क्लास टीचर से प्यार | CLASS TEACHER SE PYAR | Moral Kahani | Hindi Stories | Moral Story in Hindi

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” क्लास टीचर से प्यार ” यह एक Moral Story है। अगर आपको Moral Stories, Hindi Stories या Hindi Moral Kahaniyan पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।


प्रेरणा दसवीं कक्षा की छात्रा थी। उसे अपने क्लास टीचर अरुण से प्यार हो गया था

और वो हमेशा उनके ख्यालों में खोई रहती। फिर क्या हुआ, जानने के लिए देखते हैं “क्लास टीचर से प्यार।”

अरुण सर क्लास में बच्चों को पढ़ा रहे थे, लेकिन प्रेरणा का ध्यान पढ़ाई पर नहीं था। वो सिर्फ अरुण सर को देख रही थी।

अरुण सर, “प्रेरणा, तुम्हारा ध्यान किधर है?”

प्रेरणा, “जी यहीं है, सर।”

अरुण सर, “तो बताओ, अभी मैं क्या पढ़ा रहा हूँ?”

प्रेरणा, “जी वो…।”

प्रेरणा चुप थी क्योंकि उसे पता ही नहीं था कि अरुण सर क्या पढ़ा रहे थे।

क्लास की सभी बच्चे हँसने लगे।

अरुण सर, “तुम सब चुप हो जाओ। किसी पर हँसना अच्छी बात नहीं है।”

अरुण सर, “प्रेरणा, तुम दसवीं कक्षा में पढ़ती हो। तुम्हें इस बात का बहुत ध्यान रखना चाहिए और अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए।

तुम्हारे बोर्ड एग्ज़ाम्स आने वाले हैं। अगर तुमने रिज़ल्ट अच्छा नहीं किया, तो मेरी बहुत बदनामी हो जाएगी।”

प्रेरणा, “मुझे माफ़ कर दीजिए, सर। मैं अपना ध्यान पढ़ाई में लगाऊंगी।”

अरुण सर, “ठीक है, बैठ जाओ।”

अरुण सर, “सभी बच्चों ध्यान से सुनो, कल रविवार है। कल छुट्टी है।

इसलिए मैं तुम लोगों को कुछ होमवर्क दे रहा हूँ। सोमवार को सब अपना-अपना होमवर्क करके लाना।”

रविवार सुनते ही प्रेरणा उदास हो गई और मन में सोचने लगी, “कल स्कूल बंद है। मैं स्कूल नहीं आऊंगी, तो अरुण सर को कैसे देखूंगी?

अरुण सर कितने हैंडसम हैं। इन्हें जब तक ना देखूँ, मेरा मन ही नहीं लगता। मैं अरुण सर को कैसे बताऊँ कि मैं उनसे कितना प्यार करती हूँ?”

शाम को छुट्टी के बाद सभी बच्चे घर चले जाते हैं। दूसरे दिन रविवार की छुट्टी थी।

प्रेरणा देर तक सो रही थी। तभी उसकी माँ सुजाता उसके कमरे में आईं।

सुजाता, “प्रेरणा… बेटी प्रेरणा, उठ जाओ। सुबह के 10 बज चुके हैं। नहा-धोकर तैयार हो जा। स्कूल से जो होमवर्क मिला है, उसे पूरा कर ले।”

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प्रेरणा, “ओहो माँ! थोड़ी देर और सोने दो ना? कितना अच्छा सपना देख रही थी, आपने जगा दिया?”

सुजाता, “सपने बाद में देख लेना, पहले उठ जा।”

प्रेरणा उठ जाती है और बड़बड़ाते हुए कहती है, “ओहो! कितना सुहाना सपना था?

सपने में अरुण सर और मैं क्लास में अकेले थे। काश! कभी ऐसा मौका सच में मिल जाता।”

प्रेरणा उठकर नहा लेती है और नाश्ता करके बैठ जाती है।

वह सोचती है, “आज अरुण सर को देखने का बहुत मन हो रहा है, लेकिन क्या करूँ? आज उन्हें कैसे देखूं?”

तभी उसके दिमाग में एक आइडिया आता है।

प्रेरणा , “हम्म… सवाल समझ न आने का बहाना बनाकर उन्हें वीडियो कॉल करती हूँ।

इसी बहाने उन्हें देख लूंगी। लेकिन, उससे पहले थोड़ा मेकअप कर लूं।”

प्रेरणा मेकअप करने के बाद अरुण सर को वीडियो कॉल करती है।

अरुण, “हेलो प्रेरणा! बोलो क्या बात है? तुमने मुझे वीडियो कॉल क्यों किया?”

प्रेरणा, “सर, मुझे कुछ सवाल समझ में नहीं आ रहे थे। क्या आप मेरी मदद करेंगे?”

अरुण, “हाँ, पूछो। कौन सा सवाल तुम्हें नहीं समझ आ रहा है?”

प्रेरणा अरुण सर से सवाल पूछती है और थोड़ी देर बाद वो फोन रख देती है।

प्रेरणा, “आह! आज तो अरुण सर को देख लिया। अब हर रविवार यही करूंगी।”

प्रेरणा हर रविवार अरुण सर को वीडियो कॉल करती और सवाल पूछने के बहाने उन्हें देखा करती।

एक दिन…
प्रेरणा, “छिप-छिप कर प्यार करना अब बहुत हो गया। अब मुझे अरुण सर को बताना होगा कि मैं उनसे कितना प्यार करती हूँ? लेकिन, कैसे बताऊँ?”

तभी क्लास में एक नोटिस आया, जिसमें लिखा था कि इस शनिवार सभी बच्चे पिकनिक पर जा रहे हैं और साथ में उनके क्लास टीचर भी होंगे।

प्रेरणा, “ये बहुत अच्छा मौका है। पिकनिक के बहाने उन्हें अपने दिल की बात बता दूंगी।”

प्रेरणा बेसब्री से शनिवार का इंतजार करने लगी है। शनिवार आने से पहले उसने अपने पिताजी से पैसे लेकर कुछ चॉकलेट खरीदे।

प्रेरणा, “अरुण सर को पहले ये चॉकलेट दूंगी और फिर अपने दिल की बात कह दूंगी।”

प्रेरणा बहुत खुश थी। शनिवार आते ही उसने बहुत ही सुंदर सी ड्रेस पहनी और चॉकलेट लेकर स्कूल बस में बैठ गई।

स्कूल बस जब सभी बच्चों को लेकर पिकनिक स्पॉट पर पहुँची, तो सभी बच्चे पिकनिक मनाने लगे।

कोई खेल रहा था, कोई झूला झूल रहा था, तो कोई चिप्स खा रहा था।

प्रेरणा की नजर बस अरुण सर पर टिकी हुई थी।

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प्रेरणा, “अरुण सर से अपने दिल की बात कैसे कहूं?सर के पास हमेशा कोई न कोई रहता है। उनसे कैसे बात करूँ?”

तभी प्रेरणा का ध्यान पिकनिक स्पॉट पर एक झील पर जाता है, जिसमें कई लोग बॉटिंग कर रहे थे।

प्रेरणा, “सर से कहती हूँ कि मुझे बॉटिंग करनी है और वो मुझे बोट में लेकर चलें।”

ऐसा सोचकर प्रेरणा अपने टीचर अरुण के पास जाती है और उनसे कहती है कि वो उसे बॉटिंग कराने के लिए ले चले।

अरुण, “लेकिन प्रेरणा, मैं बाकी बच्चों को छोड़कर नहीं जा सकता। बाकी बच्चों के प्रति भी तो मेरी जिम्मेदारी है।”

प्रेरणा, “प्लीज़ सर, बस थोड़ी देर के लिए चलिए। मैंने कभी बोटिंग नहीं की है। आज मैं बोटिंग करना चाहती हूँ।”

अरुण, “ठीक है, चलो।”

अरुण सर प्रेरणा को लेकर झील में बॉटिंग कराने के लिए जाते हैं। बोट में बैठने में अरुण सर प्रेरणा की मदद करते हैं

और उसका हाथ पकड़कर उसे बोट में बिठाते हैं। ये सब प्रेरणा को बहुत अच्छा लगता है।

फिर दोनों बॉटिंग करने लगते हैं। तभी प्रेरणा अपने बैग से चॉकलेट निकालकर अरुण सर को देती है।

अरुण, “ये क्या है, प्रेरणा?”

प्रेरणा, “ये चॉकलेट है, सर।”

अरुण, “लेकिन मेरे लिए क्यों?”

प्रेरणा, “क्योंकि आप मेरे लिए बहुत खास हैं।”

अरुण, “क्या मतलब? मैं समझा नहीं।”

प्रेरणा, “अरुण सर, मैं आपसे… मैं आपसे बहुत प्यार करती हूँ।”

अरुण (हैरानी से), “अच्छा… तो ये सब कहने के लिए तुम मुझे यहाँ लेकर आई हो।”

प्रेरणा, “हाँ, अरुण सर।”

अरुण, “प्रेरणा, यह तुम्हारी पढ़ाई करने की उम्र है और मैं तुम्हारा टीचर हूँ। गुरु, पिता के समान होता है।

तुम्हें मेरे बारे में न सोचकर अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए।”

प्रेरणा, “लेकिन सर, मेरा पढ़ाई में बिल्कुल मन नहीं लगता है जब तक आपको ना देख लूँ, मेरा दिन नहीं बनता।”

अरुण, “प्रेरणा, अब हमें चलना चाहिए। क्लास के बाकी बच्चे मुझे ढूंढ रहे होंगे।”

प्रेरणा, “लेकिन सर, जब तक आप मेरी बात का जवाब नहीं देंगे, मैं यहाँ से नहीं जाऊंगी। और झील में कूद जाऊंगी।”

अरुण, “नहीं प्रेरणा, ऐसा मत करना।”

प्रेरणा, “तो आप कह दीजिए कि आप भी मुझसे प्यार करते हैं।”

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अरुण सर अब बहुत मुसीबत में पड़ गए थे। प्रेरणा की बात मानने के अलावा उनके पास और कोई रास्ता नहीं था। उन्होंने प्रेरणा की बात मान ली।

अरुण, “ठीक है प्रेरणा, मैं तैयार हूँ। प्रेरणा ने अरुण सर को गले से लगा लिया और फिर दोनों बॉटिंग करते हुए झील के किनारे आ गए।”

प्रेरणा ने अरुण सर को गले से लगा लिया और फिर दोनों बोटिंग करते हुए झील के किनारे आ गए।

बोट से उतरकर दोनों पिकनिक स्पॉट पर आये। प्रेरणा बहुत खुश नजर आ रही थी, लेकिन अरुण सर चिंता में डूबे हुए थे।

शाम होते ही पिकनिक खत्म हो गई और सभी बच्चे स्कूल बस में बैठकर अपने-अपने घर चले गए।

अब प्रेरणा रोज़ अरुण सर को वीडियो कॉल करने लगी। घर में कोई कुछ पूछता तो कह देती, “पढ़ाई के सिलसिले में टीचर से बात कर रही हूँ।”

धीरे-धीरे, प्रेरणा के दसवीं के फाइनल एग्ज़ाम्स नजदीक आने लगे।

एक दिन…
अरुण, “सभी बच्चो ध्यान से सुनो…. दो महीने बाद आपके फाइनल एग्ज़ाम्स हैं।

आप लोगों को दो महीने की छुट्टियाँ दी जा रही हैं ताकि आप लोग परीक्षा की तैयारी कर सकें।”

प्रेरणा, “दो महीने…? दो महीने तो बहुत ज्यादा होते हैं, सर। अगर इस बीच हमें आपसे कुछ पूछना हो तो हम क्या करेंगे?”

अरुण, “तुम मुझसे फोन पर पूछ सकती हो, प्रेरणा। कोई भी बच्चा मुझसे फोन पर कुछ भी पूछ सकता है।”

लेकिन उस दिन घर लौटने के बाद प्रेरणा सोचती है कि दो महीने तक सिर्फ फोन पर बातें करके उसका काम नहीं चलेगा। वो तो उनसे रोज़ मिलना चाहती है।

तभी उसे एक आइडिया आया।

प्रेरणा, “अरुण सर से ट्यूशन पढ़ने के बहाने उन्हें अपने घर बुलाऊंगी।”

प्रेरणा उसी समय अपने पिताजी के पास गई और बोली, “पिताजी, दो महीने बाद मेरी दसवीं की बोर्ड परीक्षाएँ हैं।

परीक्षाएँ अच्छे से हों और अच्छे नंबर आएं, इसके लिए मैं ट्यूशन पढ़ना चाहती हूँ।”

प्रदीप, “ठीक है, प्रेरणा। मैं तुम्हारे लिए एक अच्छा सा टीचर रख देता हूँ, जो तुम्हें पढ़ाने के लिए रोज़ घर आएगा।”

प्रेरणा, “पिताजी, आपको टीचर ढूंढने की कोई जरूरत नहीं है। अरुण सर हैं ना… उनसे अच्छा टीचर और कोई हो ही नहीं सकता।

क्लास के सभी बच्चे उनकी बहुत तारीफ करते हैं। अगर अरुण सर ने मुझे ट्यूशन पढ़ाया, तो मैं क्लास में तो क्या पूरे स्कूल में अव्वल आऊंगी।”

प्रदीप, “ठीक है। मैं कल ही अरुण सर से बात करता हूँ।”

अगले दिन प्रेरणा के पिता प्रदीप ने अरुण सर से बात की और उन्हें प्रेरणा को ट्यूशन पढ़ाने के लिए कहा।

दूसरे दिन से, अरुण सर रोज़ प्रेरणा को ट्यूशन पढ़ाने उसके घर आने लगे। लेकिन प्रेरणा का अब भी पढ़ाई में मन नहीं लगता था।

अरुण, “प्रेरणा, मैं देख रहा हूँ कि तुम्हारा पढ़ाई में बिल्कुल मन नहीं लगता।”

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प्रेरणा, “क्या करूँ सर? जब आप सामने होते हैं, तो मैं आपको ही देखती रह जाती हूँ।”

अरुण, “क्या इसी के लिए तुमने मुझे ट्यूशन पर रखा है? देखो प्रेरणा, अगर तुम्हारा रिजल्ट अच्छा नहीं हुआ तो मेरी छवि खराब हो जाएगी।

सब यही कहेंगे कि मैं अच्छा टीचर नहीं हूँ। क्या तुम यही चाहती हो?”

प्रेरणा, “नहीं, मैं चाहती हूँ कि सब आपकी बहुत तारीफ करें।”

अरुण, “तो फिर अभी पढ़ाई पर ध्यान दो। परीक्षा खत्म होने के बाद हम दोनों कहीं घूमने चलेंगे।”

ये सुनकर प्रेरणा के जैसे पंख लग गए। उस दिन से वह पढ़ाई में ध्यान देने लगी और मेहनत भी करने लगी।

देखते ही देखते दो महीने गुजर गए और प्रेरणा की परीक्षाएँ नजदीक आ गईं। प्रेरणा ने अच्छी तरह से अपनी परीक्षा दी।

कुछ दिनों बाद परीक्षा का रिजल्ट भी आ गया। लेकिन उस दिन रिजल्ट घोषित करने के लिए क्लास में अरुण सर नहीं आए, कोई और ही आया।

विनीता, “बच्चों, मेरा नाम विनीता है। मैं कक्षा ग्यारहवीं की टीचर हूँ। आप में से प्रेरणा कौन है?”

प्रेरणा, “मैं हूँ, मैम।”

विनीता, “प्रेरणा, तुम पूरे स्कूल में अव्वल आई हो।”

प्रेरणा, “लेकिन अरुण सर क्यों नहीं आए, मैम?”

विनीता, “अरुण सर शहर छोड़कर चले गए हैं। उन्होंने दूसरे शहर में कोई दूसरा स्कूल जॉइन कर लिया है।”

प्रेरणा की समझ में नहीं आ रहा था कि वह अपने अव्वल आने की खुशी मनाए या अरुण सर के जाने का गम?

उसने अरुण सर को फोन किया, लेकिन उनका नंबर बंद था।

वो समझ गई कि उसका रिजल्ट सबसे अच्छा हो, इसके लिए अरुण सर ने उसकी सारी शर्तें मानीं और एक गुरु का धर्म निभाया।


दोस्तो ये Moral Story आपको कैसी लगी, नीचे Comment में हमें जरूर बताइएगा। कहानी को पूरा पढ़ने के लिए शुक्रिया!


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