हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” परी का श्राप ” यह एक Fairy Tales Story है। अगर आपको Hindi Fairy Tales, Fairy Tales in Hindi या Pariyon Ki Kahani पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
बहुत समय पहले, हिमालय की गोद में बसा हुआ एक छोटा सा गाँव था जिसका नाम ‘लखनपुर’ था। यह गाँव अपनी हरियाली और सुंदरता के लिए प्रसिद्ध था।
यहाँ के लोग मेहनती, ईमानदार और सुखी थे। चारों ओर पहाड़ों से घिरा यह गाँव किसी स्वर्ग से कम नहीं था।
गाँव के पास ही एक घना जंगल था, जिसमें कई जादुई और रहस्यमयी चीज़ें छुपी हुई थीं। लखनपुर के लोग खेती-बाड़ी और पशुपालन से अपनी जीविका चलाते थे।
उनकी जिंदगी सरल थी, लेकिन उनमें एक अजीब सी खुशी थी। गाँव में केशव और उसकी पत्नी चम्पा रहते थे। उनके दो प्यारे बच्चे थे, एक बेटा – राजू और एक बेटी – अन्नू।
केशव एक मेहनती किसान था और चम्पा एक कुशल गृहिणी थी। राजू और अन्नू स्कूल जाते थे और अपने माता-पिता की हर संभव सहायता करते थे।
एक दिन गाँव में एक सुंदर परी का आगमन हुआ। परी का नाम रानीपरी था। वह अत्यंत सुंदर और जादुई शक्तियों से परिपूर्ण थी। परी का चेहरा चमकता हुआ और उसके पंख चमकीले थे।
गाँववाले परी के आगमन से अचंभित थे। रानीपरी ने गाँववालों से मित्रता की और उन्होंने परी का स्वागत किया।
परी ने गाँव में खुशी और समृद्धि लाई। उसके आने से गाँव की फसलें और अधिक अच्छी होने लगीं, और पशुओं की सेहत में भी सुधार हुआ।
गाँव का सरपंच, लक्ष्मण अत्यंत लालची और स्वार्थी व्यक्ति था। उसने परी की जादुई शक्तियों के बारे में सुनकर उसे अपने निजी स्वार्थ के लिए उपयोग करने का निश्चय किया।
लक्ष्मण ने रानीपरी से उसकी शक्तियों को अपने लिए माँगने की कोशिश की। परी ने लक्ष्मण के लालच को समझकर उसकी मांग को ठुकरा दिया।
इससे लक्ष्मण को बहुत गुस्सा आया और उसने परी को गाँव से निकालने की धमकी दी। लक्ष्मण के इस बर्ताव से रानीपरी बहुत क्रोधित हुई।
उसने गाँववालों को चेतावनी देते हुए कहा, “यह गाँव अब श्रापित होगा। जब तक इस गाँव के लोग सच्चे दिल से एक-दूसरे की मदद नहीं करेंगे और अपनी गलतियों का पश्चाताप नहीं करेंगे, तब तक यह श्राप समाप्त नहीं होगा।”
यह कहकर परी गाँव से चली गई। परी के श्राप के बाद गाँव में अजीब घटनाएँ होने लगीं।
फसलों का नष्ट होना, पशुओं का बीमार होना और गाँव के लोगों का अचानक बीमार पड़ना आम हो गया। गाँव के लोग डर के साए में जीने लगे और परी के श्राप को समाप्त करने के उपाय खोजने लगे।
केशव और चम्पा ने अपने बच्चों राजू और अन्नू के साथ मिलकर परी के श्राप को समाप्त करने की ठानी। उन्होंने गाँववालों को एकजुट करने का प्रयास किया और सबको समझाया कि हमें एक-दूसरे की मदद करनी होगी और अपनी गलतियों का पश्चाताप करना होगा।
धीरे-धीरे गाँव के लोग एकजुट होने लगे और एक-दूसरे की मदद करने लगे। रानीपरी के श्राप ने केशव और चम्पा को भी चिंतित कर दिया।
वे अपने बच्चों राजू और अन्नू के साथ इस समस्या का समाधान खोजने में जुट गए।
एक दिन केशव ने चम्पा से कहा, “हमें इस श्राप से छुटकारा पाने का कोई उपाय खोजना होगा। हम अपनी आँखों के सामने गाँव को बर्बाद नहीं होते देख सकते।”
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चम्पा ने सहमति में सिर हिलाया और बोली, “हां, हमें मिलकर कुछ करना होगा।”
केशव और चम्पा ने अपने बच्चों के साथ मिलकर रानीपरी की खोज में जाने का निश्चय किया। उन्होंने गाँव के बुजुर्गों से रानीपरी के बारे में और जानकारी प्राप्त की।
एक बुजुर्ग ने उन्हें बताया, “रानीपरी अक्सर गाँव के पास वाले जंगल में आती थी। शायद वह वहीं कहीं रहती हो।”
केशव, चम्पा, राजू और अन्नू ने जंगल की यात्रा की तैयारी की। वे आवश्यक सामान लेकर जंगल की ओर निकल पड़े।
जंगल में प्रवेश करते ही उन्हें अजीब आवाज़ें सुनाई देने लगीं। जंगल घना और रहस्यमयी था।
रास्ते में उन्हें कई तरह की मुश्किलें आईं, लेकिन वे हिम्मत नहीं हारे। जंगल में उन्हें कई जादुई घटनाओं का सामना करना पड़ा।
एक दिन जब वे एक विशाल पेड़ के नीचे आराम कर रहे थे, तो अचानक पेड़ के तने से एक जादुई दरवाजा प्रकट हुआ। दरवाजा खुलते ही वे चारों अचंभित हो गए।
राजू ने उत्सुकतावश दरवाजे के भीतर झांका और बोला, “यहां कुछ तो है, चलो देखते हैं।”
दरवाजे के भीतर घुसते ही वे एक चमकदार गुफा में पहुंच गए। गुफा के अंदर एक सुंदर झरना बह रहा था और चारों ओर चमकते हुए पत्थर थे।
गुफा के बीचों-बीच एक जादुई फूल खिला हुआ था। अन्नू ने उस फूल को छूने की कोशिश की, तभी एक जादुई आवाज़ गूंजी,
आवाज़, “सावधान! यह फूल जादुई है। इसे छूने से पहले तुम्हें परी का दिल जीतना होगा।”
वे गुफा में और आगे बढ़े तो देखा कि रानीपरी एक विशाल पत्थर पर बैठी थी। उसका चेहरा उदास था।
केशव ने हिम्मत जुटाकर कहा, “रानीपरी, कृपया हमारा श्राप समाप्त करें। हमारे गाँववाले अपनी गलतियों का पश्चाताप कर चुके हैं।”
रानीपरी ने उनकी ओर देखा और बोली, “तुम्हारे गाँववालों ने अपनी गलतियों से सबक सीखा है, लेकिन श्राप तभी समाप्त होगा जब तुम सच्चे दिल से एक-दूसरे की मदद करोगे और हमेशा एकजुट रहोगे।”
रानीपरी ने कहा, “तुम्हें एक परीक्षा से गुजरना होगा। अगर तुम इसमें सफल होते हो, तो मैं अपना श्राप वापस ले लूंगी।”
केशव, चम्पा, राजू और अन्नू ने इस चुनौती को स्वीकार किया। परी ने उन्हें जंगल में तीन जादुई चुनौतियों का सामना करने के लिए कहा।
पहली चुनौती में उन्हें एक जादुई दर्पण के सामने खड़ा किया गया। दर्पण ने उनके भीतर की सच्चाई को उजागर कर दिया।
केशव और चम्पा ने अपने भीतर के डर और गलतियों को स्वीकार किया। राजू और अन्नू ने भी अपनी गलतियों को स्वीकार किया और एक-दूसरे से माफी मांगी।
दर्पण ने उनके सच्चे दिल को स्वीकार किया और पहली चुनौती पूरी हुई। दूसरी चुनौती में उन्हें एक जादुई पुल पार करना था।
पुल टूटने वाला था और उन्हें एक-दूसरे की मदद से ही पार करना था। राजू ने अन्नू को अपने कंधों पर बैठाया और केशव और चम्पा ने मिलकर पुल को पार करने में मदद की।
उनकी एकता और सहयोग ने दूसरी चुनौती को भी सफलतापूर्वक पूरा कर लिया। तीसरी चुनौती में उन्हें एक भयानक राक्षस का सामना करना था।
राक्षस जादुई शक्तियों का ज्ञाता था और बहुत ही डरावना था। लेकिन केशव, चम्पा, राजू और अन्नू ने मिलकर साहस के साथ उसका सामना किया।
उन्होंने राक्षस को हराने के लिए एक-दूसरे की मदद ली और अंततः उसे परास्त कर दिया। चुनौती पूरी करने के बाद रानीपरी ने उनकी मेहनत, साहस और एकता की सराहना की।
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उसने कहा, “तुम लोगों ने यह साबित कर दिया कि सच्चे दिल, एकता और साहस से किसी भी मुश्किल का सामना किया जा सकता है। मैं अब अपना श्राप वापस लेती हूँ।”
यह कहते हुए रानीपरी ने अपनी जादुई छड़ी उठाई और गाँव से श्राप को हटा दिया।
रानीपरी के श्राप को वापस लेने के बाद, लखनपुर में फिर से खुशहाली लौट आई। फसलें हरी-भरी होने लगीं, पशुओं की सेहत में सुधार हुआ और गाँव के लोग फिर से स्वस्थ हो गए।
केशव, चम्पा, राजू और अन्नू के प्रयासों से गाँववालों ने एक महत्वपूर्ण सीख ली कि एकता और सच्चाई से किसी भी मुश्किल का सामना किया जा सकता है।
दोस्तो ये Fairy Tales Story आपको कैसी लगी, नीचे Comment में हमें जरूर बताइएगा। कहानी को पूरा पढ़ने के लिए शुक्रिया!