हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” प्रेग्नेंट विधवा बहू ” यह एक Family Story है। अगर आपको Family Stories, Saas Bahu Stories या Rishto Ki Kahaniyan पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
शालिनी और गौतम की सगाई हो चुकी थी। शादी को अभी दो महीने बाकी थे।
इस बीच शालिनी और गौतम घरवालों से छिप-छिपकर मिलने लगते हैं। दोनों को एक-दूसरे से बेइंतहा प्यार हो जाता है।
लेकिन ऐसा क्या होता है कि शादी के फौरन बाद शालिनी के ससुराल वाले उसे घर से निकालने लगते हैं?
दरअसल, दो महीने पहले शालिनी की सगाई गौतम से होती है। सगाई के बाद एक दिन गौतम ने शालिनी को फ़ोन किया।
गौतम, “हैलो शालिनी! दो महीने बाद हमारी शादी होने वाली है। मैं सोच रहा था कि शादी से पहले हम दोनों एक-दूसरे को अच्छे से जान लें। इसके लिए हमारा मिलना बहुत जरूरी है।”
शालिनी, “लेकिन गौतम, मामी कहती हैं कि शादी से पहले लड़का-लड़की को एक-दूसरे से नहीं मिलना चाहिए। इससे शादी टूटने का खतरा रहता है।”
गौतम, “शालिनी, तुम्हें मामा-मामी से कुछ कहने की जरूरत ही क्या है? देखो, अब तो हमारी शादी होने वाली है। क्या तुम्हारा मुझसे मिलने का दिल नहीं करता?”
शालिनी, “करता तो है।”
गौतम, “तो फिर कैसा डर?”
शालिनी, “लेकिन मैं घर से कैसे निकलूंगी?”
गौतम, “तुम्हारी कोई सहेली नहीं है क्या?”
शालिनी, “एक ही सहेली है, सोनल।”
गौतम, “तो मामी से कह दो कि तुम सोनल से मिलने उसके घर जा रही हो और मेरे पास आ जाओ। हम कहीं बाहर बैठकर कॉफ़ी पीएंगे।”
शालिनी, “लेकिन बाहर हमें किसी ने देख लिया तो?”
गौतम, “ठीक है, मैं विपिन से बात करता हूँ। वो अकेला रहता है, हम उसके कमरे में चलेंगे।”
शालिनी, “ठीक है।”
शालिनी सहेली से मिलने का बहाना बनाकर गौतम से मिलने उसके दोस्त विपिन के कमरे पर जाती है, जहाँ दोनों एक-दूसरे की बाहों में खो जाते हैं।
अब दोनों अक्सर मिलने लगते हैं। गौतम का प्यार पाकर शालिनी दुनिया को भूलने लगी थी।
दो महीने कैसे बीत जाते हैं, दोनों में से किसी को नहीं पता चलता? दो महीने बाद दोनों की शादी हो जाती है।
दुल्हन की विदाई कराकर गौतम उसे घर ले आता है। तभी गौतम की बुआ जी अपने घर जाने की ज़िद करने लगती हैं।
प्रेग्नेंट विधवा बहू | PREGNANT VIDHWA BAHU | Family Story | Saas Bahu Ki Kahani | Saas Bahu Story in Hindi
, “लेकिन रीता, अभी तो आपके भतीजे की रिसेप्शन पार्टी बाकी है। पार्टी तक तो रुक जाती।
रीता, “नहीं भाभी। आपको तो पता ही है, घर पर मेरे ससुर जी अकेले हैं। वो खुद से कोई काम नहीं कर पाते।”
गौतम, “बुआ आप रुको, मैं आपको बस स्टैंड तक छोड़ देता हूँ।”
रीता, “नहीं गौतम बेटे। अभी तुम्हारी शादी हुई है, तुम घर पर आराम करो।
गौतम, “नहीं बुआ, मैं आपको अकेले नहीं जाने दूंगा।”
गौतम बुआ को गाड़ी पर बिठाता है और उन्हें बस स्टैंड तक छोड़ने जाता है। लेकिन रास्ते में गौतम की गाड़ी का एक्सीडेंट हो जाता है।
बुआ बुरी तरह से घायल हो जाती हैं। वो आईसीयू में भर्ती हैं और गौतम की मौत हो जाती है।
इधर शालिनी ससुराल में अपने पति का इंतज़ार कर रही थी और उधर गौतम की लाश घर आती है।
ये देखकर शालिनी के पैरों तले ज़मीन खिसक जाती है।
शालिनी, “ये क्या हो गया? हे भगवान! तुझसे मेरी खुशियाँ नहीं देखी गईं? इनकी जगह मुझे उठा लिया होता।”
शालिनी विधवा हो जाती है। वो फूट-फूटकर रो रही थी। रोते-रोते उल्टियाँ करने लगती है।
गीता अपनी बेटी नीलू से कहती है कि शालिनी का ध्यान रखें।
गीता, “नीलू बेटी, शालिनी बहू को अंदर ले जा। उसका हाथ-मुँह धुलाकर बिस्तर पर लिटा दे।”
नीलू शालिनी को घर के अंदर ले जाती है। उसका हाथ-मुँह धुलाती है, लेकिन शालिनी लगातार उल्टियाँ कर रही थी।
नीलू, “माँ, भाभी की तबियत ज्यादा खराब है।”
गौतम के पिता, “नीलू बेटी, तू चिंता मत कर। मैंने डॉक्टर को फ़ोन कर दिया है। डॉक्टर अभी आता ही होगा।”
थोड़ी देर में डॉक्टर आता है और शालिनी का चेकअप करता है।
डॉक्टर, “आपकी बहू माँ बनने वाली है।”
गीता, “क्या..? ये आप क्या कह रहे हैं, डॉक्टर साहब?”
डॉक्टर, “हाँ, ये एक महीने से प्रेग्नेंट है।”
शालिनी की प्रेग्नेंसी की खबर देकर डॉक्टर तो चला जाता है, लेकिन उसके बाद शालिनी पर दुःख जैसे घने बादल की तरह बरसने लगते हैं।
गीता, “कलमुही! अभी तो तेरी सुहाग शरात भी नहीं हुई और तू गर्भवती हो गई? सच-सच बता, किसका बच्चा है ये?”
शालिनी, “माँ जी, ये बच्चा गौतम का ही है।”
गीता, “अपना पाप मेरे बेटे के सर पर मढ़ना चाहती है? आते ही मेरे बेटे को खा गई? अब हमारे सर पर कलंक लगाना चाहती है?”
प्रेग्नेंट विधवा बहू | PREGNANT VIDHWA BAHU | Family Story | Saas Bahu Ki Kahani | Saas Bahu Story in Hindi
शालिनी, “नहीं माँ जी, मैं झूठ नहीं बोल रही हूँ। मैं और गौतम सब से छिप-छिप कर विपिन के कमरे पर मिलते थे।”
गीता, “मेरा बेटा ऐसा कभी नहीं कर सकता। शालिनी बहू, अच्छा यही होगा कि तू अपना पाप लेकर यहाँ से निकल जा।”
गौतम के पिता, “रुक जाओ गीता, गौतम के अंतिम संस्कार तक इसे यहीं रुकना होगा। उसके बाद हम सोचेंगे कि क्या करना है?”
गौतम का अंतिम संस्कार किया जाता है और शालिनी विधवा के रूप में आ जाती है। शालिनी गौतम की तस्वीर लेकर रो रही है।
शालिनी, “ये क्या हो गया? आपकी जगह मैं क्यों नहीं मर गई? अब मेरा क्या होगा? हमारे बच्चे का क्या होगा? कोई मेरी बात मानने को तैयार नहीं है।”
शालिनी को इस हाल में गौतम की तस्वीर से बातें करते हुए उसके ससुर देख लेते हैं।
वीरेन्द्र, “कहीं शालिनी सच तो नहीं कह रही है? मुझे पता लगाना होगा।”
दूसरे दिन वीरेंद्र गौतम के दोस्त विपिन को फ़ोन करते हैं।
वीरेन्द्र, “विपिन बेटे, मुझे तुमसे कुछ जरूरी बात करनी है।”
विपिन, “जी अंकल, क्या बात है?”
वीरेन्द्र, “क्या ये सच है कि शादी से पहले शालिनी और गौतम छिप-छिपकर तुम्हारे कमरे में मिला करते थे?”
विपिन, “जी अंकल, ये बात सच है। हालांकि ये बात गौतम ने मुझे किसी से बताने के लिए मना किया था
क्योंकि शालिनी अपनी मामी से बहुत डरती है, लेकिन अब इस बात को छिपाने का कोई मतलब नहीं है।”
वीरेन्द्र, “ठीक है, बेटे।”
वीरेन्द्र फ़ोन रख देता है।
वीरेन्द्र, “इसका मतलब शालिनी सच कह रही है। लेकिन फिर भी इस बात का क्या सबूत है कि शालिनी के पेट में पल रहा बच्चा गौतम का ही है?”
वीरेन्द्र असमंजस की हालत में थे, लेकिन फिर भी उन्हें शालिनी से सहानुभूति हो गई थी।
गौतम के अंतिम संस्कार खत्म होते ही गीता शालिनी के मामा को फ़ोन करती है और उन्हें सारी बात बताती है।
गीता, “भाई साहब, आप आकर अपनी भांजी को ले जाइये।”
मामा, “गीता जी, शालिनी अब आपकी बहू है। हमने उसकी शादी कर दी, हमारी जिम्मेदारी खत्म हो गई। हम कब तक उसका बोझ उठाएंगे?”
गीता, “तो हम क्या करें? हम उस चरित्रहीन औरत और उसके नाजायज बच्चे का बोझ क्यों उठाएं?”
शालिनी के मामा जी फ़ोन काट देते हैं। गीता गुस्से में शालिनी के कमरे में जाती है और उसके बाल पकड़कर घसीटते हुए कमरे से बाहर लाती है।
गीता, “अभी मेरे घर से निकल।”
प्रेग्नेंट विधवा बहू | PREGNANT VIDHWA BAHU | Family Story | Saas Bahu Ki Kahani | Saas Bahu Story in Hindi
शालिनी, “माँ जी, मैं कहाँ जाऊँगी? मैं और मेरा बच्चा… हम दोनों भूखे मर जाएंगे।”
गीता, “तो मर जा, लेकिन मेरे घर से निकल जा।”
वीरेन्द्र, “गीता, ये तुम क्या कर रही हो? शालिनी बहू प्रेग्नेंट है। कहीं उसके बच्चे को कुछ हो गया तो?”
गीता, “तो हो जाए। कौन सा हमारे खानदान का चिराग है?”
वीरेन्द्र, “हो सकता है शालिनी बहू सच बोल रही हो। ये बच्चा हमारा ही पोता हो।”
गीता, “ये आप क्या कह रहे हैं? हमारा गौतम ऐसा नहीं कर सकता।”
वीरेन्द्र, “देखो गीता, मैंने गौतम के दोस्त विपिन से पूछा था। गौतम और शालिनी उसके कमरे पर अक्सर मिलने जाया करते थे।”
गीता, “तो आप क्या चाहते हैं? मैं शालिनी और उसके बच्चे को अपना लूँ?”
वीरेन्द्र, “मैं अभी कुछ नहीं कह सकता। लेकिन इतना जरूर कहूँगा कि शालिनी की डिलीवरी तक इसे यहीं रहने दो।”
गीता, “आप ही इसे सर पर चढ़ाकर रखिए।”
गीता वहाँ से चली जाती है।
शालिनी, “पिताजी, आपका बहुत-बहुत धन्यवाद!”
वीरेन्द्र, “शालिनी बहू, मैं सब जान गया हूँ। लेकिन तेरी सास और आस-पड़ोस के लोगों को समझाना थोड़ा मुश्किल है।
तू अपने कमरे में जाकर आराम कर। मैं बाज़ार जाकर तेरे लिए फल लाता हूँ।”
वीरेन्द्र शालिनी का बहुत ध्यान रखता था, लेकिन गीता शालिनी पर रोज़ नए-नए जुल्म करती।
शालिनी, “बहुत भूख लगी है। दिन के 12 बज गए। अभी तक मैंने कुछ नहीं खाया। लगता है आज खाना नहीं बना।”
शालिनी रसोई में जाती है तो देखती है कि खाने के सारे बर्तनों में बहुत थोड़ा-थोड़ा खाना बचा था।
शालिनी, “इसका मतलब खाना बना था, लेकिन मेरे लिए नहीं बचा।”
शालिनी अपने कमरे में चली जाती है। थोड़ी देर में नीलू खाना लेकर उसके कमरे में आती है।
नीलू, “भाभी, पिताजी ने आपके लिए खाना भिजवाया है।”
शालिनी, “पिताजी को मेरा धन्यवाद कहना, नीलू।”
शालिनी भरपेट खाना खाती है। इसी तरह दिन गुजर रहे थे।
नौ महीने के बाद शालिनी एक सुंदर से बेटे को जन्म देती है। बच्चे की शक्ल हूबहू गौतम जैसी थी।
वीरेन्द्र, “देखो तो गीता, हमारा गौतम भी बचपन में ऐसा ही दिखता था ना?”
गीता, “आपका तो दिमाग खराब हो गया है। बहुत हो गया, आप इस कलमुही को घर से बाहर निकालिए!”
गीता शालिनी और उसके बच्चे को घर से निकालने लगती है कि तभी वहाँ गौतम आ जाता है। शालिनी की गोद में बच्चे को देखकर गौतम बहुत खुश होता है।
प्रेग्नेंट विधवा बहू | PREGNANT VIDHWA BAHU | Family Story | Saas Bahu Ki Kahani | Saas Bahu Story in Hindi
गौतम, “शालिनी, ये बच्चा हमारा है?”
शालिनी, “हाँ। कहाँ चले गए थे आप?”
गौतम, “घबराओ मत शालिनी, अब मैं आ गया हूँ। सब ठीक हो जाएगा।”
गीता, “गौतम बेटे, तू… तू ज़िंदा है? तो फिर जिसका हमने अंतिम संस्कार किया, वो कौन था?”
गौतम, “माँ, उस दिन दो एक्सीडेंट हुए थे। जब मेरा एक्सीडेंट हुआ तो मैं खाई में गिर गया था।
वहाँ से आदिवासी मुझे उठाकर अपने इलाके में ले गए। वे कई महीनों तक मेरा देसी इलाज करते रहे।
आप लोगों ने जिसका अंतिम संस्कार किया, वो कोई और होगा। मैं अब ठीक हो गया हूँ।
इसलिए अपने घर आ गया। ये बच्चा मेरा ही है। मैं और शालिनी शादी से पहले विपिन के कमरे में मिला करते थे।”
वीरेन्द्र, “मैं कहता था कि शालिनी सच कह रही है।”
गीता, “शालिनी बहू, मुझे माफ़ कर दे। मुझसे गलती हो गई।”
शालिनी, “नहीं माँ जी, आप माफी मत माँगिए। अपने पोते को आशीर्वाद दीजिए।”
गीता, “ला, इसे मुझे दे।
गीता अपने पोते को गोद में लेकर प्यार करने लगती है। गौतम के आने के बाद से शालिनी की ज़िंदगी में खुशियाँ वापस आ जाती हैं।
दोस्तो ये Family Story आपको कैसी लगी, नीचे Comment में हमें जरूर बताइएगा। कहानी को पूरा पढ़ने के लिए शुक्रिया!