हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” ससुराल मायके का एक बाथरूम ” यह एक Saas Bahu Story है। अगर आपको Saas Bahu Hindi Kahani, Family Stories या Parivar Ki Kahaniyan पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
कंपकपाती ठंड में पानी से हाथ धोना ही मुश्किल हो गया था। कुछ देर पानी का नल खोलकर रखो तो पानी बर्फ़ बन जा रहा था।
इतने में देर रात को घर की बड़ी बहू शीतल के पेट में दर्द होने लगा।
शीतल, “हे भगवान! इस पेट को भी अभी दुखना था। इतनी ठंड में भी बाथरूम जाना होगा।”
शीतल रजाई से बाहर निकलना नहीं चाहती थी, लेकिन प्रकृति का बुलावा आ जाए तो इंसान को जाना ही पड़ता है।
शीतल को भी उठना पड़ा। ठंड से कांपती हुई शीतल बाथरूम तक पहुँच गई, लेकिन उसने देखा कि बाथरूम का दरवाजा अंदर से बंद है।
शीतल, “अरे! ये कौन करमजली अंदर है? कौन है अंदर?”
अंदर से सपना उत्तर देती है,
सपना, “मैं हूँ दीदी।”
शीतल, “मैं कौन, नाम तो होगा ना?”
सपना, “मैं दीदी सपना, बहुत ज़ोर की लगी थी।”
शीतल, “दिन में कितनी बार लगती है तुमको? जल्दी बाहर निकलो।”
सपना, “बाहर कैसे निकलूं, पानी जमकर बर्फ़ बन गया है। धोऊंगी कैसे? आप बर्फ़ को पिघलाने में मदद कीजिए ना।”
शीतल, “क्या यार… अब ये सब करना पड़ेगा क्या?”
शीतल चादर ओढ़कर घर के बाहर चली गई। बाहर ठंडी ठंडी बर्फीले हवाएं चल रही थीं।
ठंड से रूह तक कांप रही थी। शीतल हाथ में मशाल लेकर घर के बाहर बाथरूम के पास चली गई।
बाहर से पानी का पाइप बाथरूम के अंदर जा रहा था। उसी पाइप के अंदर पानी बर्फ़ बनकर जमा हो गया था।
शीतल मशाल की आग से पाइप को गर्म करने लगी और कुछ ही देर में बाथरूम में पानी आ गया। सपना काम खत्म करके अपने कमरे में चली गई।
शीतल और रोककर नहीं रख पा रही थी।
शीतल, “अरे बाप रे! लगता है अब निकल ही जाएगी। जल्दी जल्दी बाथरूम में घुस जाती हूँ। फिर मस्त गरमागरम रजाई के अंदर घुस जाऊँगी।”
शीतल बाहर से घर के अंदर आई और देखा बाथरूम का दरवाजा फिर से किसी ने बंद कर दिया था।
शीतल, “अरे! अब कौन है कोने अंदर?”
सुमन, “मैं सुमन हूँ दीदी, बस 10 मिनट रुक जाइए। पता नहीं शाम को गोलगप्पा क्यों खाया था?”
शीतल को फिर से रुकना पड़ा और फिर बर्फ़ पिघलाने के लिए फिर से बाहर चली गई।
ससुराल मायके का एक बाथरूम | Sasural Mayke Ka Ek Bathroom | Saas Bahu | Saas Bahu Story in Hindi|
ऐसे ही उसकी बाकी देवरानी भी बाथरूम के सामने चली आई। शीतल अपने आप को रोक नहीं पा रही थी। उसने घर के बाहर ही अंधेरे में शौच कर के बर्फ़ से ढक दिया।
शीतल, “आहाहा… अब जाकर पेट साफ़ हुआ।”
घर में पाँच बहुएं हैं। उनके साथ उनकी सास बिमला भी रहती है और इन छह लोगों के लिए घर में सिर्फ एक ही बाथरूम है।
इसलिए पाँचों बहुओं को सबसे ज्यादा दिक्कत सर्दी के मौसम में होती है।
उनके पति काम के सिलसिले में बाहर रहते हैं और शीतल को घर की बड़ी बहू होने के नाते घर संभालना पड़ता था और इस साल कुछ ज्यादा ही ठंड पड़ गई है।
बर्फबारी रुकने का नाम ही नहीं ले रही है, इसलिए मुश्किल काफी हद तक बढ़ गई है।”
अगले दिन सुबह विमला नींद से उठ जाती है। पाँचों बहूएं एक-एक कर के कमरे से निकलती हैं और विमला कहती है,
विमला, “क्या बहु..? सुबह के 7 बज गए हैं। मैं 2 घंटे से चाय का इंतजार कर रही हूँ।”
ये सुनते ही शीतल गुस्से से चिल्ला देती है।
शीतल, “कैसे उठूं सुबह-सुबह? रात को ठीक से नींद ही नहीं आई। कब से कह रही हूँ, एक बाथरूम से काम नहीं चल रहा है।
दूसरा बाथरूम बनवा दीजिए, लेकिन आप तो मेरी बात ही नहीं सुनती हो।”
विमला, “अच्छा… बाथरूम बनाने का पैसा क्या तेरा बाप देगा?”
शीतल, “मेरा बाप क्यों देगा पैसे? दहेज में तो दिया था पैसा मेरे बाप ने, उन पैसों से ही बाथरूम बनवा लीजिए।”
सपना, “हाँ दीदी, सही कहा। हम छह लोग हैं, एक बाथरूम से कैसे चलेगा?”
सुमन, “हाँ माँ जी, कल रात तो हद हो गई। ऊपर से इतनी ठंड।”
पाँचों बहुएं मिलकर विमला से झगड़ने लगीं। विमला भी छोड़ने वालों में से नहीं थी।
विमला, “देखो, एक ही बाथरूम से काम चलाना पड़ेगा। सर्दी हो या गर्मी, मेरे घर में एक ही बाथरूम काफी है।”
सुबह-सुबह झगड़ने के बाद वक्त आया नहाने का। सब लोग दो-तीन दिन से नहाए नहीं थे।
सबको आज गर्म पानी से नहाना था। रसोई में पाँचों बहू पहले गर्म पानी के लिए लड़ने लग गईं।
शीतल, “मैं सबसे बड़ी हूँ, मुझे गर्म पानी चाहिए।”
सपना, “नहीं, मुझे चाहिए गर्म पानी।”
तभी विमला आई और कहा,
विमला, “मैं हूँ इस घर की मालकिन, मुझे पहले गर्म पानी चाहिए।”
ये बोलकर विमला गर्म पानी लेकर बाथरूम के अंदर चली गई। ऐसे हर रोज़ बाथरूम के लिए झगड़ा चलता रहा। शीतल ने अपने पति को फ़ोन पर सब कुछ बताया।
शीतल, “देखिए जी, ठंड बहुत है। इतनी ठंड में बाथरूम के बाहर कांपते हुए हर रोज़ खड़ा रहना पड़ता है। आप कुछ कीजिए, एक और बाथरूम बनाकर दीजिए।”
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पति, “एक और बाथरूम..? लेकिन माँ ने तो ऐसा कुछ नहीं कहा। वो तो एक बाथरूम से ही खुश है।”
शीतल, “खुश होंगी क्यों नहीं? हमेशा वही तो पहले घुस जाती हैं और हमें इंतजार करना पड़ता है। ऊपर से उनके ताने…।”
पति, “देखो शीतल, मेरी माँ के बारे में उल्टा सीधा मत कहना। माँ अगर नहीं बोलेंगी, तो घर में दूसरी बाथरूम नहीं बनेगी।”
शीतल के पति ने फ़ोन रख दिया। शीतल रोने बैठ गई।
शीतल, “ये किस घर में बहू बनकर आ गई हूँ मैं? ये कैसी सास है? हे भगवान!”
शीतल यहाँ रो रही थी कि तभी किसी ने घर का दरवाजा खटखटाया। विमला ने दरवाजा खोला तो देखा उसकी बेटी रत्ना आई है ससुराल से।
विमला, “अरे रत्ना! आ जा बेटी। सब खैरियत?”
रत्ना, “नहीं माँ, ससुराल में तकलीफ हो रही थी। वहाँ तो और भी ठंड है। बाथरूम में पानी नहीं है, इसीलिए मैं आपके पास चली आई।”
बिमला, “बहुत अच्छा किया, बेटी। अब हम दोनों माँ-बेटी एक साथ सर्दी बिताएंगे।”
रत्ना, “हां मां, लेकिन पहले मुझे बाथरूम जाना पड़ेगा।”
रत्ना बाथरूम में घुस गई, पाँचों बहुओं के सर पर मुसीबत आ पड़ी।
शीतल, “अब क्या होगा? अब तो ननद जी भी आ गई हैं। ये तो बाथरूम से निकलना ही नहीं चाहती हैं।
सपना, “हाँ, वही तो मैं भी सोच रही हूँ।”
शीतल, “नहीं, इस तरह से तो काम नहीं चलेगा। हमें कुछ तो करना ही होगा।”
शीतल ने दिमाग लगाना शुरू किया। उधर रत्ना बाथरूम से निकलने का नाम ही नहीं ले रही थी।
हर किसी को बाथरूम यूज़ करना था। रत्ना 2 मिनट के लिए बाथरूम से बाहर आती थी
और फिर 2 मिनट बाद अंदर घुस जाती थी। ऐसी दो-तीन दिन बीत गए और फिर बर्फबारी थोड़ी कम हो गई।
शीतल सुमन को लेकर बाजार जाने के बहाने घर से बाहर गई और एक दुकान से जुलाब खरीद लिया।
सुमन, “जुलाब, जुलाब से क्या होगा दीदी?”
शीतल, “बस देखती जा। ये जुलाब भी हमें नया बाथरूम बनाकर देगा।”
सुमन, “वो कैसे?”
शीतल, “मेरे पास एक प्लान है।”
घर लौटकर शीतल ने बाकी चारों को समझा दिया और फिर खाना बनाकर उसमें जुलाब मिला दिया।
शीतल, “ये लीजिए मांजी, ननद जी, खा लीजिए।”
रत्ना, “भाभी, ये क्या ? सिर्फ टिंडे की सब्जी बनाई है? सोचा था मछली-मटन बनाकर खिलाओगी।”
शीतल, “मछली-मटन लेकर कौन आएगा, ननद जी? आप ले आइए, मैं बना दूँगी। टिंडे ही खा लीजिए, मटन कल बना देंगे।”
शीतल (मन में), “कल की नौबत ही नहीं आएगी।”
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विमला और रत्ना ने खाना खा लिया और रजाई ओढ़कर सो गई। लेकिन थोड़ी देर बाद उसके पेट में दर्द होने लगा।
रत्ना, “आह! माँ, मेरे पेट में बहुत दर्द हो रहा है।”
विमला, “मेरे पेट में भी दर्द हो रहा है, बेटी।”
रत्ना, “मैं पहले जाऊंगी।”
विमला, “नहीं, मुझे पहले जाना है। रुक जा।”
रत्ना, “नहीं, मैं जाऊंगी।”
रत्ना बाथरूम की ओर दौड़ने लगी। विमला भी पीछे पीछे दौड़ने लगी, लेकिन बाथरूम का दरवाजा बंद था। अंदर शीतल ऐसे ही बैठी थी।
रत्ना, “कौन है अंदर, कौन है?”
शीतल, “मैं हूँ, ननद जी।”
रत्ना, “जल्दी बाहर निकलो, मुझे जाना है।”
शीतल, “सारा दिन बाथरूम में आप ही तो थीं, ननद जी। अभी तो हमें बाथरूम यूज करने दीजिए।”
विमला, “अरे! बड़ी बहू, जल्दी बाहर निकलो, मुझे भी जाना है।”
शीतल, “हाँ हाँ, निकलती हूँ।”
कुछ देर बाद शीतल निकली तो माँ बेटी में बहस शुरू हो गई।
विमला, “मैं पहले जाउंगी।”
रत्ना, “नहीं, मैं पहले जाउंगी।”
इतने में सपना बाथरूम में घुस गई।
सपना, “तुम दोनों डिसाइड कर लो, तब तक मैं यूज़ कर लेती हूँ।”
धीरे-धीरे सभी बहुएँ बारी-बारी से बाथरूम जाने लगीं। विमला और रत्ना ठंड में बाहर खड़ी रह गईं और आखिरकार दोनों ने बाहर ही शौच कर दिया।
विमला, “हाय, हाय! ये क्या हो गया?”
रत्ना, “आपकी वजह से हुआ है ये। मैं कल ही ससुराल चली जाऊंगी।”
अगले दिन रत्ना सच में ससुराल चली गई। विमला को बहुत बुरा लगा।
शीतल, “आज अगर घर में एक की जगह दो बाथरूम होते, तो ये नौबत नहीं आती।”
विमला, “सही कहा बहू, मेरी बेटी गुस्सा होकर चली गई। दो नहीं, मुझे पांच बाथरूम चाहिए।”
ये सुनकर शीतल और बाकी बहुओं के चेहरे पर मुस्कान आ गई। विमला ने उसी दिन अपने बेटों से बाथरूम बनवाने को कहा
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और एक महीने के अंदर घर में पाँच बाथरूम बनकर तैयार हो गए।
उसके बाद ठंड में किसी को बाथरूम को लेकर परेशानी नहीं हुई और सब लोग खुशी-खुशी रहने लगे।
दोस्तो ये Saas Bahu Story आपको कैसी लगी, नीचे Comment में हमें जरूर बताइएगा। कहानी को पूरा पढ़ने के लिए शुक्रिया!