हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” पागलखाना ” यह एक Hindi Horror Story है। अगर आपको Horror Stories, Scary Stories या Darawani Kahaniyan पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
रामनगरम के मेंटल असायलम के सामने सुबह के समय एक ऑटो आकर रुका, जिसमें से रिहान उतरा।
उसका आज इस मेंटल असायलम में पहला दिन था। उसने उतरते ही गार्ड को आवाज लगाई, पर दरवाजे पर कोई नहीं था, जो उसकी बात सुनता।
कुछ देर तक जब कोई जवाब नहीं आया, तो रिहान खुद ही गेट खोलकर अंदर जाने लगा।
जैसे ही रिहान ने गेट खोला, तो एक आदमी ने उससे पूछा, “मांस खाएगा? इंसानी मांस… बोल खाएगा?”
उस आदमी की बात सुन, रिहान कुछ कहता इससे पहले उस आदमी ने अपना हाथ रिहान के मुँह के सामने कर दिया।
रिहान ने जब उसके हाथ को ध्यान से देखा तो उस पर पहले से ही ब्लड के खूब सारे निशान थे, मानो जैसे बहुत बार उसने अपनी नस काटकर आत्महत्या करने की कोशिश की हो।
कि तभी उसने देखा कटे हुए निशान से कुछ कीड़े निकल रहे थे, जिन्हें देख रिहान को उल्टी आने लगी थी।
पर इससे पहले कि वो उल्टी करने के लिए अपना मुँह फेरता, उस शख्स ने अपने ही हाथ का मांस नोचकर खाना शुरू कर दिया था, जिसे देख रिहान उल्टी करने लगा।
तभी किसी ने रिहान के कंधे पर हाथ रखकर उसे सँभालते हुए कहा, “ठीक हो, बरखुरदार?”
रिहान ने खुद को संभा वापस देखा, तो पीछे एक व्यक्ति सफ़ेद कोट पहने उससे ही बातें कर रहा था।
आदमी,”मैंने पूछा तुम ठीक हो? अगर तुम्हे कोई बिमारी है तो गलत जगह आए हो। क्योंकि ये पागलों का अस्पताल है। यहां आम लोगों का इलाज नहीं होता।”
रिहान, “नहीं नहीं, मैं बिलकुल ठीक जगह पर आया हूँ।”
आदमी, “यानी तुम भी पागल हो?”
रिहान, “अअअ… कभी कभी।”
आदमी, “मतलब..?”
रिहान, “मतलब कि मेरा नाम रिहान है और आज मेरी जॉइनिंग है। और आप शायद डॉक्टर बद्री हैं, राइट?”
डॉक्टर बद्री, “जी, मैं ही डॉक्टर बद्री हूँ। तुम यहाँ से सीधे जाकर अपना जॉब लेटर ऑफिस में जमा करो
और वहाँ से ड्रेस लेकर बगल के कैबिन में आ जाना, बाकी बातें वहीं करेंगे।”
इतना कहकर डॉक्टर वहाँ से चला गया। डॉक्टर के जाने के बाद रिहान ने जब अपने आसपास देखा, तो उसे वहाँ कोई नहीं दिखा।
रिहान को ये बात बहुत अजीब लगी थी, पर काम के पहले दिन वह ये सब सोच कर अपना दिन खराब नहीं करना चाहता था।
क्योंकि वो जानता था की एक पागल खाना है। इसीलिए रिहान ने इन बातों को नज़रअन्दाज़ किया
पागलखाना | Pagalkhana | Horror Story | Haunted Stories in Hindi | Scary Story | Darawani Kahaniyan
और सीधा कम्पाउंडर की ड्रेस पहनकर डॉक्टर के कैबिन में चला गया। फिर दोनों के बीच बाते होने लगी।
डॉक्टर बद्री, “दरअसल, मैं पिछले आठ साल से इस पागलखाने को संभाल रहा हूँ और अब तुम भी आ गए हो तो मुझे थोड़ी हेल्प मिल जाएगी।
लेकिन ज़रा बच के रहना, यहाँ जो दिखता है वो होता नहीं है और जो होता है वो कभी किसी को दिखाई नहीं देता, समझे?”
डॉक्टर बद्री की बातें रिहान के ऊपर से गईं, पर फिर भी उसने मुस्कुराते हुए हाँ में सिर हिला दिया।
उसका मन तो कर रहा था कि वो सुबह के हादसे के बारे में डॉक्टर से पूछे, पर जैसे ही वह डॉक्टर से कुछ बोलता,
डॉक्टर ने अस्पताल के कम्पाउंडर बंसी को ज़ोर से आवाज लगाई। बंसी भी आवाज सुन डॉक्टर के सामने आ खड़ा हुआ था।
डॉक्टर बद्री, “बंसी, ये अस्पताल के नए कम्पाउंडर हैं, रिहान। जाओ, इन्हें सबसे मिलवाओ और अस्पताल की ज़रूरी बातें भी समझा देना। ठीक है?”
डॉक्टर के कहे अनुसार बंसी ने कुछ ही देर में रिहान को सभी से मिलवा दिया और उसे मरीजों के कमरे में ले गया। वहां हर कोई कुछ न कुछ अजीब हरकतें कर रहा था।
कोई दिल टूटने वाली शायरी सुना रहा था, तो कोई फिल्मी गाने गाते हुए डायलॉग मार रहा था। सभी मरीजों को दिखाते हुए बंसी ने रिहान से कहा।
बंसी, “तुम जितनी जल्दी ये सब आदत डाल लोगे, उत्ता ही अच्छा तुमाए लिए होगा।
और हां, पागलों के बीच रह के तुम भी पागल मत बन जाना। ऑलरेडी यहाँ जरूरत से जादा पागल हो चुके हैं।”
कुछ देर बाद रिहान को पता चला कि उसकी नाइट ड्यूटी लगी है। दिन को आराम करने के बाद रिहान रात को मरीजों की देखरेख में जुट गया।
जैसे ही रात के 12 बजे तो सभी का चेहरा डर से पीला पड़ने लगा। हल्ला करने वाले मरीज भी चुपचाप एक कोने में बैठ गए।
ये सब देखकर रिहान को बड़ा अजीब लगा। उस रात नाइट ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर से रिहान ने पूछा।
रिहान, “आखिर ये सब क्या हो रहा है? सब लोग इतना डर क्यों रहे हैं?”
डॉक्टर, “इस अस्पताल में रात के 12 बजे के बाद भूत घूमते हैं। वो सारे भूत इसी अस्पताल के पुराने मरीज हैं, जिनकी इलाज के दौरान मौत हो गई थी। इसीलिए तुम संभल के रहना।”
पर रिहान को भूतों पर विश्वास बिल्कुल नहीं था, उसने डॉक्टर की बात को हँसी में टाल दिया और अपना काम करने लगा।
उसी रात रिहान अकेले बाथरूम में जा रहा था। तभी उसे लगा कि कोई उसके पीछे है। मुड़कर देखने पर कोई नहीं दिखा।
कुछ देर बाद उसे फिर ऐसा ही महसूस हुआ। रिहान ने सोचा कि भूत की बात उसके दिमाग में घूम रही है। वो इस बारे में कुछ ज्यादा ही सोच रहा है।
इसी वजह से उसे अब वहम होने लगे हैं। फिर उसने शीशे पर खून से लिखा देखा – ‘आज तुम पागल हो जाओगे।’
रिहान को लगा कि कोई उसके साथ मजाक कर रहा है इसीलिए उसने इस बात पर गौर नहीं किया और पूरे पागलखाने का मुआयना करने चल पड़ा।
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जिस सेल से चीखने की आवाज आया करती थी, उन सभी सेल्स में मौत की शांति पसरी थी।
सभी पागल सेल के कोने में डरे सहमे छिपे पड़े थे। जैसे ही रिहान को देखते तो और डर के दीवारों में सिमटने की कोशिश करते।
रिहान भी सभी को देखते हुए उनके सामने से गुजर रहा था कि उसे दूर से एक सेल में खूब ज़ोर ज़ोर से हंसने की आवाज आ रही थी।
रिहान जब उस सेल के पास पहुंचा तो देखा उस सेल में कोई था ही नहीं। तभी उसे डॉक्टर बद्री की बात याद आई। उन्होंने कहा था कि जो दिखता है, वो होता नहीं और जो होता है, वो दिखता नहीं।
इसी बात को ध्यान में रख रिहान सेल के अंदर चला गया। पूरा सेल पहले ही अंधेरे की गिरफ्त में था।
रिहान ने तुरंत ही अपने मोबाइल की फ्लैश जला दी और सेल की दीवारों को गौर से देखा, तो उसके पैरों तले जमीन खिसक गई।
किसी ने अपनी अंगुलियों, अपने हाथों को घिसकर दीवार पर बहुत कुछ लिख रखा था – ‘मैं राक्षस हूँ। मुझे खून चाहिए। मुझे इंसान का मांस खाना है। मैं पागल नहीं हूँ, मुझे पागल बनाया गया है।’
और हर लाइन के आसपास चित्र भी बने हुए थे, जिसमें एक आदमी कभी खुद का पेट फाड़ रहा था, तो कोई अपने ही हाथ का मांस नोचकर अपना ही खून पी रहा था।
ऐसे बहुत से चित्र देख रिहान का मन विचलित हो गया था। उसे उल्टी आने लगी थी।
पर रिहान के मुँह से अजीब अजीब किस्म के कीड़े निकल रहे थे और साथ में खून भी। पर रिहान ने किसी तरह खुद को कंट्रोल किया
और वो सेल से बाहर निकलने को हुआ ही था। तभी उसे किसी के हँसने की आवाज सुनाई दी, जिसे सुन रिहान का रोम रोम कांप उठा था।
क्योंकि वो पहले ही सेल का कोना कोना छान चुका था। तो जब सेल में कोई था ही नहीं, तो फिर उसे हंसने की आवाज कैसे सुनाई दी?
तभी उसे अपने सिर पर कुछ गीला गीला महसूस हुआ। उसने जब छूकर देखा तो वो किसी का खून था, जो ऊपर से उसके सिर पर गिर रहा था।
रेहान ने फ्लैश ऊपर करके सेल की छत को देखा, तो उसके दिल की धड़कनें एक पल को रुक गई।
बहुत सारे मांस के लोथड़े सेल की छत से लटके हुए थे और उन्हीं मांस के लोथड़ों के बीच दो आँखें रिहान को देख रही थीं।
तभी मांस के लोथड़ों के साथ वो दो आँखें भी रिहान के ऊपर जा गिरीं, जिनके नीचे रिहान दब गया।
जैसे ही रिहान चिल्लाने या मदद के लिए मुँह खोलता, एक मांस का लोथड़ा उसके पेट में चला जाता, जो उसके जिस्म को अंदर से काटता जा रहा था।
रिहान जिस दर्द और तकलीफ से गुजर रहा था, वो हम और आप सोच भी नहीं सकते।
वो जब भी मदद के लिए मुँह खोलता, मांस का लोथड़ा अपने आप ही उसके पेट में चला जाता।
ऐसे करते-करते सारे मांस के लोथड़े खत्म हो गए और रिहान वहीं ज़मीन पर किसी मुर्दे की तरह पड़ा रहा।
इधर सिक्योरिटी गार्ड कंट्रोल रूम में बैठा झपकियाँ ले रहा था कि अचानक पागलखाने का अलार्म सिस्टम बज उठा।
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गार्ड ने जब सीसीटीवी में देखा तो पाया कि सारे पागलों के सेल खुले हुए थे और सब अपनी जान बचाने के लिए एक-दूसरे को कुचलते हुए इधर-उधर भाग रहे थे।
सायरन का शोर सुनकर पागलखाने के सभी गार्ड और डॉक्टर्स हड़बड़ा गए। इत्तफाक से डॉक्टर बद्री भी किसी इमरजेंसी काम की वजह से पागलखाने में अभी अभी आये थे।
डॉक्टर बद्री, “यह सब क्या हो रहा है अस्पताल में? ये शोर किस बात का है और सारे गार्ड्स कहाँ मर गए?”
डॉक्टर बद्री गुस्से में सबको सुनाते हुए अस्पताल के अंदर ही आए थे कि उन्होंने जो देखा, उसे देखकर डर के मारे उनका भी खून सूखने लगा।
क्योंकि उसे हर जगह खून और इंसान के मांस के टुकड़े दिखाई ही दे रहे थे। कभी किसी कोने में किसी गार्ड का कटा हुआ सिर पड़ा हुआ था,
तो कहीं किसी पागल पेशेंट का कटा हुआ पेट, जो उसने खुद ही काटा था।
डॉक्टर बद्री डरे सहमे अभी कुछ ही अंदर गये थे, तो देखा एक पागल अपने हाथ को दीवार पर घसीटता हुआ कुछ लिखे जा रहा था।
डॉक्टर बद्री ने जब पास आकर पढ़ा, तो लिखा हुआ था – ‘उस रात हादसा नहीं बल्कि साजिश हुई थी।’
डॉक्टर बद्री ने जैसे ही ये पढ़ा, उन्हें सदमा सा लगा। पर इससे पहले के वो खुद को संभाल पाते, वो पागल जो अपने को घसीटते हुए दीवार पर लिख रहा था,
वो कोई और नहीं बल्कि रिहान था, जिसका चेहरा बहुत जगह से कट चुका था और उसके अंदर से कीड़े निकल रहे थे।
और तो और रिहान की एक आँख भी फूट कर चेहरे पर लटकी हुई थी, जो उसे और भी खूंखार और भयानक बना रहा था।
रिहान, “बोल, उस रात जो हुआ वो महज एक हादसा नहीं था, बल्कि सोची समझी तेरी एक साजिश थी। बोल…।”
रिहान डॉक्टर बद्री से कहता हुआ उसके खून का प्यासा बना उसकी तरफ बढ़े जा रहा था।
डॉक्टर बद्री, “रिहान, तुम्हें क्या हो गया है? होश में आओ। क्या तुम पागल हो गए हो?”
डॉक्टर बद्री रहान से कहता हुआ पीछे हटता जा रहा था।
रिहान (चीखते हुए), “मैं रिहान नहीं, मैं वेद बोल रहा हूँ।”
वेद का नाम सुनते ही डॉक्टर बद्री धड़ाम से नीचे जा गिरा और अपनी एड़ियाँ रगड़ते हुए पीछे हटने लगा।
पर डॉक्टर बद्री के गिरने पर रिहान ने उसका पैर पकड़ लिया और एक-एक कर उसकी उँगलियाँ खाने लगा।
डॉक्टर बद्री ने अपने दूसरे पैर से रिहान को दूर करने की कोशिश की, लेकिन जैसे ही बद्री ने रिहान को मारना चाहा, उसने डॉक्टर बद्री के पैर में ऑपरेशन की कैंची घुसा दी,
जिससे अब डॉक्टर बद्री दोनों पैरों से चलने में असमर्थ हो गया था। लेकिन रिहान ने बद्री को ना छोड़ने की कसम खा ली थी।
वह उसके पैरों का मांस नोचता हुआ अब उसकी जाँघों तक आ पहुँचा था। अब डॉक्टर बद्री को अपनी मौत साफ साफ दिखाई दे रही थी
और उसे इस बात का भी यकीन हो गया था कि रिहान इस वक्त रिहान नहीं, बल्कि वेद है। तो उसने भी गिड़गिड़ाते हुए रिहान के अंदर छिपे वेद से कहा।
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डॉक्टर बद्री, “मुझे माफ कर दे, भाई। मैं बदले की आग में जल रहा था, पर तूने भी तो मेरी…।”
रिहान, “मैंने भी तो क्या, बोल?”
डॉक्टर बद्री, “तू भी तो मेरी पीठ पीछे मेरी पत्नी के साथ रंगरेलिया मनाता था। तो फिर तू ही बता, मैं तुझे कैसे छोड़ देता?
मैं भी तो इंसान हूँ, मुझे भी तो तकलीफ होती है। और माँ पापा के जाने के बाद मैंने तेरी परवरिश की और तुझे अपने साथ इसी अस्पताल में रखा ताकि तू प्रैक्टिस कर सके
और एक काबिल और बड़ा डॉक्टर बने, पर तूने मेरे साथ विश्वासघात किया, वेद।”
रिहान, “मैंने कोई विश्वासघात नहीं किया था, भाई। भाभी कभी आपसे प्यार ही नहीं करती थीं। उन्होंने तो आपके पैसे और रुतबे के लिए आपको अपनाया था।
बची कुची चंद खुशियां थी बेचारी की, जो कहीं से भी नहीं मिली, तो वो मेरे पास आई और मैं मना नहीं कर पाया।
लेकिन जब आपको मेरे और भाभी के अफेयर के बारे में पता चला तो… तो आपने मौका देखकर मेरे खिलाफ़ साजिश की।
मैं अस्पताल में राउंड पे निकल गया था और आपने सभी सेल के दरवाजे खोल दिए और सभी पागलों ने मुझे घेर लिया, मुझे बिजली के झटके दिए, मेरे हाथों मेरा खुद का ऑपरेशन करवाया।
इस दर्द से गुज़रने से अच्छा मैंने मौत को अपना लिया और अब बारी आपकी है, भैया।
रिहान के अंदर वेद की आत्मा की बात सुन डॉक्टर बद्री ज़ोर ज़ोर से हंसने लगा था।
डॉक्टर बद्री, “अरे! तू मरने से पहले भी भोला था और मरने के बाद भी भोला ही है। तुझे बिजली के झटके देने वाले और तुझसे खुद का ऑपरेशन करवाने वाले कोई पागल नहीं थे, बल्कि मेरे आदमी थे।
मैंने उन्हें पागल बनाकर अस्पताल में रखा था ताकि वो मेरा बदला पूरा कर सकें। आज शायद मैं जिंदा ना रहूँ,
लेकिन तुझे ठिकाने लगाने के बाद मैंने तेरी भाभी को भी तिल-तिलकर मारना शुरू कर दिया।
मैंने उसे ऐसी दवाइयाँ दीं, जिससे उसका मानसिक संतुलन हिल गया और वो पगला गई। उसे शरीर की भूख थी ना?
तो उसके पागल होने पर मैंने पहले उससे अपना पेट भरा, फिर दिल्ली के एक रेड लाइट एरिया में बेच आया, जहां हर दिन उसकी भूख मिटाने हजारों लोग बोली लगाते हैं और उसे…।”
इसके पहले के डॉक्टर बद्री अपनी बात पूरी कर पाता, रिहान ने डॉक्टर बद्री की गर्दन पकड़ी और उसकी सांस की नली उखाड़ उसे मौत के घाट उतार दिया
और फिर पागलों की तरह उसके खून को अपने चेहरे पर लगाकर ज़ोर ज़ोर से रोने लगा। उसके रोने की आवाज से पूरा पागलखाना दहल उठा था।
इस हादसे के बाद रिहान कभी उबर नहीं पाया। वो आज भी उसी पागलखाने में कैद एक पागल की जिंदगी जी रहा है।
हालांकि उसे डॉक्टर बद्री और वेद की कहानी पता है लेकिन उस पर अभी खूनी पागल होने का ठप्पा लग चुका है जिससे उसकी बात पर कोई यकीन नहीं करता।
दोस्तो ये Horror Story आपको कैसी लगी, नीचे Comment में हमें जरूर बताइएगा। कहानी को पूरा पढ़ने के लिए शुक्रिया!