हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” हमजा़द ” यह एक True Horror Story है। अगर आपको Hindi Horror Stories, Horrible Stories या Sachhi Darawani Kahaniyan पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
प्रकाश एक ऑटो ड्राइवर था। पूरा दिन मेहनत करने के बाद वो रात के 10 बजे घर लौट रहा था।
प्रकाश, “आज तो कमाई कुछ खास ज्यादा नहीं हुई। पता नहीं देविका को घर जाकर कम पैसे दूंगा, तो वो कैसा बर्ताव करेगी?”
तभी उसे सड़क के किनारे एक आदमी खड़ा हुआ दिखाई दिया।
इस आदमी के हाथ में एक लाल किताब थी और वो प्रकाश को ऑटो रोकने के लिए हाथ का इशारा कर रहा था।
आदमी, “रुको रुको, मुझे बैंड्रा तक छोड़ दो, बहुत अर्जेंट है।”
“अरे-अरे! आराम से। आप इतना डरे हुए क्यों लग रहे हैं?” प्रकाश ने उसको ऊपर से नीचे तक देखते हुए पूछा।
वो जल्दी से ऑटो के अंदर बैठ गया और उसने प्रकाश को 500 का एक नोट देते हुए कहा, “पूरे तुम ले लेना। अब जल्दी चलो।”
बैंड्रा तक जाने का किराया सिर्फ ₹150 था। तो 500 का नोट देखकर प्रकाश का चेहरा खिल गया।
उसने नोट लेकर जेब में रख लिया और ऑटो आगे बढ़ा दिया।
उस आदमी ने उस लाल किताब को खुद की सीने से लगा रखा था और उसे बहुत टाइट पकड़े हुए था।
तभी अचानक से प्रकाश ने कुछ बहुत अजीब देखा। उसने बैक व्यू मिरर में देखा कि एक आदमी जिसने पूरी तरह काला चोगा पहना है, उसके ऑटो का पीछा कर रहा है।
काले चोले वाला आदमी, “रुक जा निजाम! निजाम रुक जा।”
प्रकाश, “तुम्हारा नाम क्या निजाम है?”
निजाम, “हां, मैं ही निजाम हूँ। लेकिन तुम ऑटो मत रोकना। आगे बढ़ते रहो।”
प्रकाश ने अब स्पीड बहुत तेज कर दी थी, लेकिन वो आदमी अभी भी बराबरी से ऑटो का पीछा कर रहा था।
तभी अचानक से उस आदमी ने प्रकाश के ऑटो में बैठे हुए निज़ाम का गला पकड़कर उसे ऑटो के बाहर खींच लिया।
अचानक से प्रकाश ने ब्रेक लगा दिए और पीछे गर्दन घुमाकर देखा तो वो काले चोगे वाला आदमी निज़ाम को खत्म कर चुका था
और उसकी गर्दन को धड़ से अलग कर चुका था।
प्रकाश की आँखें खौफ से फटी की फटी रह गईं। उसका दिल दहल उठा।
सदमा इतना गहरा था कि प्रकाश के मुँह से कुछ भी नहीं निकल पा रहा था।
वो बस अपनी फटी आँखों से उस काले चोगे वाले आदमी को देख रहा था।
धीरे-धीरे वो आदमी प्रकाश के ऑटो के पास आया और उसने प्रकाश को अपना चेहरा दिखाया।
और उसका चेहरा देखकर प्रकाश को एक और बड़ा झटका लगा। वो चोगे वाला आदमी भी हूबहू निज़ाम के जैसा ही था, मानो वो उसका जुड़वा भाई हो।
बस उसकी आँखें लाल-लाल चमक रही थीं।
अब प्रकाश का दिमाग घूमने लगा था। उसने एक्सेलेरेटर दिया और ऑटो को आगे भगा दिया।
हमजा़द | HUMZAAD | Horror Story | Scary Story | Sachhi Darawni Kahani | True Horror Story in Hindi
घर पर आने के बाद ही उसने ब्रेक लगाए। उसकी साँसें तेज-तेज चल रही थीं और दिल भी जोरों से धक-धक कर रहा था।
वो ऑटो से उतरा तो उसकी नजर उस लाल किताब पर पड़ी जो अभी भी सीट पर पड़ी थी।
उसने किताब को उठाया और सोचने लगा, “अगर मैं इस किताब को इधर-उधर फेंक दूँ, तो हो सकता है पुलिस इस किताब के जरिए मुझ तक पहुँच जाए।
यही ठीक होगा कि मैं इसको अपने कमरे में ही रख लूँ। मौका मिलते ही इसे जला दूँगा।”
उसने वो किताब अपने हाथ में उठाई और घर के अंदर चला गया।
देविका, “आ गए आप? मुझे तो लग रहा था कि आज मुझे घर से निकलवाकर ही आओगे।”
प्रकाश, “ये कैसी बात कर रही हो, देविका?”
देविका, “सही कह रही हूँ। मकान मालिक आया था किराया माँगने।
बोला कि पिछले दो महीने का किराया भी रुका हुआ है। अगर एक महीना और चढ़ गया तो सारा सामान अपने पास रखकर हमें घर से बाहर निकाल देगा।”
प्रकाश, “ये लो, आज यही कमाई हुई है।”
देविका, “ये क्या… फिर से ₹800? इसमें से घर का खर्च चलाऊँ, बिजली का बिल भरूँ या मकान मालिक का किराया दूँ, बताओ मुझे?”
प्रकाश के पास उसकी बात का कोई जवाब नहीं था। उसने खाना भी नहीं खाया और अपने कमरे में चला गया।
उसने कबोर्ड के अंदर वो किताब रख दी और लेट गया।
बिल्ली की आवाज से उसकी आँख खुल गई। उसने पाया एक बिल्ली कबोर्ड की तरफ मुँह करके ज़ोर-ज़ोर से आवाज कर रही थी।
प्रकाश, “ऐ! जा यहाँ से। चलो हटो।”
लेकिन बिल्ली को जैसे प्रकाश का कोई डर नहीं था, वो लगातार कबोर्ड की तरफ मुँह करके म्याऊं-म्याऊं कर रही थी।
प्रकाश, “क्या हो गया इसे? ऐसे कबोर्ड के ऊपर यहाँ क्यों आवाज कर रही है?”
प्रकाश उठा और उसने कबोर्ड खोल दिया। कबोर्ड के खुलते ही वो लाल किताब जमीन पर गिर गई और वो बिल्ली वहाँ से भाग गई।
प्रकाश, “ये किताब..?”
वो किताब देखते ही उसे कुछ घंटों पहले गुजरा वो खौफनाक मंजर याद आ गया।
प्रकाश, “ऐसा क्या था इस किताब में, जो आदमी उसको जान से लगाकर चल रहा था? और जिस आदमी ने इसको मारा, उसने किताब क्यों नहीं ली?”
उसने किताब को खोला और बैठकर पढ़ने लगा — हमज़ाद का चिल्ला। अगर आप भी अपनी मनचाही ख्वाहिशें पूरी करना चाहते हैं
तो आप हमज़ाद को बुला सकते हैं। वो आपकी हर परेशानी दूर कर देगा।”
प्रकाश, “ये हमज़ाद क्या होता है?”
उसने अगला पन्ना खोला और पढ़ने लगा।
“हमज़ाद एक ऐसी शक्ति है जिसका अपना कोई चेहरा नहीं होता।
अगर आप अपनी कोई ख्वाहिशें पूरी करना चाहते हैं तो आप अपने हमज़ाद को सिद्ध कर सकते हैं।
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सिद्ध होने के बाद हमज़ाद आपको आपके ही हमशक्ल के रूप में नज़र आएगा।
मतलब वो दिखने में आपके जैसा ही होगा लेकिन उसमें अपार शक्तियाँ होंगी, जिनकी मदद से वो आपकी हर ख्वाहिश पूरी करेगा।
लेकिन हाँ, हमज़ाद की कुछ अपनी ख्वाहिशें भी होती हैं और अगर वो उस पर हावी हो जाए, तो वो आपको नुकसान भी पहुँचा सकता है।
इसलिए हमज़ाद को सिद्ध करने से पहले अच्छी तरह सोच लें।”
प्रकाश, “मेरी ज़िंदगी में तो पहले से ही सब कुछ बुरा है। हमज़ाद मेरा क्या बिगाड़ लेगा? और अगर मैंने उसे सिद्ध कर लिया,
तो फिर मेरे पास किसी चीज़ की कमी नहीं होगी। और उसके बाद अगर हमज़ाद अपनी मनमानी कर भी लेगा, तो मेरा वो क्या ही बिगाड़ पाएगा?”
प्रकाश ने पढ़ा कि उसको कौन-कौन सी चीज़ों की ज़रूरत पड़ने वाली है…
और अगली रात वो सभी सामग्री अपने साथ ले आया। उसकी बीवी देविका आज भी मुँह बना हुआ था और वह हॉल में बैठी हुई थी।
प्रकाश, “क्या तुम आज रात भी चिंटू के कमरे में ही सोने वाली हो?”
देविका, “हाँ, इसी के साथ सोने वाली हूँ। एक औलाद बहुत है भविष्य खराब करने के लिए और अगर पैदा हो गई
तो उसकी ज़िंदगी खराब करने का पाप भी मुझपे ही लगेगा।”
ये कहकर वो चिंटू के साथ कमरे में चली गई। प्रकाश भी अपने हाथ में पकड़े झोले के साथ अपने कमरे में चला गया।
उसने एक दूध की बोतल से अपने आसपास एक गोला खींचा।
उस गोले के अंदर सात मोमबत्तियाँ जलाईं और बीचों-बीच बैठ गया। फिर उसने उस किताब को खोला और पढ़ने लगा।
किताब में लिखी भाषा हिंदी थी, लेकिन जो शब्द पढ़ने में आ रहे थे, वो अरबी भाषा के लग रहे थे।
किताब में लिखा था, “जब सिद्धि पूरी होने का समय आएगा तो हमजाद आपको कुछ ना कुछ भयानक दृश्य दिखाकर डराने की कोशिश भी करेगा।
अगर उस समय आप गोल घेरे से बाहर निकल गए, तो हमजाद आपका बहुत बुरा हाल करेगा और फिर कभी आप उसे सिद्ध नहीं कर पाएंगे।”
प्रकाश, “चाहे कुछ भी हो जाए, मैं घेरे से बाहर नहीं निकलूंगा।”
उसने अब भी मुँह ही मुँह में उस किताब में लिखी विधि को पढ़ना शुरू किया।
दो रातों तक तो कुछ भी नहीं हुआ। लेकिन तीसरी रात को उसने अपने आसपास किसी की मौजूदगी महसूस की।
साँस लेने की भयानक आवाज़ों ने उसके दिल को दहलाने की कोशिश की।
लेकिन वो अपने घेरे में बैठा रहा और किताब पढ़ता रहा। तभी उसने देखा कि कमरे में एक काली बिल्ली आई है।
वो प्रकाश की तरफ किसी इंसान की तरह घूरकर देख रही थी। तभी चिंटू वहाँ पर आ गया।
चिंटू, “प्यारी बिल्ली, तुम यहाँ क्या कर रही हो? तुम तो बहुत खूबसूरत हो… तुम्हारा तो मांस भी बहुत टेस्टी होगा।”
ये कहते हुए उसने बिल्ली की गर्दन मरोड़ दी।
प्रकाश, “चिंटू, ये क्या कर रहा है?”
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प्रकाश ये देखकर हैरान रह गया। चिंटू शरारती अंदाज़ में मुस्कराया और बोला, “पापा, डरो नहीं। देखो, मैं इसका मांस कैसे खाता हूँ?”
ये कहकर चिंटू ने बिल्ली की टूटी गर्दन अपने मुँह में ले ली और उसका मांस चबाने लगा।
ये देखकर प्रकाश को उल्टी जैसा होने लगा। वो अपने घेरे से बाहर निकलने वाला था और तभी…
प्रकाश, “नहीं, चिंटू ऐसा नहीं कर सकता। ज़रूर ये भ्रम हमजा़द ही पैदा कर रहा होगा।”
वो अपने घेरे में ही बैठा रहा। लेकिन तभी एक बड़ा सा तीर खिड़की से अंदर आया और चिंटू के पेट के आर-पार हो गया।
प्रकाश, “चिंटू…।”
ये देखकर प्रकाश का दिल दहल उठा और उसकी आँखों से आँसू निकल पड़े।
भला एक बाप कैसे अपनी औलाद को इस तरह मरते हुए देख सकता है?
इसलिए वो उठ गया। लेकिन तभी उसने फिर से अपने दिमाग पर ज़ोर दिया और घेरे से बाहर निकलने वाले पैर को वापस ले लिया।
प्रकाश, “ये सिर्फ भ्रम है और कुछ नहीं। चिंटू तो अपनी मम्मी के साथ अपने कमरे में सो रहा है।
वो भला यहाँ कैसे आ सकता है?”
वो घेरे के अंदर बैठा हुआ किताब को पढ़ता ही रहा। अब रात के दो बजने वाले थे।
कमरे की खिड़कियाँ अपने आप खुल गईं और तेज तूफ़ानी हवाएँ अंदर आने लगीं।
लेकिन प्रकाश अभी भी अपनी जगह से नहीं उठा। तभी खिड़की से बहुत सारी मधुमक्खियाँ अंदर आकर प्रकाश के शरीर पर चिपक गईं।
प्रकाश को बहुत ही ज़्यादा दर्द हो रहा था। मधुमक्खियाँ इस तरह से उसके शरीर को काट रही थीं जैसे हज़ारों सुई चुभ रही हों।
लेकिन वो अभी भी अपनी जगह से नहीं उठा और किताब में लिखे हुए शब्दों को पढ़ता रहा।
तभी उसे ठीक अपने सामने एक काला सा धुआँ जमा होता हुआ नज़र आया।
उसने पाया कि सामने एक काले चोगे वाला आदमी खड़ा है।
आदमी, “प्रकाश, तुमने मुझे सिद्ध कर लिया है। मुबारक हो!”
उसके इतना कहते ही सारी मधुमक्खियाँ वापस कमरे के बाहर चली गईं और खिड़कियाँ अपने आप बंद हो गईं।
आदमी, “तुम अपने हिसार से बाहर आ सकते हो, प्रकाश।”
प्रकाश, “नहीं, मैं नहीं आऊँगा। क्या भरोसा, तुम हमजाद हो कि नहीं?”
आदमी, “हा हा हा… ठीक है, तुम्हें भरोसा नहीं हो रहा है, तो देख लो।”
ये कहते हुए उसने अपने शरीर से काला चोगा उतार फेंका और प्रकाश ने पाया कि उसकी आँखों के सामने ठीक उसी के जैसा दिखने वाला आदमी खड़ा मुस्कुरा रहा है।
प्रकाश, “अरे वाह! मैंने तो हमजा़द को सिद्ध कर लिया… कर लिया मैंने हमजाद को सिद्ध।”
यह कहते हुए प्रकाश अपने घेरे से बाहर निकला और उसने हमजाद को गले लगाना चाहा।
लेकिन वो हमजाद के शरीर के आर-पार हो गया।
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हमजाद, “तुम मुझे गले नहीं लगा सकते हो, प्रकाश। क्योंकि मैं तुम्हारा ही एक अंश हूँ।
लेकिन मेरे पास वो शक्तियाँ हैं जो तुम्हारे पास कभी नहीं हो सकतीं।
बोलो, क्या चाहते हो मुझसे? और जब मैं तुम्हारी ख्वाहिश पूरी कर दूँगा, तो तुम मुझे क्या दोगे?”
प्रकाश, “मेरी ख्वाहिशें पूरी करने के बाद तुम जो चाहो वो ले लेना। मैं क्यों मना करूँगा?”
हमजाद, “हा हा हा… बहुत समझदार हो। बोलो, क्या चाहिए तुम्हें? जो माँगोगे, वो मिलेगा।”
प्रकाश, “मेरा बड़ा भाई रमेश… उसने मेरे हिस्से की भी संपत्ति अपने नाम कराकर मेरे परिवार को बेघर कर दिया है।
क्या तुम मेरी दौलत मुझे वापस दिला सकते हो?”
हमजाद, “बस इतनी सी बात? ठीक है, तुम सो जाओ। कल की सुबह तुम्हारी ज़िंदगी की सबसे खूबसूरत सुबह होगी।”
यह कहते ही हमजाद ग़ायब हो गया।
प्रकाश अपने बिस्तर पर लेट तो गया था, लेकिन आँखें बंद करने के बाद भी उसे नींद नहीं आ रही थी।
उसके कानों में हमजाद की कही गई वही बात घूम रही थी कि कल की सुबह उसकी ज़िंदगी की सबसे खूबसूरत सुबह होगी।
इसी सोच में डूबे हुए उसे कब नींद आ गई, उसे कुछ पता ही नहीं चला?
सुबह जब उसकी आँख खुली तो उसके कानों में अजीब सी खनक सुनाई दी।
वो चौंकते हुए उठा तो उसने अपने बैड पर सोने का एक भारी हार रखा हुआ देखा।
प्रकाश, “प्रकाश, ये वही रानी हार है ना जो तुम्हारी माँ का हुआ करता था?”
यह सुनकर प्रकाश ने हमजाद की तरफ देखा। हमजाद ज़मीन पर एक बड़े से बक्से के सामने बैठा था, जिसके अंदर सोने-चाँदी के भारी जेवर रखे हुए थे।
हमजाद, “यह सब तुम्हारा है, प्रकाश। सब कुछ तुम्हारा।”
प्रकाश, “हा हा हा… मैं भी अब अमीर हो गया… बहुत अमीर।”
प्रकाश की ज़िंदगी में अब क्या-क्या बदलाव आने वाले हैं और अब हमजाद अपनी कौन-सी खौफनाक ख्वाहिशें पूरी करेगा,
इन सभी सवालों के जवाब जानिए इस कहानी के अगले भाग में।
दोस्तो ये True Horror Story आपको कैसी लगी, नीचे Comment में हमें जरूर बताइएगा। कहानी को पूरा पढ़ने के लिए शुक्रिया!