हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” किसान की किस्मत ” यह एक Hindi Story है। अगर आपको Hindi Stories, Hindi Kahani या Achhi Achhi Kahaniyan पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
एक गांव में सोमू नाम का एक किसान अपनी पत्नी मालती और पुत्री राधा के साथ रहा करता था। सोमू बेहद गरीब था।
एक दिन उसकी पत्नी, मालती बोली, “मेरी समझ में नहीं आता कि हमारी गरीबी के दिन कब खत्म होंगे?”
सोमू, “चिंता मत करो, मालती। जब अच्छे दिन नहीं रहे, तो ये बुरे दिन भी नहीं रहेंगे।”
मालती, “मेरी समझ में ये नहीं आता कि आखिर कब तक आप दूसरों के खेतों में गुलामी करते रहेंगे?”
सोमू, “मालती, मेरे पास इसके अलावा और कोई चारा भी तो नहीं है।”
मालती, “अरे! जब आपके पास अपनी जमीन है, तो फिर आप उस पर खेती क्यों नहीं कर सकते?”
सोमू, “तुम्हें पता है, मालती कि जमींदार चौधरी ने उस जमीन पर कब्जा कर रखा है और मेरे पास इतने पैसे नहीं हैं कि मैं उसे छुड़ा सकूं।”
मालती, “तो जाकर आप उससे बात क्यों नहीं करते? उससे कहिए कि वो आपकी जमीन वापस कर दे।
आप उस जमीन पर खेती करेंगे और फसल बिकने पर आप उसके पैसे लौटा देंगे।”
सोमू को अपनी पत्नी की बात अच्छी लगी। वह सीधा जमींदार चौधरी के घर चला गया।
चौधरी, “क्या बात है, सोमू? क्या मेरे पैसों का इंतजाम हो गया है, जो तुम मेरे घर पर आ गए?”
सोमू, “चौधरी साहब, पैसों का इंतजाम तो नहीं हुआ।”
चौधरी, “और होगा भी क्यों? दूसरों के खेतों में काम करके तुम आखिर कितना कमा लेते होगे?
मेरा ख्याल है, तुम्हारे घर का खर्चा भी बड़ी मुश्किल से चल पाता होगा।”
सोमू, “चौधरी साहब, जब आप सब कुछ जानते ही हैं, तो फिर आप मेरी मदद क्यों नहीं करते?”
चौधरी, “तुम्हारी ही मदद की थी ना मैंने, तुम्हें पैसे देकर? मगर तुम ब्याज चुकाना तो बहुत दूर की बात है, तुम तो मूल तक नहीं दे पाए।”
सोमू, “आप मुझे मेरी जमीन वापस कर दीजिए, चौधरी साहब। मैं अपनी जमीन पर खेती करूंगा और फसल बिकने पर आपकी पाई-पाई चुका दूंगा।”
चौधरी, “तुम्हें मैं क्या मूर्ख दिखता हूँ? जब तक मुझे मेरे पैसे वापस नहीं मिल जाते,
तब तक मैं तुम्हें तुम्हारी जमीन वापस नहीं लौटा सकता। अब तुम जा सकते हो यहाँ से।”
सोमू उदास होकर जमींदार के घर से बाहर निकल आया और अपने घर की ओर जाने लगा। तभी बाजार में उसे गांव का मुखिया मिल गया।
मुखिया, “अरे सोमू! तुम्हारे चेहरे पर ये उदासी कैसी, भाई? और आज तुम मेरे खेत पर काम पर भी नहीं आए। सब कुछ सही तो है ना?”
किसान की किस्मत | KISAAN KI KISMAT | Hindi Kahani | Achhi Achhi Kahani | Hindi Moral Kahani
सोमू, “अब आपको क्या बताऊँ, मुखिया जी? जमींदार चौधरी से अपनी जमीन वापस मांगने गया था, मगर उसने टका सा जवाब देकर मुझे वापस कर दिया।”
मुखिया, “क्या तुमने उसके पैसे लौटा दिए?”
सोमू, “नहीं, मुखिया जी। मैं उसे यही बताने के लिए गया था कि अगर वो मेरी जमीन मुझे वापस कर देता है, तो मैं उस पर खेती करके फसल बिकने के बाद उसके सारे पैसे चुका दूंगा।”
मुखिया, “सोमू, तुम जानते हो कि जब तक जमींदार को तुम उसके पैसे नहीं दोगे, तब तक वो तुम्हारी जमीन नहीं लौटाएगा, भाई।”
सोमू, “आप ठीक कहते हैं, मुखिया जी। समझ में नहीं आता कि आखिर मैं पैसों का इंतजाम कहाँ से करूँगा?”
मुखिया, “चिंता मत करो, सोमू। ईश्वर पर भरोसा रखो, सब कुछ सही हो जाएगा।”
सोमू वहाँ से सीधा घर चला गया। घर जाकर उसकी पत्नी उससे बोली,
मालती, “आखिर वो अपने आपको समझता क्या है? तुम्हें अब मुखिया के खेतों में काम करने की कोई जरूरत नहीं।”
सोमू, “मेरी समझ में नहीं आता, मालती कि आखिर तुम चाहती क्या हो? सिर्फ मुखिया ही है, जो मुझे अपने खेत पर काम करने देता है, समझी?”
मालती, “और इसके बदले तुम्हें देता भी क्या है? सोचा तुमने? तुम आज से जंगल में लकड़ियाँ काटने जाओगे और वो लकड़ी बाजार में बेचोगे।”
इतना बोलकर मालती ने एक बड़ी कुल्हाड़ी सोमू को पकड़ा दी।
मालती, “दूसरों की गुलामी करने से तो यही बेहतर है।”
सोमू कुल्हाड़ी लेकर सीधा जंगल की ओर चला गया और एक सूखे पेड़ के पास जाकर लकड़ियाँ काटने लगा। तभी उसके कानों में एक आवाज़ टकराई।
आवाज़, “इतने गुस्से में क्यों लकड़ियाँ तोड़ रहे हो? क्या पूरा पेड़ उखाड़ने का इरादा है?”
आवाज़ सुनकर सोमू पूरी तरह से चौंक गया और इधर-उधर देखने लगा। तभी उसके कानों में फिर से आवाज़ टकराई।
आवाज़, “अरे! इधर-उधर क्या देख रहे हो? ज़रा अपने सामने पेड़ के ऊपर देखो, मैं हूँ।”
सोमू ने जैसे ही पेड़ के ऊपर देखा, तो उसे एक सुंदर, रंग-बिरंगी, बड़ी सी चिड़िया नजर आई।
सोमू हैरत से उस चिड़िया की ओर देखकर बोला, “तुम तो इंसानी भाषा में बात कर रही हो। ये कैसे संभव हो सकता है?”
चिड़िया, “संभव हो सकता है, बिल्कुल संभव हो सकता है। क्योंकि मैं एक जादुई चिड़िया हूँ।”
सोमू, “मैं इस जंगल में पहले भी आता-जाता रहा हूँ, लेकिन मैंने तो इस तरह की जादुई चिड़िया इस जंगल में कभी नहीं देखी।”
चिड़िया, “मैं इस जंगल की नहीं, बल्कि यहाँ से बहुत दूर के जंगल की हूँ, जहाँ पर इंसान नहीं आते-जाते।”
सोमू, “तो फिर तुम यहाँ क्या कर रही हो?”
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चिड़िया, “मैं अपने झुंड के साथ उड़ती हुई यहाँ से निकल रही थी और आराम करने के लिए इस पेड़ पर कुछ देर के लिए बैठ गई। मुझे नींद आ गई और मेरा झुंड मुझे छोड़कर चला गया।”
सोमू, “तो इसका मतलब तुम अकेली रह गई?”
चिड़िया, “चिंता मत करो, वो मुझे ढूंढने के लिए वापस जरूर आएँगे।”
सोमू, “तब तक तुम क्या करोगी?”
चिड़िया, “तुम मुझसे दोस्ती कर लो और मुझे अपने घर ले चलो। तुम मेरा ख्याल रखो, बदले में मैं तुम्हारा ख्याल रखूँगी।”
सोमू, “और वो कैसे?”
चिड़िया, “पहले मुझे अपने घर तो ले चलो।”
इतना कहकर चिड़िया उड़ते हुए सोमू के कंधे पर बैठ गई।
सोमू चिड़िया को लेकर सीधे अपने घर चला गया। इतनी सुंदर चिड़िया को देखकर सोमू की बेटी राधा चहकते हुए बोली, “अरे पिताजी! इतनी सुंदर चिड़िया!”
सोमू, “ये चिड़िया सिर्फ सुंदर ही नहीं, बल्कि जादुई भी है। पता है राधा, ये बोलती भी है।”
राधा, “ये कैसी बातें कर रहे हो? भला चिड़िया इंसानों की आवाज़ में कैसे बोल सकती है?”
तभी वह चिड़िया मालती के सामने बोल पड़ी।
चिड़िया, “क्यों नहीं बोल सकती? जादुई चिड़िया सब कुछ कर सकती है।”
राधा और मालती बुरी तरह से हैरत में पड़ गईं और उसे गौर से देखने लगीं।
चिड़िया, “मुझे इतनी गौर से मत देखो, क्या मुझे नज़र लगाने का इरादा है?”
मालती, “नहीं नहीं, ऐसी कोई बात नहीं।”
चिड़िया, “तुम्हारे चेहरे पर उदासी क्यों है? जब से यहाँ आई हूँ, तब से सबके चेहरे पर उदासी ही देख रही हूँ।”
मालती, “अब तुम्हें क्या बताऊँ, जादुई चिड़िया? जो लोग गरीब होते हैं और जिनके पास धन नहीं होता, वे लोग उदास ही रहते हैं।”
चिड़िया, “तुम चिंता क्यों करती हो? तुम्हारी गरीबी दूर करने का हल है मेरे पास।”
जादुई चिड़िया की बात सुनकर सोमू बुरी तरह से चौंक पड़ा।
सोमू, “क्या तुम वास्तव में हमारी गरीबी दूर कर सकती हो?”
चिड़िया, “तुमसे कहा तो है, मैं एक जादुई चिड़िया हूँ।”
मालती, “तुम हमारी कैसे मदद कर सकती हो?”
चिड़िया, “मैं तुम्हें उस जगह का पता बता सकती हूँ, जहाँ बहुत ढेर सारा धन गढ़ा हुआ है।”
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सोमू, “तो फिर देर किस बात की है, जादुई चिड़िया? मुझे जल्दी से बताओ।”
चिड़िया, “तुम्हारे खेत में जो बहुत पुराना पीपल का पेड़ है, उस पेड़ के नीचे पुराने ज़माने का प्राचीन ख़ज़ाना गड़ा हुआ है। तुम रात के समय वहाँ जाकर उसे खोदकर निकाल लेना।”
सोमू उसी रात अपने खेत की ज़मीन से सारा धन खोदकर निकाल लाया। इतना ढेर सारा धन देखकर मालती की आँखों में अजीब सी चमक आ गई।
मालती, “इतना सारा धन तो मैंने अपने जीवन में कभी नहीं देखा।”
सोमू, “अब हमारे दुख के दिन समाप्त हो गए, मालती।”
तभी वो जादुई चिड़िया सोमू के कंधे पर बैठकर बोली, “अब तुम इस धन से अपनी गरीबी दूर कर सकते हो।”
कुछ ही दिनों में सोमू बहुत अमीर हो गया और ज़मींदार चौधरी के पास जाकर बोला, “चौधरी साहब, ये लीजिए अपने पैसे और मेरी ज़मीन मुझे वापस कर दीजिए।”
चौधरी, “अरे सोमू! अरे भाई, तुम खड़े क्यों हो? बैठो ना, मैं तुम्हारे लिए चाय बनवाता हूँ।”
चौधरी की बात सुनकर सोमू बुरी तरह से चौंक पड़ा।
सोमू, “चौधरी साहब, आप मुझे अपने बराबर में बिठाएँगे?”
चौधरी, “सोमू, अपनी बराबरी में बराबर वालों को ही बैठाया जाता है। अब तुम हमारी बराबरी के हो चुके हो।
मैंने देखा तुम्हारा घर, मैंने देखा… वो मुझसे भी अधिक सुंदर बन चुका है।”
इतना बोलकर चौधरी ने सोमू की ज़मीन के काग़ज़ लौटाते हुए कहा, “सोमू, जब आदमी बहुत धनवान बन जाता है, तब उसके अंदर शासन करने की भी इच्छा होती है।
एक दिन ये इच्छा तुम्हें भी होगी, इसलिए तुम अभी से इस बारे में विचार करना शुरू कर दो।”
सोमू खुशी-खुशी अपनी ज़मीन के काग़ज़ लेकर घर पहुँचा और अपनी पत्नी से बोला, “चौधरी साहब ने मुझे अपने बगल में बैठाया और पता है, उन्होंने मेरे लिए चाय भी बनवाई।
और तो और, उन्होंने यह भी कहा कि जब आदमी के पास धन आ जाता है, तो उसे शासन करने की इच्छा भी होती है।
उनकी यह बात मेरी कुछ समझ में नहीं आई।”
सोमू की बात सुनकर मालती बुरी तरह से चौंक पड़ी।
मालती, “इसका मतलब हमारा सम्मान गाँव में काफ़ी बढ़ चुका है। उनका कहने का मतलब ये था, बुद्धू कि हमें अब गाँव में और भी ज़मीनें ख़रीदनी चाहिए।”
सोमू, “लेकिन उसके लिए धन कहाँ से आएगा?”
मालती, “हमारी यह जादुई चिड़िया किस काम आएगी?”
इतना बोलकर मालती जादुई चिड़िया की ओर देखकर बोली, “क्या तुम हमें और धन नहीं दे सकती?”
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मालती की बात सुनकर मालती की बेटी राधा बोली, “ये कैसी बातें कर रही हो, माँ?
याद कीजिए, कुछ समय पहले हमारे पास पेट भरने के लिए भी भोजन नहीं था।”
सोमू, “अरे! हाँ हाँ, हमें पता है भाई। हम बस अब इतना धन और चाह रहे हैं कि हम गाँव की और ज़मीन ख़रीदकर उसमें खेती कर सकें।”
जादुई चिड़िया सोमू की ओर गौर से देखते हुए बोली, “तुम सबने मेरी बहुत सेवा की है, इसलिए मैं तुम्हारी यह बात भी मानूँगी।
इस गाँव के मुखिया के खेत के आगे जो जंगल है, वहाँ पर एक सफेद वृक्ष है।
उस सफेद वृक्ष के नीचे एक राजा का बहुत पुराना सोने और चाँदी का बक्सा रखा है। तुम उसे निकाल लो।”
सोमू उसी समय उस सफेद वृक्ष के पास गया और वो बक्सा निकालकर घर ले आया।
इतना सारा सोना देखकर मालती की आँखें चमकने लगीं।
मालती, “ये तो बहुत सारा सोना और चाँदी है। इसे बेचकर तो हम पूरा गाँव ख़रीद सकते हैं।”
सोमू, “हाँ मालती, और हम ऐसा ही करेंगे।”
सोमू अगले दिन उस सारे सोने को शहर में बेच आया और उसने गाँव के बहुत से लोगों की खेती मुंहमांगी क़ीमत पर और जबरदस्ती ख़रीदने लगा।
एक दिन सोमू मुखिया के पास जाकर बोला, “मैं तुम्हारी ज़मीन ख़रीदना चाहता हूँ, मुखिया।”
मुखिया, “सोमू, मैं जानता हूँ कि तुम बहुत धनवान हो चुके हो। लेकिन यह ज़मीन मेरे पुरखों की है भाई, मैं इसे नहीं बेच सकता।”
सोमू, “मैं तुम्हारी ज़मीन की मुँह माँगी क़ीमत दे सकता हूँ।”
मुखिया, “मैं तब भी नहीं बेचूँगा भाई।”
मुखिया की बात सुनकर सोमू को अब क्रोध आने लगा। तभी वहाँ पर चौधरी आ गया और सोमू की ओर देखकर बोला,
चौधरी, “सोमू, जब सीधी ऊँगली से घी नहीं निकलता, तब ऊँगली टेढ़ी करनी चाहिए।”
सोमू, “मैं आपकी बात का मतलब नहीं समझा।”
चौधरी, “सोमू, मेरे बगल में खड़े हुए मेरे साथी भीमा को देख रहे हो? तुम्हें भी अब अपने ऐसे ही लंबे-चौड़े जवानों की फौज इकट्ठी कर लेनी चाहिए। तुम्हारे काम आएगी।”
सोमू, “मैं आपकी बात का मतलब समझ गया, चौधरी साहब।”
चौधरी, “अरे सोमू! ‘साहब’ लगाकर क्यों मुझे अपमानित कर रहे हो, भाई? सिर्फ मुझे चौधरी कहो। अब हम दोनों दोस्त हैं।”
सोमू मुखिया की ओर देखकर बोला, “मुखिया, कल अपनी जमीन के कागज तैयार रखना भई।
अगर तुमने सीधी तरह से मुझे अपनी जमीन नहीं दी, तो फिर मत भूलो कि चौधरी अब मेरा दोस्त है। मैं तुम्हारी जमीन छीन भी सकता हूँ।”
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इतना कहकर सोमू वहाँ से चला गया और मुखिया भी मुँह लटकाकर चला गया।
चौधरी का साथी भीमा, चौधरी की ओर देखकर बोला, “मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा है, चौधरी साहब।
आखिर आप सोमू की तरफ कैसे हो गए? आपको तो उससे जलन होनी चाहिए कि कल का यह भिखारी आज आपसे भी ऊँचा हो गया।”
चौधरी, “तुम्हें क्या लगता है भीमा, क्या मेरे कलेजे में साँप नहीं लोटता?”
भीमा, “तो फिर इसका कोई उपाय कीजिए।”
चौधरी, “उपाय कर दिया है, भीमा। पहला कदम मैंने उसे अपनी बराबरी में बैठाकर उठा दिया था। दूसरा कदम मैंने अब उठा दिया है।
तुमने शायद देखा नहीं, गाँववालों के दिलों में सोमू के खिलाफ़ नफरत बढ़ रही है और बगावत भी।”
भीमा, “लेकिन आखिर उसके पास इतना ढेर सारा धन आया कहाँ से?”
चौधरी, “मुझे इस बात से कोई मतलब नहीं। मैं तो बस यह चाहता हूँ कि यह दोबारा भिखारी बन जाए।
रहा सवाल धन का, तो मैं खानदानी अमीर हूँ। मुझे धन की इतनी कोई लालसा नहीं है।
धन की लालसा सोमू जैसे गरीब भिखारियों को होती है, जिन्होंने अपने जीवन में पहली बार धन देखा होता है।”
इधर सोमू क्रोधित होते हुए अपने घर चला गया और सारी घटना अपनी पत्नी को बताने लगा।
मालती, “मुखिया की हिम्मत कैसे हुई आपके आदेश को ठुकराने की? और आपको चौधरी के आदमियों की मदद लेने की भी कोई आवश्यकता नहीं, हमारे पास जादुई चिड़िया है।”
सोमू, “लेकिन वो कहीं नजर नहीं आ रही।”
मालती, “छत पर राधा उसके साथ खेल रही है।”
सोमू, “चलो, उस जादुई चिड़िया के पास जाकर अब उससे कुछ ऐसा माँगते हैं जिससे सारे गाँव के लोग सिर्फ हमारी ही बात मानें, चलो।”
सोमू अपनी पत्नी के साथ छत पर आ गया। वो जादुई चिड़िया से कुछ कहने ही वाला था
कि तभी जादुई चिड़िया सोमू की ओर देखकर बोली, “मैं जानती हूँ, अब तुम मुझसे धन नहीं, बल्कि कुछ और माँगना चाह रहे हो।”
सोमू, “तुम्हें कैसे पता?”
चिड़िया, “क्योंकि मैं एक जादुई चिड़िया हूँ। तुम चाहते हो कि मुखिया खुशी-खुशी अपनी जमीन तुम्हारे हवाले कर दे।”
जादुई चिड़िया की बात सुनकर राधा क्रोधित होते हुए अपने पिता की ओर देखते हुए बोली, “पिताजी, आप ऐसा सोच भी कैसे सकते हैं? बुरे वक्त में मुखिया चाचा ने हम सबकी मदद की थी।”
सोमू, “तुम बीच में मत बोलो, बेटी। तुम्हें शायद अभी अंदाजा नहीं है कि जब व्यक्ति अमीर हो जाता है, तो वह यह बात बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करता कि कोई उसकी बात न माने, समझी?”
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राधा, “तो फिर इस तरह से तो चौधरी ने कुछ समय पहले जो आपकी ज़मीन पर कब्जा किया था, वो भी सही था?”
मारती, “हाँ हाँ, वो सही था। उस वक्त हमारी समझ में नहीं आया, लेकिन अब हम चौधरी को समझ गए हैं। और मत भूलो राधा, अब चौधरी तुम्हारे पिताजी का दोस्त है।”
राधा, “चौधरी आपका दोस्त नहीं, बल्कि आपका दुश्मन है। उसने आपके दिमाग में लालच का बीज कब बो दिया और आपको पता भी नहीं चला, पिताजी?
सच तो यह है कि आप दोनों दौलत को देखकर लालच में अंधे हो चुके हैं। शायद इसीलिए आप दोनों को भगवान ने गरीब बनाया था।”
राधा ने इतना कहा ही था कि तभी रंग-बिरंगी चिड़ियों का झुंड उड़ता हुआ छत की ओर मंडराने लगा।
जादुई चिड़िया राधा की ओर देखकर बोली, “मेरे साथी मुझे लेने के लिए आ चुके हैं, राधा। अब मैं केवल एक आखिरी इच्छा ही पूरी कर सकती हूँ।
अब तक मैंने तुम्हारे माता-पिता की इच्छाओं को पूरा किया है। मैं चाहती हूँ कि अब तुम कोई इच्छा करो, जिसे मैं पूरा करूँ।”
राधा, “मैं चाहती हूँ कि हम सब फिर से गरीब हो जाएँ। हमारे पास बस इतना धन और इतनी ज़मीन हो, जिस पर मेहनत से खेती करके दो वक्त की रोटी कमाई जा सकें।
और मैं यह भी चाहती हूँ कि चौधरी जैसे अत्याचारी और बहकाने वाले व्यक्ति गरीब हो जाएँ, ताकि वे फिर से किसी दूसरे के दिल में लालच पैदा न कर सकें।”
चिड़िया, “मुझे तुम पर गर्व है, राधा। ऐसा ही होगा।”
इतना कहकर जादुई चिड़िया अपने झुंड के साथ वहाँ से उड़ती हुई चली गई।
सोमू फिर से गरीब हो गया और चौधरी को कारोबार में बहुत नुकसान झेलना पड़ा। वो गाँव छोड़कर चला गया।
दोस्तो ये Hindi Kahani आपको कैसी लगी, नीचे Comment में हमें जरूर बताइएगा। कहानी को पूरा पढ़ने के लिए शुक्रिया!