यमराज का भैंसा | YAMRAJ KA BHAINSA | Funny Story | Majedar Kahaniyan | Funny Stories in Hindi

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” यमराज का भैंसा ” यह एक Funny Story है। अगर आपको Short Funny Stories, Comedy Funny Stories या Majedar Kahaniyan पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।


रात का समय था। गेंदा सेठ की पत्नी, रोंदू के साथ रसोई घर में बर्तन साफ कर रही थी कि तभी गेंदा सेठ की आवाज़ उन दोनों के कानों में टकराई।

गेंदा सेठ, “अरे रोंदू… अरे रोंदू! कहाँ मर गया रे? जल्दी से इधर आ।”

गेंदा सेठ की पत्नी, “अरे! जाकर देख, अब क्या आफत आ गई?”

रोंदू, “लेकिन मालकिन, ये बर्तन आप अकेले कैसे धोएंगी?”

गेंदा सेठ की पत्नी, “जाकर पहले उनकी सुन, कहीं रसोई घर में ना घुसे चले आएं।”

रोंदू भागते हुए गेंदा सेठ के कमरे में गया।

रोंदू, “क्या हुआ, मालिक?”

गेंदा सेठ, “क्या हुआ… अरे! ये पूछ, क्या नहीं हुआ?”

रोंदू, “मैं कुछ समझा नहीं, मालिक।”

गेंदा सेठ, “क्या तुमने और मेरी पत्नी ने आज रात का भोजन नहीं बनाया क्या?”

रोंदू, “ये कैसी बातें कर रहे हैं, मालिक? आपके कहने पर तो आज पनीर के पराठे, दही बड़ों के साथ बनाए थे और साथ में पनीर पुलाव भी बनाया था।”

गेंदा सेठ, “अरे! इतने स्वादिष्ट-स्वादिष्ट पकवान बनाए और मुझे पता भी नहीं।

जल्दी जल्दी जाओ और मेरी पत्नी से कहो कि मुझे बहुत भूख लगी है। वो क्या है ना, दोपहर का भूखा हूँ।”

रोंदू, “ये कैसी बातें कर रहे हैं आप? अभी कुछ देर पहले ही तो आपने पेट भरकर भोजन किया है।

मैं और मालकिन रसोई घर में भोजन की प्लेटें ही तो साफ कर रहे हैं।”

गेंदा सेठ, “क्या? मैंने भोजन कर लिया?”

रोंदू, “हाँ, मालिक। आपने अभी-अभी कुछ देर पहले ही पेट भरकर खाना खाया है।”

गेंदा सेठ, “तो फिर मुझे कुछ याद क्यों नहीं आ रहा? मेरे पेट में चूहे क्यों दौड़ रहे हैं?”

रोंदू, “अरे! आपके पेट में तो हमेशा चूहे ही दौड़ते रहते हैं। पता नहीं, आपके ये पेट के चूहे कब शांत होंगे?”

रोंदू ने इतना कहा ही था कि तभी गेंदा सेठ की पत्नी गुस्से से पैर पटकते हुए आई।

गेंदा सेठ की पत्नी, “इनके पेट के चूहों को किसी दिन बहुत सारी नींद की दवाई दे दूंगी। उस दिन इनकी भूख हमेशा के लिए खत्म हो जाएगी।”

गेंदा सेठ, “ये कैसी बातें कर रही हो तुम? तुम तो मेरी पत्नी हो।

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क्या तुम नहीं जानती, अगर मेरे पेट के चूहे शांत हो गए, तो मैं स्वर्ग सिधार जाऊंगा और तुम विधवा हो जाओगी?”

गेंदा सेठ की पत्नी, “मुझे नहीं पता तुम्हें स्वर्ग मिलेगा कि नरक, लेकिन मुझे पूरा विश्वास है कि तुम्हें वहाँ से भी धक्के देकर बाहर निकाल दिया जाएगा,

क्योंकि तुम वहाँ पे भी किसी को खाने तो दोगे नहीं। अब जाकर सो जाओ, खाना खत्म हो गया

और राशन-पानी भी खत्म हो गया है। अब तुम्हें खाना कल दोपहर में मिलेगा।”

अपनी पत्नी की बात सुनकर गेंदा सेठ चुपचाप लेट गया। मगर वो भूख से सारी रात करवटें बदलता रहा।

गेंदा सेठ, “अरे! अब क्या करूँ भला? भूखे पेट किसी को नींद आती है क्या? समय देखता हूँ कितना हुआ है?”

गेंदा सेठ घड़ी पर समय देखने लगा।

गेंदा सेठ, “सुबह के 5:00 बज गए। मेरी पत्नी भी सो रही है। मुझे रसोई घर जाना चाहिए।

रात का कुछ न कुछ खाना जरूर रखा होगा। उससे ही कुछ भला हो जाएगा।”

गेंदा सेठ दबे पांव रसोई घर में गया। मगर उसने देखा रसोई घर के बर्तन साफ पड़े थे।

गेंदा सेठ, “इसका मतलब मेरी पत्नी सही कह रही थी। राशन-पानी भी खत्म हो गया है।

अब मैं क्या करूँ? मुझे तो बहुत तेज़ भूख लगी है। एक काम करता हूँ, बाहर जाकर कुछ जुगाड़-पानी करता हूँ।”

इधर गेंदा सेठ जैसे ही अपने घर से बाहर निकला, उधर आकाश में यमराज चित्रगुप्त के पास आकर बोले।

यमराज, “लाओ चित्रगुप्त, आज की लिस्ट जल्दी से मुझे पकड़ा दो। मैं सारा काम निपटा कर जल्दी ही आ जाऊंगा।”

चित्रगुप्त, “ये लीजिए, यमराज। आज आपको सिर्फ एक ही व्यक्ति की आत्मा को यहाँ पर लाना है।”

यमराज, “क्या… सिर्फ एक ही व्यक्ति की आत्मा और वो भी पूरे धरती लोक में? ये तुम कैसी बातें कर रहे हो, चित्रगुप्त?”

चित्रगुप्त, “ये एक व्यक्ति लाखों लोगों पर भारी है, यमराज। ये वही व्यक्ति है जिसने पिछली बार आपको हरा दिया था।”

चित्रगुप्त की बात सुनकर यमराज लिस्ट में लिखा हुआ नाम गौर से देखते हुए बोले।

यमराज, “ये तो गेंदा सेठ है। पिछली बार इसने मुझे मूर्ख बना दिया था। मगर इसकी आयु तो एक साधु की वजह से 50 वर्ष बढ़ा दी गई थी।”

चित्रगुप्त, “हाँ। लेकिन उस दिन के बाद से इसने लोगों का जीना हराम कर दिया। इसीलिए इसकी आयु 50 वर्ष घटा दी गई है।”

यमराज, “चिंता मत करो, चित्रगुप्त। मुझे गेंदा सेठ से अपना पुराना बदला चुकाना है।”

चित्रगुप्त, “ज्यादा बातें मत करिए, यमराज। फिर से आपको समझा रहा हूँ, कहीं उसकी बातों में मत आ जाना

और उसके खाने के चैलेंज को स्वीकार मत कर लेना, नहीं तो आप हार जाओगे।”

यमराज चित्रगुप्त की बात का जवाब दिए बगैर अपने भैंसे पर बैठकर सीधे पृथ्वी की ओर चल दिए। यमराज का भैंसा यमराज से बोला,

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यमराज का भैंसा, “यमराज जी, पिछली बार गेंदा सेठ ने आपका जो अपमान किया था, मुझे बहुत बुरा लगा था।”

यमराज, “मुझे लगा था कि वो इतना नहीं खा पाएगा। मगर पता नहीं उसके पेट के अंदर से खाना आखिर जाता कहाँ है? ये एक शोध का विषय है।”

यमराज का भैंसा, “इस बार आप मुझे मौका दीजिए।”

यमराज, “मैं कुछ समझा नहीं।”

भैंसा, “यमराज, आप तो जानते ही हैं कि मेरी खुराक कितनी है? मुझे पूरा विश्वास है कि मैं गेंदा सेठ को हरा दूंगा।

याद है आपको, पिछली बार मैंने सारे देवताओं का भोजन चट कर दिया था और कैसी खलबली मच गई थी?”

भैंसे की बात सुनकर यमराज गहरी सोच में पड़ गए। अचानक यमराज के होठों पर रहस्यमयी मुस्कुराहट आ गई।

यमराज, “तुमने सही कहा, मेरे भैंसे। मैं तो भूल ही गया कि तुम एक जादुई भैंसे भी हो। तुम्हारा मुकाबला तो कोई कर ही नहीं सकता।

फिर उस गेंदा सेठ की क्या औकात है? इस बार मैं उसकी आत्मा खींचने से पहले उसे हराऊंगा। उसके बाद उसे ले जाकर सीधे नर्क में फेंक दूंगा।”

इधर गेंदा भूख से बेहाल अनजान दशा की ओर चला जा रहा था। तभी उसके कानों में एक व्यक्ति की आवाज टकराई।

व्यक्ति, “अरे भैया! इतनी सुबह-सुबह कहाँ आ रहे हो तुम? उससे आगे तो जंगल है, भैया।”

गेंदा सेठ उसे व्यक्ति की ओर पलटकर बोला, “वो क्या है कि मुझे बहुत भूख लगी है, और भूख में मुझे कुछ पता नहीं रहता कि मेरे कदम कहाँ चले जाते हैं?

सिर्फ इतना जानता हूँ कि जहाँ भोजन होता है, मेरे कदम स्वयं वहाँ चले जाते हैं।”

व्यक्ति, “तुमने बिलकुल सच कहा, भैया। दरअसल मैंने भगवान से एक मन्नत मांगी थी, जो कि पूरी हो गई।

इसीलिए मैं गाँव में प्रसाद बाँटने के लिए निकला हूँ। अच्छा हुआ सबसे पहले तुम ही निकले।”

गेंदा सेठ, “अच्छा… जब ही कहूं कि मेरी नाक में ये सुगंधित खुशबू कहाँ से टकरा रही है? कहाँ है प्रसाद?”

व्यक्ति, “वहाँ पर बैठ जाओ।”

उस व्यक्ति ने गरमागरम पूरी और आलू की सब्जी गेंदा सेठ के सामने परोस दी।

गेंदा सेठ, “अरे वाह वाह वाह! सुबह-सुबह ही देसी घी की पूरी और मेरी मनपसंद आलू की सब्जी… आज तो मज़ा आ गया।”

गंदा सेठ पूरी और सब्जी खाकर बोला, “और दीजिए ना, इससे तो मेरा कुछ भी भला नहीं हुआ।”

व्यक्ति, “हाँ हाँ, क्यों नहीं, क्यों नहीं? ये लो।”

गेंदा सेठ कुछ ही देर में 150 पूरियाँ खा गया।

गेंदा सेठ, “अब लग रहा है जैसे पेट में कुछ जा रहा है। और लाओ ना।”

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व्यक्ति, “आखिर तुम कौन हो, भाई? मैंने गाँव में प्रसाद बाँटने के लिए 200 पूरियाँ बनवाई थीं। 150 तो तुम ही खा गए।”

गेंदा सेठ, “अरे! तो तुम्हारी 50 पूरियाँ बची हैं ना? तुम अब उसे बाँटकर क्या करोगे? वो भी मुझे दे दो। भगवान बहुत प्रसन्न होंगे तुमसे।”

उस व्यक्ति ने क्रोधित होकर वो 50 पूरियाँ गेंदा सेठ को पकड़ा दी और गुस्से में पैर पटकता हुआ दूसरे व्यक्ति से बोला,

व्यक्ति, “भैया, ये आदमी है या यमराज का भैंसा! पूरी 200 पूरियां खा गया। अब मैं मंदिर के बाहर प्रसाद कैसे बाँटूँगा, भैया?”

दूसरा व्यक्ति, “आपको 200 पूरियों का इंतजाम दुबारा करना होगा।”

पहला व्यक्ति, “तुम सही कह रहे हो, भैया। मैं और प्रसाद तैयार करवाता हूँ। जब तक तुम मंदिर पहुँचो।”

इतना कहकर वह दोनों व्यक्ति अलग-अलग दिशाओं में चले गए। गेंदा सेठ खाते हुए उस सब की बातें गौर से सुन रहा था।

गेंदा सेठ, “अरे वाह! फिर तो मज़ा आ गया। मंदिर में भी सारी पूरियाँ मैं ही खाऊंगा।

किसी भूखे को भोजन कराना कितना पुण्य का काम होता है? भगवान इस व्यक्ति से बहुत ज्यादा प्रसन्न हो जाएंगे।”

कुछ घंटे बाद गेंदा सेठ धीरे-धीरे कदमों से मंदिर की ओर बढ़ा, जहाँ पर वहीं दोनों व्यक्ति प्रसाद बाँटने की तैयारी कर रहे थे।

व्यक्ति, “अरे! तुम यहाँ क्यों आए हो?”

गेंदा सेठ, “अरे! तुम ही तो बातें कर रहे थे कि तुम मंदिर में भी प्रसाद बाँटोगे। तो सोचा कि मैं भी थोड़ा सा प्रसाद चख लूँ।”

व्यक्ति, “अरे भैया! भगवान के वास्ते यहाँ से चले जाओ, भैया। और भी बहुत से लोग प्रसाद खाना चाहते हैं, कम से कम उन्हें तो खाने दो।”

गेंदा सेठ, “तुम मेरा अपमान कर रहे हो। तुमने भगवान से मन्नत मांगी थी प्रसाद बाँटने की और देखो, मैं तुम्हारा प्रसाद खाना चाहता हूँ।

मगर तुम मुझे अपमानित करके भगा रहे हो। देखना, ईश्वर का प्रकोप बहुत जल्दी तुम पर टूटेगा।”

गेंदा सेठ की बात सुनकर वह व्यक्ति बुरी तरह से डर गया।

व्यक्ति, “अरे भैया…अरे भैया! अरे रुको, रुको। लो लो, पहले तुम ही प्रसाद चख लो, भैया।”

गेंदा सेठ चखने के नाम पर सारी पूरियाँ खाते हुए बोला, “क्या… बस इतना ही चखने को दोगे? थोड़ी और पूरियाँ लाओ।”

दूसरा व्यक्ति, “भैया, तू इंसान है या यमराज का भैंसा? हे ईश्वर! आखिर तू इसे अपने पास क्यों नहीं बुलाता?

अरे! इतने सारे अच्छे इंसानों की यमराज आत्मा खींचकर ले जाते हैं। इसकी आत्मा क्यों नहीं खींच ले जाते?”

उस व्यक्ति ने इतना कहा ही था कि तभी भैंसे पर सवार होकर यमराज हँसते हुए वहाँ पहुँच गए।

यमराज को देखकर वो व्यक्ति बुरी तरह से डर गया।

यमराज, “अभी तुम्हारा समय नहीं आया है। मैं तो इस गेंदा सेठ की आत्मा को ले जाकर नरक में डालने वाला हूँ।”

यमराज की बात सुनकर गेंदा सेठ अंदर से बुरी तरह से डर गया। मगर अचानक उसे कुछ याद आ गया।

गेंदा सेठ, “यमराज जी, आप शायद भूल रहे हैं मेरी आयु 50 वर्ष बढ़ा दी गई है।”

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यमराज, “हाँ, एक साधु की प्रार्थना से तुम्हारी आयु 50 वर्ष बढ़ा दी गई थी। मगर तुमने उस दिन के बाद इतने लोगों का खाना हराम कर दिया,

इसीलिए तुम्हारी आयु फिर से घटा दी गई है। अब तुम्हारा समय आ गया है। मेरा तुमसे वादा है, नरक में मैं तुम्हें खाने को तरसा दूंगा।”

तभी यमराज का भैंसा यमराज से बोला, “रुक जाइए, यमराज जी। शायद आप भूल रहे हैं, हम दोनों में क्या बातचीत हुई थी?

पहले अपने अपमान का बदला लीजिए, उसके बाद इसकी आत्मा इसके शरीर से खींचकर नर्क में डाल दीजिए।”

यमराज, “तुमने सही कहा। मैं तो भूल ही गया कि मुझे इससे अपना बदला भी चुकाना है।”

गेंदा सेठ, “कैसा बदला, यमराज जी? मैंने आपका क्या बिगाड़ा है?”

यमराज, “तुम्हारा और मेरे भैंसे का एक मुकाबला होगा—खाने का मुकाबला।

उस मुकाबले में मेरा भैंसा जीतेगा, उसके बाद मैं तुम्हारी आत्मा तुम्हारे शरीर से खींच लूँगा।”

यमराज की बात सुनकर गेंदा सेठ के मुँह में पानी आ गया और उसके दिमाग में एक योजना भी आ गई।

गेंदा सेठ, “मैं आपकी इस प्रतियोगिता में एक शर्त पर भाग लेने के लिए तैयार हूँ।”

यमराज, “कौन सी शर्त?”

गेंदा सेठ, “आपको मेरी आयु 100 वर्ष बढ़ानी पड़ेगी।”

यमराज, “ये मेरा काम नहीं, बल्कि भगवान का काम है।”

गेंदा सेठ, “ठीक है। अगर भोजन करके ही मेरी किस्मत में मरना लिखा है, तो यही सही। कम से कम मरने से पहले पेट भरकर भोजन तो कर सकूंगा।”

कुछ ही देर में मुकाबला शुरू हो गया। गेंदा सेठ के सामने उसके सारे पसंदीदा व्यंजन रखे हुए थे। गेंदा सेठ और यमराज का भैंसा भोजन पर टूट पड़े।

गेंदा सेठ, “यमराज जी, सारा भोजन खत्म हो गया। मगर मुझे अभी भी बहुत तेज भूख लग रही है।

जल्दी से और बहुत सारा भोजन मंगवाइए ना। उसके बाद मुझे आपके साथ भी चलना है।”

भैंसा (मन में), “अरे! ये इंसान है या कोई बवाल? मेरा पेट तो बुरी तरह से भर चुका है। आखिर मैंने यमराज जी के सामने इतनी बड़ी-बड़ी बातें क्यों कर दीं?”

कुछ ही देर में बहुत सारा भोजन गेंदा सेठ के सामने लग गया। गेंदा सेठ देखते ही देखते सारा भोजन चट कर गया।

गेंदा सेठ, “यमराज जी, अभी मेरा कुछ भी भला नहीं हुआ।”

गेंदा सेठ की बात सुनकर यमराज क्रोधित हो गए और गुस्से से गांव-शहर का सारा भोजन लाकर गेंदा सेठ के सामने रख दिया।

यमराज, “खाओ इसे। आज मैं देखता हूँ, तुम्हारी भूख मिटती है या नहीं। मेरा भैंसा भी कम नहीं है। देखना गेंदा, मेरा भैंसा ही जीतेगा।”

मगर गेंदा सेठ वह भोजन भी चट कर गया।

यमराज का भैंसा | YAMRAJ KA BHAINSA | Funny Story | Majedar Kahaniyan | Funny Stories in Hindi

गेंदा सेठ, “और भोजन लाओ, यमराज जी। अभी मुझे और भूख लग रही है। मेरे पेट में चूहे दौड़ रहे हैं।”

भैंसा, “बस! अब मैं भोजन का एक निवाला भी नहीं खा सकता। अगर मैंने एक निवाला भी खाया, तो मैं गिर जाऊंगा। अब मैं क्या करूँ?”

तभी यमराज के कानों में एक आवाज टकराई, “गेंदा सेठ की आयु 50 वर्ष और बढ़ा दी गई है, क्योंकि इसकी भूख कोई नहीं मिटा सकता।

मुझे डर है, कहीं ये सारे पृथ्वीवासियों का भोजन ही न खा जाए। तुम वापस आ जाओ।”

यमराज, “गेंदा सेठ, तुम्हारी आयु फिर से 50 वर्ष बढ़ा दी गई है। लेकिन मुकाबला अभी खत्म नहीं हुआ।”

यमराज ने इतना कहा ही था कि तभी यमराज का भैंसा बेहोश होकर गिर पड़ा। मगर गेंदा सेठ भोजन खाने में व्यस्त रहा।

गेंदा सेठ, “यमराज जी, अब तो मेरी आयु 50 वर्ष और बढ़ा दी गई है। मेरी भूख शांत नहीं हुई।

मुझे और भूख लग रही है। जब मैं खुश होता हूँ, तो मैं और ज्यादा खाता हूँ। और भोजन मंगवाइए।”

यमराज, “पापी, दुष्ट इंसान! तेरी वजह से मेरा भैंसा बेहोश हो गया। अब मैं कैसे जाऊंगा?”

कुछ देर बाद यमराज के भैंसे को होश आ गया।

यमराज, “आज जा रहा हूँ, गेंदा। लेकिन याद रखना, मैं तुम्हें भूलूंगा नहीं। 50 साल बाद आऊंगा।”

भैंसा, “यमराज जी, चला नहीं जा रहा। हाय! पेट फटने को हो रखा है। मर गया।”

यमराज, “मुकाबले के लिए बहुत उतावले थे ना? अब आई अक्ल ठिकाने?”

इतना कहकर यमराज अपने भैंसे के साथ वहाँ से चले गए। गेंदा सेठ मुस्कुराते हुए अपने घर आ गया।


दोस्तो ये Funny Story आपको कैसी लगी, नीचे Comment में हमें जरूर बताइएगा। कहानी को पूरा पढ़ने के लिए शुक्रिया!


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