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एक गाँव में सोमू नाम का एक बूढा व्यक्ति रहा करता था। किसी जमाने में वह अपने गाँव का मुखिया था।
मगर अब गाँव के लोग उसे मनहूस समझते थे। वो अपनी बूढ़ी पत्नी उर्मिला के साथ रहा करता था। आज भोजन को देखे हुए 3 दिन से ज्यादा हो गए।
उर्मिला,” भूख की वजह से मेरा तो दम ही निकाला जा रहा है। क्या हमें कभी भोजन जीवन में देखने को नहीं मिलेगा ? “
सोमू,” तुम अच्छी तरह से जानती हो बिंदिया, सारे गाँव वाले मुझे मनहूस समझते हैं। मैं किसी के भी घर पर भोजन मांगने के लिए जाता हूँ तो सब मुझे धक्के देकर बाहर निकाल देते हैं। मैंने खुद 3 दिन से खाना नहीं खाया। “
उर्मिला,” तो फिर क्या करें ? जहर खाकर आत्म हत्या कर लें ? “
सोमू,” अफसोस की बात तो यह है बिंदिया कि हम दोनों के पास जहर खाने तक के लिए पैसे नहीं है। “
अचानक उर्मिला मुखिया से बातें करते करते बेहोश हो गई।
सोमू,” होश में आओ उर्मिला, होश में आओ। “
मुखिया के झकझोरने पर उर्मिला को होश आ गया।
सोमू,” जब मैं गाँव का मुखिया था तो मैं किसी को भी भूखे पेट नहीं देख सकता था। मैंने अपना सारा धन निर्धन लोगों की मदद करने में लगा दिया।
मगर आज जब मेरा बुरा समय आया तब कोई भी मेरी मदद करने के लिए तैयार नहीं। अरे ! मदद करना तो बहुत दूर की बात है, कोई मुझे दो वक्त की रोटी देने तक को तैयार नहीं।
लेकिन तुम चिंता मत करो, तुम कुछ देर यहाँ पर आराम करो। मैं कहीं न कहीं से इंतजाम करके लाता हूं। “
इतना बोलकर मुखिया गाँव के नए मुखिया बाबूलाल के घर पर चला गया। बाबूलाल उस समय अपने 10 वर्षीय पुत्र के साथ खेल रहा था।
दरवाज़ा खटखटाने की आवाज…
बाबूलाल,” अरे ! अब इतनी रात को कौन आ गया ? मैं तो मुखिया बनकर पछता रहा हूँ।
सारे गाँव वाले समझते है कि उन सबने मुझे वोट देकर बहुत बड़ा अहसान कर दिया है। उन मूर्खों को इस बात का एहसास तक नहीं है, उन्हें वोट देने से पहले मैंने उनकी कितनी सेवा की है।
लाखों इन गाँव वालों पर लुटा दिया है। जिसे देखो मुँह उठाकर रात में मेरे दरवाजे पर मदद मांगने के लिए चला आता है। “
बाबूलाल (दरवाज़ा खोलते हुए),” तुम दरवाजे पर क्या कर रहे हो ? “
सोमू,” भाई, मैं और मेरी पत्नी 3 दिन से भूखे हैं। अगर तुम्हारे घर में कुछ रोटियां पड़ी हो तो वो मुझे दे दो। “
बाबूलाल,” देखो सोमू, तुम्हारी जगह अगर कोई और होता तो मैं उसे कुछ खाने को भोजन दे देता। मगर तुम्हारी बात अलग है।
यहाँ से निकल जाओ, इससे पहले कि मैं अपने दरवाजे से तुम्हें धक्के देकर बाहर निकाल दूं। “
सोमू,” आखिर मेरी गलती क्या है ? “
बाबूलाल,” गलती है कि तुम एक मनहूस हो। तुम हमारे गाँव के लिए शाप हो।
मुझे तो डर है कि अगर तुम कुछ देर यहाँ और ठहरे तो कहीं मेरे घर में कोई अनहोनी न हो जाए ? “
सोमू,” तो इसमें मेरा क्या दोष है ? मत भूलो बाबूलाल, वर्षों पहले मैं भी इस गाँव का मुखिया था।
और जब मैं गाँव का मुखिया था तब इस गाँव के लोगो की मदद करना अपना कर्तव्य समझता था। मेरे दरवाजे से आज तक कोई भूखा खाली पेट वापस नहीं गया। तुम बहुत बड़ा पाप कर रहे हो। “
बाबूलाल,” तुम मुखिया थे, जब थे। अब वो जमाने चले गए।
कब तक अपनी उन पुरानी बातों को डिंडोरा पीटते रहोगे ? आज में जीना सीखो सोमू। आज तुम एक मनहूस व्यक्ति हो। “
सोमू,” तो फिर मैं क्या करूँ ? ना ही मुझे इस गाँव में कोई काम देता है और न ही खाने को। “
बाबूलाल,” मेरे पास तुम्हारे लिए एक सुझाव है। तुम जाकर अपने आप को खत्म कर लो।
क्यूंकि अगर तुमने ऐसा नहीं किया तो कुछ दिन बाद गाँव वाले तुम्हें लाठी डंडों से मार मार कर समाप्त कर देंगे। “
अचानक बाबूलाल के कानों में उसके 10 वर्षीय बेटे की चीख टकराई। वह दौड़ता हुआ अंदर पहुँचा।
बाबूलाल,” क्या हुआ बल्लू को ? “
बाबूलाल की पत्नी,” पता नहीं जी। बल्लू खेल रहा था, खेलते खेलते।
अचानक इसका पैर फिसल गया और यह गिर गया। देखो इसके सिर से कितना खून बह रहा है ? “
सोमू,” मैं जानता था, ये मनहूस सोमू हमारे लिए कोई नई मुसीबत खड़ी कर देगा।
इस मनहूस के कदम जब जब मेरे घर के दरवाजे पर पड़े है, तब तब ऐसा ही हुआ है। अब मेरा मुँह क्या देख रही हो, बल्लू को डॉक्टर के यहाँ ले जाना होगा। “
बाबूलाल बल्लू को उठाकर अपनी पत्नी के साथ सीधे डॉक्टर की दुकान पर पहुँच गया।
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डॉक्टर,” क्या हुआ..? इसके तो सर से बहुत हो निकल रहा है। तुम एक अपने छोटे से बच्चे का ख्याल भी नहीं रख सकते तो तुम गाँव का क्या ख्याल रखोगे ? “
बाबूलाल,” अपना मुँह बंद करो डॉक्टर और मेरे बच्चे का इलाज करो। मत भूलो कि इस गाँव का मुखिया हूँ मैं।
भाषण देना मुझे ज्यादा शूट करता है और तुम्हें सिर्फ इलाज करना शूट करता है। इलाज करो। “
सोमू बाबूलाल के पीछे पीछे होस्पीटल पहुंच जाता है।
बाबूलाल,” तुम मेरे पीछे हाथ धोकर क्यों पड़ गए हो ? तुम्हें अभी भी सुकून नहीं मिला ?
देखो तुम्हारी वजह से मेरे बेटे का सर फट गया। अब तुम क्या चाहते हो कि मेरा भी सर फट जाए ? “
सोमू,” मैं तो सिर्फ तुम्हारे पुत्र को देखने के लिए चला आया था। “
बाबूलाल,” तुम्हें देखने की कोई जरुरत नहीं है। सोमू तुम यहाँ से चले जाओ। “
सोमू,” मेरी पत्नी कुछ देर पहले बेहोश हो गयी है, मुझे थोड़े पैसे दे दो। ज्यादा नहीं सिर्फ इतने दे दो कि अपनी पत्नी को भोजन करा सकूँ। मेरी पत्नी कुछ देर पहले बेहोश हो गयी थी। “
बाबूलाल,” तुम और तुम्हारी पत्नी हर बार बेहोशी होते हो। अरे ! मर क्यों नहीं जाते ? “
सोमू,” यह कैसी बातें कर हे हो ? “
डॉक्टर,” अब यह बिल्कुल ठीक है, इसे घर ले जा सकते हो। “
डॉक्टर,” तुम यहाँ पर क्यों आए हो सोमू ? निकल जाओ यहाँ से। “
सोमू,” मैं और मेरी पत्नी 3 दिन से भूखे हैं। मुझे कुछ खाने को दे दीजिये। ”
इतने में डॉक्टर के सिर पर पंखा गिर जाता है।
बाबूलाल,” देखा… बेचारा डॉक्टर, अब इसका इलाज कौन करेगा ? “
डॉक्टर की चीख सुनकर वहाँ मौजूद बल्ली, बलराम और भी गाँव के कई व्यक्ति जमा हो गए। देखते ही देखते डॉक्टर की दुकान पर भीड़ लग गयी। वह सभी सोमू को क्रोध भरी नजरों से देख रहे थे।
बल्ली,” जब डॉक्टर बाबू की चीख हमें सुनाई दी, हम तभी समझ गए थे सोमू कि तुम यहीं कहीं आस पास होगे और हमारा शक बिल्कुल सही निकला। “
बलराम,” बल्ली बिल्कुल सही कह रहा है सोमू। अब हम तुम्हें इस गाँव में एक पल भी नहीं रहने देंगे। हम तुम्हें और ज्यादा नहीं झेल सकते। “
सोमू,” मेरी हालत पर तरस खाओ। तुम गाँव वालों के लिए मैंने क्या कुछ नहीं किया ?
मत भूलो आज जो गाँव में विकास हुआ है, वो सब मेरी ही मेहनत का नतीजा है और आज जब मेरा बुरा वक्त है तो तुम गाँव वाले मुझे और मेरी पत्नी को दो वक्त की रोटी भी नहीं खिला सकते। “
बल्ली,” क्यूंकि तब तुम मनहूस नहीं थे। लेकिन कई सालों से तुम इस गाँव के लिए शाप बन चुके हो।
तुम जहाँ भी जाते हो उसका बेड़ा गर्ख हो जाता है। तुम्हारे कारण गाँव के न जाने कितने सीधे साधे लोग गाँव छोड़कर चले गए। “
बलराम,” बल्ली सही बोल रहा है। सोमू, तुम्हारी वजह से गाँव में डर का माहौल है। तुम जहाँ भी जाते हो, सामने वाले के लिए मुसीबत खड़ी कर देते हो। “
बाबूलाल,” मान क्यों नहीं लेते कि तुम मनहूस हो ? अपनी पत्नी को लेकर इस गाँव से निकल जाओ। “
बलराम,” मुखिया जी सही कह रहे है सोमू। हम तुम्हें पीटना नहीं चाहते, क्यूंकि तुम किसी ज़माने में हमारे गाँव के मुखिया थे।
लेकिन अगर तुम इसी वक्त अपनी पत्नी को लेकर इस गाँव से नहीं गये तो हम सब गाँव वाले तुम्हें धक्के देकर बाहर निकाल देंगे। “
बलराम की बात सुनकर सोमू की आँखों में आंसू आ गए। इसके बाद वो अपने घर की ओर चल दिया और अपनी पत्नी को लेकर जंगल में चला गया।
वो दोनों एक घने पेड़ की छाया में बैठ कर रोने लगे और रोते रोते सोमू और उसकी पत्नी उर्मिला बेहोश हो गए। अगली सुबह दोनों की आंख भूख की वजह से खुल गई।
उर्मिला,” लगता है हमारी किस्मत में इस जंगल में भूके पेट ही मरना लिखा है। “
सोमू,” हिम्मत मत हारो उर्मिला, ईश्वर पर भरोसा रखो। “
सोमू ने इतना बोला ही था कि तभी बहुत तेज हवा चलने लगी और उस हवा में सफ़ेद रंग की किरण उन दोनों के चेहरे पर फूटने लगी।
कुछ ही देर में सोमू और उसकी पत्नी उर्मिला बुढिया से जवान हो गए। उन दोनों को खुद में बहुत ताक़त महसूस होने लगी।
सोमू,” यह क्या हो गया ? हम दोनों जवान कैसे हो गए ? “
उर्मिला,” मेरी भी कुछ समझ में नहीं आ रहा। आखिर चमत्कार कैसे हो गया ? कहीं यह कोई जादू तो नहीं ? “
तभी उन दोनों के कंधों में जोर से दर्द होने लगा और कुछ ही पलों में उनके दोनों के दोनों कंधों पर बड़े बड़े पंख निकल आये।
सोमू,” ये क्या उर्मिला, हम दोनों के शरीर में तो पंख निकल आये ? आखिर यह क्या हो रहा है ?
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एक तो वैसे भी गाँव वाले हम दोनो को मनहूस समझते थे। अगर ये पंख लेकर वहाँ पर जायेंगे तो वो हम सब को देखकर बुरी तरह से डर जायेंगे। हो सकता है कि वो हमें कहीं जान से ही मार दे। “
तभी उन दोनों के कानों में बाबूलाल और उसकी पत्नी की आवाज़ टकराई।
उर्मिला,” मेरे कानों में तो गाँव के मुखिया और उसकी पत्नी की चीखें टकरा रही है। “
सोमू,” मुझे भी ऐसा लग रहा है जैसे कि बाबूलाल मदद मांग रहा हो। “
उर्मिला,” लगता है बाबू लाल मुसीबत में है, हमें उनकी मदद करनी चाहिए। “
सोमू,” मैं उसकी मदद कभी नहीं कर सकता। कल रात में उसके दरवाजे पर तुम्हारे लिए भोजन मांगने गया तो उसने मुझे कितना अपमानित किया ?
और तो और उसने गाँव वालों के साथ मिलकर मुझे और तुम्हें गाँव से धक्के देकर बाहर निकाल दिया। “
उर्मिला,” ऐसा नहीं कहते। मत भूलो कि तुम जब गाँव के मुखिया थे तब तुम लोगों की मदद किया करते थे।
शायद ये पंख हमें लोगों की मदद करने के लिए ही दिए गए हो। “
सोमू,” भला यह क्या बात हुई ? एक तो कुछ सालो से वैसे भी हम दोनों गाँव वालों से अपमानित हो रहे हैं, धक्के खा रहे हैं और ऊपर से तुम बोल रही हो कि ईश्वर ने हमें ये पंख उन लोगों की मदद के लिए दिए हैं। “
उर्मिला,” जो भी हो, एक बार चल कर देखते हैं। “
सोमू,” तुम्हारी बात तो सही है उर्मिला, लेकिन हम दोनों अभी भी इस रहस्य को नहीं समझ पाए है कि हम दोनों अचानक जवान कैसे हो गए ?
और ये पंख कैसे निकाल आए ? हम दोनों कोई चिड़िया या पंछी तो नहीं है। हमें तो ये भी नहीं पता की इन पंखों का इस्तेमाल कैसे किया जाए ? “
सोमू ने इतना कहा ही था, तभी उसकी पत्नी के पंख बुरी तरीके से फड़फड़ाने लगे और वह पंख दोनों को उड़ाते हुए गाँव की ओर ले गए।
कुछ ही देर में सोमू और उर्मिला बाबूलाल की छत पर खड़े हुए थे। उन्होंने देखा की बाबूलाल के घर में आग लगी हुई है और उसकी पत्नी कमरे में बंद है और बाबूलाल बाहर से मदद की गुहार लगा रहा था।
उर्मिला,” मेरा अंदाज सही निकला। बाबूलाल की पत्नी मुसीबत में है। “
बल्ली,” ये चमत्कार कैसे हो गया, सोमू भैया ? तुम तो बूढ़े थे, जवान कैसे हो गए ? “
सोमू,” यह चमत्कार कैसे हुआ, हम दोनों को भी नहीं पता ? लेकिन तुम सब ये क्यों नहीं सोचते कि तुमने हम दोनों पती पत्नी के साथ जानवरों से भी बदतर व्यवहार किया ?
हम दोनों पती पत्नी 3 दिन तक भूख प्यास से तडपते रहे, मगर तुम में से किसी ने भी रोटी का एक टुकड़ा तक हम दोनों को खाने को नहीं दिया।
इसके बावजूद भी जब भी तुम पर मुसीबत पड़ी तो मैंने और मेरी पत्नी ने मदद की। “
बाबूलाल,” मुझे माफ़ कर दो सोमू। अब मुझे अपनी गलती का पछतावा हो रहा है। तुम बिल्कुल सही कह रहे हो।
मैंने तुम्हें एक बार नहीं बल्कि पता नहीं कितनी बार अपमानित करके अपने घर के द्वार से धक्के देकर बाहर निकाला।
और आज जब मेरी पत्नी आग में जल रही थी तो तुमने ही मेरी मदद की। हम सब गाँव वालों को क्षमा कर दो। “
सोमू,” नहीं, मैं तुम सब गाँव वालों को कभी क्षमा नहीं कर सकता। और तुम सबके बुरे व्यवहार को मैं कभी नहीं भूल सकता।
तुम सब लोगों ने मुझे मनहूस मनहूस कहकर मेरी और मेरी पत्नी का बहुत अपमान किया है। अब मैं और मेरी पत्नी इस गाँव में कभी नहीं आएंगे। “
तभी फिर से तेज हवा चलने लगी और उस तेज हवा में रोशनी फूटने लगी। अचानक उन रोशनी की किरणों से एक साधू प्रकट हो गया जो सोमू और उर्मिला की तरफ देखकर रहस्मय अंदाज में मुस्कुरा रहा था।
साधू,” इन गाँव वालों की कोई गलती नहीं है सोमू। अगर किसी भी मनुष्य की वजह से किसी के घर पर कोई आपदा आ जाती है और ये हर बार ऐसा हो तो वो मनुष्य उस मनुष्य के साथ दुर्व्यवहार ही करेगा। “
सोमू,” आप कौन हैं ? “
साधू,” तुम्हे सब याद आ जायेगा और तुम्हारे सारे सवालों के जवाब भी मिल जायेंगे। मैं जानता हूँ कि तुम दोनो जवान कैसे हो गए और तुम दोनों के शरीर पर ये पंख कैसे निकल आये ? “
सोमू,” तो हमें बताइए साधू महाराज, आखिर ये सब कुछ हो क्या रहा है और इस चमत्कार की वजह क्या है ? “
साधू,” तो सुनो… तुम दोनो इस गाँव में रहने वाले नहीं हो। तुम दोनों इस पृथ्वी के जादुई जंगल के वासी हो, जहाँ पर लोग बूढ़े नहीं होते और उन सबके पंख भी होते हैं।
एक दिन मैं उस जादुई जंगल में तपस्या कर रहा था। तपस्या करने के बाद मुझे बहुत जोरों से भूख और प्यास लगी।
तभी तुम दोनों उड़ते हुए उस जंगल में आ गए और वहाँ मौजूद एक जादूई तालाब में पानी पीने लगे और एक वृक्ष से मीठे फल खाने लगे।
तुम दोनों उस जंगल के राजा और रानी थे। मैं तुम्हारी आज्ञा के बगैर उस तालाब में पानी नहीं पी सकता था और न ही उस वृक्ष के मीठे फल खा सकता था।
मैंने जब तुमसे खाने के लिए फल और पीने के लिए पानी माँगा तो तुमने मुझे अपमानित करके जंगल से निकल जाने के लिए कहा और इसलिए मैंने तुम्हें श्राप दे दिया और तुम दोनों साधारण मनुष्य बन गए।
इस श्राप के कारण तुम दोनों को कुछ भी याद नहीं रहा और न ही इन गाँव वालों को कि तुम दोनों इस गाँव के वासी नहीं हो।
मैं तुम्हें अहसास दिलाना चाहता था कि भूख और प्यास क्या होती है ? लेकिन जब मैंने देखा कि तुम दोनो साधारण मनुष्य बनकर भी आराम का जीवन वयतीत कर रहे हो इसलिए मैंने अपनी शक्ति से तुम्हें एक मनहूसियत का श्राप भी दे दिया।
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मनहूस होने की वजह से सारे गाँव वाले तुम्हें अपमानित करने लगे और तुम भूख और प्यास में रहने लगे।
मेरे श्राप का तोड़ यही था कि इतना अपमानित होने के बावजूद भी अगर तुम अपनी हालत में बाबूलाल की मदद नहीं करते तो तुम कभी श्राप से मुक्त नहीं हो पाते और दोबारा साधारण मनुष्य बन जाते। “
इतना कहकर उस साधू ने अपना हाथ सोमू और उर्मिला के आगे कर दिया। साधू के हाथ में सफ़ेद किरणें निकलने लगी जो ठीक सोमू और उर्मिला के माथे पर टकराईं।
किरणें टकराती हुई ही सोमू और उर्मिला को सब कुछ याद आ गया।
सोमू,” हमें क्षमा कर दीजिये साधू महाराज, हमें सब याद आ गया। अब हम अपने जंगल में हर आने वाले साधारण मनुष्य और साधू का ख्याल रखेंगे।
हमें आज्ञा दीजिये साधु महाराज। हमारे राज्य परिवार वाले हमारी प्रतीक्षा कर रहे हैं। “
साधू,” ठीक है, अब तुम दोनों अपने घर जा सकते हो। “
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aap kahani bahot acchi hai
kya aap ki kahani or mil sakti hai
padhne ke liye