जादुई उपहार | Jadui Uphaar | Hindi Kahaniya | Moral Stories | Megical Story | Jadui Kahani | Hindi Fairy Tales

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” जादुई उपहार ” यह एक Jadui Kahani है। अगर आपको Hindi Stories, Moral Story in Hindi या Hindi Kahaniya पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
जादुई उपहार | Jadui Uphaar | Hindi Kahaniya | Moral Stories | Megical Story | Jadui Kahani | Hindi Fairy Tales

Jadui Uphaar | Hindi Kahaniya| Moral Stories | Megical Story | Jadui Kahani | Hindi Fairy Tales

 जादुई उपहार 

कासगंज गाव में एक कुबड़ा बूढ़ा जंगल के बीचोबीच एक झोपड़ी बनाकर रहा करता था। वो बूढ़ा रात के समय ही अपनी झोपड़ी से बाहर निकला करता था।
रात के अंधेरे में उसकी झोपड़ी में तेज रौशनी हो जाया करती थी जिससे गांव वाले बहुत डरा करते थे। 
उनका मानना था कि वो कुबड़ा कोई साधारण बूढ़ा नहीं है। वो जरूर कोई मायावी है जो गांव के जंगल में रह रहा है।
एक दिन गांव का एक युवक जिसका नाम का बबलू था, वो अपने हाथ में कुछ लकड़ियां लेकर जंगल के रास्ते से आ रहा था। तभी उसे किसी के रोने की आवाज सुनाई दी।
आवाज,” कोई बचाओ मुझे आकर, यहाँ से बाहर निकालो मुझे। अरे ! बचाओ, मुझे बचाओ। “
बबलू,” अरे भाई ! ना जाने ये किसकी आवाज है जो सहायता के लिए पुकार रही है ना जाने कौन है भाई ? “
वो थोड़ा दूर चला। तभी उसे उस मायावी बूढ़े की झोपड़ी दिखाई दी जिसके अंदर से आवाजें आ रही थी। 
जैसे ही बबलू उस झोंपड़ी के पास पहुंचा और अंदर झोपड़ी में जाने लगा, तभी वहाँ वो मायावी बूढ़ा आ गया।
बूढ़ा,” मेरी झोपड़ी में कहा जा रहे हो, नादान इंसान ? क्या जानते नहीं, वह मेरी झोपड़ी है ? उसमें कोई भी गांव वाला नहीं जा सकता है। क्या तुम जानते नहीं हो ? “
ऐसे डरावने बूढ़े को देखकर बबलू डर जाता है।
बबलू,” नहीं नहीं बूढ़े बाबा, मैं आपकी झोपड़ी में नहीं जा रहा था। मैं तो इस जंगल में कुछ लकड़ियां लेने आया था। 
लेकिन फिर किसी के रोने की आवाज सुनी, तो इधर आ गया। नहीं नहीं, मैं जाता हूँ यहाँ से,हाँ जाता हूँ। “
जिसके बाद बबलू वहाँ से दुम दबाकर भाग निकलता है और गांव पहुंचता है। और गांव वालों को अपनी आपबीती सुनाता है। अगली सुबह चाय की दुकान पर गांव के दो आदमी बातें कर रहे थे। 
पहला आदमी,” अरे भैया ! वह अपना बबलू है ना, कल जंगल से कुछ लकड़ियां लेकर आ रहा था, तो उस कुबड़े मायावी बूढ़े की झोपड़ी में से किसी के रोने की आवाज आ रही थी, भाई। 
जैसे ही बबलू देेखने के लिए आगे बढ़ा, वो मायावी डरावना बूढ़ा जो है, वो उसके सामने आ गया। अरे बेचारा ! जो है… जैसे तैसे अपनी जान बचाकर वहाँ से भागा। 
अरे ! कल रात से ही बुखार में पड़ा है बेचारा, भैया। पता नहीं भैया, क्या राज़ दफन हैं उस मायावी बूढ़े की झोपड़ी में ,हाँ बता रहे हैं ? “
दूसरा आदमी,” पता नहीं भाई, डर के मारे जो है, कोई भी गांव वाला जो है उस बूढ़े की झोपड़ी में जाने की हिम्मत नहीं करता है, हाँ। भैया, भगवान ही जाने क्या राज़ दफन हैं, भैया ? “
उसी गांव में भोला नाम का एक बहुत ही गरीब मछुआरा रहता था। गांव में सब उसे भोंदू बुलाते थे, जो जंगल के किनारे पर नदी से मछलियां पकड़ा करता था। 
एक दिन भोंदू नदी के किनारे बैठा हुआ था। अपने जाल को फैलाकर मछली पकड़ने की कोशिश कर रहा था।
भोंदू,” अरे ! आती क्यों नहीं कोई मछली मेरे जाल में आज..? कई दिन हो गए हैं, लेकिन कोई भी मछली हाथ नहीं लगी है। 
लगता है… आज फिर से मेरी बूढ़ी माँ को भूखा ही सोना पड़ेगा। हे भगवान ! तू कब कृपा करेगा, मुझ गरीब पर ? “
और वो रोने लगता है। थोड़ी देर बाद भोंदू खाली हाथ अपनी झोपड़ी में आता है। 

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मां,” अरे भोंदू ! आ गया ? मैं कब से इंतज़ार कर रही थी ? अरे ! मुझे बड़ी भूख लगी है, क्या आज भी तेरे हाथ कोई अच्छी मछली नहीं आयी ? “
भोंदू,” नहीं माँ, मुझे माफ़ कर दो। मैं आज भी तुम्हारे लिए कोई मछली पकड़कर नहीं ला पाया। ना जाने क्यों..? मेरे जाल में कोई मछली फस्ती ही नहीं है ? 
कई दिन हो गए हैं। जानता हूँ तूने कुछ भी नहीं खाया है। हाय हाय ! ना जाने हम अभागों ने कैसी किस्मत पाई है ? “
मां,” दुखी मत हो, देखना सब ठीक हो जायेगा,हाँ। कोई ना कोई राह हमें जरूर दिखेगी। “
अगली सुबह भोंदू फिर से अपना जाल लेकर नदी के किनारे जा रहा था। हे भगवान ! आज तो कोई मछली हाथ आ ही जाये। अगर नहीं आयी तो आज फिर से मुझे और माँ को भूखा सोना पड़ेगा। “
भोंदू थोड़ी दूर चलता है। तभी उसे जंगल की ओर से किसी के रोने की आवाज सुनाई देती है।
आवाज,” अरे ! कोई है ? अरे ! निकालो मुझे यहां से। कोई तो सहायता करो मेरी, निकालो मुझे यहाँ से। “
भोंदू,” अरे ! ये कौन रो रहा है ? लगता है किसी को सहायता की आवश्यकता है। लेकिन ये आवाज़ तो जंगल की ओर से आ रही है। ना जाने जंगल की ओर जाना ठीक होगा या नहीं ? 
गांव वाले तो अजीबो गरीब बातें करते हैं इस जंगल को लेकर। लेकिन कोई सहायता के लिए पुकार रहा है इसलिए जाना होगा। “
जैसे ही भोंदू थोड़ा आगे बढ़ता है, अचानक से उसे उस मायावी बूढ़े की झोपड़ी से ज़ोर ज़ोर से रोने की आवाज सुनाई देने लगी।
आवाज,” अरे ! कोई हैं इस जंगल में..? मेरी सहायता करो, मैं मर रहा हूँ। मेरी सहायता करो, निकालो मुझे यहाँ से। “
भोंदू,” ना जाने ये किसकी आवाज है ? कौन सहायता के लिए पुकार रहा है ? “
भोंदू जैसे ही आगे बढ़ा, तो उसे उस कुबड़े मायावी बूढ़े की झोपड़ी दिखाई दी जहाँ से आवाज आ रही थी।
भोंदू,” अरे ! आवाज तो इस झोंपड़ी के अंदर से आ रही है। लगता है अंदर कोई सहायता के लिए पुकार रहा है, हाँ ?
लेकिन क्या मेरा अंदर जाना ठीक रहेगा ? 
गांव वाले इस झोपड़ी को मायावी समझते हैं। नहीं नहीं, मुझे अंदर जाना ही होगा। कोई सहायता के लिए पुकार रहा है, इसलिए अंदर जाना ही होगा। “
जिसके बाद वह झोपडी के अंदर जाता है। तभी भोंदू देखता है कि एक बकरी पिंजरे में बंद होती है जो कि एक इंसान की आवाज़ में आवाज़ दे रही थी।
बकरी,” अरे ! कोई हैं इस जंगल में ? मेरी सहायता करो, मैं मर रहा हूँ। मेरी सहायता करो, निकालो मुझे यहाँ से। “
उस पिंजरे के अंदर बकरी को देखकर भोंदू हैरान हो जाता है।
भोंदू,” अरे ! तुम बकरी हो। लेकिन इंसान की आवाज़ में कैसे बात कर रही हो ? “
बकरी,” मुझे उस मायावी बूढ़े ने बकरी बना दिया है। मैं एक तपस्वी ब्राह्मण हूँ जो इस जंगल में तपस्या करने के उद्देश्य से आया था और यहाँ इस मायावी की झोपड़ी में आ गया। 
इस झोपड़ी में बैठकर तपस्या करने लगा, तभी वो मायावी बूढ़ा यहाँ आ गया और मुझे अपनी झोपड़ी में देखकर क्रोध से भर गया। 
उसने मुझे अपनी मायावी शक्ति से बकरी बनाकर इस पिंजरे में कैद कर दिया है। “
भोंदू,” तपस्वी ब्राह्मण, लेकिन वो मायावी बूढ़ा है कौन ? क्यों इस जंगल में सबसे छुपकर रहता है और क्या अब तुम अपने असली रूप में कभी नहीं आ पाओगे ? “
बकरी,” वो मायावी बूढ़ा बहुत ही खूंखार है। उसके पास अनेक मायावी शक्तियां हैं जो कई सालों से खजाने की तलाश में है। 
उसके पास एक नया पत्थर का टुकड़ा है। वो बहुत ही चमकदार है। यह चमकीला पत्थर ही उसे उस खजाने का रास्ता बताएगा। वो खजाना इसी झोपड़ी में दफ़्न हैं। 
लेकिन वो तभी सामने आएगा जब वो दो नये पत्थर आपस में मिल जाएंगे। उस पत्थर के दो टुकड़े हैं। 
लेकिन मायावी बूढ़े के पास सिर्फ एक ही टुकड़ा है जिसे वो रोज़ रात को बाहर निकालता है ताकि वो उसका दूसरा टुकड़ा ढूंढ सकें। 
इसलिए रोज़ रात को उस पत्थर के टुकड़े के कारण इस झोपड़ी में तेज रौशनी हो जाती है। “
भोंदू,” लेकिन उस चमकदार पत्थर का दूसरा टुकड़ा कहाँ पर है और क्या तुम अपने असली रूप में नहीं आ सकोगे ? मैं तुम्हारी सहायता कैसे कर सकता हूँ ? “
बकरी,” तुम्हें जंगल से कमल के सफेद पुष्प लाने होंगे। उन पुष्पों को खाकर मैं अपने असली रूप में आ जाऊंगा। 
जब तुम्हे वो पुष्प प्राप्त होंगे तो तुम्हें उस चमत्कारी पत्थर का दूसरा टुकड़ा भी मिल जायेगा जिससे उस रहस्यमय खजाने का पता चल जाएगा। 
लेकिन ये सब तुम्हें उस मायावी बूढ़े की नजरों से बचकर करना होगा। वो अभी अपनी झोपड़ी में आता ही होगा, तुम जल्दी जाओ यहाँ से। “
भोंदू,” हाँ हाँ, मैं अभी तुम्हारे लिए कमल के सफेद पुष्प लेकर आता हूँ। “
इसके बाद भोंदू सफेद पुष्प लेने जंगल जाता है और एक नदी किनारे सफेद कमल के पुष्प देखता है। 
लेकिन जैसे ही वो पुष्प लेने के लिए हाथ बढ़ाता है वो कमल के पुष्प गायब हो जाते हैं। ये देखकर भोंदू हैरान हो जाता है। 
वो जब भी अपना हाथ पुष्प की ओर बढ़ता, वो गायब हो जाते। “
भोंदू,” ना जाने क्यों, ये पुष्प मेरे हाथ लगाते ही गायब हो रहे हैं ? हे भगवान ! अब तुम ही कोई राहत दिखाओ, मेरी तो कुछ समझ में नहीं आ रहा है। “
तभी भोंदू के पास नदी से एक कछुआ बाहर आता है।
कछुआ,” तुम जो कोई भी हो, यह चमकदार कमल के पुष्प तुम्हें ऐसे प्राप्त नहीं होंगे। इसके लिए तुम्हें अपनी कोई एक वस्तु जो तुम्हे सबसे प्रिय हो और तुम्हारे लिए जरूरी हो, इस नदी में डाल देनी होगी। तभी ये पुष्प तुम्हें हासिल हो पाएंगे। “

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भोंदू,” कछुए जी, मेरे पास तो ऐसा कुछ भी नहीं है। मैं तो एक गरीब मछुआरा हूँ जो मछलियां पकड़कर ही अपना गुजर बसर करता है। 
मेरे पास तो इस मछली के जाल के सिवाय और कुछ भी नहीं है और ये मुझे सबसे प्यारा भी है। ये ना हो तो मैं मछलियां पकड़ ही ना पाउं। मैं इसे ही नदी में डाल देता हूँ। “
इसके बाद भोंदू अपना जाल उस नदी में डाल देता है जिसके बाद वो कमल के चमकदार पुरुष फिर से दिखाई देते हैं।
भोंदू उन्हें तोड़ लेता है। जैसे ही भोंदू के हाथ में पुष्प आते हैं, अचानक से नदी किनारे एक पत्थर बहुत चमकने लगता है। 
भोंदू,” पुष्प तो मुझे प्राप्त हो गए, लेकिन ये चमकती हुई चीज़ क्या है भला ? “
कछुआ,” ये चमकती चीज चमत्कारी पत्थर का दूसरा टुकड़ा है। तुम एक ईमानदार और साफ दिल इंसान हो जिसके पास इस नदी को देने के लिए कुछ भी नहीं था। 
लेकिन तुम्हारे लिए जो सबसे कीमती और उपयोगी था, तुमने वही इसमें डाल दिया। इसलिए यह चमत्कारी पत्थर तुम्हारे हिस्से में आ गया है। 
जाओ, इसे यहाँ से ले जाओ। इससे पहले की वो मायावी बूढ़ा यहाँ आ जाये। वो तुम्हें अपनी मायावी शक्तियों से मार डालेगा। जाओ… यहाँ से ले जाओ इस पत्थर को। “
भोंदू वहां से कमल के चमकदार सफेद पुष्प और पत्थर का दूसरा टुकड़ा लेकर मायावी बूढ़े की झोपड़ी में आ जाता है।
भोंदू,” ये देखो… ले आया मैं तुम्हारे लिए कमल के सफेद पुष्प। “
भोंदू उस बकरी रूपी ब्राह्मण को सफेद पुष्प देने ही वाला होता है, तभी वहाँ पर मायावी बूढ़ा आ जाता है।
बूढ़ा,” कौन हो तुम लड़के और मेरी इस झोपड़ी में आने का दुस्साहस साहस कैसे किया ? “
भोंदू,” बूढ़े बाबा, मेरा उद्देश्य आपको कोई हानि पहुंचाना नहीं है। मैं तो बस इस बकरी रूपी ब्राह्मण की सहायता कर रहा था। “
बूढ़ा,” नादान लड़के, इस ब्राह्मण के साथ अब तू भी मारा जायेगा। मेरे इस खजाने की खोज में जो भी बाधा बनेगा, मारा जाएगा। “
भोंदू,” क्षमा करें बूढ़े बाबा, मुझसे भूल हो गयी। “
बूढ़ा,” तो अब सजा भुगतो। “
जैसे ही बूढ़ा अपनी शक्तिओं से भोंदू पर प्रहार करता है, भोंदू झोपड़ी की दीवार से जा टकराता है और उसके हाथ से सफेद पुष्प गिरकर बकरी के आगे गिरते हैं और चमकीला पत्थर दूसरे कोने में। 
सफेद पुष्प को बकरी झट से खा जाती है जिससे बकरी तपस्वी ब्राह्मण का रूप ले लेती है। 
तभी अपनी शक्तिओं से मायावी बूढ़ा उस पूरी झोपड़ी को गुस्से में उड़ा देता है और तपस्वी ब्राह्मण और मायावी बूढ़े में घमासान युद्ध होता है।
ब्राह्मण,” अब तुम्हारा अंत है, दुष्ट। “
बूढ़ा,” तुम मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकते, हां। “
मायावी बूढा ब्राह्मण गले से पकड़कर उठा देता है। तभी वहाँ बेहोश भोंदू उठकर चमकीले पत्थर को उठाता है और उसका दूसरा टुकड़ा मायावी बूढ़े के पास गिरा होता है। 
भोंदू उन दोनों टुकड़ों को जोड़ देता है जिससे एक बहुत तेज़ रौशनी में निकलती है। भोंदू ये सब देखकर हैरान हो जाता है।
ब्राह्मण,” भोंदू,तुम डरो मत। इस चमत्कारी पत्थर मने इस मायावी बूढ़े के लालच की सजा इसे दे दी है। ये कोई साधारण पत्थर नहीं है। 
जब भी कोई अपने लालच के लिए इसे इस्तेमाल करेगा, तो यह उसे जलाकर राख कर देगा। 
लेकिन यह मायावी बूढ़ा यह जानते हुए भी अपने लालच में अंधा हो गया और अपना सर्वनाश कर बैठा। “
भोंदू,” अरे रे ! ये क्या हो गया भैया ? इस बूढ़े बाबा को लालच नहीं करना चाहिए था, भैया। “
तभी भोंदू और तपस्वी ब्राह्मण मुड़कर देखते हैं, झोपड़ी की जगह बेशकीमती खजाना सामने था। तपस्वी ब्राह्मण उस खजाने में से कुछ हिस्सा भोंदू को देते हैं।
ब्राह्मण,” ये लो भले इंसान, इस खजाने में से कुछ हिस्सा तुम्हारे लिए। ये तुम्हारी इंसानियत का तोहफा है। तुम एक साफ दिल के ईमानदार इंसान हो, जो बिना डरे मेरी सहायता करने इस मायावी झोपड़ी में चले आए। 
तुम्हारी ही वजह से मैं बकरी से अपने असली रूप में आप आया। जाओ भोंदू… अब तुम इस खजाने की मदद से अपना जीवन अच्छे से व्यतीत करना। “
भोंदू,” आपका बहुत-बहुत धन्यवाद तपस्वी ब्राह्मण ! मैंने जो भी आपके लिए किया, वह तो मेरा एक इंसान होने के नाते कर्तव्य था। अब इस खजाने की मदद से मेरी मां को कभी भूखा नहीं सोना पड़ेगा। “
यह बोलते हुए भोंदू की आंखों में आंसू आ जाते हैं। 
ब्राह्मण,” हे रहस्यमई खजाने ! तुम अपने स्थान पर वापस चले जाओ। यहां तुम्हारी आवश्यकता सिर्फ इस गरीब मछुआरे को थी जो कि तुम्हारे कुछ हिस्से से पूरी हो गई है। 
मैं एक तपस्वी ब्राह्मण हूं, मुझे भला तुम्हारी क्या आवश्यकता ? तुम अपने स्थान पर वापस जा सकते हो। “
जिसके बाद बाकी का खजाना और वह चमत्कारी पत्थर भी अपने आप ही वहां से गायब हो जाते हैं। 

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जब इसकी खबर गांव वालों को होती है तो सभी भोंदू का बहुत सम्मान करते हैं। 
अब गांव वाले उस जंगल के मायावी बूढ़े के डर से आजाद हो चुके थे और भोंदू भी अपनी मां के साथ खुशी-खुशी रहने लगता है।
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