सौतेली मां | Sauteli Maa | Hindi Kahani | Moral Stories in Hindi | Sauteli Maa Ki Kahani |Bed Time Story | Hindi Stories

Join WhatsApp

Join Now

Join Telegram

Join Now

हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” सौतेली मां ” यह एक Maa Ki Kahani है। अगर आपको Hindi Stories, Moral Story in Hindi या Latest Kahaniya पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।


यह कहानी सीलमपुर गांव में रहने वाली छोटी सी लड़की मीरा की है। मीरा की माँ का नाम झुमकी और पिता का नाम बसंत था।

मीरा बहुत ही प्यारी और समझदार लड़की थी। एक दिन, झुमकी ने कहा,

झुमकी, “सुनिए जी, ज़रा मीरा को उठा दीजिए। कब से सो रही है वो? देखिए ना सूरज आसमान में आ चुका है।”

बसंत, “सोने दो उसे, छुट्टी के दिन उसे जितना सोना है, सोने दिया करो।”

झुमकी, “आप और आपकी बेटी?” 

मीरा, “क्या हुआ मां? इतना शोर क्यों कर रही हो सुबह-सुबह?”

झुमकी, “वाह ! देखो ज़रा आसमान को, इतनी देर तक भला कौन सोता है? “

मीरा, “पापा, देखो ना माँ को। मैंने कुछ भी नहीं किया और माँ हैं कि मुझे डांट रही है।”

झुमकी, ” अरे भाग्यवान ! बिटिया माइके में आराम नहीं करेंगी तो क्या सुराल में करेगी?”

झुमकी,” दिन भर या तो पढ़ाई करो या खेलो। कम से कम छुट्टी के दिन तो मेरी मदद कर दिया करो। जिस दिन मर जाऊँगी, तब पता चलेगा तुम्हें सुबह से लेकर शाम तक काम करना कैसा लगता है? 

तुम दोनों छुट्टी के दिन जिस तरह आराम करते हो, कभी मुझे भी छुट्टी दे दिया करो। लेकिन नहीं, मैं तो इस घर की नौकरानी हूँ।”

मीरा, “गुस्सा क्यों होती हो? चलो, आज आपका सारा काम हम करेंगे। आप बस आराम करो।”

बसंत, “ठीक है। चलो, काम पर लग जाओ। मैं दिन का खाना बना देता हूँ।”

मीरा, “पिताजी, मैं बर्तन धो देती हूँ।”

इसके बाद, मीरा और उसके पिता ने मिलकर सारा काम किया और खाना खाने के लिए बैठे।

बसंत, ” और भाग्यवान कैसा लग रहा है? खुश तो हो ना तुम? गुस्सा ना किया करो। “

झुमकी, “बिना गुस्से के अगर ये सब कर दोगे तो गुस्से की नौबत ही नहीं आएगी।”

मीरा, “माँ, अब से आपकी छुट्टी के दिन मैं मदद कर दिया करूंगी, ठीक है।”

झुमकी, “चलो, अब खाना खा लो। सब ठीक है। अच्छा सुनो मीरा, तुमने अपना गृहकार्य कर लिया?”

मीरा, “हाँ, वो तो मैंने कल ही कर लिया था।”

झुमकी, “सही किया। रात को क्या बनाऊँ?”

मीरा, “माँ, बड़े दिनों से मछली नहीं खाई। आज मछली बना दो ना।”

झुमकी, “ठीक है, बाजार जाकर शाम को मछली ले आना ताज़ी वाली।”

बसंत, “ठीक है।”

इसके बाद, शाम को बसंत मछली बाजार गया और दो ताज़ी बड़ी मछलियाँ लेकर आया। रास्ते में चलते-चलते उसे अपना दोस्त किशोर मिला।

बसंत, “अरे किशोर ! कैसे हो भाई? बड़े दिनों बाद दर्शन हो रहे हैं तुम्हारे।”

किशोर, “हाँ भाई, थोड़ा शहर गया था माँ की दवाई लेने।”

बसंत , “क्या हुआ? काकी ठीक तो है ना?”

किशोर, “हाँ, थोड़ा ठीक है बस बी.पी. बढ़ गया था।”

बसंत, “माँ का ध्यान रखो। माँ को कोई भी मदद चाहिए होगी तो बताना।”

किशोर, “तुमने इतना कह दिया, मेरे लिए इतना ही काफी है। अच्छा, अब मैं चलता हूँ।”

बसंत, “ठीक है।”

इसके बाद बसंत अपने घर पहुंचा और अपनी पत्नी को मछली दे दी। झुमकी ने भी बड़े अच्छे तरीके से मछलियों को पकाया और सबको खाने के लिए बुलाया।

सौतेली मां | Sauteli Maa | Hindi Kahani | Moral Stories in Hindi | Sauteli Maa Ki Kahani |Bed Time Story | Hindi Stories

झुमकी, “गरमा-गर्म खाना तैयार है, आ जाओ।”

बसंत, “आया भाग्यवान।”

मीरा, “खाना कहां है? मुझे बहुत जोर की भूख लगी है।”

झुमकी, “तुमने हाथ धोए?”

मीरा, “अभी धोकर आई, माँ।”

झुमकी, “ये लड़की इतनी समझदार है, फिर भी इसे हमेशा बताना पड़ता है कि हाथ धोकर खाना खाना चाहिए।”

बसंत, “जाने दो ना, अभी छोटी है।”

झुमकी, “आपके लाड़-प्यार ने बिगाड़ के रखा है इसे।”

मीरा, ” लाओ खाना दे दो, बहुत भूख लगी है।”

झुमकी, “ठीक है, ये लो, तुम्हारा बहुत मन था ना। तुम्हें जैसी पसंद है, मैंने वैसे ही बनाई है।”

बसंत, “अरे वाह भाग्यवान ! कभी डांटने लगती हो, फिर तुरंत प्यार भी करने लगती हो।”

झुमकी, ” आप नहीं समझेंगे। माँ की डांट में भी प्यार होता है। चाहती हूँ कि मेरी बेटी एक अच्छे इंसान के साथ-साथ समझदार भी बने। 

अब हमेशा तो मैं उसके साथ नहीं रह सकती ना। एक दिन उसे सब कुछ खुद ही करना होगा। बस, अभी से तैयार कर रही हूँ उसे। चलो, अब खाना खाते हैं।”

इसके बाद सबने खाना खाया और सो गए। अगले दिन जब सब लोग उठे, तो बसंत ने देखा कि झुमकी अभी तक सोई है।

बसंत, “झुमकी, क्या हुआ? तबियत तो ठीक है ना तुम्हारी? झुमकी… झुमकी।”

बसंत ने वैध्य को बुलाया।

वैध्य, “बेटा, झुमकी अब नहीं रही। तुम इसके अंतिम संस्कार की तैयारी करो। शरीर को इस तरह रखने से वह सड़ने लग जाएगा।”

औरत, ” हमारी झुमकी को क्या हुआ? हे भगवान ! इस उम्र में ऐसा उसके साथ नहीं होना चाहिए था। 

उसकी इतनी छोटी सी बेटी का क्या होगा? अब ये बिन माँ की बेटी कैसे रहेगी?”

इसके बाद सब लोग झुमकी को लेकर गए और उसका अंतिम संस्कार किया।

बसंत, “बेटा कुछ खा ले, कब तक इस तरह बैठी रहेगी?”

मीरा, “माँ को क्या हुआ था पिताजी? कल ही तो माँ इतनी खुश थी। उन्होंने मेरे लिए मछली भी बनाई थी। भला रात ही रात में उन्हें क्या हो गया, पिताजी?”

बसंत, “मुझे नहीं पता बेटी, तेरी माँ के जाने से मैं भी दुखी हूँ। पर मैं भी नहीं जानता कि अब मैं क्या करूँ?”

बसंत, “ये खा ले।”

बसंत, “आप भी खाना खा लो, पापा।”

रात को दोनों ने रोते हुए खाना खाया और सो गए। अगले दिन सुबह, बसंत ने खाना बनाया और आज मीरा भी जल्दी उठ गई थी। लेकिन मानो दोनों की जीने की आस ही कहीं ना कहीं खत्म हो गई थी।

लाजो (पड़ोसन), “प्रणाम भैया। लीजिए, मैंने आपके लिए खाना बनाया है। आप और मीरा खा लीजिए।”

बसंत, “धन्यवाद बहन !”

लाजो, “आप बुरा ना मानो तो एक बात कहूं भैया? मैं जानती हूँ इस समय ये बात आपको ठीक नहीं लगेंगी। 

लेकिन मीरा का जरूर सोचिएगा भैया। आप दूसरा विवाह कर लीजिए। 

आप भला कब तक मीरा का ध्यान रखेंगे? धीरे-धीरे मीरा जवान होगी, उसे माँ की जरूरत पड़ेगी।”

बसंत, “झुमकी के जाने के बाद दूसरी पत्नी के बारे में सोचना भी मेरे लिए पाप है। मुझसे ये नहीं होगा।”

लाजो, “आप मीरा का सोचिए, वो अभी छोटी है। एक माँ का होना बहुत जरूरी है। अब बाकी आपकी इच्छा।”

वहाँ उसने अपनी मासूम बेटी मीरा को देखा।

सौतेली मां | Sauteli Maa | Hindi Kahani | Moral Stories in Hindi | Sauteli Maa Ki Kahani |Bed Time Story | Hindi Stories

बसंत, “मीरा, तुम कब तक ऐसे ही बैठी रहोगी? जाओ, अपने दोस्तों के साथ खेलने चली जाओ।”

मीरा, “नहीं पापा, मेरा मन नहीं है।”

इसी तरह कई दिन बीतने लगे। बसंत से अपनी बेटी का यह हाल देखा नहीं जा रहा था। उसने फैसला किया कि वह दूसरी शादी करेगा और मीरा को एक नई जिंदगी देगा।

अगले दिन…
बसंत, “तुम ठीक कह रही थी, जब से झुमकी गई है, मीरा उदास बैठ रहती है। मैं इस तरह उसे मायूस नहीं देख सकता। 

अगर मेरी शादी करने से मीरा को एक माँ मिल जाएगी, शायद इससे उसके जीवन से उदासी चली जाएगी।”

लाजो, “हाँ भैया, मुझे भी मीरा की परवाह है। वो अभी छोटी है। आप चिंता मत करिए, मैं देखती हूँ। जैसे ही कोई आपके परिवार के लायक मिलेंगी, तो आपको बताऊँगी।”

तीन दिन बाद…
लाजो, “भैया, मैंने आपके लिए एक रिश्ता ढूंढा है। आप एक बार उसे देखने चले जाइए, क्या पता कुछ बात बन जाए?”

इसके बाद, बसंत नीलम नाम की एक स्त्री को देखने के लिए चला गया। घर परिवार वालों की सहमति से वो नीलम से विवाह कर लेता है।

विवाह के कुछ समय तक नीलम मीरा के साथ अच्छे से व्यवहार करती है। लेकिन जैसे-जैसे वर्ष बीतने लगे, वह मीरा को परेशान करने लगी और बसंत के जाने के बाद उससे घर का सारा काम कराने लगी। अब मीरा जवान हो चुकी थी।

नीलम, “ओ मीरा ! जा खाना लेकर आ। तू कहीं की महारानी है जो जब देखो कमरे में पड़ी रहती है? ओ महारानी कहाँ मर गई, खाना लेके आ जल्दी? 

इससे काम की उम्मीद रखना ही बेकार है। पता नहीं कब इसकी शादी होगी और ये बोझ कम होगा मेरी छाती से? भगवान ! मेरे तो भाग्य ही फूटे हैं।”

नीलम, “छोटी माँ, मैं पढ़ाई कर रही थी‌।”

नीलम, “क्या करेगी इतना पढ़कर? करना तो तुझे चूल्हा चौका ही है। जा, खाना लेकर आ और हाँ, उसके बाद कपड़े धो देना और बर्तन भी, समझी ना?”

मीरा, “ठीक है, छोटी माँ।”

इसके बाद मीरा ने घर का सारा काम किया और शाम को जैसे ही बसंत घर पर आने वाला होता, वैसे ही नीलम मीरा के हाथ से झाड़ू लेकर खुद मारने लगती है।

नीलम, “मीरा, तुम जाओ आराम करो, मैं हूँ ना। तुम केवल पढ़ाई करो, ये कोई उम्र है तुम्हारे काम करने की? मैं हूँ ना इन सबके लिए।”

बसंत, “और क्या चल रहा है माँ और बेटी के बीच में?”

नीलम, “नहीं, कुछ नहीं जी। बस मीरा काम कर रही थी, मैंने कहा कि ये कोई उम्र है भला? ये उम्र तो पढ़ने-लिखने की है।”

नीलम, “हाँ मीरा, तुम जाओ अपनी पढ़ाई करो।”

मीरा चली गई।

बसंत, “नीलम, तुम्हारा मीरा के प्रति प्रेम देखकर मैं बहुत खुश हूँ। मैं खामखां ही डर रहा था। चलो, अब मेरे लिए खाना लगा दो।”

नीलम, “लो जी, अभी लाई।”

इसके बाद बसंत ने खाना खाया और लकड़ियां काटने के लिए चला गया। बसंत के पास एक आदमी भागता हुआ आया।

आदमी, “अरे बसंत ! घर जा भाई। अरे ! मीरा बाजार में बेहोश हो गई है। लोग उसे घर ले गए हैं, जल्दी घर जाओ।”

बसंत, “मेरी बेटी ठीक तो है ना?”

आदमी, “मुझे नहीं पता भैया, बस किसी ने कहा कि तुझ तक ये खबर पहुंचा दूं।”

इसके बाद बसंत भाग के अपने घर पर पहुंचा।

बसंत, ” क्या हुआ मीरा को?”

डॉक्टर, “इन्हें आराम की जरूरत है।”

बसंत, ” सब कुछ तो बढ़िया है, फिर मीरा इतनी कमजोर कैसे हो गई?”

सौतेली मां | Sauteli Maa | Hindi Kahani | Moral Stories in Hindi | Sauteli Maa Ki Kahani |Bed Time Story | Hindi Stories

नीलम, “सारी मेरी ही गलती है। मैं भी काम की वजह से कुछ दिनों से उस पर ध्यान नहीं दे पाई।”

बसंत, “नीलम सुनो, तुम थोड़ा मीरा का ध्यान रखो। मैं इसके लिए दवाई लाता हूँ।”

नीलम, “ठीक है जी, आप जाइए।”

नीलम, “ऐ लड़की ! उठ, मैं जानती हूँ तू ये सब काम ना करने के लिए कर रही है। उठती है या मारूं तुझे?”

मीरा, “छोटी माँ, मैं सच कह रही हूँ। मुझमें उठने की हिम्मत नहीं है।”

बसंत के आने की आवाज सुन नीलम बात पलट देती है।

नीलम, “अरे ! मैंने बोला ना तू बैठ जा।”

बसंत, “अरे मीरा ! तू बैठ जा मेरी बच्ची। तेरी तबियत वैसे ही खराब है। यह ले, यह जूस पी ले थोड़ा, बेहतर महसूस करोगी। 

चुपचाप पीओ इसे और लेट जाओ। आज तुम कुछ काम नहीं करोगी, समझी?”

नीलम, “आप बैठिए, मैं कुछ लेकर आती हूँ आपके लिए।”

बसंत, “ठीक है, ले आओ।”

इसके बाद बसंत मीरा का बहुत ध्यान रखने लगता है। कुछ दिनों में मीरा ठीक हो जाती है। एक दिन उनके घर में रोहित नाम का एक लड़का आता है।

रोहित, “प्रणाम चाचा।”

बसंत, “प्रणाम रोहित बेटा।”

रोहित, “चाचा जी, वो मीरा कैसी है अब?”

बसंत, “थोड़ा बहुत ठीक है। डॉक्टर ने एक माह तक घर में रहने को बोला है। कह रहे थे खून की कमी हो गई है।”

रोहित, “चाचा जी, आपसे एक बात कहनी थी।”

बसंत, “क्या बात है बेटा?”

रोहित, “चाचा जी, मुझे मीरा पसंद है। अगर आपको ऐतराज़ ना हो तो मैं अपने घर वालों को रिश्ते की बात करने के लिए बोलना चाहता हूँ।”

बसंत, “अब मैं तुम्हारे पिताजी को जानता हूँ बेटा। वो एक अच्छे इंसान हैं। मुझे अच्छा लगा कि तुम मेरे सामने अपनी बात लेकर आए।”

रोहित, “चाचा जी, आप एक बार मीरा से भी पूछ लीजिएगा कि वह यह शादी करना चाहती है या नहीं? क्योंकि मैं उस पर जबरदस्ती यह रिश्ता नहीं थोपना चाहता।”

इसके बाद रोहित वहाँ से चला गया। रात को बसंत ने मीरा से रोहित के बारे में बात की।

बसंत, “बेटा, तुम्हें रोहित कैसा लगता है?”

मीरा, “क्यों पिताजी? आप ये सब क्यों पूछ रहे हैं?”

बसंत, “आज रोहित घर आया था, रिश्ते की बात लेकर। देखो बेटा, मुझे रोहित पसंद आया। लेकिन अगर तुम्हें रोहित पसंद नहीं है तो कोई बात नहीं। 

हम तेरे साथ कोई जबरदस्ती नहीं करेंगे। यह फैसला सिर्फ तेरा ही होगा कि तुम्हें किससे शादी करनी है?”

मीरा, “पिताजी, रोहित एक अच्छा लड़का है। अगर आपका मन है कि मैं उससे शादी करूँ, तो मैं आपके फैसले का सम्मान करती हूँ।”

बसंत, “बेटी, तू एक आदर्श बेटी है। आज अगर तेरी माँ जिंदा होती तो तुझे देख बहुत खुश होती।”

मीरा, “पिताजी, माँ की बहुत याद आती है। काश ! वो कभी हमें छोड़कर जाती ही नहीं।”

नीलम, “ऐसी बात क्यों कर रही हैं? क्या मैं तेरी माँ नहीं हूँ? अब तू सो जा।”

अगले दिन रोहित के परिवार वाले रिश्ता लेकर बसंत के घर पर आ जाते हैं, लेकिन जैसे ही रोहित की माँ बसंत को देखती है, उसके चेहरे के थोड़े एक्सप्रेशन चेंज हो जाते हैं और वे अपने पति के कानों में कुछ कहती है।

सौतेली मां | Sauteli Maa | Hindi Kahani | Moral Stories in Hindi | Sauteli Maa Ki Kahani |Bed Time Story | Hindi Stories

रोहित के पिता, “प्रणाम।”

बसंत, “प्रणाम।”

रोहित के पिता, “अचानक मुझे थोड़ा काम याद आ गया। जल्दी जाना होगा, वरना नुकसान हो जाएगा कारोबार में।

हम किसी और दिन आते हैं। जो भी होगा, मैं आपको बता दूंगा।”

रोहित की मां, “चलो बेटा, हम आते हैं किसी और दिन।”

रोहित, “मगर पापा…”

रोहित के पिता, “बेटा समझो, काम जरूरी है वरना मैं ऐसे थोड़ी ना जाने को कहता।”

इसके बाद वे सब वहाँ से चले जाते हैं। कुछ दिनों बाद रोहित मीरा के घर पर आता है।

रोहित, “प्रणाम चाचा जी।”

बसंत, “प्रणाम बेटा।”

रोहित, “चाचा जी, मुझे माफ कर दीजिए उस दिन यूँ जाने के लिए। असल में बात ऐसी है कि मेरी माँ ये रिश्ता नहीं करना चाहती क्योंकि उन्हें लगता है कि कहीं उसके मेरी जिंदगी में आते ही मेरे साथ कुछ हो ना जाए। 

इसलिए माँ ने इस रिश्ते के लिए मना कर दिया है। मुझे माफ कर दीजिए, मेरी वजह से आपको यह दुख सहना पड़ा।”

इसके बाद रोहित वहाँ से चला गया। यह सब मीरा ने सुन लिया। शाम के वक्त वह नदी किनारे चली गई। 

नदी को देखते-देखते वह नदी के अंदर जाने लगी और जब तक पानी उसके सर के ऊपर नहीं गया तब तक वह चलती रही। 

थोड़ी देर बाद पानी से एक आत्मा उसे सुरक्षित पानी से बाहर निकाल देती है और एक जगह पर लिटा देती है। थोड़ी देर बाद मीरा की आंखें खुलती हैं।

मीरा की माँ (झुमकी की आत्मा), “उठो मीरा।”

मीरा, “मां, तुम यहाँ? मां कहाँ चली गई थीं आप? आपको कभी मेरी याद नहीं आई? क्यों छोड़ गईं आप हमें? 

पता है मैं और पिताजी आपको कितना याद करते हैं? छोटी माँ बिलकुल अच्छी नहीं हैं। 

जब देखो मौका ढूंढती हैं ताकि मुझ पर अपना गुस्सा निकाल सके। मां, मैं बहुत थक गई हूँ। मुझसे अब और नहीं सहा जाता।”

झुमकी, “मीरा,आज से तेरे सारे दुखों का अंत हो जाएगा।”

अगले दिन जब वह घर का काम कर रही थी, तभी उसकी सौतेली माँ नीलम ने कहा।

नीलम, “सारा दिन एक ही काम करने में लगाएगी या बाकी काम भी करेगी? चल, इधर आ।”

झुमकी, ” मेरी बेटी से काम कराएगी? रुक, तुझे अभी बताती हूँ।”

इसके बाद नीलम रसोई घर में जाती हैं। तभी सारे बर्तन हवा में उड़ने लगते हैं और इधर से उधर गिरने लगते हैं। 

वह डर के मारे पीछे-पीछे जाने लगती है। तभी वह अचानक किसी से टकरा जाती है और पीछे मुड़कर देखती हैं। वहाँ पर मीरा खड़ी होती है।

नीलम, “ऐसे क्या खड़ी है? पागल सी ने डरा दिया मुझे। यह सब पक्का तूने ही किया है। रुक जा, तुझे बताती हूँ अभी।”

वह सामने रखा एक डंडा उठाती है और जैसे ही मारने वाली होती हैं, तभी मीरा वह डंडा पकड़ लेती हैं और उल्टा उसे ही मारने लगती हैं।

नीलम, “अरे ! मार डाला। ना जाने कौन सा भूत चढ़ गया है मीरा पे। इसको तो मैं बताऊँगी, रुक तू।”

कुछ दिनों बाद मीरा जब थक हारकर जंगल से वापस घर आती है, तभी उसकी सौतेली माँ नीलम उसे देख लेती है और रसोई घर में बचा सारा खाना छुपाकर उसके लिए कुत्ते को दिया हुआ खाना वहाँ से उठाकर रसोई घर में रख देती है और छुप जाती है।

इसके बाद मीरा खाना खाने के लिए जैसे ही बैठती है, उसे गुस्सा आने लगता है और वह अपना हाथ उठाती है। नीलम हवा में उड़ते हुए उसके सामने आ जाती है।

झुमकी (मीरा में), “तू ऐसे नहीं सुधरेगी ना? कुत्ते का खाना खिलाना चाहती है, ना? रुक, तुझे अभी बताती हूँ।”

इसके बाद, वह उसे ठूंस ठूंसकर सारा खाना खिला देती है और फिर वहाँ से चली जाती है।

नीलम, “मैं समझ गई हूँ। इस के शरीर में कोई भूत घुस गया है।”

इसके बाद मीरा की सौतेली माँ नीलम तांत्रिक को बुलाकर लाती है।

तांत्रिक, “अधूरा धधूरा, भूतों का राजा ये तांत्रिक भधूरा। कहाँ है वह भूतनी? उसकी चोटी पकड़ के उसे इस घर से बाहर फेंक दूंगा। सामने आ चुड़ैल, क्या हुआ डर गई? जल्दी मेरे सामने आ जा।”

सौतेली मां | Sauteli Maa | Hindi Kahani | Moral Stories in Hindi | Sauteli Maa Ki Kahani |Bed Time Story | Hindi Stories

मीरा (झुमकी की आत्मा), “मेरी चोटी पकड़ेगा? फेंकेगा ना तू? पूरी जिंदगी भर आज के दिन को कोसेगा।”

नीलम, “अधूरा धधूरा, आज तो मारा गया ये तांत्रिक भधूरा। आज तो मारा गया रे। भागो, भागो।”

मीरा तांत्रिक को पकड़-पकड़ के मारती है।

इसके बाद तांत्रिक वहाँ से भाग जाता है और नीलम वहाँ पर अकेली रह जाती है। जैसे ही नीलम वहाँ से भागने की कोशिश करती है, दरवाजा अपने आप बंद हो जाता है और मीरा के शरीर से उसकी माँ की आत्मा बाहर निकलती है और नीलम को बहुत मारती है।

नीलम, “तुम कौन हो? हमारे पीछे क्यों पड़ी हो? हमने क्या बिगाड़ा है तुम्हारा?”

झुमकी, “क्या बिगाड़ा है… तुम्हारे साथ करके बताऊं जो तूने मेरी मासूम बेटी के साथ किया है। बोल..?”

नीलम, “मुझे माफ कर दो।”

झुमकी, “माफ कर दूं… तुझे क्या लगता है, वो सब मैं भूल जाऊँगी? तू भी वो दर्द सहेगी जो मेरी बेटी ने सहा है, समझी?”

नीलम, “मुझे माफ कर दो।”

झुमकी, “माफ कर दूं? तुझे भी तो पता चले कि कैसा लगता है दर्द होने पर?”

उसी समय मीरा को होश आ जाता है।

मीरा, “रुक जाओ माँ, छोड़ दो इन्हें। हम किसी को सजा तो दे सकते हैं लेकिन बदल नहीं सकते। 

जिन्हें बदलना होता है, वो बदल जाते हैं। मारपीट कभी किसी को नहीं बदलती, माँ।”

झुमकी, “बोल, फिर से करेगी?”

नीलम, “नहीं, मैं सच में नहीं करूँगी। मैंने जो भी किया, उसके लिए मुझे माफ कर दो।”

मीरा, “माँ, मैं यह लड़ाई-झगड़ा और नहीं देखना चाहती। लोगों को लगता है कि मेरी वजह से आप चली गईं। 

एक लड़के ने मुझसे शादी करने से मना कर दिया क्योंकि उसके परिवार वालों को लगता है कि मेरे उनके परिवार में आने से उनके परिवार वालों को खतरा होगा।

छोटी माँ को लगता है कि मेरी वजह से वह कभी माँ नहीं बनी। जब सबके दुखों की वजह मैं हूँ, तो इन्हें सजा देकर क्या फायदा?”

झुमकी, “नहीं बेटा, ऐसी बातें मत सोच। इस दुनिया में जिसके साथ जो कुछ भी होता है, उसके पीछे कारण होता है। 

भले ही उस वक्त वो कारण हमें समझ ना आए। लेकिन एक दिन जरूर समझ आ जाता है।”

मीरा, “क्या एक दिन मेरे साथ सब ठीक हो जाएगा?”

झुमकी, “हाँ बेटा, अब तेरे साथ सब ठीक हो जाएगा।”

नीलम, ” मुझे माफ कर दे मीरा। तुम्हारे पिताजी नहीं चाहते थे कि तुम्हारे हिस्से का प्यार किसी और को मिले। 

इसलिए उन्होंने कभी दूसरे बच्चे के बारे में सोचा तक नहीं। माँ ना बनने की वजह से मेरी तकलीफ तुम्हारे लिए नफरत में बदल गई। 
मुझे हमेशा मेरा दर्द तो दिखा, लेकिन तेरा दर्द नहीं देख पाई। एक मौका दे मुझे।”

मीरा, “मैं हमेशा से जानती थी कि आप मुझसे इतनी नफरत क्यों करती हो? इसलिए कभी पिताजी को इन सबके बारे में नहीं बताया।”

नीलम, “तुझसे जितनी माफी मांग लू, उतनी कम है। मैं तुमसे दिल से माफी मांगना चाहती हूँ बेटा। 

आज से तुम्हें मेरी वजह से कोई तकलीफ नहीं होगी। मैं इस घर में और रहकर तुम लोगों को तकलीफ नहीं देना चाहती।”

इसके बाद मीरा की माँ मीरा को अपना आशीर्वाद देकर वहाँ से चली जाती हैं। अब मीरा और उसकी सौतेली माँ नीलम खुशी-खुशी दोनों एक साथ रहने लगते हैं।


दोस्तो ये Hindi Kahani आपको कैसी लगी, नीचे Comment में हमें जरूर बताइएगा। कहानी को पूरा पढ़ने के लिए शुक्रिया!


Leave a Comment