हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” गरीब समोसेवाला ” यह एक Moral Story है। अगर आपको Hindi Kahaniya, Moral Story in Hindi या Bedtime Stories पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
Gareeb Samosewala | Hindi Kahaniya | Moral Stories | Bed Time Story | Hindi Kahani | Hindi Fairy Tales
ये कहानी है विष्णुपुर में रहने वाले धर्मा की। गरीबी ने हाथ तोड़ रखे थे, पर फिर भी वह खुश था।
दो वक्त का खाना और सुकून था। पर यह सुकून ज्यादा दिनों तक नहीं रह सका।
शादी के कुछ महीने बाद ही एक दुर्घटना में उसने अपना एक पैर गंवा दिया था। पैसे न होने की वजह से वो अपना इलाज भी नहीं करवा पा रहा था।
सुशीला,” आज तो खाने का एक दाना भी नहीं है। तुम तो कुछ कमा नहीं पाओगे।
मैंने बात की है, आज से मैं बाहर जाउंगी, तुम कम से कम घर के छोटे मोटे काम कर लेना। “
ऐसे में सुशीला अब रोज काम पर जाने लगी। एक दिन धर्मा अपने घर में बैठा खाना बना रहा था कि उससे मिलने के लिए उसका एक दोस्त घर पर आया।
दोस्त,” धर्मा, कैसा है ?;तबियत ठीक है तेरी ? “
धर्मा,” बस ठीक ही हूँ। तू बता, कैसा चल रहा है आजकल ? “
दोस्त,” सब ठीक, तुझसे मिलने का मन था तो सोचा आ जाऊँ। “
धर्मा,” आ जाया कर। वैसे भी मैं अकेला ही रहता हूँ।
घर पर मेरी पत्नी तो शाम को आएगी। अकेले बैठे बैठे कुछ नहीं होता तो तुझ से बात ही कर लिया करूंगा। “
दोस्त,” धर्मा, तुझसे एक बात कहूँ ? “
धर्मा,” हाँ, बोल। “
दोस्त,” देख, बुरा मत मानना पर तेरी बीवी तेरे अपाहिज होने का फायदा उठाकर बाहर काम का बहाना बनाकर जाती है। पर तुझे पता भी है कि वो बाहर जाकर क्या करती है ? “
धर्मा,” साहिल, ऐसे मत बोल। मेरी पत्नी मुझ जैसे अपाहिज के साथ अब भी रह रही है। मैं बाहर जाकर काम नहीं कर सकता, इसलिए तो वो काम कर रही है। “
साहिल,” वो काम नहीं करती। मैंने उसे किसी और के साथ देखा है। अगर तुझे भरोसा नहीं है तो मैं तुझे दिखा सकता हूँ। “
धर्मा,” ठीक है, चल। “
और अपनी बैसाखी के सहारे धीरे धीरे चलने लगता है। साहिल भी उसकी मदद करता है। फिर वो उसे लेकर घर की तरफ चला जाता है और बोलता है।
साहिल,” मैं रोज उसे इस घर से किसी आदमी के साथ निकलते हुए देखता हूँ। तू यहीं रुक। “
तभी साहिल घर का दरवाजा खटखटा है।
सुशीला,” कौन है ? “
वो औरत दरवाजा खोलती है तो सामने धर्मा और साहिल को देखकर हैरान रह जाती है। यह धर्मा की पत्नी सुशीला थी। वो उसे देखकर हैरानी से बोली।
सुशीला,” आप यहाँ क्या कर रहे हैं ? “
धर्मा खुद हैरान था। वो गुस्से से उसे घूर रहा था और सुशीला के पीछे से आते हुए वह आदमी बोला।
आदमी,” कौन है सुशीला ? अच्छा तुम हो… सुशीला के पति। हाँ हाँ बताया था उसने। तुम अपाहिज हो, बिना सहारे के चल नहीं सकते। “
धर्मा की आँखों से आंसू बहने लगे। वो कुछ नहीं बोला, बस चुपचाप रोते हुए अपनी पत्नी को देखता रहा। तो वो बोली।
सुशीला,” रोना बंद करो और जाओ यहाँ से। तुम्हें झेलते झेलते थक गई हूँ। एक अपाहिज के साथ रहना कितना मुश्किल होता है ?
पर अब मैं तुम्हारे साथ नहीं रहूंगी। मैं बिल्ला से शादी करूंगी। जाओ यहाँ से, अपने टूटे पैर का इलाज तो करा नहीं सकते। “
साहिल धर्मा को अपने साथ घर ले आता है। आज धर्मा ने बहुत प्यार से और अपने बचाए पैसों से सुशीला के लिए समोसे बनाए होते हैं।
धर्मा,” सोचा था… थक कर आएगी तो दोनों साथ मिल कर प्यार से बातें करते हुए खायेंगे। “
पर अब धर्मा का कोई ऐसा इरादा नहीं था। उसने वो समोसे साहिल को देते हुए कहा।
धर्मा,” मेरा तो दिल अब कुछ भी करने का नहीं कर रहा। किसी लायक नहीं हूँ मैं। पर अन्न का अपमान नहीं कर सकता, इसलिए यह तुम खा लो। “
साहिल,” धर्मा, ऐसा मत बोल। अगर उस औरत को तेरे साथ नहीं रहना, इसका मतलब यह नहीं कि तू किसी लायक नहीं है। “
धर्मा,” पर सच यही है कि मैं कुछ नहीं कर सकता। मुझ जैसा अपाहिज भला क्या करेगा, जो बिना सहारे के चल तक नहीं सकता ? “
साहिल,” तू कितना पागल है ? कितना अच्छा हुनर है तेरे पास ? जादू है तेरे हाथों में और तू कहता है कि तू किसी लायक नहीं है। “
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धर्मा,” क्या मतलब हुनर, मैं कुछ समझा नहीं ? “
साहिल,” अरे तेरे समोसे की बात कर रहा हूँ। मैंने आज से पहले इतने अच्छे समोसे कभी नहीं खाये, भाई। “
धर्मा,” पर मैं तो ऐसे ही बनाता हूँ। “
साहिल,” तो तू एक काम क्यों नहीं करता ? तू समोसे का छोटा सा ठेला शुरू कर दे। “
धर्मा,” तू मजाक कर रहा है ? मेरे पास रात का खाना बनाने के पैसे नहीं है और तू बोल रहा है कि मैं समोसे बेचना शुरू कर दूं। पैसे कहाँ से लाऊँ ? “
साहिल,” अरे पागल ! तू पैसों की फिक्र क्यों करता है ? तुझे बुरा न लगे तो इस काम को हम दोनों एक साथ कर सकते हैं।
तू बाहर जा नहीं सकता, पर समोसे बना सकता है। तो तू समोसे बनाकर देना और मैं बेच दिया करूँगा और तुझे सामान भी लाकर दूंगा। “
धर्मा उसकी बात सुन बहुत खुश हो जाता है। एक तरफ पत्नी ने धोखा दिया था और दूसरी तरफ दोस्त इतना साथ दे रहा था।
साहिल,” मैं अभी बाजार जाकर तेरे लिए सामान लेकर आता हूँ। हम कल से ही यह काम शुरू करेंगे। “
धर्मा,” ठीक है साहिल। “
साहिल मार्केट से सामान ले आता है और अगले दिन धर्मा सुबह सुबह सौ समोसे तैयार कर देता है। साहिल उन समोसों को बेचने के लिए निकल जाता है।
आधे ही दिन में सारे समोसे बिक गए थे और इससे उसे फायदा भी हुआ था।
धर्मा,” तू बहुत अच्छा दोस्त है रे। मैं तेरा अहसान कभी नहीं भूलूंगा। “
साहिल,” एहसान कैसा ? इसमें मेरा भी तो फायदा है। “
दोनों दोस्त एक दूसरे को गले लगा लेते हैं। देखते ही देखते कुछ दिनों में पूरे गाँव में उनके समोसे फेमस हो जाते हैं।
बिल्ला के घर पर…
सुशीला,” सुनिए जी, मुझे दस हजार रूपए दो, मुझे जरूरत है। “
बिल्ला,” अरे ! अभी कल ही तुम्हें छ: हजार दिए, वो कहाँ गए ? जो अब 10 हजार तुम्हे और चाहिए। “
सुशीला,” वो खर्च हो गए। नई साड़ियाँ ले आई थी। “
बिल्ला,” अरे ! प्राइवेट नौकरी करता हूँ। मैं कहीं का सेठ नहीं हूँ। “
सुशीला,” अच्छा जी, शादी करने से पहले तो बहुत डींगे मारते थे, रानी बनाकर रखूँगा। बस 4 दिन में हवा निकल गयी। “
बिल्ला ,” जैसे तुम इससे पहले तो सूरत के किसी हीरा व्यापारी के यहाँ पटरानी थी न, जो ऐश परस्ती यहाँ खोज रही हो ? भूल जाओ सब, समझी ? एक रुपया नहीं दूंगा अब। “
सुशीला,” ऐसे कैसे नहीं दोगे ? शादी करके लाए हो, खर्चे तो उठाने पड़ेंगे। “
बिल्ला गुस्से में परेशान होकर चला जाता है। उसके बाद आये दिन सुशीला और बिल्ला की लड़ाई होने लगती है। बिल्ला को शराब पीने की आदत थी।
एक दिन…
बिल्ला (शराब पीकर),” उसकी पत्नी ने इसे आबाद कर दिया और मुझे बर्बाद। आज मुझे इसकी वजह से ये दारू की लत लग गई है। इसको तो सबक सिखाकर रहूँगा। “
तभी अगले दिन जब साहिल समोसे बेचने ठेला लेकर गाँव में निकालता, तो बिल्ला चुपचाप धर्मा के घर में घुस जाता है। धर्मा कढाई में शाम के वक्त के लिए समोसे तल रहा होता है।
बिल्ला,” इस लंगड़े की चटनी में आज फिनायल की पूरी बोतल उड़ेल दूंगा, जिससे इसकी उस गाँव से छुट्टी हो जाएगी और कल से मैं बनाऊंगा समोसे बिल्ला के समोसे, हाँ।
और इतनी कमाई तो हो जाएगी कि अपनी पत्नी को संभाल सकूंगा। नहीं तो लोग कहेंगे… लंगड़े की तरह बिल्ला भी इसे संभाल नहीं पाया। नहीं नहीं, ऐसा बिल्कुल नहीं होगा। “
इसके बाद मौका पाकर बिल्ला झट से फिनायल की एक बॉटल चटनी में मिला देता है। शाम के वक्त साहिल घर आता है।
साहिल,” अरे दोस्त ! समोसे और चटनी तैयार है न ? आज तो सारा माल दोपहर में ही लग गया। “
धर्मा,” हाँ हाँ, सब तैयार है। लो भाई रखो सब ठेले पर। “
साहिल (आवाज लगाते हुए),” समोसे खाओ गर्मा गर्म समोसे।आओ भाई, धर्मा के मशहूर समोसे खाओ। “
प्रिंसिपल,” अरे भाई ! रुको जरा, मुझे स्कूल के बच्चों को पार्टी के लिए 50 समोसे चाहिए। हो जाएंगे क्या ? “
साहिल,” हाँ हाँ, क्यों नहीं ? अभी लो श्रीमान। “
साहिल झट से समोसे गिनकर पैक कर देता है।
साहिल,” लीजिये सर, आपके समोसे तैयार है और साथ में चटपटी चटनी भी। “
प्रिंसिपल,” धन्यवाद भाई ! ये लीजिये आपके पैसे। “
घर पहुंचकर…
साहिल,” अरे धर्मा भाई ! आज तो सारे समोसे एक स्कूल वाला बच्चों की पार्टी के लिए झट से ले गया। “
धर्मा,” क्या बात है ? तुम्हारी और मेरी मेहनत रंग लाई है दोस्त। भगवान करे सब बढ़िया ही हो। “
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कुछ ही देर में उनके घर पर दो पुलिस वाले और वही आदमी जो समोसे लेकर गए थे, वे लोग आते हैं।
प्रिंसिपल,” यही है वो, पकड़ लो इंस्पेक्टर। इसके समोसे खाने की वजह से सभी बच्चे बीमार पड़ गए। “
धर्मा,”:अरे भाई ! बात क्या हुई, जरा बताओ तो ? “
इन्स्पेक्टर,” अपाहिज होने के बावजूद ऐसी हरकतें करते हो ? तुम लोग शर्म नहीं आती ? छोटे बच्चों को कैमिकल वाले समोसा खिला दिए। “
साहिल,” हमने ऐसा कुछ नहीं किया साहब, जरूर कोई गलत फैमी हुई है। “
इन्स्पेक्टर,” चलो अब थाने चलके सब गलत फैमी दूर कर देंगे। तुम्हारी, चलो। “
थाने में…
इन्स्पेक्टर,” अरे भाई ! अब बताओ, तुम लोगों ने ऐसा काम क्यों किया ? बच्चों की जान के साथ खिलवाड़ ? “
साहिल,” साहब, हमने ऐसा कुछ नहीं किया। हमारा विश्वास कीजिये। मेरा दोस्त तो अपाहिज है। वो घर से बाहर भी अपनी व्हील चेयर पर जाता है। “
सिपाही,” साहब, कुछ दाल में काला जरुर लगता है। धर्मा के समोसे तो इतने स्वादिष्ट और फेमस है। वो भला ऐसा काम क्यूँ करेगा ? वो खुद अपना कारोबार खराब क्यों करेंगे ? “
इन्स्पेक्टर,” तू बहुत समोसे खाता है भाई ? लेकिन तेरी बात में दम तो है। “
तभी धर्मा अपने साथ हुई घटना को विस्तार से बताता है।
इन्स्पेक्टर,” वैसे अब अपनी पहली पत्नी के घर का पता बताओ जरा, तहकीकात करनी है और तुम जाओ अपने घर। जरुरत पड़ने पर थाने आना होगा। “
उसी शाम बिल्ला समोसे बनाने की सामग्री लेकर और शराब के नशे में चूर घर आता है।
बिल्ला,” सुशीला, अभी जल्दी से गर्मा गर्म समोसे बना। हम आज से समोसे बेचेंगे। “
सुशीला,” आपका दिमाग ठिकाने है कि नहीं ? मुझे नहीं आते समोसे बनाने। 1 झापड़ में बत्तीसी निकाल दूंगा तेरी।
तेरे लिए मैंने उस धर्मा का धंदा बंद करवाया और तू अब समोसे नहीं बनाएगी। ले अब तेरा देख क्या करता हूं ? “
किस्मत से उसी वक्त साहिल धर्मा की व्हील चेयर धकेलता हुआ वहीं से गुजर रहा था। सुशीला धर्मा को रोते हुए कहती है।
सुशीला,” मुझे माफ़ कर दो धर्मा, मैंने तुम्हारे साथ बहुत गलत किया। तुमने तो कभी मुझ पर हाथ भी नहीं उठाया था।
पर मैंने तुम्हारे साथ जो किया, भगवान मुझे उसकी सजा दे रहा है। मुझे माफ कर दो धर्मा, मुझे माफ कर दो। “
बिल्ला,” अरे ! उससे क्या माफी मांग रही है। तुझे मजा चखाता हूँ। “
धर्मा,” जो तुमने किया है, उसकी सजा तुम्हें मिल चुकी है। और अब बिल्ला जो तुम्हारे साथ कर रहा है, उसे उसकी सजा मिलेगी। “
धर्मा,” हेलो पुलिस स्टेशन ! यहाँ पर एक शराबी आदमी अपनी बीवी को मार रहा है। आप आकर उसे अरेस्ट कर लीजिये। “
धर्मा ,” सुशीला, तुम चिंता मत करो। पुलिस अभी आती ही होगी उसे अरेस्ट करने। तुम बिल्कुल मत घबराओ, वो तुम्हारा कुछ नहीं बिगाड़ पायेगा। “
सुशीला,” तुम धन्य हो धर्मा, तुम धन्य हो। जिस औरत ने तुम्हारे साथ इतना बुरा किया, तुम आज उसे ही बचा रहे हो। मैं जाने किस मुँह से तुमसे माफ़ी माँगूं ? “
धर्मा,” तुमने अपनी गलती स्वीकार की है, बहुत है। अब रोना बंद करो और जाओ अपनी जिंदगी की नई शुरुआत करो।
और हाँ, फिर से कभी किसी का भरोसा मत तोड़ना। क्योंकि हर कोई ये दुःख नहीं सहन कर सकता। “
सुशीला,” मैं भगवान से प्रार्थना करूंगी कि तुम हमेशा खुश रहो। “
पुलिस के आने के बाद…
सुशीला,” साहब, धर्मा और साहिल भैया बेकसूर हैं ? यह सब किया धरा बिल्ला का है। बिल्ला ने ही फिनायल चटनी में मिलाया था। “
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इन्स्पेक्टर,” ले चलो इस झूलेलाल को थाने में, इसकी सारी हेकड़ी निकालते हैं। और धर्मा और साहिल… आप लोगों को जो तकलीफ हुई, उसके लिए माफ़ी। चलो भाई। “
अब धर्मा की जिंदगी में सब कुछ ठीक हो चुका था। उसकी समोसे बेचने से की गयी शुरुआत अब ऊंचाई छू चुकी थी। उसे लोगों ने अब एक नाम भी दे दिया था… धर्मा समोसे वाला।
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