लालची फकीर | Lalchi Fakeer | Hindi Kahani | Moral Story | Achhi Achhi Kahani | Hindi Stories

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” लालची फकीर ” यह एक Hindi Kahani है। अगर आपको Hindi Stories, Moral Stories या Achhi Achhi Kahaniyan पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।


अनाथ होने के बावजूद, मधु एक पढ़ी-लिखी आत्म-सम्मानी लड़की थी। वह सरकारी स्कूल में टीचर थी।

सभी उसकी प्रशंसा करते थे। एक बार स्कूल में वार्षिक मेला लगा, जिसमें चेतन, स्कूल के प्रिंसिपल का बेटा, जो उसका दोस्त था, मेले में आया।

चेतन एक इंजीनियर होने के बावजूद भी कामचोर और आलसी था। उसने मधु को देखा।

चेतन, “यार, ये लड़की कौन है? सब कुछ अकेले संभाल रही है।”

दोस्त, “यार, बड़ी आत्म-सम्मान वाली लड़की है। देख ले, अनाथ होते हुए भी यहाँ तक पहुँच गई। जल्दी ही प्रिंसिपल भी बन जाएगी।”

चेतन, “सरकारी टीचर..? वाह! ऐसी लड़की से शादी हो जाए तो क्या कहना?”

घर आकर चेतन ने मधु के बारे में अपनी माँ को बताया। माँ ने चेतन की बात चलाई।

प्रिंसिपल के बेटे की मध्यस्थता के कारण ये शादी पक्की हो गई।

मधु की सहेलियां उसे चिढ़ाते हुए बोलीं, “क्यों मधु, तो ये तेरे सपनों का राजकुमार है? तू तो कहती थी, किसी ऐसे-वैसे से शादी नहीं करेगी।”

मधु, “ये इंजीनियर है। अब इसके साथ मैं अपनी दुनिया बसाऊंगी। तुम सब मुझे दुआएं दो।

मैंने लड़के से बात की है। उसे कुछ भी नहीं चाहिए, सिर्फ एक अच्छी लड़की के सिवा।”

शादगी से शादी करके चेतन मधु को घर ले आता है। मधु इंजीनियर की पत्नी बनकर बहुत खुश होती है।

शादी के अगले दिन चेतन की माँ उसे जगाते हुए कहती है, “चेतन देख, अब घर में बहू आ गई है बेटा।

अब अपने लिए अच्छी सी नौकरी ढूंढ ले। इस तरह घर में पड़ा रहना अच्छी बात नहीं है। बेचारी क्या सोचेगी?”

चेतन, “अरे माँ! इसलिए तो बिना दहेज लिए उस अनाथ से शादी की है। वरना क्या मुझे लड़कियों की कमी थी?

मेरे से नौकरी नहीं होती, माँ। अब तो मधु ही नौकरी करेगी।”

मां, “हे भगवान! कैसा बेटा दिया है? बिलकुल अपने बाप पर गया है। समझ नहीं आता, बहू इसके साथ जीवन कैसे बिताएगी?”

माँ के ताने सुनकर चेतन अपने कमरे में आ जाता है, जहाँ मधु उसका इंतज़ार कर रही होती है।

मधु उससे पूछती है, “सुनिए, मेरी सहेली का फ़ोन आया था। वो मुझसे पूछ रही थी कि आप किस कंपनी में इंजीनियर हैं? मुझे तो आपकी कंपनी का नाम ही नहीं पता।”

चेतन, “देखो, मैं तुम्हें पहले ही बता देना चाहता हूँ, मैं कोई झूठा मक्कार नहीं हूँ।

अच्छी खासी सरकारी स्कूल में टीचर हो, बढ़िया तनखा आती है, फिर भला मुझे नौकरी करने की क्या जरूरत? आखिरकार घर में भी तो कोई देखभाल के लिए होना चाहिए।”

मधु, “ये आप कैसी बातें कर रही हैं? खैर, चिंता की कोई बात नहीं है। मैं आपकी मदद करूँगी। हम मिलकर आपके लिए नौकरी ढूंढेंगे।”

चेतन, “नौकरी नौकरी? क्या दिमाग खराब कर दिया? इस घर में तो चैन से बैठ नहीं सकते।

और याद रखना, कल से तुम्हारी छुट्टियाँ खत्म हो रही हैं। मैं तुम्हें स्कूल छोड़ने जाऊंगा और वापस लेने भी आऊंगा। ये क्या कम है? आई बड़ी…।”

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चेतन के जाने के बाद मधु उदास हो गई। उसने सपने में भी नहीं सोचा था कि उसका पति बेरोजगार और कामचोर होगा।

वो तो खूबसूरत सपने सजा कर ससुराल आई थी।

मधु, “मैं अपनी पूरी जिंदगी किसी कामचोर के साथ बर्बाद नहीं कर सकती। मुझे इस आदमी के साथ नहीं रहना, मैंने इन्हें छोड़कर चली जाऊंगी।”

सुबह होने पर चेतन मधु को स्कूल छोड़ आता है, लेकिन जब मधु को वापस लेने जाता है, तो मधु आने से इनकार कर देती है।

मधु, “चेतन, तुम यहाँ से चले जाओ। मैं तुम्हारे जैसे आदमी के साथ नहीं रह सकती। मैं अपना जीवन अकेले बिता लूँगी।”

चेतन, “ये तुम कैसी बात कर रही हो? ऐसा भी कभी होता है क्या? मैं तो मजाक कर रहा था।

जल्दी ही मुझे नौकरी मिल जाएगी, डार्लिंग। मैं कोशिश कर रहा हूँ। चलो, घर चलो।”

झूठ बोलकर चेतन मधु को घर तो ले आता है और कुछ कंपनियों में उसके सामने ही एप्लीकेशन भी भेज देता है, पर उसका दिमाग काफी परेशान हो जाता है। वह अपने दोस्तों से इस बात की चर्चा करता है।

दोस्त कहते हैं, “अरे चेतन!चिंता करने की कोई बात नहीं है। तुझे पता है, गाँव के पीछे जो भूतकाल की गुफा है, उसमें एक पहाड़ी फकीर आया है,

जो सब की मुराद पूरी करता है? चल उनसे मिलते हैं, वही कोई रास्ता बताएंगे।”

हरिया, “हाँ, मंगलू सही कह रहा है। मेरे भाई के घर भी ऐसी ही परेशानी हुई थी। उसने मेरी भाभी को ऐसी जड़ी-बूटी पिला दी कि अब तक वो भाई की सारी बात मानती है।”

चेतन हरिया और मंगलू के साथ पहाड़ी फकीर के पास जाता है। पहाड़ी फकीर उसे देखकर ज़ोर से चिल्लाते हैं, “आ गया बच्चा? तेरा ही इंतज़ार कर रहा था।

काफी दुखी लग रहा है। चिंता मत कर, सब ठीक हो जाएगा। बाबा के कमंडल में अपनी अंगूठी डाल दे और अपनी समस्या बता।”

चेतन, “धन्य हो बाबा! आपको कैसे पता चला कि मैं बहुत दुखी हूँ? अरे बाबा! क्या बताऊँ? नई-नई शादी हुई है।

अनाथ लड़की से शादी की ये सोच कर कि वो सरकारी टीचर है, सारी उम्र मुझे काम करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। लेकिन वो तो मुझसे छुटकारा पाना चाहती है।”

बाबा, “अनर्थ हो जाएगा, ऐसा कभी ना करना। तेरी पत्नी एक साधारण औरत नहीं, साक्षात लक्ष्मी है। अगर वो तेरे घर से गई, तो तेरा घर का सुख-चैन भी चला जाएगा।”

चेतन, “लेकिन बाबा, वो तो रुकने को तैयार नहीं। एक ही रट लगाई है कि अगर तूने नौकरी नहीं की, तो मैं यहाँ नहीं रहूँगी। हर घड़ी मुझसे नौकरी करने को कहती है।”

बाबा, “तो यह बात है। अपनी घड़ी कमंडल में डाल और बाहर जाकर मेरी चौखट की मिट्टी उठा ले।

घर जाकर उसमें टमाटर मिला लेना और अपनी पत्नी के चेहरे पर लगाना। तेरी समस्या ठीक हो जाएगी।

अगर उसका चेहरा खूबसूरत हो गया, तो सब ठीक है और अगर उसके चेहरे पर कोई मुसीबत आई, तो तेरी बर्बादी निश्चित है। चल जा, अब बाबा का ध्यान का समय है।”

चेतन अपने दोस्तों के साथ पहाड़ी फकीर की चौखट की मिट्टी लेकर घर चला जाता है और फिर मिट्टी में टमाटर का रस मिलाकर मधु के पास आता है।

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चेतन, “मधु बहुत थकी हुई लग रही हो। ये देखो, तुम्हारे लिए दिल्ली से फेस पैक मंगाया है।

एक बार इसे चेहरे पर लगाकर तो देखो, सारी थकान दूर हो जाएगी। तुम कहती हो, मैं तुम्हारा ध्यान नहीं रखता। ध्यान नहीं रखता, तो क्या है?”

मधु, “देखो चेतन, अगर तुमने नौकरी नहीं करी, तो तुम मुझे इस घर में नहीं रोक पाओगे। तुम्हारा कोई फेस पैक काम नहीं आएगा।”

मधु मुंह धोने के बाद शीशे में अपना चेहरा देखती है।

मधु, “हे भगवान! ये क्या हो गया? मेरे पूरे चेहरे पर दाने ही दाने हो गए। हे भगवान! चेतन, तुम मुझसे बदला लेना चाहते थे।

अब मैं यहाँ नहीं रह सकती। ये तो किसी चीज़ की एलर्जी लगती है।”

दूसरी तरफ शीला बहू का चेहरा देखकर बहुत परेशान हो जाती है और बहू से कहती है, “अरे मधु! तेरे खूबसूरत चेहरे पर ये क्या हो गया?

लगता है, किसी की पूरी नज़र लग गई है। सुना है कोई पहाड़ी फकीर आए हैं, जो सब की मुसीबत दूर कर देते हैं। मेरी भाभी की बहू को भी नज़र लग गई थी, तो उन्होंने ही उतारी।”

मधु अपनी सास शीला के साथ पहाड़ी फकीर के पास पहुँचती है।

शीला, “महाराज, हम आपकी शरण में आए हैं। देखिए ना, मेरी बहू को ना जाने किसकी नज़र लग गई? इसका चेहरा रातों रात दानों से भर गया है।”

बाबा,”तुम बाहर जाओ, माँ जी। मैं तुम्हारी बहू से अकेले में बात करना चाहता हूँ।”

शीला बाहर चली जाती है और पहाड़ी फकीर मधु से कहते हैं, “बेटी, तेरा पति तेरा काल है। तेरी सास के सामने मैं ये सब नहीं कहना चाहता था।

जितनी जल्दी हो सके, उससे पीछा छुड़वा ले और अपने कान के टॉक्स कमंडल में डाल दे। चौखट की मिट्टी उठाकर अपने पति के खाने में मिला दे।

अगर ठीक रहा तो बढ़िया है, वरना जल्दी से जल्दी छोड़ के चली जा, सब ठीक हो जाएगा।”

मधु घबरा जाती है और पढ़ी-लिखी होने के बावजूद अपने टॉक्स बाबा के कमंडल में डाल देती है। शीला अंदर आती है।

बाबा, “देख बेटी, तेरी बहू लक्ष्मी है। कुछ भी हो जाए, अपनी बहू को घर छोड़कर कभी मत जाने देना।”

रात में मधु चेतन के खाने में मिट्टी मिला देती है। खाना खाने के बाद मिट्टी के इंफेक्शन से चेतन का पेट खराब हो जाता है।

चेतन, “हे भगवान! अब तो सारी ताकत भी खत्म हो गई। इतने दस्त आ रहे हैं कि जान निकल गई। अब तो बाबा के पास ही जाना होगा। अरे मधु! तेरी सैलरी आ गई होगी, तूने मुझे दी नहीं अभी तक।”

मधु, “मेरी सैलरी तुम्हें क्यों दूं?”

शीला, “बहू सैलरी इसे नहीं दे, मुझे दे वरना घर का राशन-पानी कैसे आएगा? तू बस खाने से मतलब रख, तुझे कोई कमी नहीं होगी।”

इस तरह कई महीने गुजर गए। मधु पूरे महीने मेहनत करती और सैलरी मिलते ही शीला को सारे पैसे दे देती।

मधु, “ना जाने कैसी किस्मत है? एक तो निकम्मा पति ऊपर से स्कूल का काम, घर आओ तो घर का काम। एक मिनट के लिए मुझे चैन नहीं, अब मुझे कुछ सोचना ही होगा।”

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मधु अपना सारा सामान पैक करके घर से जाने लगती है कि चेतन आ जाता है।

चेतन, “मधु, कहाँ जा रही हो? मैं तुम्हारे बिना नहीं जी सकता, प्लीज़ रुक जाओ।”

मधु, “बस बहुत हो गया चेतन, अब मैं और यहाँ नहीं रुक सकती।”

चेतन, “मुझे कुछ हो रहा है। मुझे चक्कर आ रहे हैं, दिल की धड़कन बढ़ रही है। मधु, मुझे छोड़ के मत जाना।”

बेचारी मधु चेतन की हालत देखकर फिर रुक जाती है।

बाबा, “इतने दिन हो गए, एक भी शिकार नहीं फंसा। ऐसा ही रहा तो घर चलाना मुश्किल हो जाएगा। आज गाँव में जाकर लगता है कोई तो जरूर फंसेगा।”

बाबा घूमते-घूमते चेतन के घर पहुँच जाते हैं और आवाज़ लगाते हैं, “भिक्षा दो, घर में भयानक मुसीबत आने वाली है।”

शीला (बाहर आकर), “अरे फकीर बाबा! आप..? हमारी तो किस्मत ही खुल गई। आइए आइए, अंदर आइए ना… भोजन करिए।”

पहाड़ी फकीर अंदर आ जाता है। उन्हें देखकर चेतन उठकर बैठ जाता है।

चेतन, “धन्य हो बाबा! आप यहाँ?”

बाबा, “तू यहाँ क्या कर रहा है?”

चेतन, “बाबा, ये मेरा ही घर है। मुझ पर दया कीजिए।”

बाबा, “हाँ, उपाय करना होगा। तू चाँद और तेरी बीवी सूरज, इसका तेज़ तुझे जला देगा और इसके बिना तू मर जाएगा।

अगर एक साल तक हर महीने 5000 देने का वादा करता है, तो मैं सब ठीक कर दूंगा।”

चेतन, “मुझे मंजूर है बाबा, सब मंजूर है।”

चेतन के जाने के बाद मधु आती है,

मधु, “बाबा, आपने मेरे पति को देख लिया, अब कुछ बढ़िया उपाय करिए कि इसकी बुद्धि ठीक हो जाए।”

बाबा, “बेटी, उपाय तो हो जाएगा। पर 1 साल तक हर महीना 5000 देना होगा।”

मधु, “बाबा, पैसे की चिंता मत करिए। आप सब ठीक कर दीजिए।”

उन सबके जाने के बाद पहाड़ी फकीर मन ही मन सोचता है, “शीला, तेरे दोनों बच्चों पर काली छाया है। मुझे अनुष्ठान करना होगा, वरना सब बर्बाद हो जाएगा।”

शीला, “नहीं, नहीं बाबा, आप अनुष्ठान कीजिए।”

बाबा, “उसमें बहुत खर्चा होगा, सोच ले।”

शीला, “जो भी हो बाबा, परिवार से बड़ा तो कुछ नहीं ना।”

बाबा, “हर महीने 5000 लगेगा, बेटी और अनुष्ठान 1 साल का होगा।”

शीला, “मुझे सब मंजूर है, आप मेरे घर को बचा लो।”

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इसी तरह दो-तीन महीने के अंदर सब बाबा को पैसे दे देते हैं, लेकिन अब घर में सब्जी, फल वगैरह में कमी आने लगती है।

चेतन, “माँ, साबुन तो देना, बाथरूम में साबुन नहीं है।”

शीला, “बड़ा आया राजकुमार, काम का ना काज का… बिना साबुन के नहीं नहा सकता क्या? आज से घर में साबुन आना बंद। अब खुद की कमाई से ही साबुन लाना।”

चेतन, “माँ, मेरा जेब खर्च तो दे। तूने पिछले महीने भी नहीं दिया था।”

शीला, “एक ढेला भी नहीं मिलेगा, जाकर खुद कमा।”

चेतन, “आखिर माँ को हो क्या गया है? लगता है कोई नौकरी ही करनी होगी, वरना बाबा को पैसा देना मुश्किल हो जाएगा।”

मधु, “माँ, पिछले एक हफ्ते से घर में सब्जी भी नहीं आ रही। माँ जी, इतनी मेहनत के बाद सिर्फ अचार से काम नहीं चलता मेरा।”

शीला, “अरे! तो क्या मैं खा लेती हूँ?”

शीला, “शर्म नहीं आती निखट्टू कहीं का। तू कमाता होता तो कोई मुझसे हिसाब ना पूछता।”

दूसरी तरफ पहाड़ी फकीर को हर महीने पैसे मिल जाते। अब बाबा रोज़ मलाई पकवान उड़ाता और चेतन के घर में गरीबी छाने लगी थी।

अगले महीने मधु शीला को ₹5000 कम दे देती है।

शीला, “अरे बहू! ये पैसे कम क्यों हैं?”

मधु, “माँ जी, इनकम टैक्स के पैसे कट गए।”

चेतन, “इस महीने मुझे 5000 चाहिए। एक कोर्स कर रहा हूँ नौकरी के लिए।”

मधु, “लगता है बाबा का अनुष्ठान काम कर रहा है।”

मधु, “चेतन, तुम चिंता ना करो। कोर्स करो, मैं तुम्हें पैसे दे दूंगी।”

चेतन, “लगता है बाबा का अनुष्ठान काम कर रहा है।”

उन दोनों को प्यार से बात करते देख शीला को भी यही लगता है कि बाबा का अनुष्ठान काम कर रहा है।

चेतन एक-दो जगह इंटरव्यू देता है और उसे नौकरी मिल जाती है। अब सबको विश्वास हो जाता है कि ये पहाड़ी फकीर की महिमा है। नौकरी मिल जाने के कारण मधु भी चेतन के साथ प्यार से रहने लगती है।

अगले महीने शीला, मधु और चेतन अलग-अलग बाबा को पैसे देने जाते हैं। मधु चेतन को देखकर चुप हो जाती है और वीडियो बनाती है।

चेतन, “जय हो बाबा! आपका अनुष्ठान तो काम कर गया। ये लीजिए आपके 5000, बस अपना काम पूरा कर दीजिए।”

बाबा, “कोई चिंता की बात नहीं, सब हो जाएगा।”

शीला, “जय हो आपकी! आपके अनुष्ठान से मेरा घर बदल रहा है। लीजिए ₹5000, बस मेरा काम पूरा कर दीजिए।”

शीला के जाने के बाद बाबा अपनी विग उतारकर बीवी को बुलाता है, “सूजी डार्लिंग, बाहर आना। देखो तुम्हारा काम हो गया। आज खाना ऑर्डर कर दो, पर नॉन-वेज करना।”

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सूजी, “डार्लिंग, 1 साल के बाद क्या करेंगे?”

बाबा, “मूर्खों की कोई कमी नहीं है। तुम ऐसा करो, मैं इनकी मूर्खता का कष्ट करूंगा।”

शीला को सब समझ आ जाता है और वो वापस आ जाती है। घर पहुँचती है तो चेतन खुशी से कहता है, “मधु, बाबा की दया से मेरा प्रमोशन हो गया है।

अब मेरी सैलरी 1 लाख रुपए है। चाहो तो तुम नौकरी छोड़ सकती हो।”

मधु, “चेतन, ये सब बाबा का नहीं, तुम्हारी मेहनत का फल है। तुम्हारे मुँह से ये शब्द सुनने के लिए मैं कब से तरस रही थी?

तुम तो जानते हो ना, मैं अनाथ थी? सारी जिंदगी मेहनत करके खाया है। शादी के बाद चैन से खाना चाहती थी, पर अब मुझे नौकरी करना अच्छा लगता है

और तुम्हारे जैसा पति पाकर मैं बहुत खुश हूँ। मुझे और कुछ नहीं चाहिए।”

शीला, “सब बाबा की दया है। उनकी पूजा से हमारा घर ठीक हो गया।”

मधु, “उनकी कृपा से हमारा घर ठीक नहीं हुआ माँ, हमारा घर चेतन की मेहनत से ठीक हुआ है। बल्कि हमारे पैसे से उनका घर ठीक हो गया है। ये देखिए…।”

मधु सबको बाबा का वीडियो दिखा देती है।

चेतन, “इस बाबा की वजह से मैं नौकरी कर रहा था। अब मैं नौकरी छोड़ देता हूँ।”

मधु, “क्या..?”

चेतन, “हा हा हा… ऐसा कभी नहीं होगा, मधु। मुझे अपनी भूल समझ आ गई है। अब हम सब मिलकर इस बाबा को मज़ा चखाते हैं।”

बाबा मधु को फोन करके पैसे के लिए पूछता है।

मधु, “बाबा, मैंने अपने जन्मदिन पर आपके लिए खाना रखा है। आप हमारे यहाँ खाने के लिए आइए। मेरे और भी दोस्त आपसे मिलना चाहते हैं।”

बाबा सोचता है कि उसके लिए और पैसों का इंतजाम होने वाला है। वह खुशी-खुशी खाना खाने चेतन और मधु के घर पहुंचता है।

शीला, “आइए आइए बाबा, आराम से बैठिए। लेकिन अपना विग उतार दीजिए क्योंकि यहाँ पंखा बहुत तेज़ है। अगर ये उड़ गया तो खाना खराब हो जाएगा।”

शीला की बात सुनकर बाबा घबरा जाता है और अचानक अंदर से मधु और चेतन पुलिस के साथ बाहर आते हैं।

मधु पुलिस को बाबा का वीडियो दे देती है और बाबा को गिरफ्तार कर लिया जाता है।

बाबा, “अरे मूर्खों! ये सब क्या कर रहे हो? मैं सबको भस्म कर दूंगा। नहीं जानते, मैं एक सिद्ध फकीर हूँ?”

मधु, “सब कुछ अच्छे से जान चुके हैं ढोंगी फकीर। अब तेरा कोई पैंतरा काम नहीं करेगा।”

इंस्पेक्टर, “अरे! बहुत बेवकूफ बना लिया सब को तुमने। अब आ जाओ थाणे में कुछ दिन हमें सेवा करने का मौका दो।

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ले जाओ इसे… और आप सबका बहुत धन्यवाद, जो ऐसे ढोंगी को पकड़वाकर हमारे सभ्य समाज में जो दिल से धरम आचारण करने वाले लोग हैं, उनकी इन ढोंगियों की वजह से बहुत बदनामी होती है।

आप जैसा सतर्क अगर हर कोई हो गया, तो हमारा भारत फिर से स्वर्ग कहलाएगा।”

लेकिन बाबा के धोखे ने मधु के निकम्मे पति को हमेशा के लिए सीख देती थी। सब लोग खुशी खुशी रहने लगते हैं।


दोस्तो ये Hindi Story आपको कैसी लगी, नीचे Comment में हमें जरूर बताइएगा। कहानी को पूरा पढ़ने के लिए शुक्रिया!


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