कॉफ़ी हाउस आप सभी कस्टमर्स को माफी के तौर पर एक-एक नई जीन्स आधे घंटे के अंदर प्रोवाइड करवा रहा है। हमारी ओर से हुई असुविधा के लिए आपसे क्षमा चाहते हैं।”

सेठी, “अरे! क्या हुआ राजू? तुम्हारी दुकान पर हो रहे हंगामे को सुनकर मैं दौड़ा आया।”

राजू, “देखो ना दोस्त, किसी ने कॉफ़ी हाउस की कुर्सी में फेविक्विक लगा दिया है।”

राजू, “भाई, तुम्हारे ग्राहक तो बहुत सीधे हैं जो एक जीन्स पर मान गए। मैं होता तो तुम पर कंज्यूमर कोर्ट में केस कर देता।”

राजू, “डियर कस्टमर, आपकी जीन्स आ गई है। आप लोग अपने-अपने साइज के अनुसार जीन्स ले लें।”

एक बार फिर सेठी की चाल फैल हो जाती है, लेकिन सेठी अपनी हरकतों से बाज नहीं आता।

एक दिन सेठी अपने दोस्त जीवा की मदद से एक प्लान बनाता है:

सेठी, “भाई जीवा, मैं चाहता हूँ कि मेरे सामने वाला कॉफ़ी हाउस किसी तरह मेरा हो जाए। लेकिन हर बार मेरी तरकीब राजू फैल कर देता है।”

जीवा, “कोई बात नहीं, गुरु। इस बार जीवा का प्लान है, जो कभी फेल नहीं हो सकता।”

सेठी, “क्या सोचा है तुमने कि प्लान फेल नहीं हो सकता?”

जीवा, “हम लोग किसी तरह उसके चाय के दूध में चूहे मारने की दवा मिला देंगे। फिर एक बार अगर कॉफ़ी हाउस बदनाम हो गया, तो हमारी दुकान चल पड़ेगी।”

सेठी, “देख भाई, ये काम हरिया ही कर सकता है। पिछली बार इसी ने फेविक्विक चिपकाई थी।”

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हरिया, “ना मालिक, ये काम हमसे नहीं होगा। चूहे मारने वाला जहर से अगर आदमी को कुछ हो गया, तो पाप मेरे ऊपर ही आएगा।”

सेठी, “अरे हरिया! इसी इमोशन के कारण तुम लोग गरीब ही रह जाते हो।”

जीवा, “कोई बात नहीं, ये काम हम दोनों करेंगे, वो भी आज ही रात।”

दोनों रात 12 बजे के अंधेरे में चूहे मारने की दवा को लेकर कॉफ़ी हाउस में पीछे वाले रास्ते से घुसते हैं।

सेठी, “अबे जीवा! ठीक से चल, मुझसे बार-बार क्यों टकरा रहा है? वैसे ही अंधेरे में कुछ दिखाई नहीं दे रहा।”

जीवा, “मैं तो ठीक से ही चल रहा हूँ, लेकिन ससुरा ये जमीन ही ऊपर-नीचे है, अंधेरे में पता ही नहीं चल रहा।”

तभी जीवा के पैर के नीचे एक छुछुंदर आ जाता है और वो असंतुलित होकर सेठी के ऊपर गिर जाता है। सारे चूहे मारने वाली दवा सेठी और जीवा के चेहरे पर गिर जाती है।

सेठी, “थू-थू-थू। अबे जीवा! तुम्हें कितनी बार कहा कि ठीक से चल? आखिर तूने मुझे गिरा ही दिया। और ये पाउडर क्या है? ये चूहे मारने वाली दवा मेरे चेहरे पर गिर गई।”

सेठी, “भाई, मुझे कुछ दिखाई नहीं दे रहा। मेरी आँखों में शायद ये दवा चली गई है। साला छछूंदर सारा खेल बिगाड़ दिया।”

सेठी, “आआ मार डाला रे! अब मेरे हाथों पर क्यों चढ़ा है तू? ये मेरा हाथ है, छुछुंदर नहीं, जो बार-बार लातों से मारे जा रहा है।”

जीवा, “मुझे तो कुछ दिखाई नहीं दे रहा है। ससुरा छुछुंदर कहाँ है और तेरा हाथ कहाँ है?”

दोनों किसी तरह गिरते-पड़ते वापस दुकान में आ जाते हैं। वहाँ आकर सेठी उल्टी करने लगता है।

दो-तीन दिन के बाद…

सेठी, जीवा, आज हमें सावधानीपूर्वक रात में काम करना होगा।”

जीवा, “हाँ यार दोस्त, आज रात का काम हम दोनों खत्म कर लेंगे। कल के बाद हमारा काम पूरा हो जाएगा। फिर हमारी चाय की दुकान ही इस एरिया में चलेगी।”

सेठी, “हां, हम दोगुनी कीमत पर चाय बेचेंगे। राजू के सारे ग्राहक हमारे होंगे।”

दोनों रात को फिर से राजू की दुकान पर जाते हैं और दूध में चूहे मारने वाली दवा मिलाकर वापस आ जाते हैं।

राजू, “कालू, जल्दी से सारा टेबल और कुर्सी साफ़ कर दे। देखना कहीं कोई चिपकने वाला पदार्थ फिर भी क्विक या चुइंगम कुर्सियों या टेबल पर ना लगा हो।

आज संडे है, वैसे भी कॉफ़ी हाउस में भीड़ ज्यादा होगी।”

कालू, “जी मालिक, उस दिन की फेवीक्विक की घटना के बाद से मैं एक-एक कुर्सी और टेबल को अच्छी तरह साफ करता हूँ।”

राजू, “उसकी चिंता मत कर। तू केवल मन लगाकर सफाई कर ले। उस दिन के बाद मैंने कॉफ़ी हाउस में सीसीटीवी लगवा दिया है।”

दूसरे दिन सुबह संडे होने के कारण राजू का कॉफ़ी हाउस हाउसफुल हो जाता है। सभी को कॉफ़ी और चाय दी जाती हैं,

लेकिन कुछ ही देर में कस्टमर उल्टी करने लग जाते हैं। पूरे कॉफ़ी हाउस में हाहाकार मच जाता है।

कालू, “मालिक, सभी कस्टमर उल्टी कर रहे हैं।”

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राजू, “कुछ तो गड़बड़ है चाय में, सीसीटीवी फुटेज देखनी होगी।”

इसी बीच सेठी पुलिस को फोन कर देता है।

राजू को पकड़कर पुलिस ले जाने लगती है।

राजू,” एक मिनट इंस्पेक्टर, ज़रा सीसीटीवी में देख लूं कि किसने ये काम किया है?”

सीसीटीवी फुटेज से पता चलता है कि सेठी और जीवा दोनों ने रात में आकर यहाँ पर कुछ मिलाया था।

पुलिस जब उन दोनों को पकड़कर डंडे से मारती है, जीवा पुलिस को सारी बात बता देता है कि उसने सेठी के कहने पर दूध में चूहे मारने वाली दवा मिलाई थी।

दोनों को पुलिस हिरासत में लेकर चली जाती है।


दोस्तो ये Hindi Kahani आपको कैसी लगी नीचे Comment में हमें जरूर बताइएगा। कहानी को पूरा पढ़ने के लिए शुक्रिया!


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