हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” स्वर्ग की यात्रा ” यह एक Animal Story है। अगर आपको Hindi Stories, Moral Stories या Janwaro Ki Kahaniyan पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
धोबी, “चल बे गधे। अब जल्दी घर भी चलेगा या यहीं रात करेगा? खाने में तो कोई कसर नहीं छोड़ता, फिर चलने में इतनी कंजूसी क्यों करता है?”
घर पहुंचकर…
गधा,” आं आं…मर गया रे। इस धोबी ने तो कपड़े लाद लादकर मेरा कचूमर निकाल दिया है।
हे भगवान! मुझे इस धोबी से बचाओ। मुझे इस धोबी से बचा लो, भगवान!”
इस तरह से गधा जब भी बोझा लादकर आता तो कराहते हुए भगवान को याद करता।
एक दिन…
धोबी, “ले खा, खा खा के तो गेंडा हो गया है लेकिन काम करने में तेरी नानी मरने लगती है।
फटाफट खा ले और चल, कपड़े लेने जाना है। अब चलेगा भी या तेरे लिए डोली मंगाऊं? चल!”
गधा, “आह… हे भगवान! मुझे इस धोबी से बचाओ!”
भगवान, “यह गधा रोज़ मुझे सच्चे मन से याद करता है। इसकी भक्ति ने मुझे प्रसन्न कर दिया। अब मुझे इसको दर्शन देना चाहिए।”
ऐसा सोच भगवान उस गधे के सामने प्रकट हुए।
भगवान, “मैं तुमसे बहुत प्रसन्न हूँ, गधा। कहो, क्या बात है? तुम इस तरह से मुझे रोज़-रोज़ क्यों ध्यान करते हो?
तुम्हारे मन में जो भी कामना है, मुझे बताओ। मैं उसे पूरा करने के लिए आया हूँ।”
गधा, “ये कौन आ गया भगवान बनकर? भगवान तो ये हो नहीं सकते।
ये जरूर इस धोबी की ही चाल है। ये वही है, जो मुझे भगवान बनकर ठगना चाहता है।”
भगवान, “अरे! क्या सोच रहे हो, गधे? मांगो, क्या मांगते हो?”
गधा, “मैं सोच रहा हूँ प्रभु कि मैं आप जैसा नहीं हूँ। गधा हूँ पर मूर्ख नहीं हूँ।
मुझे समझ में आती है भगवान और धोबी में फर्क। मैं उतना बेवकूफ नहीं हूँ।”
भगवान, “अब मैं तुम्हें कैसे विश्वास दिलाऊँ?”
गधा, “अगर तुम सही में भगवान हो, तो बताइए… सभी जानवरों के तो सींग होते हैं, मेरे सींग क्यों नहीं हैं?”
भगवान, “तुम्हारा सींग मेरे पास है, ये देखो।”
गधा, “मेरा सींग आपके पास है? इसका मतलब आप सच में भगवान हैं?”
भगवान, “हाँ गधे, मैं सच में भगवान हूँ।”
स्वर्ग की यात्रा | Swarg Ki Yatra | Animal Story | Jungle Ki Kahani | Janwaro Ki Kahani | Animal Story in Hindi
गधा, “तब एक बात बताइए भगवान, सब मुझे गधा समझते ही हैं। क्या आप भी मुझे गधा ही समझते हैं?”
भगवान, “अरे! नहीं नहीं, तुम तो गधेराज हो।”
गधे ने जैसे ही यह सुना, वह खुश हो गया।
फिर गधे ने कहा, “भगवान! मुझे अभी पृथ्वी पर रहने की लालसा नहीं है। मुझे भी अपने साथ स्वर्ग ले चलिए, प्रभु।”
भगवान, “मैं तुम्हारी भक्ति से बहुत प्रसन्न हूँ, गधेराज। ऐसा ही होगा।”
गधा भी भगवान के साथ स्वर्ग चला गया।
गधा, “भगवान! आपने तो मुझे सच में स्वर्ग में ला दिया। अब तो मैं यहाँ खूब मज़े से रहूँगा।”
भगवान, “हाँ गधेराज, अब से तुम यहाँ खूब आराम से रहो।”
अब गधा वहाँ खूब मौज से रहने लगा। बागों में हरी-हरी घास खाता और दिन भर घूमता रहता।
एक दिन गधा घास खाते-खाते इंद्रदेव के बाग में चला गया।
इंद्रदेव का सेवक, “कौन है ये गधा, जो महाराज इंद्रदेव के बाग में घुसा चला आया?
क्यों गधे, क्या तुम्हें नहीं पता कि ये इंद्रदेव का बाग है? यहाँ गधों का आना सख्त मना है।”
गधा, “अरे अरे! मुझे नहीं पता था, भाई। मुझे यहाँ कोमल-कोमल घास दिखी तो चला आया खाने के लिए।”
सेवक, “आज चेतावनी देकर छोड़ रहा हूँ, फिर दोबारा यहाँ मत आना। चल, निकल यहाँ से।”
गधा, “आज तो बुरा फंसा था। वो तो अच्छा हुआ कि उसने मुझे घास खाते नहीं देखा था।”
कुछ दिन बीतते हैं। अब गधे को वहाँ बहुत अकेलापन महसूस होने लगा। एक दिन भगवान उसका हालचाल जानने आए।
भगवान, “क्यों गधेराज, दिन तो मौज से बीत रहे हैं ना?”
गधा उदास होकर बोला, “भगवान! मैं यहाँ बिल्कुल अकेला हूँ। मुझे मेरे साथियों की बहुत याद आ रही है। अगर उन्हें भी आप यहाँ बुला लें तो बहुत अच्छा रहेगा, भगवान।”
भगवान, “जैसी तुम्हारी इच्छा, गधेराज। तुम्हारे साथियों को भी बुला लाता हूँ।”
ऐसा बोल भगवान अंतर्ध्यान हो गए और पृथ्वी से कुछ और गधों को लेकर वहाँ आए।
भगवान, “ये लो गधेराज, मैं तुम्हारे साथियों को भी ले आया। अब इन सबके साथ तुम्हारा मन भी लगा रहेगा।”
अब गधा बहुत खुश हुआ। अपने साथी गधों को लेकर बागों में घास खाने चला गया।
जब घास खाकर सारे गधे एक साथ जमा होते हैं, तो सभी गधों ने गाना गाना शुरू किया।
सभी गधों ने अपने स्वर से पूरे स्वर्ग को संगीतमय बना दिया। जब उनकी आवाज़ से स्वर्ग की शांति भंग होने लगी तो भगवान वहाँ आए।
भगवान, “ये तुम क्या कर रहे हो, गधेराज? तुम्हारे कारण स्वर्ग की शांति भंग हो रही है।”
गधा, “हम तो गाना गा रहे हैं, भगवान। हमारे गाने से मन को शांति मिलती है।”
स्वर्ग की यात्रा | Swarg Ki Yatra | Animal Story | Jungle Ki Kahani | Janwaro Ki Kahani | Animal Story in Hindi
भगवान, “लेकिन गधेराज यह धरती नहीं, स्वर्ग है और यहाँ तुम्हारी यह ‘ढेंचू-ढेंचू’ की आवाज़ नहीं चलेगी। यहाँ रहना है तो तुम्हें अपनी आवाज़ पर अंकुश लगाना होगा।”
गधा, “भगवान, तब तो यह सरासर नाइंसाफी हुई। क्या हमें बोलने का अधिकार नहीं मिलेगा? फिर मैं अपनी सुरीली आवाज़ किसे सुनाऊँगा?”
भगवान, “गधेराज, तुम्हारी आवाज़ों से हमारे ध्यान में विघ्न पड़ रहा है। यह हमारी आखरी चेतावनी है और इस पर अमल करो।”
गधा, “भगवान, अगर ऐसी बात है तो मुझे यहाँ नहीं रहना है। हमें हमारी धरती पर भेज दो, वहाँ हम लोग कम से कम आज़ादी से बोल तो सकते हैं।”
भगवान, “जैसी तुम्हारी इच्छा, गधेराज। जब तुम्हारी इच्छा धरती पर ही जाने की है तो इसमें मैं क्या कर सकता हूँ? चलो, मैं तुम्हें धरती पर भेज देता हूँ।”
गधे ने जब धरती पर जाने की बात सुनी तो खुशी से झूमने लगा।
धोबी, “चल उठ जा गधे। ना जाने कब से लगातार चिल्लाए जा रहा है? दिन में सोया-सोया न जाने कौन सा सपना देखता रहता है?”
गधा घबराकर उठता है।
गधा, “आं क्या मैं ये सब सपने में देख रहा था?”
धोबी,” अब चल जल्दी से खाना खत्म कर और फिर कपड़ा लेने जाना है। और हां, दोबारा सो मत जाना।”
गधा (खुद से), “चलो सपने में ही सही, स्वर्ग के दर्शन तो हो गए। लेकिन मुझे स्वर्ग से अधिक प्यारी ये धरती ही है। अब से मैं इच्छा भर के सबको अपने गाने सुना सकता हूँ।”
दोस्तो ये Animal Story आपको कैसी लगी, नीचे Comment में हमें जरूर बताइएगा। कहानी को पूरा पढ़ने के लिए शुक्रिया!